सरदार सरोवर परियोजना के विस्थापितों को सभी मूलभूल सुविधाएं उपलब्ध करायें - मंत्री श्री बघेल |
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- सरदार सरोवर परियोजना के विस्थापितों को सभी मूलभूल सुविधाएं उपलब्ध करायें - मंत्री श्री बघेल
- खेती योग्य जमीन के समतलीकरण के निर्देश, विस्थापितों को तत्काल पेयजल सुविधा मुहैया कराने के निर्देश
इन्दौर| नर्मदा घाटी विकास एवं पुनर्वास मंत्री श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल की अध्यक्षता में आज नर्मदा घाटी विकास कार्यालय के सभाकक्ष में सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के संबंध में बैठक आयोजित की गई। बैठक में आयुक्त इंदौर संभाग श्री आकाश त्रिपाठी और कलेक्टर धार श्री दीपक सिंह विशेष रूप से मौजूद थे। मंत्री श्री बघेल ने इस अवसर पर कहा कि सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाये। उन्होने राजस्व, लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, भू-अर्जन, नर्मदा घाटी विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वर्षा ऋतु से पूर्व 20 जून तक बड़वानी एवं धार जिले में विस्थापितों को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करायें। उन्होने कहा कि विस्थापितों को भवन, आवास, पेयजल, सड़क आदि सुविधाएं शीघ्रातिशीघ्र मुहैया कराई जाये। इस दिशा में जिला प्रशासन द्वारा विशेष प्रयास किये जाये।
विस्थापितों के पुनर्वास में धन की कमी नहीं आने दी जायेगी। उन्होने कहा कि जिन विस्थापितों के आवास डूब में आ रहे हैं, उन्हे 5 लाख 80 हजार रूपये प्रति हितग्राही के मान से क्षतिपूर्ति दी जा रही है। पुराने निसरपुर डूब में आने वाला है। उसका पुनर्वास किया जा रहा है। सभी विस्थापितों को जिला प्रशासन द्वारा भू-खण्ड दे दिये गये हैं। ग्राम चिखल्दा और निसरपुर के विस्थापितों को बस सुविधा भी मुहिया कराई जायेगी। इस संबंध में निर्देश जारी किये जा चुके हैं। लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग द्वारा विस्थापितों को नलजल योजना, विद्युत वितरण कंमनी द्वारा 36 करोड़ की लागत से नई लाइन और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मनरेगा योजना के तहत खेती योग्य जमीन का समतलीकरण करने के निर्देश दिये हैं।
उन्होने बताया कि 2017 से पुनर्वास का कार्य चल रहा है। विस्थापितों के लिए शेड बनाये गये थे, उनकी रिपेयरिंग का कार्य नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा वर्षा से पूर्व किया जायेगा। उन्होने कलेक्टर एवं एसडीएम, विद्युत वितरण कंपनी, लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को पुनर्वास क्षेत्र का नियमित रूप से दौरा करने के निर्देश दिये। उन्होने नर्मदा घाटी विकास का ऑफिस कुक्षी से निसरपुर शिफ्ट करने के निर्देश दिये। उन्होने विस्थापितों के लंबित 8 हजार आवेदनों को एक माह में निराकृत करने के निर्देश दिये। उन्होने पेयजल की समस्या की 20 दिन में निराकृत करने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि मंदिर, मस्जिद और सामुदायिक भवन भी शिफ्ट किये जा रहें है। विस्थापन का अधिकांश कार्य पूरा हो चुका है। विस्थापितों की, जो नई बसाहट ऊंचाई पर है, वहाँ पर टेंकर से पानी पहुंचाया जा रहा है। नई बसाहटों में सड़क के किनारे नालियां बनाई जा रही है। संपर्क मार्ग पर पुलिया बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है। विस्थापित क्षेत्र में 36 करोड़ रूपये की लागत से नई बिजली लाइन बिछाई जा रही है। अभी तक 7 करोड़ 6 लाख रूपये का कार्य पूरा हो चुका है। विस्थापितों की शिकायतों को तेजी से निराकरण किया जायेगा।
इस अवसर पर आयुक्त नर्मदा घाटी विकास डॉ पवन कुमार शर्मा ने बताया कि सरदार सरोवर बांध परियोजना बड़वानी, अलीराजपुर, खरगोन और धार के, जो गांव प्रभावित हुए हैं, उनके पुनर्वास का कार्य तेजी से चल रहा है। सितम्बर 2019 में बाँध का जलस्तर अधिकतम 138.68 मीटर होने की संभावना है, जिससे ग्राम कोठरा के 5, ग्राम धरमराय के 3, ग्राम चिखल्दा के 29, सिसगांव के 01 और निसरपुर 144 मकान डूब में आ जायेगे, उनका तत्काल विस्थापन और पुनर्वास जरूरी है। इस क्षेत्र के 23 हजार 600 परिवार विस्थापन से प्रभावित हुए हैं, जिसमें से 5 हजार 549 परिवार को गुजरात में और 18 हजार 63 परिवारों में मध्यप्रदेश में पुनर्वास किया जा चुका है।
विस्थापितों में मूलभूत सभी समस्याओं की निराकरण किया जा रहा है। विस्थापन से 3 हजार 658 मकान प्रभावित हुए हैं। विस्थापितों के लिए अस्थाई टीनशेड बनाये गये हैं। यह आवास विशेष रूप से धार जिले के कुक्षी, धरमपुरी और मनावर तथा बड़वानी जिले के बड़वानी एवं ठीकरी में बनाये गये हैं। डूब प्रभावितों के लिए अस्थाई शिविर भी बनाया गया है। इस अस्थाई शिविर में आवास, भोजन, पेयजल, प्रकाश व्यवस्था, मोटरबोट, लाइफ बेल्ट, पुलिस बल, चिकित्सा, निरीक्षण वाहन, माल वाहन और जेसीबी आदि की सुविधा दी गई है। पुनर्वास का कार्य कलेक्टर धार और बड़वानी द्वारा किया गया है। विस्थापितों के लिए सड़क, पुलिया और वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था की गई है।
बैठक में नर्मदा घाटी विकास विभाग, राजस्व, लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, भू-अर्जन आदि विभागों के अधिकारियों मौजूद थे।
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