Monday, January 22, 2018

सत्ता के दायित्व से कहीं अधिक बडा होता है संत का कर्तव्यबोध

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डा. रवीन्द्र अरजरिया

सहज संवाद / डा. रवीन्द्र अरजरिया

समाज का सत्य कहीं अनन्त में स्थापित है, जिसे जानने का प्रयास चिरकाल से साधकों द्वारा तपस्या के माध्यम से किया जाता रहा है। कर्म-बंधन से लेकर भाग्य-निर्धारण तक की घोषणायें की जाती रहीं, जिन्हें तर्क शास्त्रियों द्वारा विवाद का विषय बनाकर परोसा गया और निर्मित होते रहे उत्तेजनात्मक वातावरण निर्माण।

विज्ञान की सीमा से कहीं आगे जाकर अध्यात्म ने ज्ञान के अध्याय खोले किन्तु कुछ अनसुलझी पहेलियों को गूढ होने का नाम देकर यथावत भी रखा गया। यही ‘यथावत’ वर्तमान में समर्पित व्यक्तित्यों की जिग्यासा का केन्द्र बना। परा-विज्ञान के असीम आकाश में तैरते पन्नों को खोजकर उन्हें विश्लेषित करने वालों में एक नाम जौनपुरपीठ के पीठाधीश्वर योगी देवनाथ जी महाराज का भी है।
राष्ट्र के विकास को समर्पति एक भव्य आयोजन में उन्हें मुख्य अतिथि की गरिमा से आमंत्रित किया गया और हमें समारोह की अध्यक्षता का दायित्व दिया गया। मंच सांझा करने के दौरान उन्होंने कुछ वक्ताओं के विचारों पर संक्षिप्त टिप्पणी करते हुए हमारी तरफ धीमी आवाज में कुछ प्रश्न उछाले। मंचीय गरिमा का पालन हम दौनों ने ही किया और संकेतों में इस तरह के प्रश्नों पर कार्यक्रम के उपरान्त मिल बैठकर विस्तार से चर्चा करने की सहमति जताई।
कार्यक्रम का समापन होते ही वे हमें अपने विशेष कक्ष में लेकर गये। विभिन्न विषयों पर चर्चा के दौरान पता चला कि उनके छोटे गुरूभाई योगी आदित्यनाथ हैं, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। हमने उनसे संत का राजनीति में सक्रिय योगदान और उसकी परिणामात्मक उपस्थिति से संबंधित प्रश्न किया। हमेशा मुस्कुराते रहने वाले उनके मुखमण्डल ने क्षण भर के लिए गम्भीरता ओठ ली। भावों से मनोभूमि की चुगली होते देख वे तत्काल सावधान हो गये।
व्यवस्था को दिशा देने वालों को तैयार करने का काम संतत्व के दायित्व में होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमें ऐसे व्यक्तित्व गढना चाहिये जो समाज को धनात्मक व्यवस्था दे सकें, विकास के सोपान तय कर सकें और दिला सकें देश को विश्वगुरू होने का सम्मान। सत्ता के दायित्व से कहीं अधिक बडा होता है संत का कर्तव्यबोध। परन्तु जीवित जीवनियों की अनन्त अपेक्षाओं को भी तो नहीं झुठलाया जा सकता।
समाज के अन्तिम छोर पर बैठे व्यक्ति को साधन सम्पन्न बनाने का लक्ष्य प्राप्त करना किसी कठिन तपस्या से कम नहीं हैं। दर्शन और दार्शनिकता की ओर चर्चा का रूख बदलते देखकर हमने उन्हें बीच में ही टोकने हुए कहा कि संतत्व की पराकाष्ठा पर बैठे राजा राम और कृष्ण के दृष्टांत सत्ता के साथ जुडकर निभाने वाले दायित्वों की धरातली परिणति है, ऐसे में योगी आदित्यनाथ का सक्रिय राजनीति में भागीदारी दर्ज करते हुए उत्तर प्रदेश की सत्ता सम्हालने के निर्णय को आप अपने पूर्व कथन से कैसे जोडेंगे।
आदर्श चरित्रों को अंगीकार करने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि राजनीति को त्यागना किसी भी वैदिक ग्रन्थ की आधार शिला कभी भी नहीं रही है। सबसे पहले हमें राजनीति से स्वराज्य स्थापित करना होता है अर्थात स्वयं पर राज्य करने के कर्तव्य का निर्वहन। यह राज्य मन, वाचन और कर्मों से परिलक्षित होना चाहिये। व्यवस्था के अनुरूप आचरण, संविधान के अनुरूप कार्य और समाज के अनुरूप व्यवहार करने से ही स्वराज्य स्थापित होता है।
जिसने स्वराज्य स्थापित कर लिया उसे फिर अगली पायदान पर कदम रखते हुए विकास पथ पर कीर्तिमान गढने का अधिकार है। उनकी वाणी में कम्पन उत्पन्न होने लगा था। तभी उनके एक शिष्य ने गिलास में पानी लेकर कमरे में प्रवेश किया। वे कुछ क्षण के लिए शान्त मुद्रा में बैठ गये। शिष्य ने बताया कि योगी जी की दौनों किडनियां अत्याधिक तपस्या के कारण खराब हो चुकीं हैं। प्रतिदिन डायलेसिस की आवश्यकता होती है। शारीरिक सीमाओं को धता बताते हुए वे सैकडों मील की यात्रा, निरंतर प्रवचन करने के साथ-साथ निर्धारित दिनचर्या का भी कडाई से पालन करते हैं।
गृहस्थ शिष्यों की लौकिक समस्याओं के अलावा सन्यासी शिष्यों की पारलौकिक जिग्यासाओं तक को वे चुटकी बजाते समाधान तक पहुंचा देते हैं। शिष्य ने अपने जीवन में घटित अनेक विलक्षण स्थितियों का उल्लेख करते हुए बताया कि कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और महाराजश्री के छोटे गुरूभाई आदित्यनाथ किस तरह से विचार-विमर्श हेतु जौनपुर पीठ आये और एकांत में लम्बी चर्चा की। तब तक योगी जी लगभग सामान्य हो चुके थे परन्तु थकान के चिन्हों का पूरी तरह से लुप्त होना बाकी था। हमने उनके स्वास्थ्यगत कारणों को ध्यान में रखते हुए विदा मांगी वे मुस्कुरा कर बोले कि फिर कब मिलेंगे आप। सरलता, सहजता और समर्पित संत के मन, वचन और व्यवहार को देकर हम ठगे से रह गये। लम्बी चर्चा के लिए शीघ्र उपस्थित होने का आश्वासन पाने के बाद उन्होंने अनुमति दी। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नये मुद्दे के साथ फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए खुदा हाफिज। 

Dr. Ravindra Arjariya
Accredited Journalist
for cont. -
ravindra.arjariya@gmail.com

सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह के खिलाफ बांबे हाईकोर्ट में याचिका, कल सुनवाई

सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह के लिए इमेज परिणाम

नई दिल्ली। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की परेशानियां कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। सुप्रीम कोर्ट में अभी जस्टिस लोया प्रकरण थमा नहीं है कि सोहराबुद्दीन एनकाउंटर का भूत एक बार फिर उनके पीछे पड़ गया है। बांबे हाईकोर्ट में इस तरह की एक पीआईएल दायर हुई है जिसमें उससे सीबीआई को ये निर्देश देने की मांग की गयी है कि वो सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह के बरी होने को चुनौती दे।

इस पीआईएल को बांबे लायर्स एसोसिएशन की ओर से दायर किया गया है। ये वकीलों का वही संगठन है जिसने सीबीआई जज बीएच लोया की मौत की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में आयोग गठित करने के लिए बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। और जिसकी सुनवाई के लिए 23 जनवरी की तारीख तय हुई है।
लाइव लॉ के हवाले से आयी खबर में बताया गया है कि याचिकाकर्ताओं ने सीबीआई जज जेटी उत्पट के तबादले के आदेश को भी चुनौती दी है। गौरतलब है कि उत्पट लोया से पहले सोहराबुद्दीन मामले की सुनवाई कर रहे थे। याचिका में कहा गया है कि तबादले का फैसला 27 सितंबर 2012 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ था। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गुजरात से मुंबई ट्रांसफर करते हुए पूरे मामले को एक ही जज से सुनवाई का निर्देश दिया था।
हाईकोर्ट की प्रशासनिक कमेटी ने जज उत्पट का तबादला करने का फैसला लिया था। बाद में जज बीएच लोया ने उनका स्थान लिया।
याचिका में कहा गया है कि पहले गुजरात सरकार पूरी मजबूती से इस बात को खारिज कर रही थी कि सोहराबुद्दीन का एनकाउंटर फेक होने के साथ पूरी तरह से राज्य प्रबंधित था। लेकिन बाद में उसने स्वीकार किया कि ये एक फेक एनकाउंटर का मामला था।
पीआईएल में इस बात को चिन्हित किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के सामने 2010 में दायर की गई चार्जशीट में सीबीआई ने दावा किया था कि षड्यंत्र के बड़े हिस्से का पता लगा लिया गया है और अमित शाह षड्यंत्र के केंद्र में थे।
इसके साथ ही सीबीआई ने चार्जशीट में सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के गवाह तुलसी प्रजापति की एनकाउंटर के जरिये हत्या में भी अमित शाह को आरोपी बनाया था। उस केस को गुजरात से मुंबई ट्रांसफर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि-
“प्रशासनिक कमेटी केस को एक ऐसी कोर्ट को आवंटित करेगी जहां ट्रायल कानून के मुताबिक, बगैर देरी किए और पूरे न्यायोचित तरीके से संपन्न हो सके। प्रशासनिक कमेटी इस बात को भी सुनिश्चित करेगी कि ट्रायल शुरू से अंत तक एक ही अफसर द्वारा संचालित किया जाए।”
याचिका में कहा गया है कि इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट की मंशा बिल्कुल साफ थी। इसके बाद भी जज उत्पट का एकाएक तबादला कर दिया गया और जज लोया ने उनकी जगह ली। इस तरह से पीआईएल में प्रशासनिक कमेटी की उस बैठक के मिनट्स को लाने की मांग की गयी है जिसमें तबादले का फैसला हुआ था। याचिकाकर्ताओं ने इस बात का दावा किया है कि सीबीआई के सामने भी उन्होंने अर्जी दी है। लेकिन अभी तक उसका कोई जवाब नहीं मिला। यहां इस बात को बताना जरूरी है कि ये पत्र कुछ दिनों पहले ही 16 जनवरी 2018 को लिखा गया था।
पीआईएल पर सुनवाई 22 जनवरी को जस्टिस एससी धर्माधिकारी करेंगे।

20 MLA अयोग्य: ‘राष्ट्रपति का फैसला लोकतंत्र के लिए घातक’

20 MLA अयोग्य: ‘राष्ट्रपति का फैसला लोकतंत्र के लिए घातक’नई दिल्ली
लाभ के पद को लेकर आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होने पर आम आदमी पार्टी ने जहां इसे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ बताया है, वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस मामले में बीजेपी और चुनाव आयोग ने AAP की मदद की है। AAP नेता गोपाल राय ने कहा कि पार्टी ने तय किया था वह राष्ट्रपति से मिलकर अपनी बात रखेगी लेकिन उन्हें यह मौका नहीं दिया गया। AAP के एक और नेता आशुतोष ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है।
दुर्भाग्यपूर्ण और प्राकृतिक न्याय के खिलाफ फैसला: AAP
लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग ने शुक्रवार को राष्ट्रपति से AAP के 20 सदस्यों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। रविवार को राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग की सिफारिश को स्वीकार कर लिया। इस पर AAP के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने कहा कि हमने तय किया था कि राष्ट्रपति से मिलकर अपनी बात रखेंगे। उन्होंने कहा कि जब शनिवार को AAP ने राष्ट्रपति भवन से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि राष्ट्रपति अभी बाहर हैं। उन्होंने कहा कि हमें राष्ट्रपति के पास अपना पक्ष नहीं रखने दिया गया। यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है और प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। बता दें कि चुनाव आयोग के फैसले को AAP ने शुक्रवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जहां से पार्टी को फौरी राहत नहीं मिली। हाई कोर्ट में सोमवार को इस मामले की सुनवाई है।
राय ने कहा कि आम आदमी पार्टी न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। उन्होंने कहा, ‘हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक न्याय की गुहार लगाएंगे…उम्मीद है कि न्याय मिलेगा…चुनाव आयोग के पक्षपातपूर्ण रवैये के खिलाफ न्याय मिलेगा।’ AAP के एक और नेता आशुतोष ने पार्टी विधायकों की सदस्यता रद्द करने के राष्ट्रपति के फैसले को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। लाभ के पद मामले में अपनी विधानसभा सदस्यता गंवाने वाली चांदनी चौक से AAP की पूर्व विधायक अलका लांबा ने मोदी सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं के राजनीतिक इस्तेमाल का आरोप लगाया है। लांबा ने कहा कि मोदी सरकार पिछले 3 सालों से दिल्ली की केजरीवाल सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है।
चुनाव आयोग ने अपना काम किया: BJP
चुनाव आयोग पर AAP द्वारा सवाल उठाने पर बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि चुनाव आयोग ने अपना काम किया। लेखी ने कहा कि AAP के राज्यसभा उम्मीदवारों ने चुनाव जीता यह बताता है कि चुनाव आयोग अपनी गति से काम कर रहा था और उस पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं था।
BJP और EC ने AAP को फायदा पहुंचाया: कांग्रेस
एक तरफ AAP जहां केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला कर रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने बीजेपी पर ही AAP की मदद का आरोप लगाया है। दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि बीजेपी और चुनाव आयोग ने फैसले में 3 हफ्तों से ज्यादा की देरी करके आम आदमी पार्टी की मदद की है। उन्होंने कहा कि अगर यह फैसला 22 दिसंबर से पहले आया होता और ये 20 विधायक अयोग्य ठहराए गए होते तो वे राज्यसभा चुनाव में वोट डालने के योग्य नहीं होते। बता दें कि हाल ही में दिल्ली से 3 राज्यसभा सीटों पर AAP उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं

Friday, January 19, 2018

येचुरी, बृंदा क्या फिर राज्यसभा में जाएंगे?

येचुरी, बृंदा क्या फिर राज्यसभा में जाएंगे?

देश की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी की अहम बैठक शुक्रवार से कोलकाता में होने वाली है। इसमें कई राजनीतिक मसलों पर पार्टी की लाइन तय होगी। कांग्रेस के साथ तालमेल को लेकर पार्टी स्पष्ट रूप से दो खेमों में बंटी हुई है और कहा जा रहा है कि इस मसले पर महासचिव सीताराम येचुरी और पूर्व महासचिव प्रकाश करात का खेमा अलग अलग प्रस्ताव पेश कर सकता है। पहले भी इस मामले में दोनों खेमों में एक राय नहीं बन पाई थी और वोटिंग से भी कोई फैसला नहीं हो पाया था।

कांग्रेस के साथ तालमेल के अलावा एक और अहम मुद्दा राज्यसभा के उम्मीदवार तय करने का भी है। हालांकि पार्टी के एक जानकार नेता का कहना है कि राज्यसभा का दोवार्षिक चुनाव मार्च, अप्रैल में होगा इसलिए उस पर आगे पोलित ब्यूरो की बैठक में चर्चा होगी। पर चूंकि इस बार राज्यसभा के लिए फिर दो बेहद हाई प्रोफाइल नाम का जिक्र चला है इसलिए हो सकता है कि पहले भी उस पर बातचीत हो।
सीपीएम के जानकार सूत्रों का कहना है कि प्रकाश करात की पत्नी और पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात का राज्यसभा जाना तय है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने उनको राज्यसभा में भेजने का वादा किया है। वैसे भी विजयन को प्रकाश करात का खास माना जाता है। बृंदा करात पहले एक बार पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सदस्य रह चुकी हैं। उनको दूसरा कार्यकाल नहीं मिला था, जबकि सीताराम येचुरी लगातार दूसरी बार राज्यसभा गए थे। अब फिर से येचुरी के राज्यसभा जाने की चर्चा है।
पश्चिम बंगाल की एक सीट कांग्रेस येचुरी को देने के लिए तैयार थी, पर सीपीएम के अपने नियमों का हवाला देकर उनको तीसरी बार राज्यसभा जाने से रोक दिया गया था। पर इससे राज्यसभा में पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है और चर्चा है कि उनको फिर से राज्यसभा भेजा जा सकता है और वह भी केरल से। केरल में पार्टी को एक अतिरिक्त सीट मिल रही है। जदयू के राज्यसभा सांसद एमपी वीरेंद्र कुमार ने इस्तीफा दिया है।
इस सीट का अभी चार साल का कार्यकाल बाकी है। इसके अलावा केरल से पार्टी को दो सीटें मिलेंगी। इन तीन में से दो सीटों पर सीताराम येचुरी और बृंदा करात को भेजने की चर्चा है। हालांकि एमपी वीरेंद्र कुमार भी सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ में शामिल होने जा रहे हैं इसलिए कुछ नेता उनकी सीट उनको ही देने की मांग भी कर रहे हैं। वैसे यह तय बताया जा रहा है कि प्रकाश करात का खेमा येचुरी को राज्यसभा जाने से रोकने में पूरा दम लगाएगा।

Thursday, January 18, 2018

पुरुषों की मर्दाना कमजोरी को जड़ से खत्म कर देगी यह चीज, क्लिक करके जानें

पुरुषों की मर्दाना कमजोरी को जड़ से खत्म कर देगी यह चीज, क्लिक करके जानें

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दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं, आजकल मनुष्य अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी में बहुत ज्यादा व्यस्त होता है, और ऐसे में वह सही समय पर भोजन में पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा ग्रहण नहीं कर पाता है। जिसके कारण पुरुषों की मर्दाना शक्ति कमजोर होने लगती है। आजकल बहुत सारे खाद्य पदार्थों में मिलावट होने से भी पुरुषों में शारीरिक कमजोरी आने लगती है। शारीरिक कमजोरी के कारण मनुष्य मानसिक रूप से शर्मिंदगी महसूस करता है। लेकिन कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जो पुरुषों की शारीरिक कमजोरी को दूर करने में बहुत ही उपयोगी होती हैं। दोस्तों आज हम आपको बताएंगे, पुरुषों की मर्दाना कमजोरी को जड़ से खत्म कर देने वाली चीज, तो क्लिक करके जानिए।
पुरुषों की मर्दाना कमजोरी को हमेशा के लिए नष्ट करने का रामबाण नुस्खा-
इस नुस्खे का उपयोग करने के लिए आपको तीन चीजों की आवश्यकता होगी, एक सफेद मूसली, दूसरी अश्वगंधा चूर्ण और तीसरी दूध। सबसे पहले आपको सफेद मूसली को पीसकर उसका चूर्ण बना लेना है। रोज सुबह एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण और एक चम्मच सफेद मूसली पाउडर की दूध में मिलाकर उसका सेवन करना होगा। लगभग 10 से 15 दिन ऐसा करने से ही पुरुषों की मर्दाना कमजोरी जड़ से नष्ट हो जाती है।

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