GST |
TOC NEWS // 11 जून 2017,
नई दिल्ली। जीएसटी लागू करने के बाद छोटे स्तर की विनिर्माता कंपनिया जो केवल एक ही राज्य में अपनी वस्तुओं का परिचालन करती हैं उन्हे एक साल में 37 रिटर्न दाखिल करने होंगे। जबकि अभी इन्हें केवल 13 रिटर्न ही दाखिल कराने होते थे। ऐसा होने से अकाउंटेंट्स और बैंकों के लिए अतिरिक्त काम बढ़ जाएगा। एक विश्लेषण में यह बात सामने आई है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर कानून को 1 जुलाई से लागू करने जा रही हैं, अर्थात जीएसटी लागू करने में एक महीने का भी वक्त नहीं बचा है। वित्त पेशेवर, बैंक और इंडस्ट्री के लोग एक देश-एक कर की चुनौतियों के लिए तैयार नही लग रहे हैं। यह विचार लगभग 13 साल पहले आया था। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष के. रघु ने इंडियास्पेंड के पत्रकारो से बात करते हुए कहा कि जीएसटी लागू करने के लिए पूरे सिस्टम को बदलना पड़ेगा।
उन्होने यह भी कहा की इसके क्रियान्वयन के लिए उचित समय 1 सितंबर होगा। इंडियन बैंक एसोसिएशन ने भी संसदीय समिति को कह दिया है कि हमारे सदस्य नई कर व्यवस्था के कार्यान्वयन के लिए तैयार नहीं हैं। आपको बता दें कि देश में जीएसटी के लागू होने के बाद सब कुछ ऑनलाइन हो जाएगा, इसलिए सब कुछ नियमित तौर पर अपडेट करना होगा। एक व्यवसायी को राज्य के हिसाब से 37 रिटर्न सालाना दाखिल करने होंगे (तीन रिटर्न हर महीने और एक रिटर्न सालाना)। यह नियम हर राज्य पर लागू होगा।
वहीं, आपके बढते व्यवसाय के साथ रिटर्न की संख्या भी बढ़ती जाएगी। जैसे आपका बिजनेस दो राज्यों में फैला है तो आपके सालाना रिटर्न की संख्या 74 होगी। यह संख्या इसी क्रम में बढ़ती जाएगी। जीएसटी के अंतर्गत तीन स्तरीय कर व्यवस्था की गई है। जिसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर दोहरे जीएसटी को लागू कर रहे हैं जिसमें आम कर आधार पर कर लगाया जाएगा।
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गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से वस्तु एवं सेवाओं के अंतराल आपूर्ति पर लगाए गए जीएसटी को केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) कहा जाएगा। राज्यों की ओर से लगने वाले कर को स्टेट जीएसटी (एसजीएसटी) कहा जाएगा। इसी तरह अंतर्राज्यीय माल और सेवाओं की आपूर्ति पर इंटीग्रेटेड जीएसटी (आईजीएसटी) केंद्र की ओर से लगाया जाएगा।
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