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TOC NEWS // 26 जून 2017.
कोर्ट ने समान अधिकारों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सिविल सर्विस रेग्युलेशन की धारा-370 को खत्म कर दिया है।
नैनीताल हाईकोर्ट ने वर्कचार्ज कर्मियों को बड़ा तोहफा दिया है। कोर्ट ने अहम फैसले में कर्मचारियों के वर्कचार्ज अवधि को नियमित सेवा में जोड़ने के आदेश पारित करते हुए सिविल सर्विस रेग्युलेशन की धारा-370 को निरस्त कर दिया है।
कोर्ट के इस आदेश के बाद हजारों वर्कचार्ज कर्मचारी पेंशन व ग्रेच्युटी के हकदार हो गए हैं। मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकलपीठ में हुई।
देहरादून निवासी बरखूलाल, ब्रह्मपाल, बाबू खान व अन्य ने याचिका दायर कर उत्तर प्रदेश सिविल सर्विस रेग्लेशन की धारा-370 के तहत सिर्फ नियमित सेवाएं पेंशन के लिए जोड़े जाने के नियम को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि यह अधिनियम भारतीय संविधान और औद्योगिक विवाद अधिनियम के विपरीत है।
याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने छह जनवरी 2000 को वर्कचार्ज प्रतिष्ठानों को समाप्त कर दिया था। इसके बावजूद भी याचिगणों को वर्कचार्ज कर्मचारी दिखाना एवं पेंशन न देना असंवैधानिक है। जितने भी विभागों में वर्कचार्ज कर्मचारी हैं, उन्हें वर्कचार्ज अवधि से नियमित कर्मचारी मानते हुए पेंशन, ग्रेच्युटी आदि सेवाओं का लाभ दिया जाए।
याचिकाकर्ताओं में अधिकांश कर्मचारी लोक निर्माण विभाग तथा सिंचाई विभाग के हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश के कर्मचारी भी शामिल हैं। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकलपीठ ने मामले में फैसला सुनाते हुए सिविल सर्विस रेग्युलेशन की धारा-370 को असंवैधानिक करार देते हुए इसे निरस्त कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ताओं को पेंशन ग्रेच्युटी व अन्य लाभ देने के आदेश पारित कर दिए।
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