कैसे सफल होगा चाणक्य शाह का रोटेशन सिस्टम, आलाकमान ने किया इंकार पूर्व मंत्रियों पर बढ़ा सस्पेंस |
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- पं. विनोद मिश्रा { उपसंपादक }
सतना। संभवतः पहली बार मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार करने में भाजपा सरकार और संगठन को दो माह से अधिक समय लग चुका है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट विस्तार को लेकर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है।
गुजरात और कर्नाटक में जिस तरह से भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल में भाजपा चाणक्य और देश के गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश पर रोटेशन सिस्टम प्राथमिकता से लागू किया गया। इसका मतलब दोनों राज्यों में उन नेताओं को आराम दे दिया गया जो भाजपा सरकार का पहले हिस्सा बनकर मंत्री रह चुके हैं। पुराने चेहरों की जगह गुजरात और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों ने कैबिनेट विस्तार में नये चेहरों को पूरी प्राथमिकता के साथ भाजपा सरकार में शामिल होने का अवसर प्रदान किया। मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के उपरांत जब मंत्रिमंडल विस्तार का समय आया तो एक बार फिर देश के गृहमंत्री अमित शाह ने रोटेशन सिस्टम के तहत पुराने चेहरों को आराम और नये चेहरों को मौका देने का फरमान जारी किया है।
भाजपा सरकार के पंद्रह साल के शासनकाल में जो विधायक मंत्री रह चुके हैं उन्हें इस बार कैबिनेट में शामिल नहीं किया जाएगा। रोटेशन सिस्टम के कारण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए कैबिनेट विस्तार और बड़ी चुनौती का काम बन गया है। सीएम के करीबी पूर्व मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल करना रोटेशन सिस्टम का सरासर उल्लंघन होगा। सूत्रों ने बताया कि भाजपा आलाकमान ने पूर्व मंत्रियों को सरकार से बाहर रखने के लिए कहा गया है। इसके बाद भी विंध्य, बघेलखंड क्षेत्र के पूर्व मंत्रियों का समूह अपने सर्मथको के साथ मिलकर कैबिनेट में शामिल किए जाने की मांग को लेकर लगातार भाजपा सरकार और संगठन पर दबाव बनाने में लगे हुए हैं। ऐसी दशा में सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि भाजपा चाणक्य और देश के गृह मंत्री अमित शाह के रोटेशन सिस्टम को मध्य प्रदेश में सरकार और संगठन लागू करते हैं या नहीं।
इधर मंत्री बनाने और टिकट के लिए महाराज का दबाव
जहां एक तरफ पूर्व मंत्रियों का समूह इस बार भी सरकार में शामिल होने के लिए पुरजोर प्रयास कर रहे हैं तो वहीं ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया का भारी दबाव भी भाजपा सरकार और संगठन के लिए टेंशन का विषय बना हुआ है। भाजपा आलाकमान के मना किए जाने के बाद भी पूर्व मंत्रियों का समूह मंत्री बनने के लिए हर तरह का जतन करने में लगे हुए हैं। वहीं मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार बनाने वाले 22 कांग्रेसी विधायकों के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पूरी ताकत लगाए हुए हैं। महाराज देश के पीएम नरेंद्र मोदी, गहमंत्री अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा से निरंतर मुलाकात कर दबाव बनाने में लगे हुए हैं। 22 बागियों को भाजपा का टिकट दिए जाने और भाजपा सरकार में दस मंत्री बनाए जाने की शर्त पर ही महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया ने न केवल भगवा धारण कर लिया बल्कि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को गिरवा भी दिया। सूत्रों की मानें तो भाजपा सरकार और संगठन के लिए महाराज गले की फांस बन गए हैं।
पंद्रह सालों में रीवा विधानसभा तक ठहरा रहा विकास
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सरकार को उखाड़ने के बाद सुश्री उमा भारती ने भाजपा की सरकार मध्य प्रदेश में बनाई। लगातार पंद्रह साल तक भाजपा सरकार सत्ता के सिंहासन पर काबिज रही। विंध्य क्षेत्र के रीवा से विधायक राजेंद्र शुक्ल को उमा भारती की भाजपा सरकार में मंत्री बनाया गया। सरकार में पूरा नियंत्रण होने के बाद भी विकास की गंगा का संपूर्ण जिले में विस्तार नहीं हो पाया। रीवा जिले का समुचित विकास भाषणो तक सीमित रह गया। रीवा जिले में कुल 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें से भाजपा सरकार के 15 वर्षीय शासनकाल के दौरान विकास की गंगा रीवा विधानसभा क्षेत्र तक सीमित रह गई।
रीवा जिले के सेमरिया, देवतालाब, मनगवां, गुढ, मऊगंज , सिरमौर, त्यों थर विधानसभा क्षेत्रों में आम जनता के लिए जमीनी विकास कार्य संभव नहीं हुए। सबसे बड़े हैरत की बात यह है कि 15 साल तक भाजपा सरकार में रीवा जिले से मंत्री रहने के बाद भी समुचित रीवा जिले का विकास एक समान भाव से संभव नहीं हो पाया कहीं ना कहीं जिले के दूसरे विधानसभा क्षेत्रों को लेकर भावनाएं सार्थक नहीं रही।
यही वजह है कि रीवा जिले में 7 विधानसभा क्षेत्रों में संचित विकास कार्य आज भी सपना बना हुआ है बिजली पानी सड़क साफ सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए आम जनता को इन विधानसभा क्षेत्रों में संघर्ष करना पड़ रहा है। 15 साल के दौरान रीवा विधानसभा क्षेत्र से बाहर विकास का पहिया ना पहुंचने की वजह से पूरे जिले का बेहतर विकास नहीं हो पाया। शायद यही वह सबसे बड़ी वजह है जिसके कारण पूर्व मंत्री और रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल का भाजपा के अन्य विधायकों ने खुलकर विरोध किया है।
भाजपा के देवतालाब से गिरिश गौतम, गुढ विधायक नागेंद्र सिंह सहित अन्य विधायकों ने एक साथ मिलकर भाजपा आलाकमान और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित भाजपा संगठन से मुलाकात करते हुए रीवा विधायक को कैबिनेट में शामिल न किए जाने की मांग रखी है। वहीं भाजपा चाणक्य अमित शाह के रोटेशन सिस्टम को आधार बनाकर भी पूर्व मंत्री को आराम दिया जा सकता है। एक दो दिन में संभवतः मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल विधायकों के नाम सार्वजनिक कर शपथ ग्रहण समारोह आयोजित कराने की दिशा में काम कर रहे हैं।
पं.विनोद मिश्रा {उपसंपादक}
ANI news india Bhopal
(8770448757, 9827334608)
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