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मध्य प्रदेश के जल संसाधन और जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा की पेड न्यूज मामले में दायर याचिका उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ ने खारिज कर दी है।
न्यायालय के इस फैसले के बाद अब मिश्रा की विधानसभा सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा है। मिश्रा ने 2008 का विधानसभा चुनाव दतिया से लड़ा था, और उन्होंने जीत दर्ज कराई थी। उनके प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र भारती ने मिश्रा पर पेड न्यूज छपवाने और चुनाव खर्च का ब्योरा न देने का आरोप लगाया था और चुनाव आयोग में मई 2012 में शिकायत की थी। भारती ने शनिवार को आईएएनएस से कहा, "मिश्रा के खिलाफ मेरी शिकायत पर आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की तो मैंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
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न्यायालय ने आयोग को नोटिस जारी किया गया, जिसके बाद आयोग ने मिश्रा को नोटिस जारी किया।" बाद में मिश्रा ने चुनाव आयोग को ही कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आयोग के पास भारती की इस शिकायत पर सुनवाई का अधिकार नहीं है। उन्होंने उच्च न्यायालय की ग्वालियर पीठ में एक याचिका दायर की। न्यायालय से उन्हें स्थगन मिल गया। लेकिन आगे चलकर यह याचिका खारिज हो गई। इसके बाद मिश्रा सर्वोच्च न्यायालय गए, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली। भारती के अनुसार, "मिश्रा ने सर्वोच्च न्यायालय की सलाह पर उच्च न्यायालय में फिर याचिका दायर की, जिस पर न्यायमूर्ति विनोद अग्रवाल ने सुनवाई करते हुए गुरुवार को मिश्रा की याचिका खारिज कर दी।"
भारती के अधिवक्ता प्रदीप बिसारिया ने आईएएनएस से कहा, "इस मामले की चुनाव आयोग में लगातार सुनवाई चल रही है और मिश्रा की ओर से प्रस्तुत गवाहों के बयान दर्ज हो रहे हैं।" अब यदि चुनाव आयोग मिश्रा को पेड न्यूज छपवाने और चुनाव खर्च छुपाने का दोषी पाता है तो उनकी विधानसभा सदस्यता खतरे में पड़ सकती है और उन्हें छह वर्ष के लिए कोई भी चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किया जा सकता है। इस अवधि के दौरान वह किसी सदन के सदस्य भी नहीं रह सकते हैं। आईएएनएस ने इस मुद्दे पर मिश्रा से भी संपर्क करने की कोशिश की, मगर वह उपलब्ध नहीं हो पाए।
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