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Monday, June 3, 2019

भाजपा सांसद और विधायक में ठनी : विधायक ने कहा सांसद जी आपकी धमकिया बर्दास्त के काबिल नहीं



- नारायण त्रिपाठी के लिए इमेज परिणाम
मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी
       
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सांसद जी आपकी धमकिया बर्दास्त के काबिल नहीं - नारायण त्रिपाठी
मैहर. विंध्य की धरा के धड़कन मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने सतना सांसद द्वारा नागौद में दिए सियासी बयानबाजी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए बयानबीर के बयान की घोर निंदा की है। नारायण त्रिपाठी ने कहा कि हुई अप्रत्यासित जीत से सांसद सतना गणेश सिंह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे है और वे यह भूल चुके है कि मिली जीत उनकी लोकप्रियता नहीं है अपितु यह जीत देश के यशश्वी प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी और कुशल रणनीतिकार अमित शाह जी की है और यह जीत केवल सतना में नहीं हुई बल्कि पुरे देश में हुई है इसके लिए मैं देश के सम्माननीय प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह जी का आभार प्रकट करता हु साथ ही सतना जिला सहित पुरे देश की जनता का आभार प्रकट करता हु जिन्होंने राष्ट्रहित को सवोपरि मानते हुए भारतीय जनतापार्टी पर अपना विश्वास जताया।
नारायण त्रिपाठी ने कहा कि जीत के जश्न में डूबे सांसद जी ने नागौद में जिस तरह का उद्बोधन दिया वह अत्यंत निंदनीय है जिसकी जितनी भर्त्सना की जाय कम होगी साथ ही वे जिस तरह से अपने प्यादों से बयान बाजी करा रहे है वह बर्दास्त करने योग्य नहीं है।उन्होंने कहा कि अहंकार में डूबे सांसद जी यह जान ले कि अगर विधायको ने उनका विरोध किया होता तो वे आज इस तरह की बयान बाजी के लिए बचे ही न होते,उन्होंने कहा कि मेरे गृह ग्राम में चार पोलिंग आती है और चारो में सांसद जी ने जीत दर्ज की तो कैसे और गाते फिर रहे है कि विधायको ने मेरा विरोध किया। आरोप लगाने के पहले सांसद जी पहले अपने गिरेवान में झांकिए पूर्व में हुए विधानसभा चुनाव में रामपुर बाघेलान जहाँ आपका गृह ग्राम है खमरिया वहा आपने क्या भाजपा प्रत्यासी को जीत दिलाई आपके गृह ग्राम की पोलिंग भाजपा प्रत्यासी विक्रम सिंह विक्की हारे है तो आपके खिलाफ कार्यवाही हुई क्या? मतलब आप करो तो रासलीला दूसरे करे तो अपराध यह नहीं चलेगा। पूर्व में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान आपने सात में से छः विधानसभा में मौजूद भाजपा प्रत्यासियो का पूरी कूबत के साथ विरोध किया तब आपके लिए पार्टी और उसके सिद्धांत कहाँ थे आपकी पार्टी के प्रति निष्ठां उस समय कहा सो गयी थी जो आज जाग गयी सांसद जी अपने आप पर बीती तो बौखला गए यह ठीक नहीं धैर्य रखिये।
मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने कहा कि इनकी सभा के दौरान मेरे छोटे भाई को अटैक आया और उनकी असामयिक मृत्यु हो गयी इस दौरान सांसद जी ने एक बार भी फोन तक में मेरे से बातचीत नहीं की और ना ही मिलने आये। एक तारीख को जिस दिन मेरे भाई की तेरहवी का कार्यक्रम था उस दिन आये और बोले कि दो चार गाड़िया ले लीजिये और क्षेत्र का दौड़ा कर लीजिये, दो तारीख तक मैं अपने घर में था तीन और चार तारीख को मैं इनके समर्थन में प्रचार करने निकला लेकिन इनके कर्मो की बदौलत मुझे वहा भी विरोध झेलना पड़ा। नारायण त्रिपाठी ने कहा कि 2014 में मैं अपनी बलि देकर चुनाव जिताया अगर मैं इनके लिए अपनी राजनैतिक बलि न देता तो कम से कम ये एक लाख वोट से चुनाव अजय सिंह राहुल से हारते और ये भविष्य में राजनीति करने लायक न बचते। और अगर ये न बचते तो  इनके घर खानदान में इनकी बहु जिला पंचायत अध्यक्ष न बनती।
उन्होंने कहा कि 2009 और 2014 में आप कितने लोकप्रिय थे आपके जीत के आंकड़े यह बयान करते है उसमे कुछ टीका टिपण्णी करने की आवश्यकता नहीं है उन्होंने कहा कि 2014 में तीन दिन के अंदर राजनैतिक फिजा बदलकर आपको चुनाव जितवाया इसलिए अपनी हद में रहिये। नारायण त्रिपाठी ने कहा की मैहर की जनता जनार्दन के आशीर्वाद से उनकी सेवा भाव से राजनीति करता हु मैं अपना कोई धंधा व्यपार करने के लिए राजनीति नहीं करता और अगर आपसे राजनीति का हिसाब माँगा जाएगा तो बोलती बंद हो जायेगी 2 एकड़ के कास्तकार आज इतने बड़े रईसजादे बने बैठे हो तमाम सीमेंट उद्दोगों में धंधा व्यपार चला कर बैठे हो
और दुसरो को धमका रहे हो इसलिए सांसद जी होश में रहिये अगर मैं न होता तो 2014 में ही आपकी गिल्लियां उड़ गयी होती और वह दिन आप भूल गए जब 2014 में मिली जीत के बाद आप और आपका छोटा भाई तमाम मंचो से यह कहना नहीं भूलते थे कि यह जीत हमें नारायण भैया के चरणों की कृपा से मिली है लेकिन आज ऐसा क्या हो गया कि आपकी भाषा बदल गयी। श्री त्रिपाठी ने कहा कि 2014 में माननीय शिवराज सिंह चौहान, अरविन्द मेनन, आशुतोष तिवारी जी की जिद के कारण मैं पार्टी में आया था तब आप महज लगभग 8000 वोट से जीते थे और इसके पहले लगभग 3000 वोट से चुनाव जीते थे इसलिए अपनी लोकप्रियता पर ज्यादा उछाल न मारिये और अपनी भाषा में लगाम लगाइये।
मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने कहा कि आज आप जीत के बाद लोगो पर जातिवाद का आरोप लगाते है जबकि इस चुनाव में हर वर्ग जाती सम्प्रदाय के लोगो ने मोदी जी नाम पर वोट दिया वैसे यह सब बोलना आपकी फितरत में है आप तो खुले मंचो से कई बार बोल चुके हो कि मैं सांसद बाद में हु पहले मैं पटेल हु
तब आपके विरुद्ध कार्यवाही नहीं हुई और रही बात मेरी तो सांसद जी मैं डंके की चोट पर खुले मंचो से हमेशा बोलता हु कि राजनीति में मेरी कोई जाती नहीं मैंने कभी जातपात की राजनीती की ही नहीं मुझे किसने वोट दिया किसने वोट नहीं दिया मेरे पास जो भी आता है मैं खुले दिल से उसकी हर संभव मदद करता हु। मैं उससे यह कभी नहीं पूछता की तुम किस जाती से हो या तुमने मुझे वोट दिया है या नहीं। इसलिए पहले अपने दामन में झांकिए उसे पाकसाफ बनाइये फिर लोगो पर उंगलिया उठाइये साथ ही उन्होंने दी जा रही धमकियों को लेकर सांसद सतना को चेताया कि ऐसी धमकिया न दीजिये कि आपके सामने आ जाएगा तो आप बेइज्जत कर डोगे अगर आप किसी को बेइज्जत करोगे तो आप भी बेइज्जत हो जाओगे।इसलिए होश में आइये यह जीत आपकी नहीं है यह जीत भारतीय जनता पार्टी की जीत है और यह पार्टी आपकी उपजी हुई पार्टी नहीं है आप इस पार्टी के ठेकेदार नहीं हो। उन्होंने कहा कि आपकी बयानबाजी को लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से बात की जायेगी क्योकि यह बयानबाजी बर्दास्त के काबिल नहीं है।
नारायण त्रिपाठी ने कहा कि इस तरह की बयानबाजी आपकी फितरत में है यह बात जिले का हर राजनेता जानता है आप कभी प्रदेश अध्यक्ष बनने लगते हो, कभी मुख्यमंत्री बनने लगते हो,कभी केंद्र में मिनिस्टर बनने लगते हो,कभी बड़े रणनीतिकार बनने लगते हो लेकिन सांसद जी एक बात याद रखो जो वोट आपको मिले है न वह आपकी लोकप्रियता के बदौलत नहीं मिले ये वोट माननीय मोदी जी और अमित शाह जी के त्याग और तपस्या के बदौलत मिले है और आपकी जगह अगर सतना से कोई अन्य प्रत्यासी होता तो कम से कम 5 लाख वोट से चुनाव जीतता। इसलिए धमकाने का कुंठित प्रयास हरगिज मत करिये यह बर्दास्त नहीं किया जाएगा।...

भाजपा के 'जय श्री राम' पर भड़कीं ममता, फेसबुक पर लंबी चौड़ी पोस्ट लिख निकाली भड़ास

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mamta banerjee
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर जय श्री राम का इस्तेमाल पार्टी के नारे के तौर पर करने का आरोप लगाया है। ममता ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि भाजपा के कुछ समर्थक, मीडिया के एक धड़े का इस्तेमाल करके नफरत वाली विचारधारा को फैलाने की कोशिश में लगे हैं। ये कथित भाजपाई, मीडिया, फेक वीडियो और गलत खबरों के आधार पर भ्रम फैलाने और सच्चाई को दबाने की कोशिश में लगे हैं।
ममता ने आगे कहा कि मुझे किसी राजनीतिक नारे से कोई दिक्कत नहीं है। सभी राजनीतिक पार्टियों का अपना एक नारा होता है। जैसे मेरी पार्टी का नारा जय हिंद, वंदे मातरम है। लेफ्ट पार्टियों का इंकलाब जिंदाबाद और अन्य पार्टियों के दूसरे हैं। हम एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। जय श्री राम, जय राम जी की, राम नाम सत्य है, इनकी धार्मिक और सामाजिक मान्यताएं हैं। हम इन भावनाओं का सम्मान करते हैं।
भाजपा धर्म और राजनीति को मिलाकर इन धार्मिक नारों का इस्तेमाल गलत तरीके से पार्टी के लिए कर रही है। हम आरएसएस के नाम पर इन राजनीतिक नारों का जबरदस्ती सम्मान नहीं कर सकते। संघ को बंगाल ने कभी स्वीकार नहीं किया।
यह घृणा की विचारधारा को तोड़-फोड़ और हिंसा के द्वारा फैलाने की कोशिश है। इसका हमें मिलकर विरोध करना चाहिए। कोई कुछ लोगों को कुछ समय के लिए मूर्ख बना सकता है, लेकिन सभी लोगों को हमेशा के लिए मूर्ख नहीं बनाया जा सकता।

Sunday, June 2, 2019

नागदा पहुंचे केबिनेट मंत्री थावरचंद गेहलोत का भाजपा कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया, मंत्री के बेटे नाराज हुए नही मिला मंच पर स्थान और सम्मान

नागदा पहुंचे केबिनेट मंत्री थावरचंद गेहलोत का भाजपा कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया, मंत्री के बेटे नाराज हुए नही मिली मंच स्थान और सम्मान



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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567
नागदा में भाजपा कार्यकर्ताओं और आम जनता ने किया स्वागत । मंत्री और सांसद का । एक सवाल यह भी उठा - जनता के बिच मंच पर सभी विधायकों को जगह मिली । लेकिन श्री गेहलोत केबिनेट मन्त्री के बेटे व पूर्व विधायक को मंच पर स्थान नही मिला ना ही सम्मान। 
आज नागदा एक बार फिर केबिनेट मंत्री बनकर आये श्री थावरचंद गेहलोत साथ ही सांसद श्री अनील फिरोजिया पहुचे । भाजपा कार्यकर्ताओं एव व्यापारियों व शहर की आम जनता ने किया । स्वागत बेंड बाजे ढोल फ़टाखो से कीया गया। लड्डू से तौल कर मंत्री ओर सांसद को किया खुश और बधाई दी। नागदा रेलवे स्टेशन से प्रमुख मार्गों से थाना चौराहे पर मंच बनाकर सभा की गई । पिता के स्वागत से दिखे बेटे नाराज आम जनता के बीच चर्चा का विषय । 
भाजपा के पदाधिकारियों ओर कार्यकर्ताओं ने कीया मंत्री श्री गेहलोत के बेटे व पूर्व विधायक को नजर अंदाज । मंच पर जगह नही दी गई मंत्री के बेटे व पूर्व विधायक को नागदा में । मंत्री और सांसद का हुआ स्वागत । मंत्री और सांसद की अगुवाई में एस डी एम , सी एस पी,  तहसीलदार, अलर्ट रहे । पुलिस विभाग द्वारा कीया पुख्ता इंतजाम ।

नीतीश सरकार का कैबिनेट विस्तार, भाजपा से कोई मंत्री नहीं, देखें पूरी लिस्ट

नीतीश सरकार का कैबिनेट विस्तार, भाजपा से कोई मंत्री नहीं, देखें पूरी लिस्ट


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पटना : बिहार में नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के 8 नए मंत्रियों को राजभवन में राज्यपाल लालजी टंडन ने शपथ दिलाई। जययू से श्याम रजक, बीमा भारती, संजय झा और नरेंद्र सिंह ने मंत्री पद की शपथ ली है.  मंत्रिमंडल विस्तार के तहत जदयू कोटे से आठ विधायक, विधान पार्षदों को मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है। 
जदयू ने केवल अपने कोटे से ही मंत्रिमंडल में मंत्रियों को शामिल किया है. इसमें जदयू के सहयोगी दल भाजपा को शामिल नहीं किया गया है. भाजपा के कोटे का एक पद खाली पड़ा है, लेकिन उसके बाद भी उसके एक भी मंत्री को शामिल नहीं किया गया.
इन मंत्रियों ने ली शपथ:
  • 1. जदयू के संजय झा ने ली मंत्री पद की शपथ
  • 2. जदयू के रामसेवक सिंह ने मंत्री पद की शपथ ली
  • 3. जदयू के श्याम रजक ने मंत्री पद की शपथ ली
  • 4. जदयू की बीमा भारती ने ली मंत्री पद की शपथ
  • 5. जदयू के डॉ. अशोक चौधरी ने मंत्री पद की ली शपथ
  • 6. जदयू के नरेंद्र नारायण यादव ने मंत्री पद की शपथ ली
  • 7. जदयू के लक्ष्मेश्वर राय ने मंत्री पद की शपथ ली
  • 8. जदयू के नीरज कुमार ने ली मंत्री पद की शपथ
नीतीश सरकार का कैबिनेट विस्तार, भाजपा से कोई मंत्री नहीं, देखें पूरी लिस्ट

वहीं दूसरी ओर बिहार के उप मुख्यमंत्री और बिहार भाजपा अध्यक्ष सुशील मोदी ने इस पर सफाई दी है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है, 'नीतीश कुमार ने भाजपा कोटे की खाली पड़ी मंत्री सीट को भरने को ऑफर दिया था. लेकिन भाजपा ने इसे भविष्य में भरने का फैसला किया है.'
बता दें, बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) के कई विधायकों के सांसद बन जाने के बाद रिक्त हुए मंत्री पद भरने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने मंत्रिमंडल का विस्तार किया है. अभी तक नीतीश मंत्रिमंडल में कुल 25 मंत्री थे, जबकि इनकी संख्या 36 तक हो सकती है. जहां 2017 में भाजपा के साथ सरकार बनाने के समय अनुपातिक आधार पर भाजपा (BJP) को 14 मंत्री बनाने का कोटा मिला था, जिसमें उनके 13 लोग फिलहाल मंत्री हैं. लेकिन उनके कोटे के सारे विभाग भाजपा मंत्रियों के पास ही हैं. बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी के पास वित के अलावा चार और विभाग हैं.
बता दें, नीतीश कुमार काफी लंबे समय बाद मंत्रिमंडल विस्तार करने जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार मंत्रिमंडल के तीन सदस्यों के लोकसभा चुनाव जीत जाने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार तय माना जा रहा था. लोकसभा चुनाव में नीतीश सरकार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से सफलता मिली है, जबकि आपदा व लघु सिंचाई मंत्री दिनेश चन्द्र यादव को मधेपुरा से और पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री पशुपति कुमार पारस को हाजीपुर से जीत हासिल हुई है. इससे पहले ही कथित सृजन घोटाले में नाम आने के कारण मंजू वर्मा को समाज कल्याण मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद से नीतीश मंत्रिमंडल में कोई भी महिला सदस्य नहीं है.

Friday, May 31, 2019

जिन प्रताप सिंह सारंगी के सादे जीवन के सभी क़ायल हो गए, वो भी विवादों से अछूते नहीं हैं

जिन प्रताप सिंह सारंगी के सादे जीवन के सभी क़ायल हो गए, वो भी विवादों से अछूते नहीं हैं


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30 मई, 2019 को राष्ट्रपति भवन में जब बालासोर, ओडिशा के सांसद प्रताप चंद्र सारंगी ने शपथ ली तो पूरा राष्ट्रपति भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.

सारंगी के सादे जीवन के लिए सोशल मीडिया पर उन्हें ओडिशा का मोदी कहा जाने लगा. उनके सादे जीवन पर हर तरफ़ (और हमने भी) लेख छपने लगे. सारी रिपोर्ट्स में उन्हें एक फ़कीर और झोपड़े में जीवन व्यतीत करने वाला बताया गया.
Source: Daily Hunt
इन्हीं रिपोर्ट्स में से BBC की रिपोर्ट्स पर भी नज़र पड़ी. BBC ने सारंगी के विवादित जीवन के बारे में लेख छापा था.
Huffington Post की रिपोर्ट के मुताबिक 1999 में सारंगी बजरंग दल के नेता थे. 1999 में ही भीड़ ने ऑस्ट्रेलिया के ईसाई मिशनरी Graham Staines और उनके दो बच्चों को मनोहरपुर-केओन्झर गांव में ज़िंदा जला दिया था. ईसाई समुदाय के लोगों ने बजरंग दल पर इस बेरहम हत्या का आरोप लगाया, पर जांच में बजरंग दल के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला.
Source: New Indian Express
लंबे अरसे तक चली जांच के बाद 2003 में दारा सिंह (जिसके बजरंग दल से संपर्क थे) और 12 अन्य लोगों को दोषी पाया गया. 2 साल बाद ओडिशा हाई कोर्ट ने दारा सिंह की मौत की सज़ा ख़ारिज कर दी. कोर्ट ने बाकी दोषियों को भी 'सबूत के अभाव' में छोड़ दिया.
BBC की रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा के पत्रकार संदीप साहू का कहना है कि सारंगी ईसाई मिशनरियों के इरादों से नाख़ुश रहते थे और उनका ये मानना था कि वे 'पूरे देश का धर्म परिवर्तन करना चाहते हैं'. 
Source: Khabar Odisha
Huffington Post की रिपोर्ट के अनुसार, 2002 में ओडिशा असेंबली में हुए हमलों के शक़ में सारंगी को 66 अन्य लोगों के साथ गिरफ़्तार किया गया था. सारंगी के एफ़िडेविट के अनुसार उनके ख़िलाफ़ 10 केस थे, पर उन्हें किसी में भी दोषी नहीं पाया गया.
Source: DNA
सारंगी को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और पशुपालन, डेयरी एवं मछली पालन विभाग का राज्य मंत्री बनाया गया है.

Thursday, May 30, 2019

मजदूर से मंत्री बने थावरचंद गेहलोत : नौकरी से हाथ धोया तो रास आई राजनीति, फिर बने मंत्री

Union Minister Thavarchand Gehlot
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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567
नागदा । औद्योगिक नगर नागदा जिला उज्जैन के थावरचंद गेहलोत को एक बार पुन: केंद्रीय मंत्रीमंडल में शामिल किया गया है। गेहलोत किसी समय वर्ष 1962-66 के अंतराल में ग्रेसिम उद्योग में मजदूर के पद पर कार्यरत्त थे। ग्रेसिम उद्योग में एक आंदोलन में भाग लेने पर उन्हे नौकरी से निकाल दिया गया था। बाद में तंगहाली में जीवन गुजारा। यहां तक कि सायकल का पंचर जोडक़र रोजी रोटी कमाई। बाद में राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। लगातार आगे कदम बढ़ाते गए।

गांव रुपेटा में रामलाल गेहलोत के यहां 18 मई 1948 को उनका जन्म हुआ। विक्रम विश्व विद्यालय उज्जैन से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। गेहलोत के राजनीतिक अतीत को देखा जाए तो वर्ष 1962 से 77 तक भारतीय जनसंघ में सक्रिय भागीदारी की। बिरलाग्राम क्षेत्र में बचपन से ही आरएसएस की शाखा में जाना शुरू किया। विधायक व सांसद के अलावा संगठन में कई महत्तपूर्ण पद पर रहे। वर्ष 1977 से 80 के बीच भारतीय जनता पार्टी उज्जैन के उपाध्यक्ष तथा महासचिव बने। भाजपा युवा मोर्चा में प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी वर्ष 1983 में निभाई।

थावरचंद गेहलोत वर्ष 2002 से 04 तक भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भी रहे। वर्ष 2004 से 06 तक भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर दायित्व निभाई। वर्ष 2006से 2014 तक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी निभाई। वर्ष 2006 से अभी तक भाजपा संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य है। विधायी एवं संसदीय दायित्व भी कई बार निभाए। जीवन में विधानसभा का पहला चुनाव वर्ष 1980 में रतलाम जिले की आलोट तहसील से लड़ा और विजय हुए। इस सीट पर वे 1996 तक तीन बार विधायक बने। इस दौरान 19 मार्च 1996 को उत्कृष्ट विधायक का अवार्ड भी मिला।

वर्ष 1990-92 में उन्हें मप्र शासन में राज्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली। लोकसभा का पहला चुनाव शाजापुर-देवास क्षेत्र से लड़ा और सांसद बने। इस क्षेत्र से चार बार सांसद का दायित्व निभाया। वर्ष 1998 और 2007 में संयुक्त राष्ट महासंघ न्यूयॉर्क अमेरिका में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रुप में भाग लिया। इसी प्रकार संयुक्त राष्ट महासंघ में भारत के सरकार के प्रतिनिधि के रूप में हिंदी में संबोधन दिया। मोदी मंत्री मंडल में पहली बार राज्यसभा से वर्ष 2014 मेें केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय का दायित्व निभाया। अब उन्हें पुनः केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली है।

राहुल गांधी को हराकर संसद पहुंची स्मृति ईरानी ने ली मंत्री पद की शपथ

राहुल गांधी को हराकर संसद पहुंची स्मृति ईरानी ने ली मंत्री पद की शपथ
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के अमेठी में राहुल गांधी को हराने वाली स्मृति ईरानी मोदी कैबिनेट में शामिल हो गईं. उन्होनें आज शपथ ली. स्मृति ईरानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में पहले भी कई महत्वपूर्ण पद संभाले हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को उनके संसदीय क्षेत्र में हराने वाली स्मृति ईरानी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में वापसी की।
मोदी मंत्रीमंडल में स्मृति ईरानी को टेक्सटाइल मिनिस्ट्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. वह शिक्षा मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाल चुकी हैं.
गांधी परिवार की परंपरागत संसदीय सीट अमेठी इस बार के आम चुनाव में बीजेपी के पास चली गई. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव हार गए हैं. बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने उन्हें 55,120 वोटों से परास्त कर इस सीट पर भगवा परचम लहरा दिया है.
अभिनेत्री से नेता बनी ईरानी मोदी सरकार के अधिक दिखने वाले चेहरों में से एक रही हैं और उन्हें अक्सर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दृष्टिकोण को साफगोई से रखने के लिए कहा जाता है।
पांच साल पहले अमेठी से चुनाव हारने के बावजूद, उन्होंने वहां के मतदाताओं के साथ संपर्क में रहकर उनका विश्वास जीता।
2014 में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शमिल हुई ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। बाद में वह कपड़ा मंत्रालय चली गईं। बीच में, उन्हें सूचना और प्रसारण मंत्रालय की कमान भी दी गई।
उनकी शैक्षणिक योग्यता को लेकर कांग्रेस ने उन पर हमला किया लेकिन इसका असर उनके चुनावी अभियान पर नहीं पड़ा।
23 मार्च 1976 को जन्मीं ईरानी एक पूर्व मॉडल हैं, जो प्रतिष्ठित टीवी शो ‘क्यूंकि सास भी कभी बहू थी’ में तुलसी विरानी की भूमिका के बाद से मशहूर हुई थीं।
वह 2011 में राज्य सभा के लिए चुनी गई थी।

चार घण्‍टे चली मोदी-शाह की बैठक, तय हुआ मंत्रीमण्‍डल के लिए फॉर्मूला

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नई दिल्ली। नए मंत्रिमंडल के लिए गुरुवार को आयोजित होने वाले शपथ ग्र्रहण समारोह से पहले मंगलवार की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बीच लंबी बैठक हुई। माना जा रहा है कि इस बैठक में मंत्रिमंडल के भावी स्वरूप को लेकर पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। बुधवार की शाम तक भावी मंत्रियों को इसकी जानकारी दे दी जाएगी।
खबर है कि इस मंत्रीमंडल में 20 प्रतिशत मंत्रियों को बदला जाएगा और युवाओं को मौका दिया जाएगा। हालांकि, इसे लेकर अब तक सस्पेंस बना हुआ है।
भाजपा की बड़ी जीत के बाद से ही मंत्रिमंडल को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। वहीं, दो दिनों पहले प्रधानमंत्री की ओर से सभी सांसदों को आगाह किया गया था कि वे किसी भी तरह के दबाव की राजनीति से बचें। उन्हें स्पष्ट कर दिया गया था कि मंत्रियों को लेकर जो भी फैसला लिया जाएगा वह एक मापदंड के तहत होगा।
मंगलवार की शाम प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष के बीच चार घंटे से कुछ लंबी बैठक चली। इसमें मापदंड भी तय हुए और भावी मंत्रियों के नाम भी। भाजपा के साथ-साथ सहयोगी दलों की ओर से आए नामों पर भी चर्चा हुई और जीती गई सीटों के आधार पर मंत्रियों की संख्या का फॉर्मूला भी तय हुआ।
बड़ी चर्चा, नए मंत्रिमंडल में शाह शामिल होंगे या नहीं
सूत्रों के अनुसार, नए मंत्रिमंडल में अधिकतर पुराने चेहरे शामिल रह सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ी चर्चा यह है कि खुद भाजपा अध्यक्ष शाह मंत्रिमंडल में शामिल होंगे या नहीं।
शपथ ग्रहण समारोह के लिए सभी मुख्यमंत्रियों को न्योता
पीएम नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के शपथग्रहण समारोह के लिए देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को न्योता भेजा गया है। गुरुवार की शाम सात बजे राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस समारोह में बिम्सटेक देशों (भारत के अलावा नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड व म्यांमार) को भी आमंत्रित किया गया है। सभी ने इसमें भाग लेने की पुष्टि कर दी है।

Wednesday, May 29, 2019

हाईकोर्ट पहुंचा 20 लाख EVM गायब होने का मामला, फैसला सुरक्षित

हाईकोर्ट पहुंचा 20 लाख EVM गायब होने का मामला, फैसला सुरक्षित

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ग्वालियरः मध्य प्रदेश में 20 लाख EVM गायब होने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है.मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर में इस संबध एक जनहित याचिका दायर कर दी गई थी. जिस पर आज कोर्ट में सुनवाई हुई. साथ ही हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला रिजर्व कर लिया है.
दरअसल जनहित में कहा गया है कि ईवीएम मशीनें गायब होने के मामले में मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ फौजदारी यानि की आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएं. साथ ही ईवीएम की राशि वसूली जाएं.और पूरे घटनाक्रम की जांच सीबीआई से कराई जाएं.
इस संबधं में 22 मई को हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में एक जनहित याचिका सीनियर एडवोकेट उमेश बोहरे ने कई आहम दस्तावेजों के साथ जनहित पेश की थी.उमेश बोहरे ने इस याचिका में मुख्य चुनाव आयुक्त सहित 14 लोगों को बनाया पार्टी है. जिसमें निर्वाचन आधिकारी, कलेक्टर ग्वालियर, कलेक्टर मुरैना, कलेक्टर भिंड, कलेक्टर गुना को भी बनाया पार्टी है. याचिका में कहा गया है कि गायब हुई ईवीएम का उपयोग देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ- साथ ग्वालियर चंबल संभाग में लोकसभा चुनाव में किया गया है.
बहरहाल अब ईवीएम की जनहित याचिका पर सुनवाई हो गई है.अब इस मामले में कोर्ट कभी अपना फैसला सुना सकता है. आपको बता दें कि मुंबई के आरटीआई एक्टिविस्ट मनोरंजन रॉय ने 27 मार्च 2018 को बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. इस याचिका में उन्होंने ईवीएम की खरीद, स्टोरेज और डिलीवरी में शामिल प्रक्रियाओं के बारे में जानना चाहा था.
इसके लिए हाई कोर्ट से मांग की गई थी कि डाटा उपलब्ध कराने के लिए वह संबंधित संस्थाओं को आदेश दे. इसी क्रम में मिले डाटा में यह जानकारी सामने आई है कि ईवीएम निर्माताओं ने जो मशीनें चुनाव आयोग को भेजने के लिए तैयार कीं, उनमें से 20 लाख ईवीएम चुनाव आयोग के कब्जे में नहीं पहुंची हैं.  

Tuesday, May 28, 2019

भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा का कथित ऐजेंट ई-टेंडर घोटाला जांच के लपेटे में

भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा का कथित ऐजेंट ई-टेंडर घोटाला जांच के लपेटे में
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भोपाल। मध्यप्रदेश में हुआ 3000 करोड़ का ई-टेंडर घोटाला अब फिर सुर्खियों में आ गया है। ईओडब्ल्यू ने अब भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के कथित ऐजेंट मुकेश शर्मा को जांच की जद में ले लिया है। ईओडब्ल्यू ने बयान दर्ज कराने के लिए मुकेश को बुलाया परंतु वो नहीं आया। कहा जा रहा है कि मुकेश अपनी पॉलिटिकल एप्रोच का फायदा उठा रहा है।

मुकेश शर्मा जेएमसी और जी वी पी आर का प्रतिनिधि

सूत्रों के मुताबिक घोटाले में मुंबई की जेएमसी प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड और हैदराबाद की जीवीपीआर इंजीनियरिंग कंपनी पर आरोप हैं, जिनके लिए मध्यप्रदेश में मुकेश शर्मा प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं। मुकेश शर्मा का नाम कुछ साल पहले आयकर की एक कार्रवाई के दौरान भी सामने आया था। बताया जाता है कि वह एक भाजपा नेता का करीबी है। शर्मा के माध्यम से जेएमसी प्रोजेक्ट और जीवीपीआर कंपनियों को मिले टेंडरों को लेकर ईओडब्ल्यू जांच करने जा रही है, जिसके लिए उसके बयान होने हैं। उसे लिखित में भी सूचना भेजी गई, लेकिन राजनीतिक पहुंच के सहारे वह टालमटोल कर रहा है।

कौन है मुकेश शर्मा, नरोत्तम मिश्रा से नाम कैसे जुड़ा

आयकर विभाग ने 21 जुलाई 2008 को एक मुकेश शर्मा नामक व्यक्ति के यहां छापा मारा था। उसके यहां से बड़ी संख्या में दस्तावेज बरामद हुए, जिससे यह पता चला कि नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा इन्दौर में सीवेज प्रोजेक्ट के दिए गए ठेके में मुकेश ने लाइजनिंग एजेन्ट की भूमिका निभाई थी। दस्तावेजों से यह भी पता चला कि यह ठेका मे. नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड और मे. सिम्पलैक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. को दिया गया था। आयकर विभाग ने उस समय दावा किया था कि इसके लिए नगरीय प्रशासन मंत्री नरोत्तम मिश्रा को क्रमश: 16 करोड़ 20 लाख और 10 करोड़ 50 लाख रुपए कंपनियों से मिले थे। बाद में यह आरोप प्रमाणित नहीं हुआ।

कमलनाथ चाहते हैं जल्द चालान पेश हो

सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछले सप्ताह ई-टेंडर घोटाले को लेकर ईओडब्ल्यू के आला अफसरों के साथ समीक्षा बैठक भी की थी। इसके बाद से ही जांच में तेजी आई है। बताया जा रहा है कि घोटाले में अब तक हुई जांच में गिरफ्तार आरोपितों के खिलाफ अदालती कार्रवाई पूरी करने के संकेत हैं। घोटाले में शामिल अन्य आरोपियों की जांच समानांतर रूप से जारी रखते हुए अन्य आरोपियों के खिलाफ पूरक चालान पेश करने की कार्रवाई की जा सकेगी।

भ्रष्टाचार का खेल भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष पुष्पेंद्र प्रताप सिंह (गुड्डू भैया), पूर्व सीएमओ सुंदर लाल सोनी सहित 4 के खिलाफ़ धारा 420 487 488 एव 471के तहत मामला दर्ज करने के न्यायलय ने दिये आदेश

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छतरपुर से पंकज पाराशर की रिपोर्ट 
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की नगर परिषद बारीगढ़ में भ्रष्टाचार का खेल खेला गया l भाजपा पूर्व जिला अध्यक्ष पुष्पेंद्र प्रताप सिंह (गुड्डू भैया), पूर्व सीएमओ सुंदरलाल सोनी, प्रीतम सिंग खेंगर राममिलन अनुरागी के विरुद्ध धारा 420 487 488 एव 471 के तहत न्यायलय ने जुझारनगर थाने में मामला दर्ज करने के दिये आदेश दे दिए है ।
सभी लोगो ने मिलकर बलवान कम्पनी के पुराने ट्रैक्टर को नया दिखाकर, वर्ष 2009 नगर परिषद बारीगढ़ में बेच दिया में था उस समय तत्कालीन सी एम ओ सुंदर लाल सोनी ने पुराने ट्रैक्टर को नया दिखाकर 4 लाख 48 हजार रुपये का पुष्पेंद्र प्रताप सिंह के नाम किया था भुगतान ।
जिस मामले आज न्याययिक मजिस्ट्रेट प्रथम लवकुशनगर अरुण सिंह जुझार नगर थाने में मामला दर्ज करने को आदेश दिया है l

रमाबाई विधायक का दावा- बीजेपी दे रही मंत्री पद, 50-60 करोड़ का लालच


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लोकसभा चुनावों में बीजेपी (BJP) को प्रचंड बहुमत मिलने के साथ ही साथ मध्य प्रदेश में बनी कांग्रेस (Congress) की कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) पर खतरा मंडराने लगा है।
प्रदेश में हुए लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। राज्य की 29 सीटों में से 28 पर बीजेपी ने कब्जा जमा लिया है। अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने की अटकलों के बीच बीएसपी (BSP) की एक विधायक ने बीजेपी पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं।
बीएसपी विधायक रमाबाई के मुताबिक बीजेपी (BJP) समर्थन के बदले 50-60 करोड़ रुपए और मंत्रीपद तक देने का ऑफर कर रही है। रमाबाई ने कहा, ‘बीजेपी सभी को ऑफर दे रही है। जो बेवकूफ होगा, वही उनके झांसे में आएगा। मेरे पास भी फोन आते हैं और मुझे मंत्री पद के साथ-साथ 50-60 करोड़ रुपये का ऑफर दिया जा रहा है।
वे (बीजेपी) ऐसे ऑफर सभी को दे रहे हैं।’ बता दें कि बीएसपी के मध्य प्रदेश में दो विधायक हैं, जो इस वक्त कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकार गिरने की अटकलों के बीच सीएम कमलनाथ ने सभी मंत्रियों को सावधान रहने को कहा है।

ममता को बड़ा झटका, टीएमसी के 3 विधायक और करीब 50 पार्षद भाजपा में शामिल

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ममता को बड़ा झटका, टीएमसी के 2 विधायक और करीब 50 पार्षद भाजपा
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लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के बाद मुकुल रॉय के बेटे शुभ्रांशु रॉय और तृणमूल कांग्रेस के दो विधायक बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. ये दोनों विधायक शिलभद्र दत्त और सुनील सिंह हैं. इन 3 नेताओं के अलावा प्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों से करीब 50 पार्षद भी दिल्ली पहुंचे हैं जो बीजेपी में शामिल हो गए.
बीजेपी का दामन थामने वाले ये पार्षद 24 परगना जिले के कंचरापारा, हलिशहर और नैहाती नगर पालिका के हैं. इसके साथ बीजेपी का भाटपारा नगरपालिका पर कब्जा हो जाएगा. बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसद अर्जुन सिंह भाटपारा नगरपालिका के अध्यक्ष हैं.
बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसद अर्जुन सिंह ने कहा कि अब उनकी पार्टी का भाटपारा नगरपालिका पर कब्जा होगा. अर्जुन सिंह भाटपारा नगरपालिका के अध्यक्ष हैं. इस बार लोकसभा चुनाव में बंगाल में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है और 2014 में मात्र 2 सीटों पर सिमटी बीजेपी इस बार 18 सीटें जीत कर आई है. इस जीत में मुकुल रॉय की बड़ी भूमिका है. रॉय पूर्व में टीएमसी के कद्दावर नेता रहे हैं जो बाद में बीजेपी में शामिल हो गए. इनकी रणनीतियों ने बीजेपी को बड़ी कामयाबी दिलाने में बड़ा योगदान दिया है.
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ घमासान के बावजूद 22 सीटें जीतकर अपनी इज्जत बरकरार रखी. बीजेपी को 18 और कांग्रेस को दो सीटें मिली हैं. बीजेपी की इस जीत में मुकुल रॉय और बंगाल बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय का बड़ा रोल है. इस चुनाव में बीजेपी के लिए जबरदस्त नतीजे पश्चिम बंगाल से आए जहां उसने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के पसीने छुड़ा दिए. आठ साल से सत्तारूढ़ तृणमूल को अमित शाह के नेतृत्व वाली बीजेपी ने सबसे बड़ा उलटफेर दिखाया.
अभी हाल में तृणमूल कांग्रेस ने विधायक सुभ्रांशु रॉय को छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया था. सुभ्रांशु किसी समय तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के करीबी रहे मुकुल रॉय के बेटे हैं. सुभ्रांशु को पार्टी की इमेज खराब करने के आरोप में निलंबित किया गया. लोकसभा चुनाव से काफी समय पहले मुकुल रॉय तृणमूल कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. तृणमूल में फूट के लिए पार्टी के अंदर अनुशासन की कमी और नेताओं की बात न सुना जाना भी कारण माना जा रहा है.
अर्जुन सिंह जैसे लोग जो बीजेपी में शामिल हो गए और अब सांसद बन गए हैं, वे कभी सांसद बनना चाहते थे लेकिन तृणमूल ने उनके नाम पर गौर नहीं किया, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी. ऐसे ही और लोग भी हैं जो तृणमूल में अपने को फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं और पार्टी छोड़ रहे हैं.
मुकुल रॉय को कई साल तक अन्य दलों के नेताओं को तृणमूल में शामिल कराने के लिए जाना जाता रहा लेकिन वे अब बीजेपी में हैं और तृणमूल को तोड़ने के काम में लगे हैं. बीजेपी में शामिल होने के बाद भी उन्होंने यही दक्षता दिखाई और कई अन्य नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ वर्तमान तृणमूल सांसदों अनुपम हाजरा और सौमित्र खान को बीजेपी में शामिल किया. उन्होंने वामपंथी दलों के कुछ नेताओं को भी बीजेपी के पक्ष में तोड़ा.

Sunday, May 26, 2019

देश से केवल तीन मुस्लिम महिलाएं संसद पहुंची, एक अभिनेत्री और कौन है ये जानिये

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अभिनेत्री नुसरत जहां
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव परिणाम कई मामलों में चौंकाने वाला रहा है। सबसे खास बात चुनाव में विजयी मुस्लिम महिलाओं को लेकर है। इस बार पूरे देश से केवल तीन मुस्लिम महिलाएं संसद पहुंची हैं और तीनों की तीनों पश्चिम बंगाल की हैं।  

दरअसल, 17वीं लोकसभा में 36 पार्टियों के 542 उम्मीदवार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं। इनमें 27 मुस्लिम सांसद हैं। इसके अलावा 73 महिला सांसद हैं, जिनमें केवल तीन मुस्लिम हैं जो पश्चिम बंगाल की हैं। ये तीनों मुस्लिम महिला सांसद राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की हैं।

इनमें बांग्ला फिल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री नुसरत जहां बशीरहाट सीट से करीब साढ़े तीन लाख वोटों से चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंची हैं। उनके अलावा सजदा अहमद और अपरुपा पोद्दार उर्फ आफरीन अली हैं। सजदा हावड़ा की उलूबेड़िया सीट से दूसरी बार जीती हैं, जबकि अपरूपा हुगली की आरामबाग सीट से जीतकर दूसरी बार सांसद चुनी गई हैं। आफरीन अली तो महज 1,142 वोटों से भाजपा उम्मीदवार को हराकर किसी तरह इस बार अपनी सीट बचाने में कामयाब रही हैं।

सजदा अहमद ने 2.15 लाख वोटों से जीत हासिल की है। बंगाल से कुल छह मुस्लिम सांसद चुने गए हैं, जिसमें तीन महिला और तीन पुरुष हैं। तीन पुरुष मुस्लिम सांसदों में जंगीपुर से तृणमूल के सांसद खलीलुर रहमान, मुर्शिदाबाद से सांसद अबू ताहिर खान और मालदा दक्षिण से कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज करने वाले अबू हासिम खान चौधरी शामिल हैं। पिछले 2014 के लोकसभा चुनाव में बंगाल से मुस्लिम समुदाय के आठ उम्मीदवार चुनकर संसद पहुंचे थे, जिनमें तीन महिलाएं थीं।

मोदी लहर होने के बावजूद संबित पात्रा आखिर क्यों हार गए चुनाव जानिए

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मोदी लहर होने के बावजूद संबित पात्रा आखिर क्यों हार गए चुनाव जानिए 
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23 मई को घोषित हुए लोकसभा चुनाव के परिणामों ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि देश में अभी मोदी लहर पूरी तरह से बरकरार है। इस लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत के कुछ राज्यों को छोड़कर देश के हर राज्य में मोदी लहर का जलवा देखने को मिला। देशभर में मोदी लहर होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ओडिशा राज्य की पुरी लोकसभा सीट से चुनाव जीतने में सफल नहीं हुए। आइए जानें आखिर क्यों संबित पात्रा पुरी लोकसभा सीट से चुनाव हार गए।

कौन हैं संबित पात्रा-


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संबित पात्रा देश की सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा विभिन्न टीवी चैनलों पर पार्टी का पक्ष रखते हुए नजर आते हैं। संबित पात्रा पेशे से सर्जन हैं तथा उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा पास करके करके चिकित्सा अधिकारी के रूप में काम किया है। संबित पात्रा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा की केंद्रीय समिति में उड़ीसा राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस बार भारतीय जनता पार्टी ने पात्रा को ओडिशा राज्य की पुरी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था।

आखिर पुरी से क्यों चुनाव हारे संबित पात्रा-

भारत देश के तटीय राज्य ओडिशा की पुरी लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के संबित पात्रा का मुकाबला बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा से था। संबित पात्रा और पिनाकी मिश्रा के बीच पुरी लोकसभा सीट पर हुई इस कांटे की टक्कर में बीजू जनता दल के प्रत्याशी पिनाकी मिश्रा 11 हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीतने में सफल रहे।

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पुरी में चुनाव प्रचार के दौरान संबित पात्रा के बाहरी होने का फायदा भी बीजू जनता दल को मिला। बीजू जनता दल के प्रत्याशी पिनाकी मिश्रा राजनीतिक अनुभव के मामले में भी संबित पात्रा पर भारी नजर आए। आपको बता दें कि पिनाकी मिश्रा पिछले 10 वर्षों से लोकसभा में पुरी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इन वजहों से ही जबरदस्त प्रचार करने के बावजूद भी संबित पात्रा बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा से चुनाव जीत नहीं पाए।
स्रोत- वनइंडिया

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