क्राइम रिपोर्टर // असलम खान (शहडोल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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शहडोल। जिले में इन दिनों स्व सहायता समूह की बाढ़ सी आ गई है जो छात्रों के निवाले छीनकर अपने एवं अधिकारियों को भेंट कर रहे है। जिससे अधिकारियों के मुंह और सुरसे की तरह खुलते जा रहे है। जिले में संचालित इन स्व सहायता समूहों की जांच की जगह खुलकर इनकी सहायता की जा रही है।
- मामला फर्जी समूह का -
जिला पंचायत में एक मामला प्रकाश में आया है। जहां एक समूह द्वारा दूसरे समूह पर आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। जानकारी के अनुसार ग्राम भीखमपुर में संचालित मध्याह्न भोजन के लिए एक स्व सहायता समूह को नियुक्त किया गया। जो विकास स्व सहायता समूह के नाम से जाना जाता है। जिसकी ग्रेडिग एडीओ शिवराज मार्को द्वारा किया गया था। एवं सचिव रामकली द्वारा न सहायकों को भुगतान किया गया और बल्कि लकड़ी, सब्जी,दाल का पूरा पैसा निकाल कर स्वयं उपयोग कर लिया गया। जब दुकानदार द्वारा पैसें की मांग की गई तो सचिव द्वारा कहा गया कि आने पर पैसा दिया जाएगा। परंतु एक वर्ष बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया। इस संबंध में जब बैंक में जानकारी ली गई तो मालूम हुआ कि तीन बार पैसे निकाल लिए गए। इसके बाद बैठक कर सचिव को पद से हटा दिया गया।- एडीओ ने दी सलाह -
समूह से निकाले गए सचिव को एडीओ द्वारा सलाह दी गई कि तुम समूह बनाओं मैं ग्रेडिग कर तुम्हे पुन: मध्याह्न भोजन के लिए आवेदन करूंगा, महिला तत्काल समूह का गठन कर एडीओ को अपना रजिस्टर दे दी। बामुश्किल एक माह ही समूह बने हुए थे जिसमें ग्रेडिग कर क्रांति स्वसहायता समूह के नाम चावल का उठाव कर लिया गया जबकि उक्त महिला की जांच की जा रही है। तथा जो फर्जी स्व सहायता समूह है उसे दोबरा स्वसहायता समूह कैसे चलाने दे दिया गया फिर भी एडीओ की सहमति से उसे पुन: उठाव दे दिया गया।- आगनबाड़ी कार्यकर्ता के फर्जी हस्ताक्षर -
आंगनबाड़ी भीखमपुर की श्रीमती गुलबिया बाई ने बतायाकि समूह की सचिव रामकली द्वारा मुझ पर दबाव बनाया जाता रहा कि पूरी हाजरी भरों लेकिन मैने गलत तरीके से हाजिरी नहीं भरी। फिर उसने मुझसे हस्ताक्षर करने के लिए कहा। मेरे मना करने के बाद वह वापस चली गई और फर्जी कागजात के द्वारा एवं मेरे फर्जी हस्ताक्षर से भुगतान लेती रही। इसमे सबसे बड़ी बात यह है कि मेरे द्वारा हस्ताक्षर हिन्दी से किया जाता है जबकि सचिव द्वारा रजिस्टर में मेरे हस्ताक्षर अंग्रेजी में फर्जी तरीके से किए गए है। इसकी जांच भी गई थी एवं सचिव के खिलाफ 420 का मामला भी दर्ज हुआ था पर उससे आज तक इस संबंध में कोई पूछताछ की गई अधिकारियों की सह से उसके हौसले इतने बुलंद हो गए है। वह तत्काल नया समूह बनाकर खाद्यान्न का उठाव कर लिया। - संभाग में ऐसे कई चल रहे समूह -
संभाग में ऐसे ढेरो समूह बनाए गए है जिनकी जिला पंचायत के एडीओ द्वारा ग्रेडिग की जा रही है। जानकारी के अनुसार ज्यादातर स्वसहायता समूह एडीओ की मिली भगत से संचालित है। अगर यही कार्य रजिस्र्टड समूह या एनजीओ को सौंपा जाय तो शायद शासन उन पर दबाव बना सकती है। या फिर उसकी गलती पर रजिस्टेशन रद्द किया जा सकता है। पर इन समूहों के ऊपर क्या कार्यवाही कर सकती है। स्व सहायता समूहों की मनमानी पर न ही जिला पंचायत अंकुश लगा रहा है न ही प्रशासन इस तरफ ध्यान दे रहा है। समूहों द्वारा प्रति छात्र चावल 100 ग्राम, प्राथमिक 150 ग्राम, माध्यमिक एवं दाल 20 ग्राम प्राथमिक, 30 ग्राम माध्यमिक, सब्जी 50-75 ग्राम, तेल 5-7 से साढ़े सात ग्राम सुनिश्चित किया गया है। पंरतु क्या स्व सहायता समूह द्वारा सूची के अनुसार भोजन दिया जा रहा है। समूह द्वारा 2 से तीन किलो भोजन बनवाकर वितरण कर अपना पल्ला झाड़ रहे है जबकि प्रशासन द्वारा जांच करने की बजाय एक सहयोगी का कार्य कर रहे है। - एक समूह ठेका दस गांव -
संभाग में ऐसे कई स्वसहायता समूह संचालित है जो एक से लेकर 10 गांव तक सांझा चूल्हा का संचालन कर रहे है। जो जांच एवं निगरानी का विषय है क्या जिला पंचायत ऐसे समूह को मान्यता देता है जो एक साथ दस गांव के स्कूलों के मध्याह्न भोजन का संचालन कर रहे है। इसी स्थिति से पता चलता है कि संभाग में संचालित स्व सहायता समूह किस तरह अपने कार्य को अंजाम दे रहे है। विगत वर्ष बुढ़ार जनपद अंतर्गत एक ऐसा ही मामला सामने आया था जिसमें स्व सहायता समूह द्वारा मध्याह्न भोजन में परोसे गए भोजन में कीड़े पाए गए थे। - मध्यप्रदेश शासन की मंशा पर फिर रहा पानी -
जहां एक ओर शासन द्वारा छात्रों के लिए नित नई योजनाएं बनाई जा रही है एवं उनका क्रियान्वयन किया जा रहा है शासन द्वारा चलाई जा रही मध्याह्न भोजन योजना जिससे करोड़ों बच्चों को पोषण आहार मिल रहा है। वहीं संभाग में पदस्थ अधिकारियों रुपयों के खातिर छात्रों के जीवन के साथ खिलाड़ कर रहे है। अगर इन अधिकारियों द्वारा अपनी जिम्मेदारियों को ठीक तरीके से निर्वाह किया जाय तो ऐसे समूह जो छात्रों के मध्याह्न भोजन के हिस्से को अपने घर में रख रहे है उसे कुछ हद तक रोका जा सकता है। यहां तक कि मध्याह्न भोजन में कई स्वसहायता समूह द्वारा ऐसा भोजन परोसा जा रहा जो बच्चों को पोषण की जगह नुकसानदेह साबित हो रहा है। - इनका कहना है -
एडीओ द्वारा समय समय पर ग्रेडिग कर जिला पंचायत को रिपोर्ट देता है और जिला पंचायत उन समूह का चयन करते है