नई दिल्ली।। मामले में फंसे सीनियर कांग्रेसी नेता एन.डी. तिवारी ने दिल्ली हाई कोर्ट के सामने हलफनामा दायर किया है।
तिवारी ने इस हलफनामे में कहा कि किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विपरीत डीएनए टेस्ट
के लिए खून का नमूना देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। सीनियर कांग्रेसी नेता ने अपने हलफनामे में कहा, ' मैं हाई कोर्ट के फैसलों पर विश्वास करता हूं और डीएनए टेस्ट के लिए किसी मजबूरी के खिलाफ सुरक्षित महसूस करता हूं। '
तिवारी ने हाई कोर्ट के कई पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए डीएनए टेस्ट के लिए खून के नमूने नहीं देने के अपने कदम को सही ठहराया। जज गीता मित्तल गुरुवार रोहित शेखर की याचिका पर सुनवाई कर सकती हैं। रोहित ने तिवारी द्वारा कोर्ट के खून के नमूने देने के आदेश का पालन नहीं करने पर इस कांग्रेसी नेता के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की मांग की।
हाई कोर्ट ने 11 जुलाई को तिवारी से एक ' व्यक्तिगत हलफनामा ' दाखिल करके डीएनए टेस्ट कराने से इनकार करने पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा था। जज गीता मित्तल ने 31 वर्षीय शेखर की उस याचिका पर भी तिवारी को नोटिस दिया था, जिसमें तिवारी के खिलाफ पिछले साल 23 दिसंबर को उन पर लगाए गए 75 हजार रूपये के जुर्माने को नहीं भरने पर अवमानना की कार्रवाई करने की मांग की थी।
तिवारी ने अपनी याचिका में कहा है कि वह स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने पिछले 70 साल से देश की सेवा की है और इसलिए उन्हें खून के नमूने देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इस दलील पर कहा था कि आप स्वंतत्रता सेनानी थे, यह तथ्य आपको कोर्ट के आदेश को इस तरह से नजरअंदाज करने का लाइसेंस नहीं देता।
गौरतलब है कि रोहित शेखर नामक एक शख्स ने तिवारी के बॉयोलॉजिकल(जैविक) पुत्र होने का दावा किया है, जिसके बाद कोर्ट ने तिवारी के डीएनए टेस्ट का आदेश दिया था।
तिवारी ने इस हलफनामे में कहा कि किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विपरीत डीएनए टेस्ट
के लिए खून का नमूना देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। सीनियर कांग्रेसी नेता ने अपने हलफनामे में कहा, ' मैं हाई कोर्ट के फैसलों पर विश्वास करता हूं और डीएनए टेस्ट के लिए किसी मजबूरी के खिलाफ सुरक्षित महसूस करता हूं। '
तिवारी ने हाई कोर्ट के कई पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए डीएनए टेस्ट के लिए खून के नमूने नहीं देने के अपने कदम को सही ठहराया। जज गीता मित्तल गुरुवार रोहित शेखर की याचिका पर सुनवाई कर सकती हैं। रोहित ने तिवारी द्वारा कोर्ट के खून के नमूने देने के आदेश का पालन नहीं करने पर इस कांग्रेसी नेता के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की मांग की।
हाई कोर्ट ने 11 जुलाई को तिवारी से एक ' व्यक्तिगत हलफनामा ' दाखिल करके डीएनए टेस्ट कराने से इनकार करने पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा था। जज गीता मित्तल ने 31 वर्षीय शेखर की उस याचिका पर भी तिवारी को नोटिस दिया था, जिसमें तिवारी के खिलाफ पिछले साल 23 दिसंबर को उन पर लगाए गए 75 हजार रूपये के जुर्माने को नहीं भरने पर अवमानना की कार्रवाई करने की मांग की थी।
तिवारी ने अपनी याचिका में कहा है कि वह स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने पिछले 70 साल से देश की सेवा की है और इसलिए उन्हें खून के नमूने देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इस दलील पर कहा था कि आप स्वंतत्रता सेनानी थे, यह तथ्य आपको कोर्ट के आदेश को इस तरह से नजरअंदाज करने का लाइसेंस नहीं देता।
गौरतलब है कि रोहित शेखर नामक एक शख्स ने तिवारी के बॉयोलॉजिकल(जैविक) पुत्र होने का दावा किया है, जिसके बाद कोर्ट ने तिवारी के डीएनए टेस्ट का आदेश दिया था।