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Friday, August 10, 2018

वरिष्ठ पत्रकार राज नारायण मिश्रा को घर में घेरकर पटवारी योगेश्वर अवस्थी ने आठ गुंडों के साथ जान से मारने का किया प्रयास, समान थाना रीवा में की गई शिकायत

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रीवा। शहर की लचर कानून व्यवस्था के चलते एक शासकीय कर्मचारी का इतना अधिक मनोबल तेज है कि  आपराधिक गतिविधियों को संचालित करने के साथ ही रीवा के चर्चित वरिष्ठ पत्रकार राज नारायण मिश्रा के घर को घेरकर जान से मारने की लगातार कोशिश की पर राज नारायण सुरक्षित बच गए,, उक्त घटना के बाद समान थाना में शिकायत पत्र दिया गया है 
पर पुलिस की नाकामी के चलते अपराधी भागने में सफल रहे,, घटना के संबंध में बताया गया है कि पटवारी योगेश्वर अवस्थी रीवा का सबसे घूसखोर पटवारी के रूप में चर्चित नाम है जो अबैध कमाई से राजनीतिक लोगों को खरीद कर बीस वर्ष से नगर निगम क्षेत्र में पदस्थ जहाँ बेशकीमती जमीनो की खरीद फरोख्त में मनमानी धन कमा रहा है,;
परंतु वरिष्ठ पत्रकार राज नारायण मिश्रा ने पटवारी व इसके ससुर  सूर्यकांत मिश्रा की संपत्ति पोल खोल कर  आर्थिक अपराध शाखा व लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज कराते हुए योगेश्वर अवस्थी के घर का चार बार अंदर बाहर  नाप कराने के साथ ही खर्च राशि का मूल्यांकन कराया था,, इतना ही नहीं हर प्रॉपर्टी अबैध धन की जांच होने से इतना मदमस्त है कि पूरे मुहल्ले में शांति भंग कर आये दिन गाली गलौज करना व धमकी देता रहता है,,,
गत 5 अगस्त 2018 को दोपहर ढाई बजे के लगभग मौका ताक पटवारी योगेश्वर अवस्थी ने तलवार , कट्टा, , रिवाल्वर, बका,ङंङा, राङ लेकर घर में घुसकर गाली गलौज करते हुए जान से मारने की लगातार कोशिश किया है,, इस घटना में योगेश्वर अवस्थी पिता केशव प्रसाद अवस्थी, आयुष अवस्थी उर्फ बीरू पिता योगेश्वर अवस्थी, अशोक अवस्थी उर्फ गुङ्ङू पिता समलिया अवस्थी,,
पंकज मिश्रा पिता सूर्यकांत मिश्रा,, देवेन्द्र मिश्रा उर्फ़ तिब्बू व अन्य तीन चार लङके पटवारी के साथ शामिल रहे,,, ज्ञात हो पटवारी योगेश्वर अवस्थी वर्तमान समय में अनंत पुर हल्का रीवा में पदस्थ हैं,,, रीवा की पुलिस इतनी अकर्मण्यता से घिरी है की 48 घंटे बाद भी आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करने की जरूरत समझी ,,

Friday, August 3, 2018

क्यों किया ABP के तीन दिग्गजों को बाहर, लोकसभा में गरमाया माहौल

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क्यों किया ABP के तीन दिग्गजों को बाहर, लोकसभा में गरमाया माहौल
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दुनिया भर में सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में इन दिनों क्या चल रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। पिछले दिनों देश की एक बड़ी मीडिया हाउस ने अपने कुछ बड़े पत्रकारों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब चैनल ने अपने वरिष्ठ पत्रकारों को क्यों हटाया इस संबंध में आधिकारिक जानकारी नहीं है।
लेकिन चैनल से पत्रकारों को हटाए जाने का यह मामला शुक्रवार को देश की संसद में भी उठा। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करते हुए शून्यकाल के दौरान संसद सदस्यों के बीच इस मसले को रखा। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से मीडिया पर पाबंदी लगाई जा रही है।
कांग्रेस नेता के अनुसार, उन्होंने साफ तौर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'मन की बात' में किए गए दावे की 'रियलिटी चेक' करने के लिए छत्तीसगढ़ के एक गांव में संवाददाता भेजने के बाद एक निजी चैनल पर इस कदर दबाव बनाया गया कि उसे अपने एक वरिष्ठ पत्रकार और दो एंकरों को निकालना पड़ा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि, 'रियलिटी चेक' में दावा गलत साबित हुआ था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, चैनलों और मीडिया को दबाने का प्रयास किया जा रहा है जो अच्छी बात नहीं है। हालांकि विपक्ष के इन आरोपों को खारिज करते हुए सरकार की ओर से सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि ये आरोप गलत हैं।
सरकार के मंत्री ने कहा कि, चैनल की पहली खबर गलत निकलने के बाद भी सरकार ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि जब विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं होता तो वे हर बात के लिए सरकार को ही जिम्मेदार ठहराते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया की इस हरकत पर जताई चिंता, दिया ये निर्देश...

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सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया की इस हरकत पर जताई चिंता, दिया ये निर्देश...
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बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह में बच्चियों से दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न कांड ने पूरे देश में सनसनी फैला दी है, लिहाजा इस मामले को मीडिया की भी भरपूर कवरेज मिल रही है। लेकिन इन सबके बीच मीडिया में चूक की घटनाएं भी सामने आईं हैं, जिसके चलते ही सुप्रीम कोर्ट हरकत में आ गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के आश्रय गृह में नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं की तस्वीरों व विडियो प्रसारित करने पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने एक शख्स द्वारा अदालत को पत्र लिखने के बाद इस घटना पर स्वत: संज्ञान लिया।
इस पर न्यायालय ने बिहार सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से जवाब मांगा है। अदालत ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) से भी सहायता मांगी है। पीठ ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं की पहचान उजागर करने पर चिंता जताई है।  कोर्ट ने यह भी कहा है कि मीडिया पीड़ित बच्चियों से सवाल-जवाब ना करें।
अपने आदेश में कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से साफ शब्दों में कहा है कि वो न तो पीड़ित बच्चियों के इंटरव्यू ले और न ही उनकी धुंधली तस्वीर को  टीवी पर दिखाएं। इसके अलावा कोर्ट ने प्रिंट से भी (मॉर्फ) तस्वीर प्रकाशित न करने की बात कही है।
मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामला इस साल की शुरुआत में प्रकाश में आया था जब बिहार समाज कल्याण विभाग ने टीआईएसएस द्वारा किए गए सोशल ऑडिट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सिफारिश के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रविवार को आश्रय गृह दुष्कर्म मामले की जांच संभाल ली। 

Monday, July 30, 2018

वरिष्ठ पत्रकारों की श्रद्धा-निधि वृद्धि, गैर अधिमान्य पत्रकार भी बीमा योजना में शामिल होंगे

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वरिष्ठ पत्रकारों की श्रद्धा-निधि वृद्धि, गैर अधिमान्य पत्रकार भी बीमा योजना में शामिल होंगे
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भोपाल । मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में प्रदेश के वरिष्ठ एवं बुजुर्ग पत्रकारों की श्रद्धा-निधि 6 हजार रूपये प्रति-माह से बढ़ाकर 7 हजार रूपये प्रति माह करने का निर्णय लिया गया है। श्रद्धा-निधि के लिये आयु सीमा 62 वर्ष से घटाकर 60 वर्ष करने का भी निर्णय लिया गया है। मंत्रि-परिषद ने प्रदेश के गैर अधिमान्य पत्रकारों को बीमा योजना में शामिल कर प्रीमियम राशि का 50 प्रतिशत शासन द्वारा दिये जाने का निर्णय लिया है।
उद्यानिकी प्रोत्साहन योजना लागू
मंत्रि-परिषद ने प्याज और लहसुन की फसल के लिये उद्यानिकी प्रोत्साहन योजना लागू करने का निर्णय लिया है। योजना के अंतर्गत प्याज के लिये 400 रू. प्रति क्विंटल तथा लहसुन के लिये 800 रू. प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। यह राशि बोनी के सत्यापित रकबे तथा निर्धारित औसत उत्पादकता की सीमा को ध्यान में रखते हुए किसान के खाते में सीधे जमा करवायी जाएगी।
प्राईस सपोर्ट स्कीम
मंत्रि-परिषद ने प्राईस सपोर्ट स्कीम के अंतर्गत रबी वर्ष 2017-18 में चना, मसूर और सरसों की खरीदी के लिये म.प्र राज्य सहकारी विपणन संघ और नागरिक आपूर्ति निगम को राज्य शासन द्वारा स्वीकृत नि:शुल्क बैंक गारंटी की अवधि 2 माह से बढ़ाकर 6 माह करने का निर्णय लिया है।
खुरई में खुलेगा कृषि महाविद्यालय
मंत्रि-परिषद ने सागर जिले की तहसील खुरई में कृषि महाविद्यालय खोलने का निर्णय लिया है। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत आरंभ होने वाले इस महाविद्यालय में वर्ष 2018-19 के शैक्षणिक सत्र में 60 छात्र-छात्राओं के अध्ययन की सुविधा रहेगी। सागर जिले की रहली तहसील में उद्यानिकी महाविद्यालय खोलने के निर्णय को भी मंत्रि-परिषद ने अनुमोदित किया।
मगरौनी बनेगा नगर परिषद
मंत्रि-परिषद ने शिवपुरी जिले की ग्राम पंचायत मगरौनी को नगर परिषद स्वरूप में गठित करने की अनुशंसा राज्यपाल को भेजने का निर्णय लिया गया है। इसके अतिरिक्त, मंत्रि-परिषद ने महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित केन्द्र प्रवर्तित किशोरी बालिका योजना को प्रदेश के सभी 51 जिलों में संचालित करने की स्वीकृति प्रदान की है। बैठक में योजना के क्रियान्वयन पर होने वाले व्यय के लिये रू. 209 करोड़96 लाख की स्वीकृति भी प्रदान की गई।
मंत्रि-परिषद के अन्य निर्णय
मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश सुपर स्पेशलिटी अस्पताल चिकित्सा शिक्षक आदर्श सेवा नियम,2018 को मंजूरी दी है। साथ ही, पिछड़ा वर्ग की सूची में सौधिंया जाति प्रविष्टि क्रमाँक 12 को विलोपित करने और कैफियत में सौधिंया राजपूत भी शामिल होने का उल्लेख कर एवं पृथक से क्रमांक 93 में दर्ज करने का निर्णय लिया गया है। मंत्रि-परिषद ने पिछड़ा वर्ग की सूची के सरल क्रमाँक 58 पर अंकित खैरूवा जाति को सूची से विलोपित करने का निर्णय लिया।
मंत्रि-परिषद ने एशियन डेवलपमेंट बैंक ऋणांश एवं मध्यप्रदेश राज्यांश से मध्यप्रदेश स्किल्स डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत स्थापित किये जाने वाले ग्लोबल स्किल्स पार्क, भोपाल की स्थापना, प्रशासन एवं प्रबंधन के लिये मध्यप्रदेश फर्म्स एवं सोसायटी अधिनियम 1973 के अन्तर्गत ग्लोबल स्किल्स पार्क समिति का गठन एवं पंजीयन का अनुमोदन किया।
ग्लोबल स्किल पार्क में युवाओं को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का रोजगार परख प्रशिक्षण दिया जायेगा। इससे उन्हें देश एवं विदेश में उच्च वेतनमान के रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेंगे। युवाओं को स्व-रोजगार के अधिक अवसर भी प्राप्त होंगे। इससे ग्लोबल स्किल्स पार्क में प्रशिक्षण प्राप्त युवाओं की कार्य-कुशलता एवं जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार हो सकेगा।
मध्यप्रदेश स्किल्स डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के लिये प्रोजेक्ट स्टेयरिंग कमेटी और प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन कमेटी और का गठन कर उत्तरदायित्व एवं शक्तियों का निर्धारण तथा प्रोजेक्ट डायरेक्टर के उत्तरदायित्व एवं शक्तियों का निर्धारण किया गया है।
मंत्रि परिषद द्वारा मुख्य नगर पालिका अधिकारी 'ग' श्रेणी को प्रथम क्रमोन्नत वेतनमान और मुख्य नगर पालिका अधिकारी 'ख' श्रेणी के अनुरूप रूपये 8000-13500 स्वीकृत किया गया। निर्णय के फलस्वरूप 267 अधिकारी लाभांवित होंगे।

Friday, July 20, 2018

कुन्दन अरोड़ा को अखिल भारतीय खत्री महासभा का राष्ट्रीय प्रवक्ता व मीडिया प्रभारी मनोनीत किया

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मध्यप्रदेश अरोड़ा-खत्री महासभा के महासचिव कुन्दन अरोड़ा को अखिल भारतीय खत्री महासभा का राष्ट्रीय प्रवक्ता व मीडिया प्रभारी मनोनीत किया गया है । हाल ही में अखिल भारतीय खत्री महासभा राष्ट्रीय अध्यक्ष के हुए निर्वाचन में अहमदाबाद गुजरात के श्री धनराज भाई खत्री राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए है । उन्होंने मध्यप्रदेश अरोड़ा-खत्री महासभा के महासचिव कुन्दन अरोड़ा की समाज के प्रति गहन सक्रियता को देखते हुए अपनी राष्ट्रीय टीम में उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता व मीडिया प्रभारी के रूप में शामिल कर यह मनोनयन किया है ।  
मध्यप्रदेश शासन से अधिमान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार व संपादक कुन्दन अरोड़ा ने अपनी इस नियुक्ति पर राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री धनराज् जी खत्री व अखिल भारतीय खत्री महासभा के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर जो दायित्व सोपा गया है उसका वे पूर्ण निष्ठा व ईमानदारी के साथ समाजहित के निर्वहन करेंगे । मेरा ध्येयः रहेगा कि राष्ट्रीय स्तर पर समाज को एकजुट कर एक नई दिशा प्रदान करने में अपनी भूमिका का निर्वहन करने का प्रयास कर सकू जिसमे राष्ट्रीय स्तर पर बिखरे सम्पूर्ण समाज एक जाजम पर एकत्रित हो सके । 
कुन्दन अरोड़ा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोनीत होने पर म.प्र. अरोड़ा-खत्री महासभा के अध्यक्ष श्री हरिनारायण अरोड़ा, महासंरक्षक सत्यनारायण अरोड़ा, कोषाध्यक्ष किशोरजी खत्री, प्रदेश प्रवक्ता शलभ अरोड़ा सहित समस्त पदाधिकारियों व समाजजनों ने बधाई दी है । मध्यप्रदेश खत्री एकता के संपादक व प्रदेश महासभा के सह प्रवक्ता राजेश अरोड़ा, सह मीडिया प्रभारी राधेस्यांम अरोड़ा ने इस नियुक्ति पर कुन्दन अरोड़ा को बधाई देते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री धनराज जी खत्री के प्रति आभार प्रकट किया ।

Wednesday, July 18, 2018

लाइव बहस के दौरान मारपीट करने वाले मौलाना को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया

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टीवी न्यूज़ चैनल ज़ी हिंदुस्तान के शो `बताना तो पड़ेगा` में लाइव बहस के दौरान तीन तलाक की मुख्य याचिकाकर्ता और सुप्रीम कोर्ट की वकील फराह फैज के साथ मारपीट करने वाले मौलाना एजाज अरशद कासमी को सूरजपुर कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा दिया है. मौलाना कासमी के जमानत अर्जी पर कल होगी सुनवाई.
ज़ी हिन्दुस्तान ने अपने शो पर सवाल उठाया था कि क्या तीन तलाक के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली मुस्लिम महिला पर फतवा जारी होना चाहिए? सदियों से जिन महिलाओं पर जुल्म किया जाता रहा है, क्या उन्हें जुल्म से आज़ादी नहीं मिलनी चाहिए?
बरेली की निदा खान पर मौलाना के फतवे को लेकर सात बजे शो `बताना तो पड़ेगा` में मौलाना एजाज कासमी ने बुजुर्ग महिला मेहमान के साथ बदसलूकी करते हुए उनके उपर हाथ उठाया. हालांकि पहले महिला ने हाथ उठाया था. शो के शुरुआत में ही मौलाना मुफ्ती एजाज अरशद कासमी ने अंबर जैदी से भी बदसलूकी की थी.
हर तरफ मौलाना के इस हरकत की आलोचना हो रही है. वाराणसी का अधिवक्ता परिषद सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और मौलाना का पुतला फूंका. वाराणसी के कचहरी में बड़ी संख्या में अधिवक्ता एकजुटता दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता फराह फैज के साथ मौलाना काजमी ने जो मारपीट और अभद्रता की उसको लेकर अधिवक्ताओं में गुस्सा है.
देश के लगभग सभी विपक्षी दलों के साथ सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने भी इस घटना की कड़ी आलोचना की है. राजनितिक दलों के अलावा बॉलीवुड अभिनेत्री कोएना मित्रा ने भी ट्वीट कर के ज़ी हिन्दुस्तान की टीम से पूछा था कि मौलाना जेल गया या नहीं?

Sunday, July 15, 2018

6 महीने बाद देशभर के 90% अखबार होंगे बंद, लाखों अखबार कर्मी होंगे बेरोजगार

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डीएवीपी के खिलाफ कोर्ट जायेगा ‘अखबार बचाओ मंच’, पहले राजनीतिक दलों से मांगों फिर अखबारों से मांगना हिसाब! अस्तित्व बचाने की आखिरी कोशिश में ‘अखबार बचाओ मंच’ न्यायालय की शरण में जायेगा। मंच ये तर्क रखेगा कि जब राजनीतिक दल अपने चंदे का हिसाब और टैक्स नहीं देते तो फिर अखबारों पर एक-एक पैसे का हिसाब और नये-नये टैक्स क्यों थोपे जा रहे हैं।
दरअसल दो-तीन महीने बाद पूरे देश के अखबारों का नवीनीकरण होना है। जिसके लिये डीएवीपी द्वारा एक-एक कागज और पाई-पाई का हिसाब मांग लेने से देश के 95%अखबार नवीनीकरण नहीं करा पायेंगे। अखबार बचाओ मंच का कहना है कि अखबारों से संबधित सरकार की पालिसी के खिलाफ डीएवीपी मनमाने ढंग से अखबारों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है। सरकार की विज्ञापन नीति के हिसाब से एक करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले अखबारों को बैलेंस शीट देना अनिवार्य है। जबकि डीएवीपी ने बीस लाख के ऊपर के टर्नओवर वाले अखबारों के लिए बैलेंस शीट अनिवार्य कर दी है।

पूरा मामला जानिए :-

शायद ही कोइ ऐसा व्यवसाय होगा जिसमे कोई manipulation न होता हो , उसी तरह नियमों और कानूनों को देखते हुए देश के 99% मान्यता प्राप्त अखबारों को भी प्रसार संख्या में manipulation करना पड़ता है। बड़े-बड़े ब्रांड अखबार भी बीस हजार कापी को दो लाख प्रसार बताने पर मजबूर है। इस झूठ की मंडी की जिम्मेदार सरकार की गलत नीतियां भी हैं।
यदि कोई अपने अखबार का वास्तविक दो हजार के अंदर का प्रसार बताता है तो उसे डीएवीपी से विज्ञापन की सरकारी दरें नहीं मिलती। और यदि दो हजार से पंद्रह हजार तक के प्रसार का दावा करता है तो उसे लघु समाचार की श्रेणी में रखा जाता है। लघु श्रेणी की विज्ञापन दर इतनी कम होती हैं कि इन दरों से कम संसाधनों वाला अखबार भी अपना बेसिक खर्च भी नहीं निकाल सकता है।
यूपी सहित देश के बहुत सारे राज्यों में कम प्रसार वाले अखबारों के पत्रकारों को राज्य मुख्यालय की मान्यता भी नहीं मिलती। शायद राज्य सरकारों का मानना है कि कम प्रसार वाले अखबारों में राज्य मुख्यालय यानी प्रदेश स्तर की खबरें नहीं छपतीं हैं। सरकारों की इन गलत नीतियों के कारण भी प्रकाशक अपना प्रसार बढ़ा कर प्रस्तुत करता है।
अब ये झूठ देश के करीब 95% अखबारों को ले डूबेगा। और देश के लाखों अखबार कर्मी और पत्रकार बेरोजगार हो जायेंगे। यानी सरकारी नीतियों और प्रकाशकों के टकराव की इस चक्की में आम अखबार कर्मी/पत्रकार पिस जायेंगे।
क्योंकि अब बताये गये प्रसार के हिसाब से करोड़ों की राशि के कागज की खरीद और अन्य प्रोडक्शन कास्ट का हिसाब दिये बिना डीएवीपी अखबारों का नवीनीकरण नहीं करेगा। अखबारी कागज पर जीएसटी होने के कारण अब तीन का तेरह बताना संभव नहीं है।
यही कारण है कि अखबारी कागज पर से जीएसटी हटाने की मांग को लेकर प्रकाशकों, अखबार कर्मियों और पत्रकारों ने खूब संघर्ष किया। सरकार के नुमाइंदों को दर्जनों बार ज्ञापन दिये। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक धरना-प्रदर्शन किये। वित्त मंत्री से लेकर पीएमओ और जीएसटी कौंसिल से लेकर विपक्षी नेता राहुल गांधी तक फरियाद की। फिर भी हासिल कुछ नहीं हुआ।
डीएवीपी ने अखबारों की नयी मान्यता के आवेदन पत्र में अखबारों से एक एक पैसे का पक्का हिसाब मांगा है। यानी कागज की जीएसटी से लेकर बैंक स्टेटमेंट मांग कर ये स्पष्ट कर दिया है कि तीन महीने बाद नवीनीकरण के लिए देशभर के सभी अखबारों से ऐसे ही हिसाब मांगा जायेगा। और इस तरह का हिसाब देशभर के 95%अखबार नहीं दे सकेंगे।
इस संकट से लड़ने के लिए पत्रकार संगठन एक बार फिर सक्रिय हो गये हैं। इन संगठनों का मानना है कि अखबार बंद होने से प्रकाशक तो हंसी-खुशी अखबार बंद करके किसी दूसरे धंधे में आ जायेंगे लेकिन देश के लाखों अखबार कर्मी/पत्रकारों के पास रोजगार का दूसरा विकल्प नहीं होगा।
इस बार पत्रकार संगठन सरकार से पहले तो ये मांग करेंगे कि अखबारों के कम और वास्तविक प्रसार को सरकारी विज्ञापनों की इतनी दरें मिल जायें कि कम संसाधनों का बेसिक खर्च निकल आये। दूसरी महत्वपूर्ण मांग ये होगी कि कम प्रसार वाले अखबारों के पत्रकारों की राज्य मुख्यालय की प्रेस मान्यता बरकरार रहे।
दस लाख से कम कुल वार्षिक विज्ञापन पाने वालों से डीएवीपी आय-व्यय का हिसाब ना मांगे। कम संसाधनों, कम आमदनी और कम विज्ञापन पाने वाले इन अखबारों को जीएसटी से मुक्त किया जाये। अखबारों को इन संकटों से बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहा पत्रकार संगठनों का साझा मंच ‘अखबार बचाओ मंच’ का कहना है कि यदि ये मांगे भी पूरी नहीं हुयीं तो न्यायालय का सहारा लेना पड़ेगा।
मंच का सबसे मजबूत तर्क होगा कि जब राजनीतिक दल चंदे का हिसाब देने के लिए विवश नहीं हैं तो कम संसाधन और बहुत ही कम सरकारी विज्ञापन पाने वाले देश के अधिकांश अखबार एक-एक पैसे का हिसाब देने के लिए विवश क्यों किए जा रहे हैं।
कार्पोरेट के अखबार करोड़ों रुपये की लागत लगाकर अखबारों में घाटे सह भी सकते हैं। क्योंकि वो अपने मुख्य व्यापार से अरबों रूपये का मुनाफा कमाते है। इनके मुख्य व्यापारों में सरकारों के सहयोग की जरूरत पड़ती है। सरकारों को समाचार पत्रों में सरकारों के गुड वर्क को ज्यादा उजागर करने और खामियों को छिपाने की गरज रहती है। इन कारणों से देश की जनता कार्पोरेट के ब्रांड अखबारों से विश्वसनीयता खोती जा रहे है। पाठक सच पढ़ना चाहता है। उसका रूझान छोटे-छोटे अखबारों की तरफ बढ़ रहा है।
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कार्पोरेट और पेड न्यूज की बेड़ियों में ना जकड़ जाये इसलिए पाठक चार पन्ने के छोटे अखबार में चार सच्ची खबरें पढ़ना चाहता है। जिस तरह राजनीतिक दलों की नीतियों से प्रभावित होकर लोग गुप्त दान करते हैं ऐसे ही छोटे अखबारों को अभी अब लोग दान स्वरुप टुकड़ों – टुकड़ों में कागज देने लगे हैं। जब राजनीतिक दलों के चंदे का हिसाब नहीं तो छोटे अखबारों का हिसाब क्यों?

Saturday, July 14, 2018

ज़ी न्यूज़ धन उगाही मामला: सुभाष चंद्रा और नवीन जिंदल के बीच छह साल बाद सुलह

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 सुभाष चंद्रा और नवीन जिंदल के बीच छह साल बाद सुलह
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साल 2013 पूर्व सांसद नवीन जिंदल ने कोयला घोटाले के संबंध में जी न्यूज़ के सुधीर चौधरी और समीर अहलूवालिया पर 100 करोड़ मांगने के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने सुधीर चौधरी और समीर अहलूवालिया को गिरफ़्तार भी किया था.

शुक्रवार को सुलह के मौके पर जी समूह के प्रमुख सुभाष चंद्रा और नवीन जिंदल एक दूसरे से हाथ मिलाते हुए. (फोटो: ट्विटर/@MPNaveenJindal)
कोयला घोटाले के संबंध में 100 करोड़ रुपये के कथित धन उगाही के मामले में पूर्व लोकसभा सांसद नवीन जिंदल और उनकी कंपनी जिंदल स्टील पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) ने ज़ी न्यूज़ और उसके संपादकों- सुधीर चौधरी व समीर अहलूवालिया के ख़िलाफ़ मामला वापस ले लिया है.
ज़ी समूह और जिंदल समूह के बीच छह साल बाद बीते शुक्रवार को सुलह हो गई. शुक्रवार को दिन में ज़ी समूह के प्रमुख और राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा और नवीन जिंदल ने मुलाकात की.
इस मुलाकात के बाद सुलह की ख़बर सुभाष चंद्रा और नवीन जिंदल ने अपने-अपने ट्विटर एकाउंट से ट्वीट कर दी.
मालूम हो कि साल 2013 में यह सनसनीख़ेज ख़बर आई थी, जिसमें तत्कालीन कांग्रेस सांसद और जेएसपीएल के प्रमुख नवीन जिंदल ने दिल्ली पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराकर आरोप लगाया था कि ज़ी समूह के वरिष्ठ पत्रकारों (सुधीर चौधरी और समीर अहलूवालिया) द्वारा कोयला घोटाले के संबंध में उनसे 100 करोड़ रुपये मांगे हैं.
मालूम हो कि 27 नवंबर 2012 को नवीन जिंदल की शिकायत पर ज़ी न्यूज़ के तत्कालीन प्रमुख सुधीर चौधरी और ज़ी बिज़नेस के तत्कालीन प्रमुख समीर अहलूवालिया को दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार भी किया था.
इन आरोपों के बाद ज़ी समूह ने भी जिंदल समूह के ख़िलाफ़ केस दर्ज कराया था. तब से ये मामले कोर्ट में चल रहे थे.

सुभाष चंद्रा ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘मैं खुश हूं कि जेएसपीएल और नवीन जिंदल ने धन उगाही के संबंध में ज़ी न्यूज़ और इसके संपादकों ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस में दर्ज कराई गई एफआईआर वापस ले ली है. इसी तरह ज़ी समूह भी इस बात पर सहमत हुआ है कि जेएसपीएल और नवीन जिंदल के ख़िलाफ़ अपनी शिकायतें वापस ले लेगा. मैं नवीन को शुभकामनाएं देता हूं.’
नवीन ने भी ट्वीट कर लिखा, ‘हमने सभी मतभेद ख़त्म कर लिए हैं जो कि गलतफहमी की वजह से पैदा हुए थे. खुश हूं कि सबकुछ पीछे छोड़ दिया. शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद सुभाष चंद्रा जी.’

भाजपा में शामिल हो सकते हैं जिंदल

दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि यह सुलह इस वजह से हो सकी है क्योंकि नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी हो सकते हैं. दोनों में काफी समय से समझौते के प्रयास चल रहे थे.
पूर्व में एक केंद्रीय मंत्री, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री समेत जिंदल परिवार और गोयनका परिवार के लोगों ने कई बार सुलह की कोशिश की थी, लेकिन बात नहीं बन सकी थी. रिपोर्ट में दोनों समूह के बीच सुलह में भाजपा के एक बड़े नेता का हाथ होने की बात कही गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2014 के लोकसभा चुनाव में सुभाष चंद्रा ने कुरुक्षेत्र जाकर अप्रत्यक्ष तौर पर नवीन जिंदल के ख़िलाफ़ मोर्चा संभाला और जिंदल चुनाव में हार गए.
हिसार विधानसभा चुनाव में नवीन की मां सावित्री जिंदल को चुनाव हरवाने में भी उनकी अहम भूमिका मानी जाती है. अब दोनों में समझौता होने के बाद माना जा रहा है कि इससे भाजपा को हिसार और कुरुक्षेत्र दोनों जगह मज़बूती मिलेगी.

कोयला घोटाला और नवीन जिंदल

मालूम हो कि बीते 13 जुलाई को ही दिल्ली की एक विशेष अदालत ने कोयला घोटाला मामले में कांग्रेस नेता और उद्योपति नवीन जिंदल अन्य के ख़िलाफ़ घूसखोरी के लिए उकसाने का अतिरिक्त आरोप तय करने का आदेश दिया है.
यह मामला झारखंड के अमरकोंडा मुर्गदंगल कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़ा हुआ है. विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ 16 अगस्त को औपचारिक तौर पर आरोप तय किए जाएंगे.
अदालत ने अप्रैल 2016 में जिंदल, पूर्व कोयला राज्य मंत्री दसारी नारायण राव, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और अन्य 11 के ख़िलाफ़ आईपीसी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं के तहत आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी के लिए आरोप तय करने के आदेश दिए थे.
सीबीआई का आरोप था कि कोड़ा ने अमरकोंडा मुर्गदंगल ब्लॉक के आवंटन के लिए जिंदल समूह की कंपनियों – स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) और गगन स्पंज आयरन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसआईपीएल) को लाभ पहुंचाया था.
आरोप है कि जिंदल समूह की कंपनी जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड ने अन्य के साथ मिलकर स्क्रीनिंग कमेटी के फैसले काे प्रभावित किया. इसके लिए दो करोड़ रुपये से अधिक की घूस दी गई.

Friday, July 6, 2018

टीवी डिबेट शो में न्यूज एंकर ने कहा कुछ ऐसा, हो गए गिरफ्तार..



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केरल पुलिस ने एक टीवी न्यूज एंकर को गिरफ्तार किया है। एंकर पर आरोप है कि उन्होंने अपने न्यूज चैनल पर प्राइम टाइम डिबेट शो के दौरान सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की है।
मथ्रुभूमि टीवी के न्यूज एंकर वेणु बालकृष्ण के खिलाफ सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने के मामले में कोलम पुलिस ने धारा 153 ए के तहत केस दर्ज किया है। उनके खिलाफ डीवाईएफआई के क्षेत्रीय नेता और सीपीएम की यूथ विंग द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई थी।
गौरतलब है कि एंकर वेणु बालकृष्णन ने 7 जून को  प्रसारित डिबेट शो में पुलिस अत्याचारों का जिक्र करते हुए अर्नाकुलम के मुस्लिम युवक उस्मान पर हुई कथित बर्बरता का जिक्र किया था। अपने शो में उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री का जिक्र करते हुए कहा कि, 'रमजान के महीने में जहां युवा कठिन उपवास रखते हैं वहीं मुख्यमंत्री उनपर अपनी तानाशाही दिखा रहे हैं।'
उन्होंने कहा कि पुलिस मुस्लिम भाइयों पर ज्यादा अत्याचार कर रही है। रमजान के दौरान भी ऐसी घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने इस दौरान कई अन्य मामलों में भी पुलिस को घेरा। साथ ही ऐसी बातों को कहा जिससे सांप्रदायिकता को बढ़ावा मिलता है।  

Tuesday, July 3, 2018

मंडी सचिव ऋतु गड़बाल ने पत्रकार के साथ की अभद्रता, प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी की, पत्रकारों ने की निंदा

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व्यूरो चीफ गाडरवारा // अरूण श्रीवास्तव : 8120754889
गाडरवारा। मामला बरेली तहसील का है जिसमे पत्रकार महेश वर्मा ने बरेली मंडी से सूचना के अधिकार के अंतर्गत कुछ जानकारी माँगना चाही थी जिसके विरोध में मंडी सचिब ऋतु गड़बाल ने अभद्रता पूर्बक व्यबहार किया साथ ही पत्रकार द्वारा न्याय के लिये अपने हक की मांग करते हुए पहल की जिसके विरोध में मंडी सचिव सहित मंडी बरेली के कर्मचारियों ने नगर में पत्रकार विरोधी नारे लगाते हुए बिना अनुमति के नगर की गलियों में रैली निकाली जो बहुत ही निदनीय कार्य रहा जिस तरह का कृत्य किया गया है वह निंदनीय है 
 
हम ''ऑल इंडिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन'' (आइसना) संगठन की ओर से इसकी निंदा करते हैं साथ ही मांग करते हैं कि बरेली मंडी सचिव एवं उनके साथ जुलूस में साथ देने वालों पर कार्रवाई करते हुए उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए। जैसा की आपको विदित हो कि किस तरह बरेली में श्रीमती रितु गढ़वाल द्वारा प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी की गई एवं शासकीय कर्मचारियों ने उनका साथ देते हुए नारेबाजी की गई है.
 
जिस तरह शासकीय कर्मचारियों ने  नियम को तोड़ा और पत्रकारों के बिरोध में ऐसा किया भविष्य में चौथे स्तंभ के लिए यह अशोभनीय कदम घातक साबित होगा अतः आइसना संगठन के समस्त पत्रकारों की मांग है कि इस पर तत्काल उचित कार्रवाई की जाए निंदा करने वालों म आइसना संगठन के प्रदेश सहसचिव प्रहलाद सिंह कौरव, गाडरवारा इकाई अध्यक्ष शैलेन्द्र जैन (शिल्पी) एएनआई न्यूज़ इंडिया के तहसील व्यूरो अरूण श्रीवास्तव एवं आइसना संगठन के सदस्य शामिल है।

Monday, June 25, 2018

मीडिया को सहयोग के लिए सरकार संकल्पबद्ध- जनसम्‍पर्क मंत्री डॉ. मिश्र

जनसम्पर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र ने टी.वी. चैनल जे.के. 24x7 न्यूज के संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।
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व्यक्ति और समाज के निर्माण में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका : श्री सारंग

भोपाल : सोमवार, जून 25, 2018, जनसम्‍पर्क, जल संसाधन और संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र ने आज यहां स्टेट एनिमल हसबेंड्री ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के सभागार में टीवी चैनल जेके 24x7 न्यूज के दो दिवसीय संवाददाता सम्मेलन के समापन समारोह में हिस्सा लिया।
जनसम्पर्क मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा महत्वपूर्ण सामाजिक दायित्व निभाया जा रहा है। इन्हें हर संभव सहयोग देने के लिए राज्य सरकार संकल्पबद्ध है। उन्होंने टीवी रिर्पोटर्स को शुभकामनाएं दी। सहकारिता, भोपाल गैस, त्रासदी, राहत एवं पुनर्वास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री विश्वास सारंग ने कहा कि व्यक्ति और समाज के निर्माण में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है।
श्री सारंग ने सकारात्मक खबरों को पर्याप्त स्थान देने और विघटनकारी नकारात्मकता फैलाने वाली ताकतों को पनपने से रोकने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि मीडिया निष्पक्ष और सशक्त है, यह बहुत अच्छी बात है। डॉ. मिश्र और श्री सारंग ने टीवी चैनल द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया।
चैनल के स्टेट ब्यूरो हेड श्री सुभाष श्रीवास्तव ने मंत्री डॉ. मिश्र और श्री सारंग का पुष्प-गुच्छ से स्वागत किया।

Sunday, June 24, 2018

सहज संवाद : कला साधना से होता है रचनात्मकता का विकास

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सहज संवाद : कला साधना से होता है रचनात्मकता का विकास
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सहज संवाद /  डा. रवीन्द्र अरजरिया

तूलिका की भाषा में होने वाला संवाद रागात्मक पक्षों की एक सशक्त भावाभिव्यक्ति है। इस भाषा को जानने के लिए एक कठिन तपश्चर्या से गुजरना पडता है। कला दीर्घाओं में होने वाला यह मौन संवाद संवेदनशील लोगों को न केवल सुख प्रदान करता है बल्कि कल्पनातीत आनन्द की दरिया में गोते भी लगाने के लिए वातावरण निर्मित करता है।
कुछ दिखावे की लालसा से लालायित लोगों को छोड दें तो कला के पारखी तूलिका से उभारे गये सार्थक अनुभव को अपनी प्रेरणा बनाकर नये कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में अग्रसर होने लगते है। ज्ञान-विज्ञान से लेकर लोकाचारों तक की सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ पारलौकितता का बोध करने वाली एक कला प्रदर्शनी देखते-देखते हमें महाराज छत्रसाल की धरती से जुडे एक कलाकार की याद ताजा होने लगी।
सीमित संसाधनों के साथ अपनी कला साधना को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले रामकुमार सोनी, स्मृतियों में अंगडाई ले ही रहे थे कि मोबाइल की घंटी बज उठी। आश्चर्य की सीमा न रही जब यह देखा कि रामकुमार जी का फोन है। इस प्रकार की टैलीपैथी का व्यवहारिक अनुभव पहली बार हुआ। जिसे याद किया, उसे भी न केवल हमारी याद आई बल्कि पहल भी उसी की ओर से हुई। हमने उन्हें कला प्रदर्शनी, उसमें सजा कर रखी गई कृतियों में भरी अटूट संपदा और उनसे छन-छन कर आते अनुभव मिश्रित कथानकों को विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि यह तो पारखी की नजर का कमाल होता है जो प्रकृति को देवता समझकर आराध्य मानता है वरना ज्यादातर लोग तो उसे मात्र उपयोग की वस्तु मानकर मजा लेने में जुट जाते हैं। हमने उनके साथ अतीत की गहराइयों में जाकर मोती ढूंढने की कोशिश की। स्वर्ण-कला को नये प्रयोगों के आधार पर सजाने-संवारने में लगे बनारस घराने के परिवार में जन्मे रामकुमार जी ने छतरपुर रियासत में संरक्षित परम्परागत कला को भी आधुनिकता की पालिश से चमकाने जी-तोड प्रयास किया।
बुंदेली उत्सवों की श्रृंखला से लेकर अनेक कला प्रदर्शनियों में अपनी तूलिका का लोहा मनवाया। कला को कल्पना और अनुभव के समुच्चय के रूप में देखने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ देश, काल और परिस्थितियां भी नये मोड लेती रहती हैं। आवश्यकता होती है मांग के अनुरूप संवाद की शैली को निर्धारित करने की। जीवन के विभिन्न आयाम आकर्षण का केन्द्र होते हैं जिनका का सिलसिला अनन्त तक पहुंचता है। इन्हीं आकर्षणों को कल्पना के साथ जोड कर समसामयिक बनाना और फिर उसे तूलिका की भाषा में कुशलता से पिरोना ही कला साधक की दक्षता को प्रदर्शित करती है।
वे कला की बारीकियों को बखान कर रहे थे और हमारी अन्तर्दृष्टि उनकी लोकप्रिय कृतियों का अवलोकन करने लगी, जिसमें महाराज छत्रसाल की विभिन्न मुद्राओं, बुंदेली वैभव के स्मारक और प्रकृति के व्दारा लुटाये खजाने के नयनाभिराम चित्र शामिल थे। कला के विभिन्न पक्षों को पेंसिल, पेन, आयल पेन्ट्स, वाटर कलर्स के माध्यम से उजागर करना सहज नहीं होता। तूलिका के साथ राजकुमार जी ने मूर्ति कला को भी नये आयाम दिये। मृत्यु पूर्व मूर्तियों का निर्माण कराने वालों ने इस स्थापित कलाकार की साधना का भरपूर लाभ उठाया और ‘जिन्दाबाद’ से चार कदम आगे बढकर ‘अमर रहें’ के दरवाजे पर दस्तक दे दी।
मोबाइल के माध्यम से कानों में गूंज रहे शब्दों और अन्तर्मन में चल रहे दृश्य संवादों में अवरोध तब लगा जब मोबाइल में काल वेटिंग की आवाज आने लगी। काल हमारे आफिस से आया था, सो सुनना जरूरी था। अपनी मजबूरी बताकर संवाद को बीच में ही रोकने के लिए रामकुमार जी से क्षमा मांगी और वेटिंग में आ रही काल को अटेंड किया। कला प्रदर्शनी की समीक्षा के बारे में अपडेट मांगा जा रहा था।
आफीसियल काम को निपटाकर हम पुनः दीर्घा में रखे चित्रों में खो गये। इस दौरान बुंदेली धरा की सौंधी गंध में रची-बसी कृतियों ने हमारा साथ नही छोडा। वास्तव में कला साधना से होता है रचनात्मकता का विकास जिसे समाज को घनात्मक दिशा देना सम्भव होता है। प्रेरणा बनकर जीवन को संवारने में सक्षम होती है कला कृतियां। इस बार बस इतना ही। अगले हफ्ते एक नयी शक्सियत के साथ फिर मुलाकात होगी, तब तक के लिए खुदा हाफिज।

Monday, June 18, 2018

छत्तीसगढ़ में 12 घंटे के अंदर दो युवा पत्रकारों ने फंदे से लटक कर दी जान, मीडियाकर्मी स्तब्ध

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छत्तीसगढ़ में 12 घंटे के अंदर दो युवा पत्रकारों ने फंदे से लटक कर दी जान, मीडियाकर्मी स्तब्ध
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छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता मुश्किल दौर से गुजर रही है। मीडियाकर्मी तनावों और दबावों के कारण परेशान हैं। इसकी परिणति सुसाइड के रूप में हो रही है। बारह घंटे के भीतर दो पत्रकारों के सुसाइड से राज्य समेत देश भर के मीडियाकर्मी स्तब्ध हैं। अंबिकापुर में हिंदी न्यूज चैनल के पत्रकार शैलेन्द्र विश्वकर्मा और बस्तर में राजस्थान पत्रिका समूह के अखबार पत्रिका में पदस्थ महिला पत्रकार रेणु अवस्थी ने खुदकुशी कर ली।
दोनों युवा पत्रकार बेहद प्रतिभावान और होनहार थे। दो अलग-अलग जगहों से आयी पत्रकारों की खुदकुशी की खबर ने पूरे प्रदेश की मीडिया को बैचेन कर दिया है। शैलेंद्र ने सुबह के वक्त फांसी पर झूलकर आत्महत्या कर ली, तो रेणु ने दोपहर बाद करीब 2 बजे खुदकुशी कर ली।
इन दोनों खुदकुशी क्यों की, इसका पता नहीं चला है। शैलेंद्र सुसाइड के ठीक पहले तक सोशल मीडिया पर सक्रिय थे। उन्होंने जो कुछ पोस्ट किया, वो कुछ बैचेनी की तरफ इशारा कर रहे थे। रेणु अवस्थी की सुसाइड का राज भी सामने नहीं आ सका है। रेणु ने सुसाइड से पहले रायपुर स्थित पत्रिका समूह के स्टेट हेडक्वार्टर में फोन किया था। उसी फोन के आधार पर रायपुर मुख्यालय से जगदलपुर कॉल किया गया।
जब तक जगदलपुर आफिस से रेणु के घर तक दफ्तर के लोग पहुंच पाते, तब तक रेणु ने खुदकुशी कर ली थी। अब दफ्तर में रेणु ने क्या कहा था, और वो क्यों परेशान थी, इसकी गुत्थी नहीं खुल पायी है। रेणु ने अपनी चुनरी से पंखे से लटककर खुदकुशी कर ली। रेणु अपनी एक दोस्त के साथ बस्तर में किराये के मकान में रहती थी। पिछले कुछ दिनों से उसकी दोस्त रायपुर आयी हुई थी और वो घर पर अकेली थी।
Karamjeet Kaur फेसबुक पर रेणु के लिए लिखती हैं- ”मुझे यकीन नही हो रहा है रेणु कि तुम जैसी बहादुर और हौसलों से लबरेज पत्रकार आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाएगी। अभी तो तुम्हें आसमां की बुलंदियों को छूना था। अपना दर्द बयां करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। आज मैंने एक प्यारी बेटी को खो दिया है। ईश्वर तुम्हारी आत्मा को शांति दे। I miss you renu.”
सुदर्शन न्यूज़ चैनल के छत्तीसगढ़ ब्यूरो प्रमुख योगेश मिश्रा लिखते हैं- ”छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में पत्रकारों पर नक्सलियों और पुलिस दोनों तरफ से दबाव बनाया जाता है जिससे पत्रकारिता करने की चुनौतियां कई सालों से तीखी हुई है. छत्तीसगढ़ में इन्हीं तनावों के कारण पत्रकार आत्महत्या तक करते रहे हैं. कुछ साल पहले मुंगेली जिले में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार वैभव केशरवानी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. वैभव के जाने से पत्रकारिता जगत शोक में डूब गया था.
अब अंबिकापुर जिले में TV न्यूज़ रिपोर्टर शैलेंद्र विश्वकर्मा की फांसी से झूलती लाश मिली. छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता जगत ने फिर एक प्रतिभाशाली पत्रकार खो दिया. अंबिकापुर में एक निजी चैनल में जिला संवाददाता के तौर पर कार्य कर रहे शैलेंद्र विश्वकर्मा की मौत की खबर पत्रकारिता जगत में जिस किसी भी को मिली हर कोई स्तब्ध रह गया. शैलेंद्र विश्वकर्मा एक सक्रिय पत्रकार के तौर पर सरगुजा संभाग में जाने जाते थे.
प्रिंट मीडिया समेत कई इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय तौर पर काम करने वाले शैलेंद्र फिलहाल रायपुर से प्रसारित एक निजी न्यूज़ चैनल में बतौर जिला संवाददाता काम कर रहे थे. हाल ही में हुए विकास यात्रा में भी शैलेंद्र ने बेहतरीन रिपोर्टिंग की थी. वह समय समय पर देश के राजनीतिक परिदृश्य पर भी अपने विचार सोशल मीडिया में लिखा करते थे. आखिरी रात भी शैलेंद्र ने सोशल मीडिया पर करीब 8:45 बजे शाम को एक पोस्ट लिखा था. ऐसे में अलसुबह उनकी लाश फांसी पर झूलते मिलने से उनके जान-पहचान वाले लोग और पत्रकारिता जगत से जुड़े लोग गम में डूब गए.”

Saturday, June 16, 2018

थानेदार ने पत्रकार की बेरहमी से की पिटाई, अंडरवियर में पकड़ कर ले गया थाने, शिवराज शासनकाल में पत्रकारों की हुई दुर्दशा

भाजपा के शिवराज शासनकाल में पत्रकारों की हुई दुर्दशा

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  • भाजपा के शिवराज शासनकाल में पत्रकारों की हुई दुर्दशा
  • मुगालते में रहते है पत्रकार, प्रशासन को है अत्याचार की खुली छूट
  • श्योपुर- थानेदार ने पत्रकार की बेरहमी से की पिटाई, अंडरवियर में पकड़ कर ले गया थाने
  • जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया पत्रकार संगठन ने इस घटना की घोर निंदा की है
श्योपुर। जिले के वीरपुर थाने में पदस्थ थाना प्रभारी रोहित गुप्ता ने पत्रकार की बेरहमी से पिटाई कर उन्हें अंडरवियर में पकड़ कर थाने ले आये।और अपने पुलिस कर्मियों से भी पिटवाया। पत्रकार पवन चतुर्वेदी ने थानेदार के विरुद्ध कुछ समाचार प्रकाशित किये थे जिससे थानेदार नाराज थे और उन्होंने आज पत्रकार चतुर्वेदी को पकड़ कर लहू लुहान कर दिया।
 
अभी भी थाने में कई भा ज पा नेता वरिष्ठ नेता बाबूलाल मेवरा के नेतृत्व में थाने पर मौजूद हैं। उधर इस घटना को लेकर पत्रकारों में आक्रोश । पत्रकारों ने बेकसूर पत्रकार पवन चतुर्वेदी को गिरफ्तार करने की कड़े शब्दों में निंदा की है साथ ही थानेदार को तत्काल निलंबित करने की मांग की है।
 
बीरपुर बाजार बंद कर दिया है जनता के द्वारा कर थानेदार को निलंबित करने की मांग की जा रही है। बीरपुर थाने में कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत व भाजपा के पूर्व विधायक बाबूलाल मेवरा के साथ में बीरपुर की जनता बैठी घरने पर ।

Sunday, June 3, 2018

''ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन'' ( आइसना ) का समूह 21 से 25 सितम्बर 2018 को माउन्टआबू सम्मलेन में जायेगा

भोपाल।  मध्य प्रदेश से पत्रकार संगठन ''ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन'' ( आइसना ) के करीब 50 सदस्यों का दल माउन्टआबू में 21 से 25 सितम्बर 2018 पांच दिवसीय में सम्मलेन शामिल होने जायेगा, संगठन के सदस्य गण जो सम्मेलन में भाग लेना चाहते है वह अपनी जानकारी whats app no 9893221036 ( विनय जी. डेविड ) एवं ''ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर एसोसिएशन'' ( आइसना ) के मध्यप्रदेश के प्रांतीय अध्यक्ष विनोद मिश्रा 9827334608 पर 08 जून 2018 तक दे दे, ताकि माउन्टआबू सम्मलेन के दौरान रुकने ठहरने की बेहतर व्यवस्था की जा सके.   

*विनय जी डेविड* 9893221036 
सम्मलेन संयोजक, मध्य प्रदेश

Monday, May 28, 2018

पेट्रोल अब क्यों महंगा हो रहा है जबकि कच्चा तेल सस्ता होने लगा है

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Ravish Kumar
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Ravish Kumar
अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने लगी है। पिछले पांच दिनों में 5 डॉलर प्रति बैरल घटा है मगर भारत में आज 15 वें दिन भी पेट्रोल और डीज़ल महंगा हुआ है। दिल्ली में पेट्रोल 78.27 रुपये प्रति लीटर है और मुंबई 86.08 रुपये प्रति लीटर है। भारत के सरकारी अर्थशास्त्री ही इसके बारे में ज़्यादा बता सकते हैं।
एयरइंडिया की ख़रीदारी के लिए दिलचस्पी दिखाने वाले ख़रीदार नहीं मिल रहे हैं। अपनी रुचि ज़ाहिर करने के चार दिन रह गए हैं मगर अभी तक कोई बाहरी ख़रीदार नहीं आया है। भारत सरकार ने इसके लिए एक अर्नेस्ट एंड यंग नाम की संस्था की सेवा ली है। इस संस्था ने कई विमान कंपनियों के सामने प्रस्ताव रखा है, समझाया है मगर अभी तक कोई सामने नहीं आया है। मुमिकन है सरकार इसकी तारीख आगे बढ़ा दे। बिजनेस स्टैंडर्ड की ख़बर है।
तूतिकोरिन में जिस वेदांता कंपनी पर ताम्रवर्णी नदी के पानी और हवा को प्रदूषित करने का आरोप है, उसी को गंगा की सफाई का काम दिया गया है। नितिन गडकरी ने कहा है कि 2019 तक 70 फीसदी गंगा का पानी साफ हो जाएगा। अभी तक तो कुछ हुआ नहीं, सात आठ महीना और देख लेते हैं। वाराणसी में गंगा को करीब से जानने वाले लोग जिनमें महंत भी शामिल हैं, बता रहे हैं कि गंगा का हाल और बुरा ही हुआ है।
2014-16 के दौरान बांग्लादेश का सकल घरेलु उत्पाद( डॉलर की मौजूदा कीमतों पर) 12.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। इसे compound annual rate (CAGR) कहते हैं। भारत में इसी दौरान यह 5.6 प्रतिशत रहा है। बांग्लादेश ने भारत से दोगुनी तरक्की की है। इसी दौरान पाकिस्तान की जीडीपी 8.6 प्रतिशत रही है। निवेश और निर्यात के कारण यह वृद्धि हुई है। चीन की अर्थव्यवस्था 5.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। बिजनेस स्टैंडर्ड में कृष्ण कांत की रिपोर्ट में ये सारी बातें हैं।
भारत में प्रति व्यक्ति आय के बढ़ने की दर देखें तो बांग्लादेश में प्रति व्यक्ति आय तीन गुनी रफ्तार से बढ़ रही है। भारत में इन तीन वर्षों में प्रति व्यक्ति आय 12 प्रतिशत की दर से बढ़ी है तो बांग्लादेश में 40 प्रतिशत और पाकिस्तान में 21 प्रतिशत की दर से। अगर यही हाल रहा तो 2020 में बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय भारत से ज़्यादा हो जाएगी।
भारत की अर्थव्यवस्था 1970 से 2010 के बीच दक्षिण एशिया में सबसे आगे रही है। 2014-16 के दौरान भारत का नियार्त 3.9 प्रतिशत की दर से संकुचित रहा है जबकि इसी दौरान बांग्लादेश का निर्यात 7 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। इसी दौरान भारत में निवेश ठहर सा गया जबकि बांग्लादेश में 14.5 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।
दुनिया भर में 2022, 2030, 2050 तक हो जाने के लक्ष्य रखे जाते हैं। एक मूल्यांकन साल के आधार पर टाले गए इन लक्ष्यों का भी होना चाहिए कि कितने पूरे हुए और कितने वहीं के वहीं रह गए और साल आकर चला भी गया। भारत में भी एक ऐसा टालू और चालू लक्ष्य 2022 का घूम रहा है। ख़ैर कभी कभी अपने पड़ोस में भी झांक लेना चाहिए।

Sunday, May 27, 2018

सहज संवाद / प्रमाणित सामग्री हेतु आज भी प्रासांगिक हैं संदर्भ-ग्रंथ और शोध-पत्रिकायें

Dr. Ravindra Arjariya Accredited Journalist TOC NEWS
सहज संवाद  /  प्रमाणित सामग्री हेतु आज भी प्रासांगिक हैं संदर्भ-ग्रंथ और शोध-पत्रिकायें
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सहज संवाद  / डा. रवीन्द्र अरजरिया 
आधुनिक युग में पुस्तकोंसंदर्भ-ग्रंथों और शोध-पत्रिकाओं का नितांत अभाव होता जा रहा है। विकल्प के रूप में नेट का प्रचलन निरंतर तेज होता जा रहा है। ऐसे में संकलित सामग्री की प्रमाणिकता पर अनेक प्रश्नचिन्ह अंकित होन लगे है। अपुष्ट सूत्रों से जुटाई गई सामग्री को भी अनियंत्रित नेट पर डालकरविद्वता का तमगा लगाने वालों की कमी नहीं है। हमें अपने चैनल में विशेष प्रसारण हेतु प्रमाणित संदर्भों की आवश्यकता थी।
संस्था के संबंधित विभाग ने जिन संदर्भों के आधार पर प्रोजेक्ट तैयार किया थाउसकी प्रमाणिकता मांगने पर उन्होंने नेट की अनेक अनजानी लिंक प्रस्तुत की गई। उन लिंक में भी प्रकाशित किये गये आलेखों का कोई प्रमाणित संदर्भ नहीं था। ऐसी परिस्थिति में समाधान हेतु हमारे जेहन में प्रो. आनन्द प्रकाश सक्सेना का चेहरा उभर आया। प्रोफेसर सक्सेना लम्बे समय से जरनल आफ इनवायरमेंट एण्ड सोसल साइंस रिसर्च का सम्पादन कर रहे है। तत्काल उन्हें फोन लगाकर मिलने की इच्छा व्यक्त की। यूं तो वह हमारे सहपाठी अम्ब्रीश कुमार सक्सेना के बडे भाई है परन्तु आज हमने उन्हें नेट से संकलित सामग्री की प्रमाणिकता हेतु आमंत्रित किया था।
क्यों कि वे विभागाध्यक्ष (वनस्पति विज्ञान) के पद से सेवानिवृत होने का बाद से निरंतर शोधकार्योंअनुसंधानों और नवागन्तुक वैज्ञानिकों को मार्गदर्शन देने में व्यस्त रहते हैं। निर्धारित समय पर हम आमने सामने थे। नेट से संकलित सामग्री का अवलोकन करने के बाद उन्होंने अनेक विरोधाभाषी तथ्यों को रेखांकित किया। गहराई से अध्ययन के उपरांत उन्होंने प्रोजेक्ट रिपोर्ट से लेकर स्क्रिप्ट तक को विभिन्न शोधोंवर्तमान उपलब्धियों और व्यवहारिक मान्यताओं की नींव पर खडा कर दिया। हमने नेट के इस दौर में प्रमाणिकता की स्थिति पर उनकी राय जाननी चाही। तनिक गम्भीर होकर उन्होंने कहा कि 80 के दशक के बाद वास्तविक शोध करने और कराने वालों की खासी कमी होती गई।
आज भारतीय वैज्ञानिक भाभा के बाद आम आवाम की जुबान पर कोई अन्य भारतीय वैज्ञानिक स्थान नहीं बना पाया। इस गिरावट के पीछे कट-पेस्ट और जल्दबाजी की अघोषित परम्पराएक महात्वपूर्ण कारक हैजिससे निजात पाये बिना वास्तविकता के नजदीक पहुंच पाना बेहद कठिन है। नेट के अकूत भण्डार को विशेषज्ञों के नियंत्रण के बिना परोसनान केवल इतिहास के साथ खिलवाड करना है बल्कि आने वाली पीढी को भी भ्रमित करना है। शोध पत्रिकाओं से लेकर संदर्भ ग्रंथों तक के प्रकाशनों पर नेट के तिलिस्म ने कुठाराघात करना शुरू कर दिया है। अस्तित्व के लिए संघर्षरत सार्थकप्रमाणित और शोधपरक प्रकाशनो का शासकीय संरक्षण भी समाप्त हो गया है। संस्थाओं के स्वयं के प्रयासों से ही इस तरह के प्रकाशनों को मूर्त रूप दिया जा रहा है।
वास्तविकता तो यह कि प्रमाणित सामग्री हेतु आज भी प्रासंगिक है संदर्भ-ग्रंथ और शोध-पत्रिकायें। आर्थिक अभाव से लेकर वितरण तक की रेखांकित की जाने वाली स्थितियों पर हमने प्रोफेसर सक्सेना की समीक्षा को विस्तार में जाने से रोकते हुएउन्हीं से समाधान देने का निवेदन किया। उन्होंने हल्की मुस्कान समेटते हुए कहा कि शासकीय बजट में प्रचार-प्रसार के नाम पर दिये जानी वाली धनराशि में से एक भाग यदि शोधों के प्रकाशन से लेकर स्थलीय अनुसंधानों के लिए आरक्षित कर दिया जाये तो आने वाले समय में न केवल इसका विकास होगा बल्कि नई संभावनायें भी सामने आयेंगी और देश का नाम विश्व भाल पर होगा।
बातचीत का दौर चल ही रहा था कि नौकर ने स्वल्पाहार की प्लेटें से सजी ट्राली लेकर कमरे में प्रवेश किया। इस व्यवधान ने विस्त्रित विषय पर हो रही समीक्षा पर अल्प विराम लगाया। फिर कभी इस विषय पर लम्बी चर्चा के आश्वासन के साथ हमने स्वल्पाहार ग्रहण किया और इस अध्याय के पटाक्षेप की अनुमति ली। इस बार इतना ही। अगले हफ्ते एक नये मुद्दे के साथ फिर मिलेंगे। खुदा हाफिज।

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जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

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ANI NEWS INDIA

‘‘ANI NEWS INDIA’’ सर्वश्रेष्ठ, निर्भीक, निष्पक्ष व खोजपूर्ण ‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया ऑनलाइन नेटवर्क’’ हेतु को स्थानीय स्तर पर कर्मठ, ईमानदार एवं जुझारू कर्मचारियों की सम्पूर्ण मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले एवं तहसीलों में जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / पंचायत स्तर पर क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों / संवाददाताओं की आवश्यकता है।

कार्य क्षेत्र :- जो अपने कार्य क्षेत्र में समाचार / विज्ञापन सम्बन्धी नेटवर्क का संचालन कर सके । आवेदक के आवासीय क्षेत्र के समीपस्थ स्थानीय नियुक्ति।
आवेदन आमन्त्रित :- सम्पूर्ण विवरण बायोडाटा, योग्यता प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार के स्मार्ट नवीनतम 2 फोटोग्राफ सहित अधिकतम अन्तिम तिथि 30 मई 2019 शाम 5 बजे तक स्वंय / डाक / कोरियर द्वारा आवेदन करें।
नियुक्ति :- सामान्य कार्य परीक्षण, सीधे प्रवेश ( प्रथम आये प्रथम पाये )

पारिश्रमिक :- पारिश्रमिक क्षेत्रिय स्तरीय योग्यतानुसार। ( पांच अंकों मे + )

कार्य :- उम्मीदवार को समाचार तैयार करना आना चाहिए प्रतिदिन न्यूज़ कवरेज अनिवार्य / विज्ञापन (व्यापार) मे रूचि होना अनिवार्य है.
आवश्यक सामग्री :- संसथान तय नियमों के अनुसार आवश्यक सामग्री देगा, परिचय पत्र, पीआरओ लेटर, व्यूज हेतु माइक एवं माइक आईडी दी जाएगी।
प्रशिक्षण :- चयनित उम्मीदवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण भोपाल स्थानीय कार्यालय मे दिया जायेगा, प्रशिक्षण के उपरांत ही तय कार्यक्षेत्र की जबाबदारी दी जावेगी।
पता :- ‘‘ANI NEWS INDIA’’
‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया नेटवर्क’’
23/टी-7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, प्रेस काम्पलेक्स,
नीयर दैनिक भास्कर प्रेस, जोन-1, एम. पी. नगर, भोपाल (म.प्र.)
मोबाइल : 098932 21036


क्र. पद का नाम योग्यता
1. जिला ब्यूरो प्रमुख स्नातक
2. तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / हायर सेकेंडरी (12 वीं )
3. क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
4. क्राइम रिपोर्टरों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
5. ग्रामीण संवाददाता हाई स्कूल (10 वीं )

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''टाइम्स ऑफ क्राइम''

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23/टी -7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, जोन-1,

प्रेस कॉम्पलेक्स, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) 462011

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98932 21036, 8989655519

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