08 मई 2010 को गुना मानस भवन में आईसना का प्रांतीय सम्मेलन आयोजित
रिपोर्टर//उमेश कुमार पाण्डेय (भोपाल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
आज जहां चारों तरफ ''क्रिकेट'' जो कि अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्ति खेल है लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है वहीं दूसरी तरफ यह विकास में बाधक भी है। यह बात ''आइसना'' के प्रान्तीय सम्मेलन में गुना में आयोजित समारोह में उभरकर सामने आयी। ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन का प्रान्तीय सम्मेलन 08 मई 2010 को मानस भवन गुना में आयोजित हुआ जिसमें प्रदेश भर से दूर दराज एवं ग्रामीण अंचलों से पत्रकार साथी सैकड़ों की संख्या में इक_ा हुए। समारोह की अध्यक्षता गुना विधायक राजेन्द्र सिंह कर रहे थे एवं मुख्य अतिथि के रूप में सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री श्री के. एल. अग्रवाल उपस्थित थे। समारोह की शुरूआत पत्रकारिता के क्षेत्र में विशेष रूप से योगदान देने वाले पत्रकारों को सम्मान समारोह के साथ हुआ। इसके बाद विशेष रूप से एक ही मुद्दा पूरे समय छाया रहा। श्री रमेश राष्ट्रीय एकता परिषद के उपाध्यक्ष में इसकी शुरूआत की उन्होंने कहा जहां विकास है वहां तो क्रिकेट नहीं है यह तो गरीब देशों की सौगात है। अमेरिका, चीन, जापान, कनाडा, ये देश तो क्रिकेट नहीं खेलते जबकि इनके पास सारे संसाधन मौजूद है एवं उनके पास धन की भी कमी नहीं है। क्रिकेट तो गरीब देश ही खेलते हैं। बांगलादेश, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, भारत, इत्यादि जितने भी गरीब देश हैं सब क्रिकेट के सहारे पैसा इक_ा करने में जुटे हैं। इस बात का समर्थन माननीय मंत्री जी कन्हैया लाल अग्रवाल ने भी किया। आज जिस तरफ भी आँख उठा के देखा जाय लोग टी.वी. रेडियों यहां तक सिनेमा हाल में भी उस दिन क्रिकेट का ही बोलबाला रहता है। जिस दिन भारत का मैच होता है। बच्चे, बूढ़े सभी दिन रात क्रिकेट के बुखार में ही पीडि़त हो जाते हैं। हार-जीत को खेल का हार जीत न मानकर देश के हार जीत से जोड़ के देखा जाने लगता है। ऐसे में सांप्रदायिक दंगे हो जाते हैं। ऐसा समय-समय पर हुआ भी है। और होता ही है। जहां बच्चों को सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए वो खाना-पीना छोड़कर मैच देखने में जुट जाते हैं। चाहे बोर्ड की परीक्षा हो या फिर प्रतियोगी परीक्षा। कई बार क्रिकेट के रोमांचक मुकाबले में हार-जीत के कारण लोगों को हार्ट अटैक तक आ जाते हंै। ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है। पत्रकारों के समारोह को सम्बोधित करते हुए मंत्री जी ने हर तरीके से सरकार की तरफ से यथासंभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के हित में जो भी मांगे होगी जो भी अड़चने आ रही है वो जल्द ही दूर होगी। और पत्रकारों की लेखनी सम्मान के साथ चलेगी। पत्रकारिता जो चौथा स्तम्भ माना जाती है उस पर ध्यान देने की जरूरत है आज ग्रामीण पत्रकार हो या शहरी पत्रकार उनसे दिग्विजय सरकार ने सारी सुविधाएँ छील ली है। अगर ये सेवाएँ शुरू हो जाय तो म.प्र. सरकार की (शिवराज सरकार) सौगात होगी। वहीं जहां क्रिकेट जैसे खेल पर इतना पैसा लुटाया जा रहा वहीं अगर पत्रकारों के लिए भी मासिक निर्धारण कर दिया जाये तो यह शिवराज सरकार की दूसरी सौगात होगी। वो भी अपनी रोज-रोटी चला सके एवं अपने आप को सुरक्षित महसूस करें। समारोह में उपस्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पुष्पेन्द्र बाल सिंह ने अपने उद्बोधन में पत्रकारिता से जुड़े सभी मुद्दों को बखुबी से रखा। उन्होंने पत्रकारों को निष्पक्षता, आत्ममूल्यांन, आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया वहीं दूसरी तरफ पत्रकारों पर हो रहे अत्याचारों की भी आलोचना की। पत्रकारों को न्याय मिले इस दिशा में हो रहे संघ के संघर्ष में उन्होंने कहा हम भी साथ हैं। पत्र-पत्रिकाओं की महत्वता को समझाते हुए कहा जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं तथा अब समय आ गया है कि पत्र-पत्रिकाओं की महत्वता को एक स्तर में स्वीकार किया जाना चाहिए। इसलिए इसे विशेष रूप से संरक्षण की भी जरूरत है।
गुना से लौट कर रिपोर्टर उमेश पाण्डेय से सम्पर्क 95895 29987
रिपोर्टर//उमेश कुमार पाण्डेय (भोपाल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
आज जहां चारों तरफ ''क्रिकेट'' जो कि अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्ति खेल है लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है वहीं दूसरी तरफ यह विकास में बाधक भी है। यह बात ''आइसना'' के प्रान्तीय सम्मेलन में गुना में आयोजित समारोह में उभरकर सामने आयी। ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन का प्रान्तीय सम्मेलन 08 मई 2010 को मानस भवन गुना में आयोजित हुआ जिसमें प्रदेश भर से दूर दराज एवं ग्रामीण अंचलों से पत्रकार साथी सैकड़ों की संख्या में इक_ा हुए। समारोह की अध्यक्षता गुना विधायक राजेन्द्र सिंह कर रहे थे एवं मुख्य अतिथि के रूप में सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री श्री के. एल. अग्रवाल उपस्थित थे। समारोह की शुरूआत पत्रकारिता के क्षेत्र में विशेष रूप से योगदान देने वाले पत्रकारों को सम्मान समारोह के साथ हुआ। इसके बाद विशेष रूप से एक ही मुद्दा पूरे समय छाया रहा। श्री रमेश राष्ट्रीय एकता परिषद के उपाध्यक्ष में इसकी शुरूआत की उन्होंने कहा जहां विकास है वहां तो क्रिकेट नहीं है यह तो गरीब देशों की सौगात है। अमेरिका, चीन, जापान, कनाडा, ये देश तो क्रिकेट नहीं खेलते जबकि इनके पास सारे संसाधन मौजूद है एवं उनके पास धन की भी कमी नहीं है। क्रिकेट तो गरीब देश ही खेलते हैं। बांगलादेश, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, भारत, इत्यादि जितने भी गरीब देश हैं सब क्रिकेट के सहारे पैसा इक_ा करने में जुटे हैं। इस बात का समर्थन माननीय मंत्री जी कन्हैया लाल अग्रवाल ने भी किया। आज जिस तरफ भी आँख उठा के देखा जाय लोग टी.वी. रेडियों यहां तक सिनेमा हाल में भी उस दिन क्रिकेट का ही बोलबाला रहता है। जिस दिन भारत का मैच होता है। बच्चे, बूढ़े सभी दिन रात क्रिकेट के बुखार में ही पीडि़त हो जाते हैं। हार-जीत को खेल का हार जीत न मानकर देश के हार जीत से जोड़ के देखा जाने लगता है। ऐसे में सांप्रदायिक दंगे हो जाते हैं। ऐसा समय-समय पर हुआ भी है। और होता ही है। जहां बच्चों को सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए वो खाना-पीना छोड़कर मैच देखने में जुट जाते हैं। चाहे बोर्ड की परीक्षा हो या फिर प्रतियोगी परीक्षा। कई बार क्रिकेट के रोमांचक मुकाबले में हार-जीत के कारण लोगों को हार्ट अटैक तक आ जाते हंै। ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है। पत्रकारों के समारोह को सम्बोधित करते हुए मंत्री जी ने हर तरीके से सरकार की तरफ से यथासंभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के हित में जो भी मांगे होगी जो भी अड़चने आ रही है वो जल्द ही दूर होगी। और पत्रकारों की लेखनी सम्मान के साथ चलेगी। पत्रकारिता जो चौथा स्तम्भ माना जाती है उस पर ध्यान देने की जरूरत है आज ग्रामीण पत्रकार हो या शहरी पत्रकार उनसे दिग्विजय सरकार ने सारी सुविधाएँ छील ली है। अगर ये सेवाएँ शुरू हो जाय तो म.प्र. सरकार की (शिवराज सरकार) सौगात होगी। वहीं जहां क्रिकेट जैसे खेल पर इतना पैसा लुटाया जा रहा वहीं अगर पत्रकारों के लिए भी मासिक निर्धारण कर दिया जाये तो यह शिवराज सरकार की दूसरी सौगात होगी। वो भी अपनी रोज-रोटी चला सके एवं अपने आप को सुरक्षित महसूस करें। समारोह में उपस्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पुष्पेन्द्र बाल सिंह ने अपने उद्बोधन में पत्रकारिता से जुड़े सभी मुद्दों को बखुबी से रखा। उन्होंने पत्रकारों को निष्पक्षता, आत्ममूल्यांन, आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया वहीं दूसरी तरफ पत्रकारों पर हो रहे अत्याचारों की भी आलोचना की। पत्रकारों को न्याय मिले इस दिशा में हो रहे संघ के संघर्ष में उन्होंने कहा हम भी साथ हैं। पत्र-पत्रिकाओं की महत्वता को समझाते हुए कहा जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं तथा अब समय आ गया है कि पत्र-पत्रिकाओं की महत्वता को एक स्तर में स्वीकार किया जाना चाहिए। इसलिए इसे विशेष रूप से संरक्षण की भी जरूरत है।
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