नहीं बता पाए अनुबंध के बारे में स्टार कॉपीराईट्स के कारिंदे,पत्रकारों के सवालों पर बगलें झांकते नजर आए कॉपीराईट प्रोटेक्शन के कथित दरोगा
सिवनी (साई)। स्टार कॉपी राईट प्रोटेक्शन के द्वारा आज आयोजित पत्रकार वार्ता में उस समय विषम परिस्थितियां उतपन्न हो गईं जब पत्रकार वार्ता के आयोजक खुद को सही साबित नहीं कर पाए। पत्रकारों के दनादन दागे गए प्रश्नों के जवाब में आयोजकों द्वारा कुछ डाक्यूमेंट अवश्य दिखाए गए किन्तु ये दस्तावेज मीडिया को संतुष्ट नहीं कर पाए।
आज अपरान्ह हॉटल बाहुबली में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया गया कि जब से स्टार कॉपीराइट प्रोटेक्शन ने सिवनी जिले के आसपास काम शुरू किया है तब से ही अवैध रूप से म्युजिक का व्यापार करने वाले व्यापारियों में जागरूकता आई है और अधिकांश लोगों ने नियमानुसार व्यवसाय करना प्रारंभ कर दिया। इसके लिए मीडिया धन्यवाद की पात्र है क्योंकि मीडिया ने ही अपने प्रयासों से लोगों तक यह जानकारी पहुंचाई कि बिना कॉपीराइट के म्युजिक डाउनलोड करना अपराध है साथ ही नीली फिल्म की डाउनलोडिंग के मामले को भी मीडिया ने समय समय पर उठाया जिसके बाद नीली फिल्म डाउनलोडिंग भी कम कर दी गई।
उक्ताशय की बात आज बाहुबली हॉटल में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान स्टार कॉपीराईट प्रोटेक्शन के गौरव सेंगर, हेमराज पटेल, विपिन प्रताप ने कही। उन्होंने बताया कि सिवनी जिले में स्टार कॉपीराइट प्रोटेक्शन के सर्वे के दौरान ज्ञात हुआ कि जिले में अवैध रूप से म्युजिक का व्यापारिक उपयोग जारी है। इस पर संज्ञान लेते हुए संस्था ने पुलिस विभाग के सहयोग से चार जगह छापामार कार्यवाही की और अवैध रूप से डाउनलोड करने वाले इंस्ट्रूमेंट को जप्त किया।
उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद भी कुछ व्यापारियों में अब भी जानकारी का अभाव है जिसके चलते उन्होंने अब तक संस्था से लायसेंस नहीं लिया वहीं जिन लोगों ने अनुमति पत्र लिया हुआ है वह नियम से अपने व्यवसाय को अंजाम दे रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि कॉपीराइट एक्ट के अनुसार कॉपीराइट के उल्लंघन के लिए 6 माह से 3 वर्ष तक का कारावास एवं 50 हजार से 03 लाख तक का प्रावधान कॉपीराइट एक्ट की धारा 63 एवं 68 के अनुसार होता है। इसके अलावा ऐसा करने पर अनजाने में ही व्यापारियों को सूचना एवं प्रौद्योगिकी एक्ट के उल्लंघन का मामला दर्ज हो जाता है।
बता नहीं पाए किसने किया अधिकृत
पत्रकारों द्वारा जब उनसे यह पूछा गया कि वे इस काम के लिए किसके द्वारा अधिकृत किए गए हैं तो उन्होंने बताया कि यूनिसिस इंफोसाल्यूशन्स नामक एक कंपनी जिसमें लगभग चार सौ म्यूजिक कंपनियां सदस्य हैं के अलावा भी अनेक कंपनियों के साथ उनके अनुबंध हैं जिस आधार पर वे इस तरह की कार्यवाहियों को अंजाम दे रहे हैं।
पत्रकारों को उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों में यूनिसिस नामक कंपनी के साथ महज दस कंपनियां (वे म्यूजिक कंपनियां हैं यह स्पष्ट नहीं) का नाम अनुबंध में दर्ज था। इनके द्वारा दर्शाए गए अधिकतर दस्तावेजों में स्टार कॉपी राईट प्रोटेक्शन फर्म का गठन फर्म का भागीदारी फर्म होना ही दर्शाया गया था।
पुलिस के पत्रों को दी प्रमुखता
आज से दो तीन दशक पहले बाहर से आकर तेल आदि बेचने वाले हरकारों के मानिंद (उस समय लोगों को प्रभावित करने के लिए पुलिस थानों से प्रशस्ति पत्र एवं दरोगा के साथ खिंचे फोटो फाईलों में हुआ करते थे) इस कंपनी ने पत्रकारों को प्रदेश के अनेक जिलों के जिला पुलिस अधीक्षक के पत्रों की छाया प्रति भी दिखाई जिसमें पायरेटेड सीडी की रोकथाम के लिए पुलिस बल उपलब्ध कराने की बात मोटे मोटे तौर पर कही गई है।
जेब में है हर जिले का एसपी कार्यालय!
अनेक जिलों के पुलिस अधीक्षकों के पत्रों में एक जैसी भाषा शैली और शब्दों के उपयोग से प्रतीत हो रहा था मानो इस कंपनी द्वारा हर जिले के एसपी कार्यालय को ही अपनी जेब में रखा जाता है वरना क्या वजह है कि हर जिले में पुलिस अधीक्षक के स्टेनो द्वारा एक सी ही भाषा का प्रयोग कर अपने अधीनस्थों को आदेशित किया गया है।
सिवनी एसपी का पत्र संदिग्ध!
आज समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को उपलब्ध कराई गई कथित दस्तावेजों की फोटोकॉपी में पुलिस अधीक्षक सिवनी के 17 अपै्रल 2013 के पत्र क्रमांक पुअ/सिवनी/रीडर/197/13 में पत्र को एनलाई कर दिया गया है जिससे एसपी के हस्ताक्षर एवं पदमुद्रा ही गायब है। इन पत्रों की फेहरिस्त में एक पत्र छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पुलिस अधीक्षक का भी लगाया गया है जबकि कंपनी के कारिंदों ने अपना कार्यक्षेत्र मध्य प्रदेश ही बताया था।
ब्लू फिल्मों पर ज्यादा जोर!
आज संपन्न पत्रकार वार्ता में आयोजकों द्वारा पत्रकारों के समक्ष इस बात पर जमकर जोर दिया गया कि मोबाईल पर डाउनलोड करने वालों द्वारा अश्लील फिल्मों को जमकर डाउनलोड किया जा रहा है। जब उनसे पूछा गया कि क्या नीली फिल्मों के अज्ञात निर्माताओं के साथ भी उनका एग्रीमेंट हुआ है तो वे मौन हो गए।
किसने तय की लाईसेंस फीस?
जब उनसे यह पूछा गया कि आठ और दस हजार रूपए में लाईसेंस देकर डाउनलोड करने के संबंध में किसने उन्हें यह निर्देश देकर तय किया गया है कि इसकी लाईसेंस फीस आठ से दस हजार रूपए होगी तब इस संबंध में वे पुनः मौन हो गए।
किस किस कंपनी ने नियुक्त किया स्टार को दरोगा?
पत्रकार वार्ता के आयोजक यह स्थापित करने में भी विफल ही रहे कि पायरेसी रोकने के लिए किन-किन म्यूजिक कंपनीज के साथ उनका अनुबंध हुआ है। उनकी फाईल में महज चंद एग्रीमेंट ही थे, जो सौ रूपए के स्टाम्प पेपर पर बनवाए गए थे। किन कंपनी ने उन्हें दरोगा नियुक्त कर काम करने के लिए किस धारा या नियम के तहत अधिकृत किया है यह बात भी स्पष्ट नहीं हो सकी है।
अगर स्टार वाले सही तो सरकार को क्या मिलेगा?
कहा जा रहा है कि यह मान भी लिया जाए कि स्टार कॉपीराईट प्रोटेक्शन वालों का एग्रीमेंट सही है, तब भी मध्य प्रदेश सरकार को इससे क्या लाभ होगा? जाहिर है आठ से दस हजार रूपए की राशि सीधे स्टार कॉपी राईट प्रोटेक्शन के खाते में जाएगी। यह राशि एक नंबर में ली जा रही है या दो नंबर में यह बात भी अभी तक स्पष्ट नहीं है। इसके साथ ही साथ स्टार कॉपीराईट प्रोटक्शन द्वारा इस राशि में कितना कर प्रदेश या केंद्र सरकार को जमा करवाया जा रहा है इस बारे में भी कंपनी द्वारा कोई प्रकाश नहीं डाला जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। कुल मिलाकर पायरेसी रोकने की आड़ में यह गोरखधंधा किए जाने की चर्चाएं चल पड़ी हैं।
डल चुके हैं छापे
गौरतलब है कि सिवनी जिले में पिछले एक साल में सिवनी शहर, केवलारी, बरघाट आदि स्थानों पर इस कथित कंपनी द्वारा मोबाईल डाउनलोडिंग एवं वीडियो डीवीडी बेचने वालों पर पुलिस के सहयोग से छापे डाले गए हैं। इनमें से केवलारी में एक प्रतिष्ठान पर छापे डालने के दौरान विवाद की स्थिति भी निर्मित हो चुकी है।
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(अखिलेश दुबे/अय्यूब कुरैशी)
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सिवनी (साई)। स्टार कॉपी राईट प्रोटेक्शन के द्वारा आज आयोजित पत्रकार वार्ता में उस समय विषम परिस्थितियां उतपन्न हो गईं जब पत्रकार वार्ता के आयोजक खुद को सही साबित नहीं कर पाए। पत्रकारों के दनादन दागे गए प्रश्नों के जवाब में आयोजकों द्वारा कुछ डाक्यूमेंट अवश्य दिखाए गए किन्तु ये दस्तावेज मीडिया को संतुष्ट नहीं कर पाए।
आज अपरान्ह हॉटल बाहुबली में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया गया कि जब से स्टार कॉपीराइट प्रोटेक्शन ने सिवनी जिले के आसपास काम शुरू किया है तब से ही अवैध रूप से म्युजिक का व्यापार करने वाले व्यापारियों में जागरूकता आई है और अधिकांश लोगों ने नियमानुसार व्यवसाय करना प्रारंभ कर दिया। इसके लिए मीडिया धन्यवाद की पात्र है क्योंकि मीडिया ने ही अपने प्रयासों से लोगों तक यह जानकारी पहुंचाई कि बिना कॉपीराइट के म्युजिक डाउनलोड करना अपराध है साथ ही नीली फिल्म की डाउनलोडिंग के मामले को भी मीडिया ने समय समय पर उठाया जिसके बाद नीली फिल्म डाउनलोडिंग भी कम कर दी गई।
उक्ताशय की बात आज बाहुबली हॉटल में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान स्टार कॉपीराईट प्रोटेक्शन के गौरव सेंगर, हेमराज पटेल, विपिन प्रताप ने कही। उन्होंने बताया कि सिवनी जिले में स्टार कॉपीराइट प्रोटेक्शन के सर्वे के दौरान ज्ञात हुआ कि जिले में अवैध रूप से म्युजिक का व्यापारिक उपयोग जारी है। इस पर संज्ञान लेते हुए संस्था ने पुलिस विभाग के सहयोग से चार जगह छापामार कार्यवाही की और अवैध रूप से डाउनलोड करने वाले इंस्ट्रूमेंट को जप्त किया।
उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद भी कुछ व्यापारियों में अब भी जानकारी का अभाव है जिसके चलते उन्होंने अब तक संस्था से लायसेंस नहीं लिया वहीं जिन लोगों ने अनुमति पत्र लिया हुआ है वह नियम से अपने व्यवसाय को अंजाम दे रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि कॉपीराइट एक्ट के अनुसार कॉपीराइट के उल्लंघन के लिए 6 माह से 3 वर्ष तक का कारावास एवं 50 हजार से 03 लाख तक का प्रावधान कॉपीराइट एक्ट की धारा 63 एवं 68 के अनुसार होता है। इसके अलावा ऐसा करने पर अनजाने में ही व्यापारियों को सूचना एवं प्रौद्योगिकी एक्ट के उल्लंघन का मामला दर्ज हो जाता है।
बता नहीं पाए किसने किया अधिकृत
पत्रकारों द्वारा जब उनसे यह पूछा गया कि वे इस काम के लिए किसके द्वारा अधिकृत किए गए हैं तो उन्होंने बताया कि यूनिसिस इंफोसाल्यूशन्स नामक एक कंपनी जिसमें लगभग चार सौ म्यूजिक कंपनियां सदस्य हैं के अलावा भी अनेक कंपनियों के साथ उनके अनुबंध हैं जिस आधार पर वे इस तरह की कार्यवाहियों को अंजाम दे रहे हैं।
पत्रकारों को उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों में यूनिसिस नामक कंपनी के साथ महज दस कंपनियां (वे म्यूजिक कंपनियां हैं यह स्पष्ट नहीं) का नाम अनुबंध में दर्ज था। इनके द्वारा दर्शाए गए अधिकतर दस्तावेजों में स्टार कॉपी राईट प्रोटेक्शन फर्म का गठन फर्म का भागीदारी फर्म होना ही दर्शाया गया था।
पुलिस के पत्रों को दी प्रमुखता
आज से दो तीन दशक पहले बाहर से आकर तेल आदि बेचने वाले हरकारों के मानिंद (उस समय लोगों को प्रभावित करने के लिए पुलिस थानों से प्रशस्ति पत्र एवं दरोगा के साथ खिंचे फोटो फाईलों में हुआ करते थे) इस कंपनी ने पत्रकारों को प्रदेश के अनेक जिलों के जिला पुलिस अधीक्षक के पत्रों की छाया प्रति भी दिखाई जिसमें पायरेटेड सीडी की रोकथाम के लिए पुलिस बल उपलब्ध कराने की बात मोटे मोटे तौर पर कही गई है।
जेब में है हर जिले का एसपी कार्यालय!
अनेक जिलों के पुलिस अधीक्षकों के पत्रों में एक जैसी भाषा शैली और शब्दों के उपयोग से प्रतीत हो रहा था मानो इस कंपनी द्वारा हर जिले के एसपी कार्यालय को ही अपनी जेब में रखा जाता है वरना क्या वजह है कि हर जिले में पुलिस अधीक्षक के स्टेनो द्वारा एक सी ही भाषा का प्रयोग कर अपने अधीनस्थों को आदेशित किया गया है।
सिवनी एसपी का पत्र संदिग्ध!
आज समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को उपलब्ध कराई गई कथित दस्तावेजों की फोटोकॉपी में पुलिस अधीक्षक सिवनी के 17 अपै्रल 2013 के पत्र क्रमांक पुअ/सिवनी/रीडर/197/13 में पत्र को एनलाई कर दिया गया है जिससे एसपी के हस्ताक्षर एवं पदमुद्रा ही गायब है। इन पत्रों की फेहरिस्त में एक पत्र छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पुलिस अधीक्षक का भी लगाया गया है जबकि कंपनी के कारिंदों ने अपना कार्यक्षेत्र मध्य प्रदेश ही बताया था।
ब्लू फिल्मों पर ज्यादा जोर!
आज संपन्न पत्रकार वार्ता में आयोजकों द्वारा पत्रकारों के समक्ष इस बात पर जमकर जोर दिया गया कि मोबाईल पर डाउनलोड करने वालों द्वारा अश्लील फिल्मों को जमकर डाउनलोड किया जा रहा है। जब उनसे पूछा गया कि क्या नीली फिल्मों के अज्ञात निर्माताओं के साथ भी उनका एग्रीमेंट हुआ है तो वे मौन हो गए।
किसने तय की लाईसेंस फीस?
जब उनसे यह पूछा गया कि आठ और दस हजार रूपए में लाईसेंस देकर डाउनलोड करने के संबंध में किसने उन्हें यह निर्देश देकर तय किया गया है कि इसकी लाईसेंस फीस आठ से दस हजार रूपए होगी तब इस संबंध में वे पुनः मौन हो गए।
किस किस कंपनी ने नियुक्त किया स्टार को दरोगा?
पत्रकार वार्ता के आयोजक यह स्थापित करने में भी विफल ही रहे कि पायरेसी रोकने के लिए किन-किन म्यूजिक कंपनीज के साथ उनका अनुबंध हुआ है। उनकी फाईल में महज चंद एग्रीमेंट ही थे, जो सौ रूपए के स्टाम्प पेपर पर बनवाए गए थे। किन कंपनी ने उन्हें दरोगा नियुक्त कर काम करने के लिए किस धारा या नियम के तहत अधिकृत किया है यह बात भी स्पष्ट नहीं हो सकी है।
अगर स्टार वाले सही तो सरकार को क्या मिलेगा?
कहा जा रहा है कि यह मान भी लिया जाए कि स्टार कॉपीराईट प्रोटेक्शन वालों का एग्रीमेंट सही है, तब भी मध्य प्रदेश सरकार को इससे क्या लाभ होगा? जाहिर है आठ से दस हजार रूपए की राशि सीधे स्टार कॉपी राईट प्रोटेक्शन के खाते में जाएगी। यह राशि एक नंबर में ली जा रही है या दो नंबर में यह बात भी अभी तक स्पष्ट नहीं है। इसके साथ ही साथ स्टार कॉपीराईट प्रोटक्शन द्वारा इस राशि में कितना कर प्रदेश या केंद्र सरकार को जमा करवाया जा रहा है इस बारे में भी कंपनी द्वारा कोई प्रकाश नहीं डाला जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। कुल मिलाकर पायरेसी रोकने की आड़ में यह गोरखधंधा किए जाने की चर्चाएं चल पड़ी हैं।
डल चुके हैं छापे
गौरतलब है कि सिवनी जिले में पिछले एक साल में सिवनी शहर, केवलारी, बरघाट आदि स्थानों पर इस कथित कंपनी द्वारा मोबाईल डाउनलोडिंग एवं वीडियो डीवीडी बेचने वालों पर पुलिस के सहयोग से छापे डाले गए हैं। इनमें से केवलारी में एक प्रतिष्ठान पर छापे डालने के दौरान विवाद की स्थिति भी निर्मित हो चुकी है।
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