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भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्मार्ट सिटी घोटाला का खुलासा होना शुरू हो गया है। ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन कलेक्टर छवि भारद्वाज, चंद्रमौली शुक्ला, संजय कुमार, रामजी अवस्थी, उपदेश शर्मा, श्रीराम तिवारी के साथ महापौर आलोक शर्मा की भूमिका की जांच शुरू कर दी है।
27 करोड़ का वर्कआर्डर था, 32 करोड़ पेमेंट कर दिया
स्मार्ट सिटी के नाम पर भोपाल के पॉलीटेक्निक चौराहे से भारत माता चौराहे तक स्मार्ट रोड का टेंडर 31 करोड़ रुपए में हुआ था। 27 करोड़ का वर्क ऑर्डर जारी किया गया था। स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन ने ठेकेदार को 32 करोड़ का भुगतान कर दिया, जबकि एग्रीमेंट में कान्ट्रेक्ट वेल्यू किसी भी स्थिति में नहीं बढ़ाने की शर्त थी। अगर कांट्रेक्ट वेल्यू बढ़ती है, तो इसकी जिम्मेदारी कांट्रेक्टर की होती।
प्राइवेट जमीन पर सरकारी खजाने से निर्माण करा दिया
स्मार्ट सिटी गाइड लाइन के अनुसार विभाग की जमीन स्मार्ट सिटी के नाम ट्रांसफर होना था, लेकिन स्मार्ट रोड की आधी जमीन प्राइवेट और आधी वन विभाग की है। इस नियम का पालन किए बिना ही करोड़ों का निर्माण कार्य आनन-फानन में शुरू कर दिया गया।
अंडर ग्राउंड लाइन डालनी थी रोड के ऊपर से निकाली
स्मार्ट रोड में अंडर ग्राउंड बिजली लाइन बिछाने के नियमों का उल्लंघन भी किया गया। रोड के ऊपर से बिजली की लाइन निकाली गयी।
घटिया थी स्मार्ट सिटी की बाउंड्रीवॉल, पहली बारिश में ढह गई
29 जुलाई को पहली बारिश में स्मार्ट सिटी की बाउंड्रीवॉल ढह गयी। जब दीवार में लगी ईंटों की जांच कराई गई, तो वो गुणवत्ता में फेल साबित हुईं।
इनके खिलाफ शुरू हुई जांच
शिकायत के आधार पर ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन कलेक्टर छवि भारद्वाज, चंद्रमौली शुक्ला, संजय कुमार, रामजी अवस्थी, उपदेश शर्मा, श्रीराम तिवारी के साथ महापौर आलोक शर्मा की भूमिका की जांच शुरू कर दी है।