Wednesday, June 21, 2017

"यूपी में भाजपा की सरकार बनाने में गवर्नर ने की जीतोड़ मेहनत"


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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि प्रदेश में भाजपा सरकार बनाने में यूपी के राज्यपाल ने जीतोड़ मेहनत की है। उन्हीं की मेहनत का नतीजा है कि आज उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है। 

मंगलवार को सीतापुर में अखिलेश यादव पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए भारतीय जनता पार्टी ने बिहार के राज्यपाल का चयन किया है। वह इसके लायक हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के राज्यपाल का हक उनसे ज्यादा है।

राष्ट्रपति प्रत्याशी के लिए 22 को करेंगे सहयोगी दलों से चर्चा
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि राष्ट्रपति का पद संविधान की रक्षा के लिए होता है। यह पद किसी भी जाति-धर्म से ऊपर होता है। राष्ट्रपति पद के लिए जाति-धर्म की बात करना भी बेमानी है। देश को संविधान की रक्षा करने वाला राष्ट्रपति चाहिए। 

किसी जाति-धर्म का कोई व्यक्ति नहीं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति प्रत्याशी के चयन के लिए 22 जून को कांग्रेस व अन्य सहयोगी दलों के साथ दिल्ली में बैठक करेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का पद संवैधानिक पद है। इस पद के लिए जाति-धर्म की बात करना गलत है।

उस लड़की ने जानबूझकर निर्वस्त्र होकर की आत्महत्या, जानिए क्यों



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अंबिकापुर। लुंड्रा थाना क्षेत्र के ग्राम ससौली से लापता विवाहिता का कंकाल सोमवार को जंगल में मिला। पास के पेड़ में लटकी कपड़ों से मृतिका की पहचान सहनपुर निवासी गंगोत्री बाई (27 वर्ष) के रूप में की गई। पुलिस के मुताबिक गंगोत्री बाई का विवाह कुछ वर्ष पूर्व हुआ था।

मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण पिछले लगभग आठ वर्षों से वह सहनपुर स्थित मायके में निवास कर रही थी। ससौली में उसके चाचा का घर है। बीच-बीच में वह वहां जाकर भी निवास करती थी।

लगभग पखवाड़े भर पहले वह ससौली से सहनपुर जाने के लिए निकली थी, लेकिन घर नहीं पहुंची। लेकिन किसी को शक नहीं हुआ, क्योंकि वह कभी चाचा के यहां तो कभी मायके में रहती थी। रविवार की शाम जंगल में कंकाल मिला था। सोमवार सुबह लुंड्रा पुलिस के साथ गांव वाले भी मौके पर पहुंचे।

कंकाल के नजदीक एक पेड़ पर साड़ी, पेटीकोट सहित अन्य कपड़े टंगे हुए थे। इन कपड़ों से मृतिका की पहचान गंगोत्री बाई के रूप में की गई।

पुलिस जांच में पता चला कि मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण कभी-कभी वह कपड़े भी उतार दिया करती थी। फिलहाल पुलिस मर्ग कायम कर जांच कर रही है। मौत की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी है।

आडवाणी बन सकते हैं मोदी व अमित शाह के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के लिए मुसीबत



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राजनीति में कब क्या हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना तो मुश्किल है लेकिन सूत्रों की माने तो बीजेपी के पितामह लालकृष्ण आडवाणी BJP के लिए मुसीबत बन सकते हैं ।

2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जिस प्रकार BJP ने आडवाणी को दरकिनार किया है, उससे आडवाणी काफी आहत हैं लेकिन वह खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। अब उनके पास एक बेहद शानदार विकल्प है।

आडवाणी राष्ट्रपति उम्मीदवारी के लिए नामांकन दाखिल कर सकते हैं और अगर आडवाणी ऐसा करते हैं तो बीजेपी दो गुटों में बैठ जाती है एक गुट आडवाणी और दूसरा मोदी गुट। आडवाणी बीजेपी के कद्दावर नेता हैं और RSS एवं बीजेपी के बड़े नेता आडवाणी को सपोर्ट करते हैं। सूत्रों की माने तो अगर आडवाणी ऐसा करते हैं तो कांग्रेस सहित विपक्षी दल आडवाणी के साथ नजर आएंगे, क्योंकि विपक्ष हर संभव बीजेपी को तोड़ने की कोशिश करेगा देश में जब से मोदी की लहर चली है, उसके बाद सभी दल मोदी के सामने हवा हुए जा रहे हैं ऐसे में मोदी को रोकना एक विपक्ष के पास आडवाणी एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं अगर ऐसा होता है तो अमित शाह और मोदी के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद चुनाव हार सकते हैं।

विपक्ष लगातार बीजेपी को रोकने के लिए आडवाणी को डाल बनाने की कोशिश कर रहा है इसलिए यह खबर और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

बौलीवुड का माहौल गरमाने आ रही हैं दुबई की ओदिना



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सिनेमा के वैश्वीकरण के चलते पूरे विश्व में रह रहे कलाकारों को बौलीवुड भाने लगा है. अब हर कलाकार बौलीवुड से जुड़ने को प्रयासरत है. इन्हीं में से एक हैं दुबई में रह रही ओदिना, जो कि मूलतः उज्बेकिस्तान की रहने वाली हैं. ओदिना को ‘आदर्श जैन फिल्मस’ और ‘सन आडियो प्रा.लिमिटेड’ द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित की जा रही फिल्म ‘‘फास्ट ट्रैक’’ में मुख्य भूमिका निभाने के लिए अनुबंधित किया गया है.
गायक, नृत्यांगना और माडल ओदिना दुबई में जहां एक तरफ लोगों को नृत्य व गायन की शिक्षा देती हैं, वहीं पिछले 15 वर्षों से वह प्रापर्टी के व्यवसाय से भी जुड़ी हुई हैं. फिलहाल वह मुंबई में हैं.
फिल्म ‘‘फास्ट ट्रैक’’ से जुड़ने की चर्चा करते हुए ओदिना कहती हैं-‘‘मैं लंबे समय से बौलीवुड फिल्म का हिस्सा बनने के लिए प्रयासरत हूं. इसी सिलसिले में कई बार मुंबई आना जाना होता रहा है. एक बार मेरी मुलाकात आदर्श जैन से हुई थी. और उन्होंने मुझसे वादा किया था कि वह अपनी अगली फिल्म में मुझे अच्छा किरदार निभाने का मौका देंगे. जब उन्होंने फिल्म ‘फास्ट ट्रैक’ पर काम शुरू किया, तो उन्हे इस फिल्म में विदेशी और अंग्रेजी बोलने वाली अभिनेत्री की जरुरत थी. इसलिए मुझसे संपर्क किया. किरदार अच्छा है, इसलिए मैंने हामी भर दी. इस संगीतमय एक्शन फिल्म में मैं बिजनेस टायकून का किरदार निभा रही हूं. जो कि बिजनेस के सिलसिले में दुबई से भारत आती है. हम 25 जून से इस फिल्म के लिए नैनीताल में शूटिंग शुरू करने वाले हैं.’’

Tuesday, June 20, 2017

अपनी बेटी के साथ मिलकर घिनौने काम को अंजाम तक पहुंचाते थे आसाराम


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अपने आप को संत बताने वाले आसाराम और उनका बेटा नारायण साईं अपने गुनाहों की सजा भुगत रहा है। दुनिया की आंखों में धूल झोंकते हुए धर्म के नाम पर आसाराम ने महिलाओं और लड़कियों के साथ जिस तरह का कांड करता था, उसके खुलासे के बाद लोग ऐस साधु-संतों पर यकिन करने से भी कतराते हैं।


लेकिन आसाराम अपने इस धंधे को अकेले नहीं चलाता था, इस धंधे में उसका बेटा नारायण साईं भी भरपूर साथ निभाता था। तो वहीं पैसों के दम पर आसाराम और उसके बेटे ने कई गुंडे भी पाल रखे थे, जो धर्म की आड़ में छिपे इन अपराधियों की हिफजत करता था।


हालांकि आसामा के इस धंधे में उसकी बेटी भारती का भी हाथ होता था, पुलिसिया पूछताछ के दौरान आसाराम की बेटी भारती ने इस बात को खुद ही कबूल किया था कि वह अपने पिता आसाराम की कुटिया में लड़कियों को एकांतवास के नाम पर भेजा करती थी और फिर आसाराम उनके साथ घिनौने खेल खेलता था।


भारती ने इस बात को तब कबूल किया था, जब आसाराम पर एक लड़की के साथ रेप करने का आरोप लगा, रेप पीड़िता को आसाराम की बेटी ने ही उनके अहमदाबाद वाले कुटिया में एकांतवास के लिए भेजा था, जहां वह पापी संत के हवस की भेंट चढ़ गई थी।

बीजेपी विधायक के बाहुबली पति के खिलाफ CM योगी ने दर्ज करा दी FIR

बाहुबली करवरिया बंधुओं के लिए चित्र परिणाम
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इलाहाबाद. जेल में बंद बाहुबली करवरिया बंधुओं की मुश्किलें बढीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर पुलिस हरकत में आ गई। सीएम के आदेश के बाद पुलिस ने सर्राफा व्यवसायी और सूरजभान करवरिया के बेटे वैभव करवरिया के बीच हुए विवाद में करवरिया बंधुओं पर एफआईआर दर्ज किया।
इसमें वैभव करवरिया, राजकुमार वर्मा, सूरजभान, कपिलमुनि, उदयभान करवरिया के साथ सात-आठ अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुआ है। बता दें कि करवरिया बंधु पिछले तीन साल से विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड में जेल में बंद हैं। वहीं, पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की पत्नी नीलम करवरिया भाजपा से मेजा विधायक हैं।

SDM ने राहुल, सिंधिया को कहा भगोड़ा, सत्याग्रह को बताया नौटंकी

SDM ने राहुल, सिंधिया को कहा भगोड़ा, सत्याग्रह को बताया नौटंकी के लिए चित्र परिणाम
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श्योपुर। विजयपुर एसडीएम लोकेश कुमार जांगिड़ ने कांग्रेस नेताओं पर अमर्यादित टिप्पणी कर नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने व्हाट्सप ग्रुप पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के आंदोलन को नौटंकी बताया। साथ ही सिंधिया और राहुल गांधी को किसानों को मुसीबत में छोड़ विदेश में छुट्टी मनाने की बात तक लिख दी।

इतना ही नहीं कांग्रेस के दो कद्दावर विधायकों को एसडीएम ने भगोड़ा और असामाजिक तत्व भी बता डाला। गौरतलब है कि इससे पहले भी एसडीएम विधायक के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी वाट्सएप पर कर चुके हैं। एसडीएम द्वारा राहुल गांधी और सिंधिया के लिए उपयोग की गई भाषा से कांग्रेसियों का पारा चढ़ गया है।
शनिवार को विजयपुर नपा अध्यक्ष के पति और कांग्रेस नेता विनोद गोटईया ने अधिकारी जनसमूह नामक वाट्सएप ग्रुप पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के उपवास पर एक न्यूज चैनल द्वारा किए गए खुलासे की खबर का लिंक डाला था। जिसमें सीएम के उपवास को नौटंकी और पहले से फिक्स बताया गया है। इस पोस्ट के जवाब में एसडीएम जांगिड़ ने लिखा है कि, ज्योतिरादित्य सिंधिया का उपवास क्या है? जब किसान परेशान थे तब आपके महाराज विदेश में छुट्टियां मना रहे थे। एक सप्ताह बाद उन्हें सुध आई।
इसके बाद एसडीएम ने दूसरी पोस्ट डाली जिसमें लिखा कि कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी और शकुंतला खटीक जैसे विधायकों का क्या जो जनता को भड़का रहे हैं और अब भागते फिर रहे हैं। ऐसे आसमाजिक तत्वों पर प्रशासन अपनी कार्रवाई करेगा। एसडीएम यहीं नहीं रुके। उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी तक के लिए लिख दिया कि हां राहुल बाबा अभी ननिहाल में हैं। गर्मी की छुट्टियां मनाने।

एसडीएम वाट्सएप ग्रुप छोड़ हो गए लेफ्ट

जिस वाट्सएप ग्रुप पर एसडीएम जांगिड़ ने यह बातें लिखी हैं उसमें प्रभारी मंत्री ललिता यादव, सांसद अनूप मिश्रा, जिले के दोनों विधायक, ग्वालियर कमिश्नर, कलेक्टर-एसपी, पूर्व में श्योपुर में पदस्थ रहे कई कलेक्टर-एसपी सहित जिले के सभी प्रमुख नेता जुड़े हैं। एसडीएम के कमेंट पर जब कांग्रेस नेताओं का विरोध बढ़ने लगा और शिकायतें सीनियर अफसरों तक पहुंचने लगीं तो एसडीएम वाट्सएप ग्रुप छोड़ लेफ्ट हो गए।

पहले भी कर चुके हैं आपत्तिजनक कमेंट

एसडीएम जांगिड़ ने पहली बार सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक बयानवाजी नहीं की है। 7 मई को भी उन्होंने पत्रकारों के साथ-साथ विजयपुर विधायक और कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष रामनिवास रावत के लिए भी अभद्रता की थी। इसी वाट्सएप ग्रुप पर 7 मई की पोस्ट में एसडीएम जांगिड़ ने लिखा था कि पांच बार विधायक रहने वाले रामनिवास रावत ने क्षेत्र के विकास में कौन से दीपक जला दिए। जब पीडब्ल्यूडी मंत्री थे तब कितनी सड़कें बनवा दीं? विधायक कोई सकारात्मक और सृजनशील काम करें तो जानें? एसडीएम ने इससे आगे अहंकार भरे शब्दों में लिखा था कि, विधायक रावत भोपाल शिकायत करने जाते हैं तो भोपाल में सुनता कौन है उनकी। इसके बाद हंसी के रूप में एसडीएम ने हाहाहाहा तक लिख दिया।

'भाजपा के एजेंट की तरह काम कर रहे है एसडीएम'

कांग्रेस जिला अध्यक्ष बृजराज सिंह चौहान का कहना है कि एसडीएम जांगिड़ प्रशासनिक अफसर होते हुए भी भाजपा के एजेंटों की तरह काम कर रहे हैं। कांग्रेस किसानों के शोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। विदेशों में छुट्टी तो पीएम भी मनाकर आ रहे हैं और फिर जाने की तैयारी में है। एसडीएम जांगिड़ उनके खिलाफ ऐसी बातें लिखकर बता दें। एसडीएम पहले भी विजयपुर विधायक के लिए अभद्रता कर चुके हैं। विधायक रावत को भी एसडीएम की उदंडता को गंभीरता से लेना चाहिए। वहीं विधायक, विजयपुर रामनिवास रावत का कहना है कि मैं मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध करूंगा कि वह प्रशासनिक अफसरों के लिए पार्टी में कोई अलग से प्रवक्ता का पद बना दें।

'मुझे नहीं देना कोई प्रतिक्रिया'

एसडीएम, विजयपुर ,लोकेश कुमार जांगिड़ से जब इस मामले के संबंध में बात की गई तो उन्होंने दो टूक जवाब देकर फोन काट दिया कि मुझे कोई प्रतिक्रिया नहीं देना।

आडवानी जी का मजाक उडाना पड़ेगा सबको महंगा



TOC NEWS // मिथिलेश त्रिपाठी

पिछले दो तीन सालो से सोशल मीडिया पर देख रहा हू कि आडवानी जी का बहुत मजाक उडाया जाता है। और दुख की बात ये है कि भाजपा और संघ के कथित कट्टर समर्थक ही उनका मजाक उडाने मे सबसे आगे होते है।

हम क्यो भूल जाते है कि आज भाजपा जिस जमीन पर शान से खडी है उसकी जमीन तैयार करने मे आडवानी जी का सबसे प्रमुख योगदान था।जनसंघ टूटने के बाद अटल.. आडवानी.. जोशी ..सिकंदर बख्त.. भैरो सिह शेखावत जैसे लोगो ने 1980 मे भारतीय जनता पार्टी बनाई थी। उस जमाने मे इंदिरा जैसी शक्तिशाली और कद्दावर नेता के सामने भारतीय राजनीति मे कोई मुकाम हासिल करना हंसी खेल नही था। मगर इन लोगो ने ये चुनौती स्वीकार की। 1984 के आम चुनावो मे कांग्रेस की आंधी के सामने भाजपा को सिर्फ दो सीट मिली थी। फिर कालांतर मे राम जन्मभूमि आंदोलन और रथयात्रा की पृष्ठभूमि मे भाजपा को एक राजनीतिक दल के रूप मे पहचान मिली ..... और इसके चीफ आर्किटेक्ट आडवानी जी ही थे।

आज हम सभी मोदी का सारे दिन यशगान करते है। मगर कितने लोग जानते है कि उनको संघ से भाजपा मे लाने... और फिर गुजरात का मुख्यमंत्री बनाने मे सिर्फ आडवानी जी का ही हाथ था। गुजरात दंगो के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी मोदी जी को हटाना चाहते थे मगर ये आडवानी जी थे जिन्होने जिद करके उनको मुख्यमंत्री बनाये रखा।

आज मोदी राजनाथ सुषमा जेटली वेंकैया वगैरह जितने भी भी फूल भाजपा रूपी वृक्ष पर खिल रहे है ... उनकी जडो मे आडवानी का पसीना लगा है।

हमे याद रखना चाहिए कि मोदीजी वो खिलाडी है जिन्होने मैच के फाईनल मे शानदार प्रदर्शन किया और मैन ऑफ मैच रहे। मगर फाईनल तक पहुंचाने के लिए लीग स्टेज पर भी कई मैच खेले गये थे जिनमे जीतने के लिए आडवानी जी ने भी बेहतरीन खेल खेला था वो भी विपरीत हालातो मे।

आडवानी जैसे लोग नींव की ईंटे है। हम फादर्स डे पर पिता के सम्मान की बडी पैरोकारी करते है...मगर एक फादर फिगर का इतना माखौल उडाते हमे शर्म भी नही आती. ..।। वो भी तब जब वो आज उम्र के उस पडाव पर है कि कब आंखे मूद ले कोई भरोसा नही।

ये तो वही बात हो गयी..बाप जब बूढ़ा हो जाये तो उसे घर से ही निकाल दो।

नींव की ईटो को मत भूलो...।।

Monday, June 19, 2017

PM मोदी ने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया



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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रपति पद के लिए ऐसे चेहरे को आगे कर दिया जिसका अंदाजा शायद ही किसी ने लगाया हो। बिहार के राज्यपाल और कभी भाजपा के प्रमुख दलित चेहरे रहे रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति पद के लिए दोनों नेताओं की पहली पसंद बने हैं।

भाजपा में कई बड़े पदों पर रहे रामनाथ कोविंद की गिनती लो प्रोफाइल चेहरों के रूप में होती रही है जो चुपचाप पर्दे के पीछे रहकर तन्मयता से अपना काम करते रहे। लेकिन एकाएक राष्ट्रपति पद के लिए उनका नाम सामने आने से अब उनको लेकर तमाम सवाल और जिज्ञासाएं खड़ी हो गई हैं।

पहला सवाल तो ये ही है कि आखिर पार्टी ने वरिष्‍ठ नेता लालकृष्‍ण आड़वाणी, मुरली मनोहर जोशी, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन सहित तमाम बड़े चेहरों पर कोविंद को तरजीह क्यों दी? तो चलिए आपको बताते हैं उन खास वजहों के बारे में जिसकी वजह से मोदी शाह की जोड़ी ने उन्हें इस दौड़ में सबसे आगे रखा।

सबका साथ सबका विकास के खांचे में सेट

दलित चेहरे को बढ़ावा देना
दलित समुदाय से होना कोविंद की उम्‍मीदवारी की बड़ी वजह बना। लोकसभा और फिर यूपी के विधानसभा चुनावों में जिस तरह से दलितों ने अपने पुराने सिपहसलारों को छोड़ भाजपा को समर्थन किया उस बढ़त को पार्टी किसी भी सूरत में खोना नहीं चाहती है। ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव के लिए किसी दलित चेहरे को आगे करने से बड़ा दांव और क्या हो सकता था। कोविंद के सहारे पार्टी सबका साथ सबका विकास के नारे को भी आगे बढ़ा सकेगी।

विरोध करने वालों पर लगेगा दलित विरोधी होने का ठप्पा
रामनाथ कोविंद का नाम घोषित करने का सबसे बड़ा लाभ भाजपा को यह भी हो सकता है कि उनका विरोध करना दूसरे दलों को भारी पड़ सकता है। दलित चेहरा होने के कारण विरोध करने वालों पर दलित विरोधी होने का ठप्पा लग सकता है। ऐसे में बेवजह कोई भी इस दल इस तरह का खामियाजा नहीं भुगतना चाहेगा। राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी के दलित नेता रामनाथ कोविंद से बेहतर चेहरा कोई नहीं हो सकता था, जिससे पार्टी पूरे दम के साथ यह कह सके कि उसने एक दलित को देश के राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचाया।

लंबा राजनीतिक अनुभव
राजनीतिक अनुभव के मामले में भी कोविंद का पक्ष काफी मजबूत है। वह 12 साल तक राज्यसभा के सांसद रहे और भाजपा के दलित मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं। कुछ समय के लिए पार्टी के प्रवक्ता भी रहे और अब पिछले दो सालों से बिहार के राज्यपाल हैं।

समर्थन जुटाने में नहीं होगी बड़ी दिक्‍कत
हाइकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में वकालत, कानून के अच्छे जानकार
कानपुर के रहने वाले रामनाथ कोविंद कानून के भी अच्छे जानकार हैं। कानपुर यूनिवर्सिटी से बीकॉम और एलएलबी की पढ़ाई करने वाले कोविंद ने दिल्‍ली हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 16 साल तक वकालत की है। ऐसे में राष्ट्रपति जैसे पद पर तमाम कानूनी प्रक्रियाओं और संविधान की बेहतर जानकारी उनकी राह आसान करेगी।

समर्थन जुटाना होगा आसान
रामनाथ कोविंद के चेहरे पर भाजपा के लिए दूसरे दलों से समर्थन जुटाना भी आसान होगा। इसमें उनका दलित होना काफी फायदेमंद रह सकता है। बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए अब उनके चेहरे का विरोध करना मुश्किल भरा होगा तो बिहार का राज्यपाल रहने के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का समर्थन मिलने की उम्‍मीद भी की जा सकती है।

आम राय बनने की उम्‍मीद
रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के बाद भाजपा के लिए सबसे आसान काम होगा उनके नाम पर आमराय बनाना। पार्टी अगर आड़वाणी, जोशी या किसी अन्य बड़े नेता को अपना उम्‍मीदवार तय करती तो पूरी संभावना थी कि विपक्ष शायद ही उस नाम पर तैयार होता, लेकिन रामनाथ कोविंद के नाम पर शायद ही किसी को आपत्ति हो। बिहार में राज्यपाल रहने के दौरान लालू और नीतीश से उनके मधुर संबंध रहे हैं। सौम्य स्वभाव के कारण विपक्ष के कई नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध माने जाते हैं। ऐसे में उनके चेहरे पर आम राय बनने की पूरी उम्‍मीद है। हालांकि फिलहाल कांग्रेस और शिवसेना जैसे दलों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है, लेकिन ये तात्कालिक हो सकती है।
निर्विवादित और ईमानदार छवि

अंतरराष्ट्रीय अनुभव
दो बार राज्यसभा का सदस्य रहने के दौरान रामना‌थ कोविंद ने कई बार विदेशों की यात्राएं की हैं। वह गवर्नर्स ऑफ इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के भी सदस्य रहे हैं। साल 2002 में उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत संयुक्त राष्ट्र महासभा को भी संबोधित किया था। उन्होंने कई देशों की यात्राएं की हैं। ऐसे में राष्‍ट्रपति जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए उनकी योग्यता पर भी प्रश्नचिन्ह नहीं लगया सकता।

आज तक कोई विवाद नहीं
रामनाथ कोविंद की छवि निर्विवादित नेता की रही है, पार्टी में तमाम पदों पर रहने के अलावा वह राज्यसभा की कई कमेटियों के सदस्य भी भी रहे हैं। ऐसे में हमेशा उनका दामन पाक साफ रहा न कभी कभी उनके नाम के साथ कोई विवाद जुड़ा और न ही किसी भ्रष्टाचार के मामले में। ऐसे में कोविंद की यह खूबी भी उनकी राह आसान कर गई।

ईमानदार छवि
कानपुर के दलित परिवार में जन्में रामनाथ कोविंद की छवि एक ईमानदार और जमीन से जुड़े नेता की मानी जाती है। लंबे समय तक सार्वजनिक जीवन में रहने के दौरान उन पर कभी कोई आरोप नहीं लगा। तमाम उम्र गरीबों और वंचितों के मुद्दे को लेकर संघर्ष किया। राजनीति में जहां आज लोग हाईक्लास जीवन जीने के लिए पहचाने जाते हैं वहीं कोविंद आज भी साधारण जीवन जीते हैं। यहां तक की गांव का पैतृक मकान भी बारातशाला बनाने के लिए दान कर दिया। 

गायत्री प्रजापति को जमानत देने के लिए हुई थी 10 करोड़ रुपये की रिश्वत



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  • इलाहाबाद हाई कोर्ट की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
  • गायत्री प्रजापति को जमानत देने के लिए हुई थी 10 करोड़ रुपये की डील


नई दिल्ली: अखिलेश यादव की सरकार में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और बहुचर्चित गैंगरेप मामले के आरोपी गायत्री प्रजापति को पॉक्सो कोर्ट से मिली जमानत पर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

एक हिंदी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट की जांच में यह बात सामने आई है कि गायत्री प्रजापति को साजिश के तहत जमानत दी गई और इसके लिए करीब 10 करोड़ रुपये की डील हुई थी।

इतना ही नहीं इस रकम में से पांच करोड़ रुपये उन तीन वकीलों को भी दिए गए थे जो बिचौलिए की भूमिका में थे जबकि पांच करोड़ रुपये की रकम पोक्सो जज ओ पी मिश्रा और जिला जज राजेंद्र सिंह को दिए गए थे।

गायत्री प्रजापति को 25 अप्रैल को अतिरिक्त जिला सत्र न्यायधीश ओ पी मिश्रा ने गैंगरेप मामले में जमानत दी थी। प्रजापति को जमानत मिलने के बाद ओ पी मिश्रा को सस्पेंड करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोंसले ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।

अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोंसले ने अपनी गोपनीय रिपोर्ट में कई सवाल उठाए हैं।

रिपोर्ट में ओ पी मिश्रा को जज के रूप में तैनात किए जाने को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, '18 जुलाई 2016 को पोक्सो जज के रूप में लक्ष्मी कांत राठौर की तैनाती की गई थी और वह बेहतरीन काम कर रहे थे।

उन्हें अचानक से हटाने और उनके स्थान 7 अप्रैल 2017 को ओपी मिश्रा की पोस्को जज के रूप में तैनाती के पीछे कोई औचित्य या उपयुक्त कारण नहीं था। मिश्रा की तैनाती तब की गई जब उनके रिटायर होने में मुश्किल से तीन सप्ताह का समय था।'

बता दें कि राज्य के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को 15 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और 24 अप्रैल को जस्टिस ओ पी मिश्रा ने उन्हें जमानत दे दी थी।

प्रजापति को जमानत दिए जाने के बाद हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति ने कार्रवाई करते हुए जज ओ पी मिश्रा को सस्पेंड कर दिया था। इसके साथ ही जांच के घेरे में आए जिला जज राजेंद्र सिंह से भी पूछताछ की गई थी।

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आवश्यक सामग्री :- संसथान तय नियमों के अनुसार आवश्यक सामग्री देगा, परिचय पत्र, पीआरओ लेटर, व्यूज हेतु माइक एवं माइक आईडी दी जाएगी।
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