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- इलाहाबाद हाई कोर्ट की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
- गायत्री प्रजापति को जमानत देने के लिए हुई थी 10 करोड़ रुपये की डील
नई दिल्ली: अखिलेश यादव की सरकार में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और बहुचर्चित गैंगरेप मामले के आरोपी गायत्री प्रजापति को पॉक्सो कोर्ट से मिली जमानत पर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
एक हिंदी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट की जांच में यह बात सामने आई है कि गायत्री प्रजापति को साजिश के तहत जमानत दी गई और इसके लिए करीब 10 करोड़ रुपये की डील हुई थी।
इतना ही नहीं इस रकम में से पांच करोड़ रुपये उन तीन वकीलों को भी दिए गए थे जो बिचौलिए की भूमिका में थे जबकि पांच करोड़ रुपये की रकम पोक्सो जज ओ पी मिश्रा और जिला जज राजेंद्र सिंह को दिए गए थे।
गायत्री प्रजापति को 25 अप्रैल को अतिरिक्त जिला सत्र न्यायधीश ओ पी मिश्रा ने गैंगरेप मामले में जमानत दी थी। प्रजापति को जमानत मिलने के बाद ओ पी मिश्रा को सस्पेंड करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोंसले ने मामले की जांच के आदेश दिए थे।
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोंसले ने अपनी गोपनीय रिपोर्ट में कई सवाल उठाए हैं।
रिपोर्ट में ओ पी मिश्रा को जज के रूप में तैनात किए जाने को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, '18 जुलाई 2016 को पोक्सो जज के रूप में लक्ष्मी कांत राठौर की तैनाती की गई थी और वह बेहतरीन काम कर रहे थे।
उन्हें अचानक से हटाने और उनके स्थान 7 अप्रैल 2017 को ओपी मिश्रा की पोस्को जज के रूप में तैनाती के पीछे कोई औचित्य या उपयुक्त कारण नहीं था। मिश्रा की तैनाती तब की गई जब उनके रिटायर होने में मुश्किल से तीन सप्ताह का समय था।'
बता दें कि राज्य के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को 15 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और 24 अप्रैल को जस्टिस ओ पी मिश्रा ने उन्हें जमानत दे दी थी।
प्रजापति को जमानत दिए जाने के बाद हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति ने कार्रवाई करते हुए जज ओ पी मिश्रा को सस्पेंड कर दिया था। इसके साथ ही जांच के घेरे में आए जिला जज राजेंद्र सिंह से भी पूछताछ की गई थी।
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