भोपाल//संवाददाता (टाइम्स ऑफ क्राइम)
भोपाल पुलिस की संदिग्ध कार्यप्रणाली का एक अध्याय और जोड़ दिया है। बागसेवनियां पुलिस ने अपराधियों के चरण में अपने मुण्ड को नस्मस्तक करने वाली पुलिस ने फिर खाकी वर्दी को कंलकित कर अपराधियों के हौसलों को बुलन्द कर दिया। आखिर चतुर चालाक पुलिस ने वो सब कर दिखाया जो मानवता को मुंह चिड़ा रहा है। जान लेवा हमला करने वाले आरोपियों को रातो रात सेटिंग कर छोड़ दिया गया। वहीं मीडिया कर्मी अपने अध्यक्ष पर हुए हमले की जानकारी मांगते रहे तो थाने के सिपाही सही जानकारी नहीं देते हुए फोन काट देते थे। घटना दिनांक 4 जून 2010 रात 7:30 बजे की है घटना साकेत नगर के मकान क्रं. 282/9ए भोपाल की है जहां चार लड़कों सहित एक ने ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स एसोसिएशन के प्रान्तीय अध्यक्ष को अपने जाल में फंसा कर बुलाया और राडों, पाइपों से सिर हाथ और शरीर पर ताबड़तोड़ हमला कर जान से निपटाने की पूरी कोशिश की परन्तु अवधेश भार्गव की सहन क्षमता के आगे अपराधियों के इच्छा पूरी नहीं हुई और वहीं घटना स्थल पर घण्टे पहले से खड़ी थी चीता। पुलिस वायरलेस पर मैसेज चला तो चीता के सिपाहियों ने मकान में दस्तक दे दी फिर सभी आरोपियों ने सिपाहियों से चर्चा की और फरार हो गये वहीं पीछे से पुलिस बल आने पर हमले की षडय़ंत्र कारी जाहिदा खान उर्फ आईशा उम्र 22 मुख्य आरोपी देवेन्द्र पाटीदार उम्र 24 गिरफ्त में आ गये जिसे पुलिस ने थाना सेवनियां ले आई। मोबाइल पर सूचना मिलते ही ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स के प्रान्तीय महासचिव विनय जी डेविड थाना बाग सेवनियां पहुंच गये और वहां का जो हाल देखा तो हथप्रभ रह गये। सिर से लबालब खून बह रहा था हाथ पैर में सूजन चढ़ गई थी हाथ की हड्डियां टूट चूकीं थी सिर पर बड़े-बड़े घाव थे जिसने 45 से 50 टांके आये। जान जोखिम में थी परन्तु बागसेवनिया सिर्फ नौ लाईन की एफ.आई.आर. लिखने में पूरे डेढ़ घण्टे लगा दिये 108 चिकित्सा वाहन खड़े होने के बावजूद टाइम खोटी किया वहीं आरोपी महिला जाहिदा और देवेन्द्र पाटीदार हंसते मुस्कराते थाने में मोबाइल फोनों पर इधर उधर टहलते नजर आये जबकि अपराधियों के मामले में पुलिस की तत्परता शून्य थी जानलेवा हमला करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार करने का कोई प्रयास नहीं किया गया और आरोपी समय रहते फरार हो गये। कानून व्यवस्था सुदृढ़ बताने वाली पुलिस और उनके चीता सिपाहियों की पोल खुल गई। वहीं छटाक सी एफ.आई.आर. में डेढ़ घण्टे लगाये गये ज्ञात हो कि आधा घण्टा और बित जाता तो अवधेश भार्गव की खून बहने से मौत हो जाती। ये है कानून व्यवस्था हमारे भोपाल की। जैसे-तैसे 108 में रख कर अवधेश भार्गव को हमीदिया ले जाया गया जहां इलाज के दौरान सिर पर करीब पचास टांके लगाये गये वहीं नांक पर टांका लगा। हाथ की हड्डियां टूट गई, पूरे शरीर में चोट के निशान बता रहे थे कि अपराधियों की मंशा हत्या करने की थी। सिर पर चोट के लिए हमीदिया अस्पताल के डॉक्टरों ने सी.टी. स्कीन करवाने की कोशिश की परन्तु उस समय मशीन खराब होने की वजह से सुबह के लिए टाल दिया गया। एक्स-रे आने के बाद सारी रिपोर्ट के बाद डॉक्टरों ने इलाज किया वहीं हाथ और पैर में प्लास्टर चढ़ा दिया। हड्डी डॉक्टरों ने एम.एल.सी. रिपोर्ट बनाई जिसे लेकर वहां उपस्थित सिपाही वापस आ गये जबकि मेन एम.एल.सी. सिर की चोट की बाकी रह गई जिसे देखे बिना थाना बासेवनिया पुलिस ने कुछ भा.ज.पा. नेताओं के दबाव में आकर बिना सोचे समझे जांच किये बिना फरयादी के बयान लिए बिना वही, फरयादी के बयान लिए बिना वहीं सबसे गंभीर बात बिना एम.एल.सी. और घायल फरयादी की जानकारी लिए बिना जमानत पर छोड़ कर इतिश्री कर ली। थाना प्रथानी ने जमानत देते ही छुट्टी पर रवाना हो गये वहीं आज 10 तारीख तक आरोपियों को पकडऩे की कोई कोशिश नहीं कि गई।
एफ.आई.आर. में घपलेबाजी
बागसेवनियां में पदस्थ सहायक उपनिरिक्षक ने अवधेश भार्गव के बयान तो लिए कुछ और एफ.आई.आर. कुछ और लिखी धारा की घोटालेबाजी करने के लिए मात्र करार देने की कोशिश की गई, ''स्पॉट रिर्पोटरÓÓ के सामने ये सब चला रहा था, आरोपियों ने षडय़ंत्र करके बुलाया रॉडे और लौहे के पाईपों से सिर फाड़ डाला हाथ पैर तोड़ डाले, इन्सूरेन्स की आड़ में बीस हजार रूपये की मांग की पैसे नहीं मिलने पर आरोपी देवेन्द्र पाटीदार, आरोपी पीयूष आरोपी जाहिदा उर्फ आईशा एवं अन्य दो आरोपी पहले से जो वहां थे दरवाजा बन्द कर लिया और देवेन्द्र पाटीदार ने हमला शुरू कर दिया वहीं चार युवकों ने सिर पर कई वार किये। वार के बाद इन लोगों ने एक कुर्सी पे भार्गव को बैठा कर रस्सी से जाहिदा ने बान्ध दिया और रूपये की मांग की रूपये नगद नहीं देने पर जेब की तालाशी ली। फिर जेब से गाड़ी मारूति की चाबी लेकर भाग गये और बेग लेकर ए.टी.एम. कार्ड ले लिया और फिल्मी स्टाइल में मारते हुए ए.टी.एम. का पास वर्ड लिया साथ ही गले की सोने की चेन आदि 4500/- (चार हजार पांच सौ रूपये) छुड़ा लिये जिसको पुलिस ने अपनी व्यवस्था भाषा में 4500/- व एक सोने की चेन नहीं मिली गिर गई बताया। पुलिस ने यहां पर पूरी कोशिश की। कि आरोपियों को बचा लने की जबकि ये मामला अपहरण, लूट, हत्या की कोशिश षडय़ंत्र पूर्वक योजना बनाकर हत्या करने का था जिसे श्रीमान पुलिस ने मात्र धारा 342, 323/506/34 का बना कर आरोपियों को राहत दे दी।
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