Thursday, June 27, 2013

राजनैतिक महत्वाकांक्षा का शिकार, बाबा रामदेव

toc news internet channal
  
तनवीर जाफ़री

ऐसा नहीं है कि भारतीय राजनीति में धर्मगुरुओं या संत समाज की सक्रियता कभी नहीं रही। संतों की भारतीय राजनीति में सक्रियता कल भी थी, आज भी है और संभवतः भविष्य में भी रहेगी। भारतीय संविधान जब देश के किसी भी नागरिक को सक्रिय राजनीति में भाग लेने, मतदान करने तथा चुनाव लडऩे की इजाज़त देता है फिर आखिर धर्मगुरु व साधू सतं समाज राष्ट्र निर्माण के इस पवित्र पेशे अर्थात राजनीति से क्योंकर दूर रहे।

परंतु जिस प्रकार धर्म व अध्यात्म क्षेत्र की अपनी सीमाएं व मर्यादाएं हैं उसी प्रकार राजनीति भी एक अलग प्रकार का कार्यक्षेत्र है। चूंकि सत्ता के सुख-साधन तथा सरकारी धन दौलत पर ऐश परस्ती तथा सत्ता शक्ति की ताक़त व इसके करिश्मे राजनीति जैसे पेशे से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं इसलिए भले ही और कोई पेशा किसी अन्य पेशे के व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करे या न करे परंतु राजनीति व इसमें पाया जाने वाला ग्लैमर निश्चित रूप से सभी क्षेत्रों के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। चाहे वह ग्लैमर वर्ल्ड अर्थात् सिने जगत से जुड़े लोग हों, उद्योगपति हों, साधू-संत समाज के लोग हों या फिर किसी भी अन्य क्षेत्र के नागरिक।

वैसे भी भारतीय राजनीति में दुर्भाग्य यह है कि चूंकि उसमें शिक्षा-दीक्षा, पढ़ाई-लिखाई व किसी प्रकार के प्रशिक्षण की कोई आवश्यकता नहीं होती इसलिए इस क्षेत्र में तमाम ऐसे लोग भी सक्रिय हो जाते हैं जो अनपढ़ भी होते हैं तथा कई क्षेत्रों में अपना भाग्य आज़माने के बाद भी अपने जीवन में हमेशा असफल ही रहे हैं। परंतु राजनीति में ऐसे लोग भी सफल होने की उ मीद ज़रूर रखते हैं। इस सोच का भी मु य कारण यही है कि चूंकि भारतीय राजनीति मतों पर आधारित है तथा मतदान का अधिकार देश के सभी नागरिकों का है। राजनीतिज्ञ यह भी जानता है कि देश की साठ से लेकर सत्तर फीसदी तक की आबादी अशिक्षित व भोली-भाली है।

और इस बहुसं य वर्ग को तरह-तरह के प्रलोभन, वादों आश्वासनों तथा जात-धर्म, वर्ग या किसी अन्य ताने-बाने में अलझाकर उसे अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है। यह सोच भी तमाम फ़िसड्डी और नाकारा किस्म के लोगों को न केवल राजनीति में पर्दापण के अवसर उपलब्ध कराती है बल्कि इस प्रवृति के लोग राजनीति के क्षेत्र में क ़दम रखते ही बड़े-बड़े सुनहरे सपने भी सजोने लग जाते हैं। विधायक या सांसद बनना तो दूर तमाम लोग तो राजनीति में क़दम रखते ही मंत्री, मु यमंत्री या केंद्रीय मंत्री के सपने तक देखने लग जाते हैं। और यदि ऐसे में कोई व्यक्ति इन्हीं मंत्रियों के व केंद्रीय मंत्रियों के लिए स्वयं आकर्षण का केंद्र बन जाए तो इस स्थिति में उस व्यक्ति का दिमाग चौथे आसमान पर पहुंच जाना भी कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

बाबा रामदेव के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। बाबा रामदेव अच्छा-भला योग क्रिया के क्षेत्र मीडिया विशेषकर टी.वी चौनल की कृपा से देश विदेश में खूब नाम पैदा करने लगे थे। और नाम पैदा करते-करते उन्होंने इसी योगा के क्षेत्र से ही श्दाम्य भी खूब पैदा किया। बताया जाता है कि रामदेव इसी योगा के चमत्कार स्वरूप तथा योगा जगत से संपर्क में आने वाले धनपतियों की दान दक्षिणा से लगभग 11सौ करोड़ की संपत्ति के स्वामी बन चुके हैं। एक ओर रामदेव योग क्रिया के क्षेत्र में आगे बढ़ते गए,अपना जनाधार बढ़ाते गए तो दूसरी ओर आम लोगों की ही तरह देश के लगभग सभी दलों के राजनेता भी रामदेव की ओर खिंचे चले आने लगे।

इसका कारण यह कतई नहीं था कि रामदेव का व्यक्तिगत् व्यक्तित्व इतना आकर्षक था कि राजनेता इनसे प्रभावित हो जाते बल्कि इसका कारण सिर्फ और सिर्फ यह था कि रामदेव के योग शिविरों में आने वाले सैकड़ों व हज़ारों लोगों से यह राजनेता अपनी श्हॉबी्य के मुताबिक़ रू-ब-रू होना चाहते थे। सर्वविदित है कि हमारे देश में नेताओं का भीड़ से बहुत गहरा रिश्ता है और भीड़ को संबोधित करने के लिए व भीड़ को अपना चेहरा दिखाने तथा भीड़ से अपना संवाद स्थापित करने के लिए नेता तमाम प्रकार के हथकंडे अपना सकता है। ऐसे में किसी भी नेता को रामदेव के योगशिविर में जाने से आखिर क्या आपत्ति हो सकती थी जबकि वहां तो भीड़ के दर्शन के साथ ‘‘हेेल्थ केयर टिप्स’’ तो बोनस में प्राप्त होने थे।

उधर बाबा रामदेव ने राजनीतिज्ञों से अपने संबंधों का पहले तो भरपूर लाभ उठाते हुए अपने योग व आयुर्वेद संबंधी सामा्रज्य का न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक विस्तार किया। इसी दौरान उन्होंने धीरे-धीरे पतंजलि योग पीठ, दिव्य योग मंदिर, दिव्य फार्मेसी और आगे चलकर भारत स्वाभिमान ट्रस्ट नामक संस्थानों व संगठनों की स्थापना कर डाली। परंतु लगता है कि बाबा रामदेव को लगभग ग्यारह सौ करोड़ रुपये का विशाल साम्राज्य स्थापित करने के बाद भी तसल्ली नहीं हुई और उनके दिमाग में ऐसी गलतफहमी पैदा होने लगी कि क्यों न देश की राजनीति को अपने नियंत्रण में लेकर इस देश की सत्ता पर ाी अपना नियंत्रण रखा जाए।

उन्हें यह भी मुगालता होने लगा कि मेरा अपना व्यक्तिव ही कुछ ऐसा निराला है तभी तो सत्ता व विपक्ष का बड़ा से बड़ा नेता उनके योग शिविर में उनके निमंत्रण पर खिंचा चला आता है। और इस मुगालते ने धीरे-धीरे अहंकार का भी वह रूप धारण कर लिया जिसने कि बाबा रामदेव के मुंह से अहंकार के यह वाक्य तक निकलवा दिए कि-जब देश के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री मेरे चरणों में बैठते हों फिर आखिर मैं क्यों प्रधानमंत्री बनना चाहूंगा। इतने बड़े अहंकार भरे शब्द शायद ही अब तक देश के किसी प्रमुख व्यक्ति या साधू-संत के मुख से निकले हों। परंतु राजनीति के उतार-चढ़ाव,इसके तौर-तरीकों व इसकी बारीकियों से पूरी तरह नावाकिफ बाबा रामदेव ने इस प्रकार की अशोभनीय व अहंकारपूर्ण टिप्पणी से देश को कम से कम यह संदेश तो दे ही दिया कि उनके अंदर कितना अहंकार छुपा है व भारतीय राजनीति के सर्वाेच्च एवं गरिमापूर्ण पदों के बारे में उनके कैसे विचार हैं।

इतना ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर योग शिविर के नाम पर लाखों लोग इकठ्ठा करने वाले इस योग गुरु को यह मुगालता भी हो गया कि योग शिविर में आने वाली यही भीड़ जहां उन्हें विश्व वि यात योग ऋषि बना सकती है वहीं उसी भीड़ के कंधों पर सवार होकर वे देश की लोकतांत्रिक राजनैतिक व्यवस्था पर भी कब्ज़ा जमा सकते हैं। बस फिर क्या था। बाबा रामदेव ने विदेशों से काला धन वापसी का मुद्दा कुछ इस अंदाज़ में उठाया गोया देश में वही अकेले ऐसे व्यक्ति हों जिन्हें विदेशों से काला धन वापस मंगाने की सबसे अधिक चिंता हो या देश की जनता ने उन्हें इस काम के लिए अधिकृत कर दिया हो।

दरअसल रामदेव ने आम लोगों को भावनात्मक रूप से अपने साथ जोडऩे की गरज़ से मुद्दा तो काले धन की वापसी का उठाया परंतु धीरे-धीरे वे देश में अपनी राजनैतिक शक्ति को भी तौलने लगे। पिछले संसदीय चुनावों में स्वाभिमान ट्रस्ट द्वारा शत-प्रतिशत मतदान करने की अपील के साथ पूरे देश में तमाम जगहों पर रैलियां भी निकाली गईं थीं। यह सब कार्रवाई केवल अपने नवगठित ‘‘भारत स्वाभिमान संगठन’’ की ज़मीनी हकीकत को नापने तथा इसे प्रचारित करने के लिए की गई थी।

परंतु राजनैतिक तिकड़मबाज़ियों से अनभिज्ञ रामदेव की भारतीय राजनीति के क्षितिज पर चमकने की मनोकामना आखिर उस समय धराशायी हो गई जबकि वे रामलीला मैदान से अपने समर्थकों व अनुयाईयों को उनके अपने हाल पर छोड़कर स्वयं पुलिस से डर कर किसी महिला के कपड़े पहनकर भाग निकले। परंतु पुलिस ने इसी हालत में उनको गिर तार भी कर लिया। उनकी दूसरी बड़ी किरकिरी उस समय हुई जबकि वे नींबू-पानी व शहद ग्रहण करने के बावजूद स्वयं को श्अनशनकारी्य बताते रहे। और उन्हें सबसे अधिक मुंह की तो तब खानी पड़ी जब इस तथाकथित अनशन को समाप्त करने के लिए भी उनके पास केंद्र सरकार का कोई प्रतिनिधि उन्हें मनाने नहीं गया।

और कुछ संतों की गुज़ारिश पर उन्होंने बिना अपनी कोई मांग पूरी हुए तथा बिना किसी सरकारी आश्वासन के अपना अनशन तोड़ दिया। अब यही बाबा रामदेव राजनीति से ‘‘वास्तविक साक्षात्कार’’ के पश्चात काले धन की वापसी पर तो कम बोलते दिखाई दे रहे हैं बल्कि अब उन्हें लोगों को यही बताना पड़ रहा है कि वे रामलीला मैदान से क्यों भागे, उन्होंने औरतों के कपड़े किन परिस्थितियों में पहने तथा अपना तथाकथित अनशन उन्हें कैसे तोडऩा पड़ा। अब वे अपनी धन-सपत्ति तथा तमाम आरोपित अनियमितताओं का जवाब देते फिर रहे हैं। रामलीला मैदान से उनके भेष बदलकर पलायन करने की घटना को भी संत समाज कायरतापूर्ण कार्रवाई बता रहा है। जबकि बाबा रामदेव व उनके समर्थक इसे वक़्त की ज़रूरत तथा सूझ-बूझ भरा एक अवसरवादी कदम बता रहे हैं।
बहरहाल, बाबा रामदेव की मुश्किलें अभी निकट भविष्य में खत्म होती दिखाई नहीं दे रही है। प्रत्येक आने वाला दिन उनके लिए विशेषकर उनके महत्वाकांक्षी राजनैतिक अस्तित्व के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है। कल जिस अहंकार से रामदेव ने अन्ना हज़ारे जैसे वरिष्ठ गांधी वादी नेता के लिए यह कहा था कि-अन्ना हज़ारे पहले महाराष्ट्र तक सीमित थे परंतु उन्हें अपने मंच पर लाकर राष्ट्रीय स्तर पर मैंने उनका परिचय देशवासियों से कराया। तथा जिस अन्ना हज़ारे के जंतर मंतर पर आयोजित अनशन को बौना करने की गरज़ से उन्होंने अपना ‘‘रामलीला मैदान का शो’’ आयोजित किया था अब वही अन्ना हज़ारे अपने भविष्य के कार्यक्रम में रामदेव को अपनी शर्तों के साथ शामिल करने की बात कह रहे हैं।

खबर तो यह भी है कि 16 अगस्त के अन्ना हज़ारे के प्रस्तावित अनशन में रामदेव से जनता के बीच में बैठकर अनशन में शरीक होने की बात की जा रही है न कि अन्ना हज़ारे के साथ मंच सांझा करने के लिए। उधर प्रवर्तन निदेशालय बाबा रामदेव द्वारा इकटठी की गई 1100 करोड़ की संपत्ति की जांच करने में इस संदेह के कारण लग गया है कि कहीं रामदेव द्वारा फे मा नियमों का उल्लंघन तो नहीं किया गया? रामदेव के एक परम सहयोगी बालकृष्ण पर भी दो पासपार्ट रखने तथा इन पासपोर्ट पर कई विदेशी यात्राएं करने जैसे आरोप लग रहे हैं। कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि बाबा रामदेव को योगा ने तो आसमान पर चढ़ा दिया परंतु उनकी राजनैतिक महत्वाकांक्षा उन्हें ले डूबी।

CCH ADD

CCH ADD
CCH ADD

dhamaal Posts

जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

ANI NEWS INDIA

‘‘ANI NEWS INDIA’’ सर्वश्रेष्ठ, निर्भीक, निष्पक्ष व खोजपूर्ण ‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया ऑनलाइन नेटवर्क’’ हेतु को स्थानीय स्तर पर कर्मठ, ईमानदार एवं जुझारू कर्मचारियों की सम्पूर्ण मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले एवं तहसीलों में जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / पंचायत स्तर पर क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों / संवाददाताओं की आवश्यकता है।

कार्य क्षेत्र :- जो अपने कार्य क्षेत्र में समाचार / विज्ञापन सम्बन्धी नेटवर्क का संचालन कर सके । आवेदक के आवासीय क्षेत्र के समीपस्थ स्थानीय नियुक्ति।
आवेदन आमन्त्रित :- सम्पूर्ण विवरण बायोडाटा, योग्यता प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार के स्मार्ट नवीनतम 2 फोटोग्राफ सहित अधिकतम अन्तिम तिथि 30 मई 2019 शाम 5 बजे तक स्वंय / डाक / कोरियर द्वारा आवेदन करें।
नियुक्ति :- सामान्य कार्य परीक्षण, सीधे प्रवेश ( प्रथम आये प्रथम पाये )

पारिश्रमिक :- पारिश्रमिक क्षेत्रिय स्तरीय योग्यतानुसार। ( पांच अंकों मे + )

कार्य :- उम्मीदवार को समाचार तैयार करना आना चाहिए प्रतिदिन न्यूज़ कवरेज अनिवार्य / विज्ञापन (व्यापार) मे रूचि होना अनिवार्य है.
आवश्यक सामग्री :- संसथान तय नियमों के अनुसार आवश्यक सामग्री देगा, परिचय पत्र, पीआरओ लेटर, व्यूज हेतु माइक एवं माइक आईडी दी जाएगी।
प्रशिक्षण :- चयनित उम्मीदवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण भोपाल स्थानीय कार्यालय मे दिया जायेगा, प्रशिक्षण के उपरांत ही तय कार्यक्षेत्र की जबाबदारी दी जावेगी।
पता :- ‘‘ANI NEWS INDIA’’
‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया नेटवर्क’’
23/टी-7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, प्रेस काम्पलेक्स,
नीयर दैनिक भास्कर प्रेस, जोन-1, एम. पी. नगर, भोपाल (म.प्र.)
मोबाइल : 098932 21036


क्र. पद का नाम योग्यता
1. जिला ब्यूरो प्रमुख स्नातक
2. तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / हायर सेकेंडरी (12 वीं )
3. क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
4. क्राइम रिपोर्टरों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
5. ग्रामीण संवाददाता हाई स्कूल (10 वीं )

SUPER HIT POSTS

TIOC

''टाइम्स ऑफ क्राइम''

''टाइम्स ऑफ क्राइम''


23/टी -7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, जोन-1,

प्रेस कॉम्पलेक्स, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) 462011

Mobile No

98932 21036, 8989655519

किसी भी प्रकार की सूचना, जानकारी अपराधिक घटना एवं विज्ञापन, समाचार, एजेंसी और समाचार-पत्र प्राप्ति के लिए हमारे क्षेत्रिय संवाददाताओं से सम्पर्क करें।

http://tocnewsindia.blogspot.com




यदि आपको किसी विभाग में हुए भ्रष्टाचार या फिर मीडिया जगत में खबरों को लेकर हुई सौदेबाजी की खबर है तो हमें जानकारी मेल करें. हम उसे वेबसाइट पर प्रमुखता से स्थान देंगे. किसी भी तरह की जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जायेगा.
हमारा mob no 09893221036, 8989655519 & हमारा मेल है E-mail: timesofcrime@gmail.com, toc_news@yahoo.co.in, toc_news@rediffmail.com

''टाइम्स ऑफ क्राइम''

23/टी -7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, जोन-1, प्रेस कॉम्पलेक्स, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) 462011
फोन नं. - 98932 21036, 8989655519

किसी भी प्रकार की सूचना, जानकारी अपराधिक घटना एवं विज्ञापन, समाचार, एजेंसी और समाचार-पत्र प्राप्ति के लिए हमारे क्षेत्रिय संवाददाताओं से सम्पर्क करें।





Followers

toc news