विंध्य महोत्सव भोपाल में मध्य प्रदेश से अलग होकर विंध्य प्रदेश बनाने की मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने उठाई मांग, क्या कहा सुने पूरा वीडियो |
भोपाल से विनोद मिश्रा की रिपोर्ट
भोपाल। विधानसभा के मानसून सत्र में कमलनाथ सरकार का समर्थन कर सुर्खियों में आए मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने अब अलग विंध्य प्रदेश की मांग उठाई है। वहीं विंध्य अंचल के ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने इस मांग पर अपनी आपत्ति और नाराजगी जताई है।
अलग बुंदेलखंड के बाद अब विंध्य प्रदेश बनाए जाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है. सतना के मैहर से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली, शहडोल, जबलपुर को मिलाकर एक अलग विंध्य प्रदेश बनाने की मांग कर रहे हैं. इसको लेकर बीजेपी विधायक ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री कमलनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिख दिया है।
बीजेपी विधायक त्रिपाठी ने कहा कि आने वाले बजट सत्र में सरकार से इस पर प्रस्ताव लाकर केंद्र सरकार को भेजने का आग्रह करेंगे। इस मुद्दे पर विंध्य से लेकर भोपाल तक जन आंदोलन चलाया जाएगा। यह चेतावनी भी दी कि जो लोग विंध्य क्षेत्र बनाने के साथ होंगे, विंध्य की जनता भी उनके साथ रहेगी। साथ नहीं देने वालों का बहिष्कार किया जाएगा।
विंध्य महोत्सव के दौरान विंध्य के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए नए प्रदेश के निर्माण पर मंथन किया। आने वाले दो महीनों में इस मांग को लेकर बड़ा आयोजन होगा. हालांकि नारायण त्रिपाठी के विंध्य राज्य बनाये जाने की मांग पर बीजेपी ने मौन रख लिया है. वहीं कांग्रेस सरकार के मंत्री भी इस मामले को तवज्जो देने के मूड में नही दिखे. विंध्य से आने वाले मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा है कि अभी प्रदेश में विकास के लिए बहुत कुछ करना बाकी है और ऐसे में इस तरह की मांग का कोई मतलब नहीं है.
मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि सभी को अपनी भावना व्यक्त करने का अधिकार है. इस संबंध में फैसला उच्च स्तर पर होता है. दरअसल 1948 में विंध्य प्रदेश का गठन हुआ था. जिसकी राजधानी रीवा थी. 1956 के मध्यप्रदेश के गठन में विंध्य को प्रदेश में शामिल कर लिया गया लेकिन अब एक बार फिर विंध्य प्रदेश बनाने की मांग ने जोर पकड़ा है.
NARAYA TRIPATHI MLA, VINAY DAVID, VINOD MISHRA
छह दशक से उठ रही मांग
पिछले छह दशक से मप्र में पृथक विंध्य राज्य की मांग उठ रही है। दो साल पहले भोपाल में संपन्ना हुए विंध्योत्सव कार्यक्रम में भी इस आशय की मांग उठाई गई थी। नवंबर 1956 में जब मप्र का गठन हुआ, तब यह मांग सामने आई थी। मप्र विधानसभा के अध्यक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे स्व. श्रीनिवास तिवारी भी इस मांग के समर्थक थे। उन्होंने इस मुद्दे पर विधानसभा में राजनीतिक प्रस्ताव भी रखा था। उन्होंने उप्र व मप्र के बघेलखंड व बुंदेलखंड को मिलाकर नया राज्य बनाने की मांग उठाई थी।
केंद्र को भेजा जा चुका प्रस्ताव
विंध्य से सांसद-विधायक रहे स्व. सुंदरलाल तिवारी ने भी सरकार को पत्र लिखकर यह मांग बुलंद की थी। मार्च 2000 में मप्र विधानसभा ने पृथक विंध्य प्रदेश बनाने का संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को भेज दिया था। केंद्र सरकार ने जुलाई 2000 में छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तरांचल के गठन को हरी झंडी दे दी, लेकिन विंध्य का प्रस्ताव छूट गया था।