मस्त रहो मस्ती मे आग लगे बस्ती मे
संजय लिखित कर ‘‘बम‘‘ mob :9407282226
बीजापुर:- बीजापुर जिले मे ब्लाक आवापल्ली से लगभग 40 कि.मी. दूरी पर ग्राम पंचायत कोंडापल्ली मे 3 माह से राशन दुकान से चांवल आदि अनाजों का वितरण नही हो रहा है और जिला प्रशासन के अधिकारी इससे बेखबर हो कर चैन की बंशी बजा रहे है विशसनिय सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि ग्राम पंचायत कोंडापल्ली मे गत 3 माह से चांवल आदि सामग्री आदि का वितरण उचित मूल्य कि दुकान से नही हुआ है । जब सेल्समेन से इस संबंध मे पुछा गया तो उसने बताया की जनवरी माह का कोटा नही मिला फरवरी मे राशन कोटे के संबंध मे जानकारी मांगी तो वह जानकारी देने मे आनाकानी करने लगा मात्र मार्च माह मे चांवल का राशन दुकान से वितरण हुआ है उसमे भी दो गांव वलो को ही राशन वितरण किया गया शेष दो गांव वालों कां चांवल नही बांटा गया है सेल्समेन बसंत की माने स्वयं हमारे पास आकर सूचना दी कि गांव वालों को 3 माह से चांवल नही बांटा गया गांव वालो का कहना है कि उचित मूल्य कि दुकान पर सभी राशन को हि दाम पर बेचा जाता है गांव वालों का कहना है कि सचिव की यहां मनमर्जी चलती है वह जैसा चाहता है वैसा ह ियहां कार्य होता है सचिव चिरमूल राममूर्ती कभी गांव मे सन् 2000 से आज तक आया ही नही वह अगर कोई मिटिंग हो तो ब्लाक आ्फिस मे या जिला कार्यालय मे ही मौजुद रहता है अन्यथा वह हमेशा दन्तेवाड़ा मे अपने परिवार के साथ रहता है और वहीं से बैढे-बैढे अपने खास गुर्गो के माध्यम से कार्य संचालित करता है गांव वालों को अगर कोई काम पडता है तो उसका मिलना नामुमकिन रहता है उसपे आजतक वृद्धावस्था पेंशन विकलांग पेंशन नही बांटा है । ग्राम पंचायत कोंडापल्ली मे 3 माह से राशन दुकान से चांवल आदि सामग्री का वितरण नही हुआ इसकी जानकारी लेने वाला कोई भी अधिकारी आजतक नही पंहूचा है प्रशासन के अधिकारीयों को गरीबों की सुध लेने की फुरसत नही है छत्तीसगढ़ शासन के मुख्यमंत्री रमन सिंह जी के कथन ‘‘अब कोई गरीब भुखा नही रहेगा’’ को ठेंगा दिखा रहे है ज्ञात हुआ है कि चांवल नही मिलने पर ग्रामीणों ने 10रू. की कनकी को खरिद कर अपना पेट भर रहे है। अतः अब गांव वाले का कहना है कि गांव का पढा लिखा लडका वेको मंगलू को राशन दुकान संचालित करने दिया जाये जिससे राशन की कालाबजारी पर अंकुश लगेगा और गरीबों को समय पर अनाज उपल्ब्ध हो सकेगा इससे यह साबित होता है कि अधिकारी इस बेखबर होकर चैन की बंशी बजा रहे है और मस्त रहो मस्ती मे आग लगे बस्ती मे गाना गुनगुना रहें है।
वाह रे शशि तेरी मायासंजय लिखित कर ’’बम’’बीजापुर:- एक कथा है कि एक बार एक ग्वाला अपने सिर के ऊपर दुध का मटका लेकर शहर की ओर बेचने निकला रास्ते भर वह अपने जीवन को स्वर्गमय बनाने के लिये मन ही मन अनेक प्रकार के ताने-बाने बुनकर योजना बनाने लगा दुध की कमाई से चार-पांच भैंस खरिदुंगा शादि करूंगा पत्नि को रानी बना कर रखुंगा फिर बच्चे होंगे तो उन्हे अच्छे स्कूल मे पढाउंगा आदि महत्वाकांक्षी योजना बनाकर शेखचिल्ली की भांती चला जा रहा था किन्तु अचानक पत्थर कि ठोकर खा कर वह गिर पडा जिससे दुध भरा मटका फुट गया और उसकी महत्वकांक्षी योजना तारतार हो गई कहते है कि मेहनत की कमाई हमेशा टिकती है और पाप की कमाई का हमेशा भांडा फुटता है । यह कहानी एक साधारण परिवार मंडला मे जन्मे शशि कार्तिक के ऊपर सटिक बैढती है शाशि कार्तिक मूलतः मंडला जिले का मूल निवासी है और वह बीजापुर मे अपने बडे भाई जो कृषि विभाग मे कार्यरत् थे उनके पास रहकर शायद शिक्षा-दिक्षा की उनके स्थानांतरण के बाद वह अपने जिजा के पास रहा और अपना जीवन गुजर-बसर करने लगा जिजा के स्थानांतरण के बाद रोटी के लिए फांका-मस्ती की जीन्दगी गुजारने की नौबत आयी तो शशि कार्तिक ने लगभग 550 रू0 प्रति माह के वेतन पर सरस्वतीशिशु मंदिर शाखा भोपालपटनम मे नौकरी करने लगा 550 रू0 मे गुजर-बसर नही होने लगा तो उसके संगी‘सााथी शासकिय सेवकों ने तन मन धन से उसकी मदद की जब संगी साथियों का अन्यत्र तबादला हो गया तो वह पुनः पुरानी स्किति पे आ गया और सरस्वतीशिशु मंदिर की नौकरी छोड दिया चंद दिन फाका-मस्ती के दिन गुजारने के बाद किस्मत का सितारा बुलंद होने के कारण राजिव गांधी जलग्रहण मिशन मे लगभग 3500 रू0 प्रतिमाह की नौकरी करने लगा और नौकरी लगते ही ‘‘उसके दोनो हाथ घी मे और सर कढ़ाई’’ मे हो गया अपुस्ट जानकारी के अनुसार इन्होने तत्कसलीन सी.ई.ओ. गुप्ता के साथ मिलकर आंख बंद कर कागजों पर भी घोर नक्सली क्षेत्र मे भी मिनी वाटरसेड व अन्य कार्य करवाये तथा सामाजिक अंकेकक्षण मे भी मात्र बीना मूल्यांकन किये ही कार्य को पूर्ण हाने का अमलिजामा पहनाया इस प्रकार शशि कार्तिक ने लगभग लाखों करोडों रूपये की हेरा-फेरी कर चल-अचल सम्पत्ती एकत्रित कर अपने आपको आर्थिक रूप से मजबुत बनाया । कथित तौर पर ‘‘अपुस्ट जानकारी व लोगो के कहे अनुसार ज्ञात हुआ है की आवापल्ली मे पदस्थ वर्तमान सी.ई.ओ. ने दो अन्य सचिवों के साथ मिलकर शशि कार्तिक के बीना हस्ताक्षर के लगभग 2 करोड़ 30 लाख रूपये का आहरण कर लिया जब इसकी जानकारी शशि कार्तिक को लगी तो वह इसकी जानकारी देने के लिये एक पत्रकार के पास पंहुंचा जब पत्रकार संबंधित फाइल को पढ़ने के बाद अपने पेपर मे लिखने लगा तो शशि कार्तिक ने उस न्यूज को ना लिखे यैसा कहकर आना कानी करने लगा इससे यह अनुमान लगता है कि वह वर्तमान सी.ई.ओ. व दो सचिवों के साथ मिलकर कुछ लेन-देन कर चुप बैठ गया होगा पत्रकार ने नाम न बताने की शर्त के कथित तौर पर बताया की इस कार्य का सामाजिक अंकेकक्षण भी हो गया और इतने बडे घोटाले को सहानुभूति पूर्वक दबा दिया गया । इसी प्रकार अनेक काले कारनामों को अंजाम देते हुए लाखों-करोडों रूपयों को डकार गया और ऊफ तक नही की साथ ही लाखों-करोडों मे अचल सम्पत्ती अर्जित कर ली वर्तमान मे जिला मुख्यालय मे एन.एच. 16 पर द्रुतगती से निर्माणाधिन लॉज है या गोदाम वह शशि कार्तिक का ही है साथ ही जिला मुख्यालय मे शशि कार्तिक के दो-तीन मकान भी है उसके पास आय से अधिक सम्पत्ती कैसे अर्जीत की यह सोचने का प्रश्न है एैसा लोगो का कहना है । लोगो का कहना है की एक शासकीय सेवक दम्पती नौकरी से सेवा निवृत्त होने के बाद भी महंगाई के इस दौर मे इतनी सम्पत्ती अर्जीत नही कर सकता इससे यह ज्ञात होता है की इसने करोडों रूपयों का भ्रष्टाचार किया होगा और इतनी सम्पत्ती अर्जीत कि इतनी सम्पत्ती को देखकर यह प्रश्न आने लगा ीि क्या शशि कार्तिक की लॉटरी लग गई ? क्या जमीन मे गडा धन मिला ? क्याा शशि कार्तिक अपने पैतृक घर से सुखी सम्पन्न है ? यह सभी विचारणीय प्रश्न है इन सबको उजागर करना आवश्यक है । अगर वह इतना सुखी सम्पन्न होता तो छत्तीसगढ़ के अति पिछडे आदिवासी जिला बीजापुर मे 550 रू0 प्रतिमाह की नौकरी के लिऐ दर-दर नही भटकता अतः आयकर विभाग व सी.बी.आई. से इसकी जांच होनी चाहिए तभी इस भ्रष्टाचारी शशि कार्तिक की असली पोल खुलेगी जिससे दुध का दुध और पानी का पानी हो जायगा एैसा लोगो का मानना है ।
वाह रे शशि तेरी मायासंजय लिखित कर ’’बम’’बीजापुर:- एक कथा है कि एक बार एक ग्वाला अपने सिर के ऊपर दुध का मटका लेकर शहर की ओर बेचने निकला रास्ते भर वह अपने जीवन को स्वर्गमय बनाने के लिये मन ही मन अनेक प्रकार के ताने-बाने बुनकर योजना बनाने लगा दुध की कमाई से चार-पांच भैंस खरिदुंगा शादि करूंगा पत्नि को रानी बना कर रखुंगा फिर बच्चे होंगे तो उन्हे अच्छे स्कूल मे पढाउंगा आदि महत्वाकांक्षी योजना बनाकर शेखचिल्ली की भांती चला जा रहा था किन्तु अचानक पत्थर कि ठोकर खा कर वह गिर पडा जिससे दुध भरा मटका फुट गया और उसकी महत्वकांक्षी योजना तारतार हो गई कहते है कि मेहनत की कमाई हमेशा टिकती है और पाप की कमाई का हमेशा भांडा फुटता है । यह कहानी एक साधारण परिवार मंडला मे जन्मे शशि कार्तिक के ऊपर सटिक बैढती है शाशि कार्तिक मूलतः मंडला जिले का मूल निवासी है और वह बीजापुर मे अपने बडे भाई जो कृषि विभाग मे कार्यरत् थे उनके पास रहकर शायद शिक्षा-दिक्षा की उनके स्थानांतरण के बाद वह अपने जिजा के पास रहा और अपना जीवन गुजर-बसर करने लगा जिजा के स्थानांतरण के बाद रोटी के लिए फांका-मस्ती की जीन्दगी गुजारने की नौबत आयी तो शशि कार्तिक ने लगभग 550 रू0 प्रति माह के वेतन पर सरस्वतीशिशु मंदिर शाखा भोपालपटनम मे नौकरी करने लगा 550 रू0 मे गुजर-बसर नही होने लगा तो उसके संगी‘सााथी शासकिय सेवकों ने तन मन धन से उसकी मदद की जब संगी साथियों का अन्यत्र तबादला हो गया तो वह पुनः पुरानी स्किति पे आ गया और सरस्वतीशिशु मंदिर की नौकरी छोड दिया चंद दिन फाका-मस्ती के दिन गुजारने के बाद किस्मत का सितारा बुलंद होने के कारण राजिव गांधी जलग्रहण मिशन मे लगभग 3500 रू0 प्रतिमाह की नौकरी करने लगा और नौकरी लगते ही ‘‘उसके दोनो हाथ घी मे और सर कढ़ाई’’ मे हो गया अपुस्ट जानकारी के अनुसार इन्होने तत्कसलीन सी.ई.ओ. गुप्ता के साथ मिलकर आंख बंद कर कागजों पर भी घोर नक्सली क्षेत्र मे भी मिनी वाटरसेड व अन्य कार्य करवाये तथा सामाजिक अंकेकक्षण मे भी मात्र बीना मूल्यांकन किये ही कार्य को पूर्ण हाने का अमलिजामा पहनाया इस प्रकार शशि कार्तिक ने लगभग लाखों करोडों रूपये की हेरा-फेरी कर चल-अचल सम्पत्ती एकत्रित कर अपने आपको आर्थिक रूप से मजबुत बनाया । कथित तौर पर ‘‘अपुस्ट जानकारी व लोगो के कहे अनुसार ज्ञात हुआ है की आवापल्ली मे पदस्थ वर्तमान सी.ई.ओ. ने दो अन्य सचिवों के साथ मिलकर शशि कार्तिक के बीना हस्ताक्षर के लगभग 2 करोड़ 30 लाख रूपये का आहरण कर लिया जब इसकी जानकारी शशि कार्तिक को लगी तो वह इसकी जानकारी देने के लिये एक पत्रकार के पास पंहुंचा जब पत्रकार संबंधित फाइल को पढ़ने के बाद अपने पेपर मे लिखने लगा तो शशि कार्तिक ने उस न्यूज को ना लिखे यैसा कहकर आना कानी करने लगा इससे यह अनुमान लगता है कि वह वर्तमान सी.ई.ओ. व दो सचिवों के साथ मिलकर कुछ लेन-देन कर चुप बैठ गया होगा पत्रकार ने नाम न बताने की शर्त के कथित तौर पर बताया की इस कार्य का सामाजिक अंकेकक्षण भी हो गया और इतने बडे घोटाले को सहानुभूति पूर्वक दबा दिया गया । इसी प्रकार अनेक काले कारनामों को अंजाम देते हुए लाखों-करोडों रूपयों को डकार गया और ऊफ तक नही की साथ ही लाखों-करोडों मे अचल सम्पत्ती अर्जित कर ली वर्तमान मे जिला मुख्यालय मे एन.एच. 16 पर द्रुतगती से निर्माणाधिन लॉज है या गोदाम वह शशि कार्तिक का ही है साथ ही जिला मुख्यालय मे शशि कार्तिक के दो-तीन मकान भी है उसके पास आय से अधिक सम्पत्ती कैसे अर्जीत की यह सोचने का प्रश्न है एैसा लोगो का कहना है । लोगो का कहना है की एक शासकीय सेवक दम्पती नौकरी से सेवा निवृत्त होने के बाद भी महंगाई के इस दौर मे इतनी सम्पत्ती अर्जीत नही कर सकता इससे यह ज्ञात होता है की इसने करोडों रूपयों का भ्रष्टाचार किया होगा और इतनी सम्पत्ती अर्जीत कि इतनी सम्पत्ती को देखकर यह प्रश्न आने लगा ीि क्या शशि कार्तिक की लॉटरी लग गई ? क्या जमीन मे गडा धन मिला ? क्याा शशि कार्तिक अपने पैतृक घर से सुखी सम्पन्न है ? यह सभी विचारणीय प्रश्न है इन सबको उजागर करना आवश्यक है । अगर वह इतना सुखी सम्पन्न होता तो छत्तीसगढ़ के अति पिछडे आदिवासी जिला बीजापुर मे 550 रू0 प्रतिमाह की नौकरी के लिऐ दर-दर नही भटकता अतः आयकर विभाग व सी.बी.आई. से इसकी जांच होनी चाहिए तभी इस भ्रष्टाचारी शशि कार्तिक की असली पोल खुलेगी जिससे दुध का दुध और पानी का पानी हो जायगा एैसा लोगो का मानना है ।
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