कश्मीर में पाबंदियों पर सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप से इनकार, जम्मू-कश्मीर का मामला संवेदनशील |
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नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर से धारा 144 हटाने, वहां के हालात की समीक्षा के लिए न्यायिक आयोग गठित करने और उमर अब्दुल्ला-महबूबा मुफ्ती की गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हम मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद करेंगे और देखेंगे कि क्या होता है. कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने जम्मू-कश्मीर में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने आज जम्मू-कश्मीर में संचार सहित कई पाबंदियों को हटाने संबंधी एक याचिका पर तत्काल दिशानिर्देश देने से इंकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि सूबे की मौजूदा स्थिति बहुत ही संवेदनशील है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वहां किसी की जान न जाए. सुप्रीम कोर्ट का यह भी कहना था कि सरकार को राज्य में हालात सामान्य करने के लिये समुचित समय दिया जाना चाहिए.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की तीन सदस्यीय खंडपीठ आज कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. पूनावाला ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को रद्द किये जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में कड़ी पाबंदियां लगाने के केंद्र के फैसले को चुनौती दी है.
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इस पर केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति की रोजाना समीक्षा की जा रही है. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के मुताबिक सरकार को यह सुनिश्चित करना है कि सूबे में कानून व्यवस्था बनी रहे. उन्होंने हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत के बाद कश्मीर में जुलाई 2016 में हुए विरोध प्रदर्शन का हवाला देते हुए कहा कि हालात सामान्य होने में कुछ दिन का समय लगेगा.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य होने का इंतजार करेगा और मामले में दो सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी. धारा 370 खत्म किए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट और फोन सेवाओं पर रोक है. यातायात पर भी कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं. राज्य में सुरक्षा बलों की तादाद काफी बढ़ा दी गई है.