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मुंबई : मजबूरी में भले ही शिवसेना ने राष्ट्रपति के लिए राजग प्रत्याशी रामनाथ कोविंद को समर्थन देने की घोषणा कर दी है. लेकिन उसने अपने मन में उठ रहे गुस्से को आखिर अपने मुख पत्र ‘सामना’ में प्रकट कर ही दिया. शिवसेना ने बीजेपी पर दलित वोट बैंक की राजनीति करने का आऱोप लगाया है.
आज सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा कि रामनाथ कोविंद का नाम बीजेपी ने दलित वोटबैंक के लिए आगे किया है. बीजेपी चाहती तो कोविंद से बड़े दलित नामों को आगे बढ़ा सकती थी. उल्लेखनीय है कि शिवसेना ने सामना में लिखा है कि बीजेपी को दलित कार्ड ही खेलना था तो प्रकाश आंबेडकर, रामदास आठवले, भालचंद्र मुंगेकर या नरेंद्र जाधव का नाम आगे बढ़ाती.
शिवसेना की पसंद मोहन भागवत और एम एस स्वामीनाथन थे, लेकिन बीजेपी के हाथ में सत्ता और बहुमत है इसलिए हमें रामनाथ कोविंद का समर्थन करना पड़ा. इस खुलासे से यह जाहिर हो गया कि शिव सेना ने कोविंद को समर्थन मजबूरी में दिया है. वैसे भी राजग में रहते हुए भी शिव सेना किसी न किसी मुद्दे पर अपना विरोध दर्ज कराती रहती है.
बता दें कि शिवसेना द्वारा कोविंद को समर्थन देने की घोषणा से कांग्रेस का प्लान फेल चुका है. वैसे राष्ट्रपति चुनाव को लेकर आज शाम कांग्रेस के नेतृत्व में 17 विपक्षी दलों की बैठक होने वाली है. मायावती आज की बैठक में शामिल तो होंगी, लेकिन वो पहले ही दलित के नाम पर कोविंद को समर्थन करने का एलान कर चुकी हैं.
ऐसे में इस बैठक में क्या फैसला होता है यह देखना दिलचस्प होगा कि किस नाम पर सहमति बनती है या फिर हार के डर से मजबूर होकर कोविंद को समर्थन देकर राष्ट्रपति चुनाव को निर्विरोध कराएगी.
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