ममता को बड़ा झटका, टीएमसी के 2 विधायक और करीब 50 पार्षद भाजपा |
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लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के बाद मुकुल रॉय के बेटे शुभ्रांशु रॉय और तृणमूल कांग्रेस के दो विधायक बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. ये दोनों विधायक शिलभद्र दत्त और सुनील सिंह हैं. इन 3 नेताओं के अलावा प्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों से करीब 50 पार्षद भी दिल्ली पहुंचे हैं जो बीजेपी में शामिल हो गए.
बीजेपी का दामन थामने वाले ये पार्षद 24 परगना जिले के कंचरापारा, हलिशहर और नैहाती नगर पालिका के हैं. इसके साथ बीजेपी का भाटपारा नगरपालिका पर कब्जा हो जाएगा. बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसद अर्जुन सिंह भाटपारा नगरपालिका के अध्यक्ष हैं.
बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसद अर्जुन सिंह ने कहा कि अब उनकी पार्टी का भाटपारा नगरपालिका पर कब्जा होगा. अर्जुन सिंह भाटपारा नगरपालिका के अध्यक्ष हैं. इस बार लोकसभा चुनाव में बंगाल में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है और 2014 में मात्र 2 सीटों पर सिमटी बीजेपी इस बार 18 सीटें जीत कर आई है. इस जीत में मुकुल रॉय की बड़ी भूमिका है. रॉय पूर्व में टीएमसी के कद्दावर नेता रहे हैं जो बाद में बीजेपी में शामिल हो गए. इनकी रणनीतियों ने बीजेपी को बड़ी कामयाबी दिलाने में बड़ा योगदान दिया है.
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ घमासान के बावजूद 22 सीटें जीतकर अपनी इज्जत बरकरार रखी. बीजेपी को 18 और कांग्रेस को दो सीटें मिली हैं. बीजेपी की इस जीत में मुकुल रॉय और बंगाल बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय का बड़ा रोल है. इस चुनाव में बीजेपी के लिए जबरदस्त नतीजे पश्चिम बंगाल से आए जहां उसने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के पसीने छुड़ा दिए. आठ साल से सत्तारूढ़ तृणमूल को अमित शाह के नेतृत्व वाली बीजेपी ने सबसे बड़ा उलटफेर दिखाया.
अभी हाल में तृणमूल कांग्रेस ने विधायक सुभ्रांशु रॉय को छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया था. सुभ्रांशु किसी समय तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के करीबी रहे मुकुल रॉय के बेटे हैं. सुभ्रांशु को पार्टी की इमेज खराब करने के आरोप में निलंबित किया गया. लोकसभा चुनाव से काफी समय पहले मुकुल रॉय तृणमूल कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. तृणमूल में फूट के लिए पार्टी के अंदर अनुशासन की कमी और नेताओं की बात न सुना जाना भी कारण माना जा रहा है.
अर्जुन सिंह जैसे लोग जो बीजेपी में शामिल हो गए और अब सांसद बन गए हैं, वे कभी सांसद बनना चाहते थे लेकिन तृणमूल ने उनके नाम पर गौर नहीं किया, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी. ऐसे ही और लोग भी हैं जो तृणमूल में अपने को फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं और पार्टी छोड़ रहे हैं.
मुकुल रॉय को कई साल तक अन्य दलों के नेताओं को तृणमूल में शामिल कराने के लिए जाना जाता रहा लेकिन वे अब बीजेपी में हैं और तृणमूल को तोड़ने के काम में लगे हैं. बीजेपी में शामिल होने के बाद भी उन्होंने यही दक्षता दिखाई और कई अन्य नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ वर्तमान तृणमूल सांसदों अनुपम हाजरा और सौमित्र खान को बीजेपी में शामिल किया. उन्होंने वामपंथी दलों के कुछ नेताओं को भी बीजेपी के पक्ष में तोड़ा.
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