चंदन नदी में हो रहे अवैध उत्खनन के कारण नदी का अस्तित्व समाप्त |
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बालाघाट // आनंद ताम्रकार
बालाघाट. जिले में वैनगंगा नदी की सहायक एवं कटंगी खैरलांजी वारासिवनी तहसील की जीवनदायिनी चंदन नदी का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया है। चंदन नदी में हो रहे अवैध उत्खनन के कारण जल स्तर अपने निम्नतम स्तर पर पहुच गया जिसके कारण पेयजल का आसन्न संकट उपस्थित दिखाई देता है।
चंदन नदी के ऐसे हालात होने के पीछे जिला प्रषासन की अनदेखी प्रमुख कारण है जिला प्रषासन के अधिकारियों ने कटंगी तहसील से लगे सेलवा ग्राम में प्रवाहित होने वाली नदी के समीप ही चरोखर के नाम पर सुरक्षित षासकीय जमीन जो कि खसरा नंबर 151(0.344), 152/1,154/1 (2.699), क्षेत्रफल की जमीन पर जी सी षुक्ला को माईनिंग लीज स्वीकृत कर दी। वहीं 150/1,150/3 (7.758) षासकीय भूमि का जिसे पानी के नीचे नदी बताया गया है
उस पर वर्श 2017-18 की स्थिति में योगेन्द्र वल्द डुलीचंद पवार द्वारा वेजा कब्जा कर फसल लगाना उल्लेखित किया गया है। यह उल्लेखनीय है की षासकीय दस्तावेजों में जहां नदी अंकित है वहां गौण अधिनियम 1996 के तहत नदी के 100 मीटर के दायरे में किसी प्रकार के उत्खनन की अनुमति नही दी जा सकती। फिर कैसे नदी के प्रवाह में अवरोध पैदा कर नदी के भू भाग में ही मैगनीज उत्खनन की अनुमति खनिज माफिया और प्रषासनिक अधिकारियों की सांठगांठ के चलते दे दी गई जहंा पर विगत कई वर्शों से मैगनीज का अवैध उत्खनन निरंतर जारी है।
इस स्थान में नदी का अस्तित्व दिखाई नही देता। यह भी ज्ञात हुआ है की राश्टीय हरित प्राधिकरण भोपाल बेंच ने याचिकाकर्ता षैलेन्द्र जैन द्वारा प्रस्तुत प्रकरण पर सेलवा ग्राम में चंदन नदी के भू भाग पर हो रहे मैगनीज उत्खनन पर रोक लगा दी है। एनजीटी में इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान यह तथ्य प्रकाष में आया है की खनिज विभाग के सरक्षण में अवैध उत्खनन करवाये जा रहे है और अधिकारियों की मिली भगत के चलते षासकीय दस्तावेजों में हेराफेरी भी की गई है।
यह भी उल्लेखनीय है की चंदन नदी के जिस भाग में रेत की नीलामी की गई है उसके स्वीकृत रकबे के अलावा नदी के बहुत बड़े इलाके में मषीनों के जरिये रेत का उत्खनन कर नदी की सीना छलनी कर दिया गया है। रेत षासकीय सम्पदा है जिसके अवैध उत्खनन और चोरी किये जाने पर संलिप्त व्यक्तिओं पर धारा 379 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया जाना चाहिये तथा उत्खनन एवं परिवहन में प्रयुक्त वाहन एवं मषीनें जप्त करनी चाहिये लेकिन बालाघाट जिले में ऐसे प्रकरणों में साधारण करवाई कर मामले को निपटाया जा रहा है।
इन विसंगतियों के चलते नदी से अवैध उत्खनन रोक पाना संभव दिखाई नही देता। कलेक्टर महोदय बालाघाट चंदन नदी के प्रवाह को रोक कर नदी के भू भाग पर किये जा रहे मैगनीज के उत्खनन पर तत्काल रोक लगाये तथा नदी के पूर्ववत स्वरूप को बहाल करवायें।
उस पर वर्श 2017-18 की स्थिति में योगेन्द्र वल्द डुलीचंद पवार द्वारा वेजा कब्जा कर फसल लगाना उल्लेखित किया गया है। यह उल्लेखनीय है की षासकीय दस्तावेजों में जहां नदी अंकित है वहां गौण अधिनियम 1996 के तहत नदी के 100 मीटर के दायरे में किसी प्रकार के उत्खनन की अनुमति नही दी जा सकती। फिर कैसे नदी के प्रवाह में अवरोध पैदा कर नदी के भू भाग में ही मैगनीज उत्खनन की अनुमति खनिज माफिया और प्रषासनिक अधिकारियों की सांठगांठ के चलते दे दी गई जहंा पर विगत कई वर्शों से मैगनीज का अवैध उत्खनन निरंतर जारी है।
इस स्थान में नदी का अस्तित्व दिखाई नही देता। यह भी ज्ञात हुआ है की राश्टीय हरित प्राधिकरण भोपाल बेंच ने याचिकाकर्ता षैलेन्द्र जैन द्वारा प्रस्तुत प्रकरण पर सेलवा ग्राम में चंदन नदी के भू भाग पर हो रहे मैगनीज उत्खनन पर रोक लगा दी है। एनजीटी में इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान यह तथ्य प्रकाष में आया है की खनिज विभाग के सरक्षण में अवैध उत्खनन करवाये जा रहे है और अधिकारियों की मिली भगत के चलते षासकीय दस्तावेजों में हेराफेरी भी की गई है।
यह भी उल्लेखनीय है की चंदन नदी के जिस भाग में रेत की नीलामी की गई है उसके स्वीकृत रकबे के अलावा नदी के बहुत बड़े इलाके में मषीनों के जरिये रेत का उत्खनन कर नदी की सीना छलनी कर दिया गया है। रेत षासकीय सम्पदा है जिसके अवैध उत्खनन और चोरी किये जाने पर संलिप्त व्यक्तिओं पर धारा 379 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया जाना चाहिये तथा उत्खनन एवं परिवहन में प्रयुक्त वाहन एवं मषीनें जप्त करनी चाहिये लेकिन बालाघाट जिले में ऐसे प्रकरणों में साधारण करवाई कर मामले को निपटाया जा रहा है।
इन विसंगतियों के चलते नदी से अवैध उत्खनन रोक पाना संभव दिखाई नही देता। कलेक्टर महोदय बालाघाट चंदन नदी के प्रवाह को रोक कर नदी के भू भाग पर किये जा रहे मैगनीज के उत्खनन पर तत्काल रोक लगाये तथा नदी के पूर्ववत स्वरूप को बहाल करवायें।
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