ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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18 दिसम्बर 1996 को जब सर्वोच्च न्यायालय के माननीय विद्वान न्यायाधीश द्वय डॉ. ए.एस. आनंद और श्री कुलदीप सिंह ने किसी भी नागरिक की गिरफ्तारी के संबंध में ग्यारह सूत्रीय दिशा निर्देश दिये जिसका पालन आवश्यक रूप से किया जाना है, गिरफ्तारी संबंधित ग्यारह सूत्री निर्देशों को काफी लम्बे समय तक टी.वी. रेडियों आदि के माध्यम से प्रसारित किया जा रहा लेकिन इसके बावूजद भी छत्तीसगढ़ पुलिस ने आज तक इन निर्देशों के पालन की आवश्यकता नहीं समझी। वास्तव में इसके लिये जिम्मेदार कौन है? इन दिर्नेशों के पालन करवाने के लिये निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री व गृहमंत्री ही जिम्मेदार है, क्योंकि मुख्यमंत्री व गृहमंत्री इस बात के लिये इंकार नहीं कर सकते है कि वे माननीय सर्वोच्च न्यायालय के गिरफ्तारी संबंधित ग्यारह सूत्रीय दिशा निर्देशों को नहीं जानते थे। प्रदेश का गृहमंत्रालय भी इस दिशा में काफी लापरवाह है, यदि प्रदेश के पुलिस महानिरदेश चाहें तो समस्त जिले के पुलिस अधीक्षक उपरोक्त निर्देशों का पालन न करे ऐसा नहीं हो सकता है। ऐसा नहीं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री व गृहमंत्री को पुलिस द्वारा निर्देशों के प्रति लापरवाही की शिकायतें नहीं भेजी जाती है। पर जिम्मेदार पद पर आसीन जनप्रतिनिधियों व तथाकथित जिम्मेदार शासकीय अधिकारियों ने कभी भी इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं समझी। वैसे भी क्या सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पालन बिना समाचार प्रकाशित हुये करना आवश्यक नहीं है? भारतीय विद्वान न्यायाधीशों ने गिरफ्तारी से संबंधित जिन ग्यारह सूत्रों को गिरफ्तारी करने का अधिकार रखने वाली एजेंसी के अधिकारी को पालन करने का निर्देश दिया है। सरगुजा जिले में आज तक एक भी गिरफ्तारी में उक्त निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है। पुलिस अधिकारियों को पता होना चाहिये कि उक्त निर्देश माननीय उच्चतम न्यायालय के है जिन्हें पालन करने को वे बाध्य हैं। माननीय विद्वान न्यायाधीश ने आदेश दिये है कि उक्त निर्देशों को सभी सार्वजनिक स्थल, पुलिस थानों, पुलिस अधीक्षक व वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के कार्यालयों, जिला कलेक्टर कार्यालयों में आवश्यक रूप से बोर्ड पर स्पष्ट रूप से लिखवा कर लगवाया जाये ताकि आम नागरिक इसके विषय में समझ सके व जानकारी रखें। माननीय उच्चतम न्यायालय के गिरफ्तारी संबंधित दिशा निर्देश के ग्यारहवें सूत्र का भी नहीं किया जा रहा है। इस निर्देश के तहत पुलिस के समस्त जिला व प्रदेश मुख्यालयों में एक ऐसा पुलिस कंट्रोल रूप वांछित है जहां प्रत्येक गिरफ्तारी की सूचना व कस्टडी में रखे जाने के स्थान की जानकारी बारह घंटों के अंदर ऐसे नोटिस, बोर्ड पर अंकित की जाये कोई भी आसानी से व स्पष्ट रूप से देख सके। लेकिन यदि पूरे प्रदेश में इसकी जांच की जाये तो शायद ही किसी पुलिस के जिला व प्रदेश मुख्यालय के कार्यालय में ऐसा बोर्ड होगा जिस पर किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी संबंधित सूचनायें अंकित की जाती हों, बल्कि होता तो यह है कि किसी गिरफ्तार व्यक्ति की जानकारी लेने यदि कोई व्यक्ति जाता है तो उसे दुत्कार कर भगा दिया जाता है।