क्या भारत के युवाओँ का एकमात्र उद्देश्य लडकी पटाना है??
जानो....समझों
नकाबपोश बिकाऊ मीडिया पूरा दिन "क्राँतिकारी" बने राग अलापता है लेकिन औकात भी तुरंत दिख जाती है।
जब हर २ मिनट मेँ ब्रेक लेता है और कम से कम ४ से ५ मिनट का प्रचार दिखाता है और प्रचार मेँ क्या दिखाता है वो सभी जानते हैँ -
*. क्रीम लगाओ लड़की पटाओ
*. पाउडर लगाओ लड़की पटाओ
*. डीयोडरंट लगाओ लड़की पटाओ
*. फैयर एंड हैंडसम लगाओ लड़की पटाओ
*. कोक पेप्सी पियो लड़की पटाओ
*. दिमाग की बत्ती जलाओ लड़की पटाओ
*. मंजन करो और ताज़ा साँसों से लड़की पटाओ
*. एंटी डेनड्रफ शैम्पू लगाओ लड़की पटाओ
*. कोई भी चिप्स खाओ लड़की पटाओ
*. फोन में फ्री स्कीम का रीचार्ज कराओ और लड़की पटाओ
*. गाडी खरीदो लडकी पटाओ
*. पत्थर पर गाडी चलाओ लडकी पटाओ
*. मोबाईल खरीदो लडकी पटाओ
*. तबियत खराब होने पर बांडेड गोली खाओ और शिरप लो और लडकी पटाओ
*. डिब्बाबंद पानी पियो और लडकी पटाओ
*. नई चड्डी बनियान पहन के घूमो और लडकी पटाओ
*. हद तो तब हो गयी जब पुरुषों के वस्त्रों से भी लड़की पट रही है। इनके विज्ञापनों में खास बात ये है की आपको कुछ करना नही है सिर्फ इन चीजों को इस्तेमाल करो लड़की खुद आपके पास चल कर आएगी। आखिर क्या हो गया है हमारे मीडिया और समाज में ? क्या ज़िंदगी का एक ही मकसद है लड़की पटाओ ? लगता है भारत में सभी उत्पादों के विज्ञापनों का एक ही उद्देश्य है 'लड़की पटवाना' .... पटती होंगी तुम्हारे पश्चिम में इस तरह लड्किया, लेकिन माफ़ करना मेरे भारत की बेटिया इतनी गिरी हुई नही है जिन्हें तुम इस तरह पटाने के तरीके बता रहे हो। अफ़सोस कुछ कूल ड्यूड सो कॉल्ड मॉडर्न किस्म के लोग इन घटिया दर्जे के विज्ञापनों झांसे में आ जाते है और औरत को इतना नीचा समझते है।
अब आप ही बताईए पूरा दिन कंडोम का प्रचार और लाल रंग के कपडे पहने हुए अर्धनग्न स्त्रियाँ दिखा कर युबाओँ की कामुकता बढाती हैँ। फिर किसी ने बलात्कार कर दिया तो ABP news बाले बोलेँगे - देश जबाब माँग रहा है! AAJ TAK - देश को जबाब देना ही पडेगा! ZEE NEWS - देश से हर कोई जबाब माँग रहा है! NDTV - अब तो देश को जबाब माँगन ही चाहिए! IBN7 - किससे जबाब माँगना चाहिए देश को? कौन देगा जबाब देश को? NEWS EXPRESS - अखिर कब मिलेगा देश को जबाब? INDIA TV - आपकी अदालत मेँ कौन देगा देश को जबाब? अखिर कब मिलेगा जबाब देश को? SAHARA - कौन दे सकता है देश को जबाब? बने रहिए हमारी ऐँकर अंजना के साथ। LIVEINDIA - हम इस पर लगातार नजर बनाए हुए हैँ कौन देगा देश को जबाब? बाकी के चैनल => हम भी लगातार नजर बनाए हुए हैँ और पल पल का समाचार आप तक पहुँचा रहे हैँ - आखिर कौन सामने आऐगा देश को जबाब देने? बने रहिए हमारे साथ (समाचार बताने बाली लडकियाँ - शरीर से कसे हुए कपडे पहने हुए दोहरे अर्थ बाले शब्दोँ का इस्तेमाल करते हुए बार बार अश्लीलता और लडकी पटाने का बिज्ञापन दिखाती रहेँगी।) फिर सारे मिडिया बाले एक सुर मेँ बोलेँगे - आईए अब हम जनता से भी जानने की कोशिश करते हैँ की अखिर किससे मिलेगा देश को जबाब?
अब बात यहाँ समझ मेँ नहीँ आती साला कौन सा देश है जिससे ये जबाब माँग रहेँ? किसका देश है और कौन रहता है उस देश मेँ? शुबह से शाम तक क्रातिकारी बनेँगे फिर रात को ११ बजते ही कोई मोटे लोगोँ को पतला करने की दबाई बेँचेँगा, कोई सेक्स करने के तरीके बताएगा, तो कोई बीकनी ब्रा बेचेगा और कई तरह के कामुक मजा लूटने का यंत्र या कुछ और बेँचेगा, और प्रचार(एडवरटाईसमेँट) ऐसे करेंगे और पारिवारिक बातोँ मेँ फसाँकर हिप्नोटाईस करके कुछ का कुछ दिखाते हैँ जो दुनुयाभर के अपराधोँ के मूल जड यही हैँ।
इसलिए इन्हेँ प्रतिबंधित किए जाने हेतु सभी विचारकुशल युवा और भारत के लोग आवाज उठाएँ। ये छोटा सा उदाहरण है। नकाबपोश क्राँतिकारी मीडिया का बलात्कारी अंदाज और घिनौना चरित्र।
जानो....समझों
नकाबपोश बिकाऊ मीडिया पूरा दिन "क्राँतिकारी" बने राग अलापता है लेकिन औकात भी तुरंत दिख जाती है।
जब हर २ मिनट मेँ ब्रेक लेता है और कम से कम ४ से ५ मिनट का प्रचार दिखाता है और प्रचार मेँ क्या दिखाता है वो सभी जानते हैँ -
*. क्रीम लगाओ लड़की पटाओ
*. पाउडर लगाओ लड़की पटाओ
*. डीयोडरंट लगाओ लड़की पटाओ
*. फैयर एंड हैंडसम लगाओ लड़की पटाओ
*. कोक पेप्सी पियो लड़की पटाओ
*. दिमाग की बत्ती जलाओ लड़की पटाओ
*. मंजन करो और ताज़ा साँसों से लड़की पटाओ
*. एंटी डेनड्रफ शैम्पू लगाओ लड़की पटाओ
*. कोई भी चिप्स खाओ लड़की पटाओ
*. फोन में फ्री स्कीम का रीचार्ज कराओ और लड़की पटाओ
*. गाडी खरीदो लडकी पटाओ
*. पत्थर पर गाडी चलाओ लडकी पटाओ
*. मोबाईल खरीदो लडकी पटाओ
*. तबियत खराब होने पर बांडेड गोली खाओ और शिरप लो और लडकी पटाओ
*. डिब्बाबंद पानी पियो और लडकी पटाओ
*. नई चड्डी बनियान पहन के घूमो और लडकी पटाओ
*. हद तो तब हो गयी जब पुरुषों के वस्त्रों से भी लड़की पट रही है। इनके विज्ञापनों में खास बात ये है की आपको कुछ करना नही है सिर्फ इन चीजों को इस्तेमाल करो लड़की खुद आपके पास चल कर आएगी। आखिर क्या हो गया है हमारे मीडिया और समाज में ? क्या ज़िंदगी का एक ही मकसद है लड़की पटाओ ? लगता है भारत में सभी उत्पादों के विज्ञापनों का एक ही उद्देश्य है 'लड़की पटवाना' .... पटती होंगी तुम्हारे पश्चिम में इस तरह लड्किया, लेकिन माफ़ करना मेरे भारत की बेटिया इतनी गिरी हुई नही है जिन्हें तुम इस तरह पटाने के तरीके बता रहे हो। अफ़सोस कुछ कूल ड्यूड सो कॉल्ड मॉडर्न किस्म के लोग इन घटिया दर्जे के विज्ञापनों झांसे में आ जाते है और औरत को इतना नीचा समझते है।
अब आप ही बताईए पूरा दिन कंडोम का प्रचार और लाल रंग के कपडे पहने हुए अर्धनग्न स्त्रियाँ दिखा कर युबाओँ की कामुकता बढाती हैँ। फिर किसी ने बलात्कार कर दिया तो ABP news बाले बोलेँगे - देश जबाब माँग रहा है! AAJ TAK - देश को जबाब देना ही पडेगा! ZEE NEWS - देश से हर कोई जबाब माँग रहा है! NDTV - अब तो देश को जबाब माँगन ही चाहिए! IBN7 - किससे जबाब माँगना चाहिए देश को? कौन देगा जबाब देश को? NEWS EXPRESS - अखिर कब मिलेगा देश को जबाब? INDIA TV - आपकी अदालत मेँ कौन देगा देश को जबाब? अखिर कब मिलेगा जबाब देश को? SAHARA - कौन दे सकता है देश को जबाब? बने रहिए हमारी ऐँकर अंजना के साथ। LIVEINDIA - हम इस पर लगातार नजर बनाए हुए हैँ कौन देगा देश को जबाब? बाकी के चैनल => हम भी लगातार नजर बनाए हुए हैँ और पल पल का समाचार आप तक पहुँचा रहे हैँ - आखिर कौन सामने आऐगा देश को जबाब देने? बने रहिए हमारे साथ (समाचार बताने बाली लडकियाँ - शरीर से कसे हुए कपडे पहने हुए दोहरे अर्थ बाले शब्दोँ का इस्तेमाल करते हुए बार बार अश्लीलता और लडकी पटाने का बिज्ञापन दिखाती रहेँगी।) फिर सारे मिडिया बाले एक सुर मेँ बोलेँगे - आईए अब हम जनता से भी जानने की कोशिश करते हैँ की अखिर किससे मिलेगा देश को जबाब?
अब बात यहाँ समझ मेँ नहीँ आती साला कौन सा देश है जिससे ये जबाब माँग रहेँ? किसका देश है और कौन रहता है उस देश मेँ? शुबह से शाम तक क्रातिकारी बनेँगे फिर रात को ११ बजते ही कोई मोटे लोगोँ को पतला करने की दबाई बेँचेँगा, कोई सेक्स करने के तरीके बताएगा, तो कोई बीकनी ब्रा बेचेगा और कई तरह के कामुक मजा लूटने का यंत्र या कुछ और बेँचेगा, और प्रचार(एडवरटाईसमेँट) ऐसे करेंगे और पारिवारिक बातोँ मेँ फसाँकर हिप्नोटाईस करके कुछ का कुछ दिखाते हैँ जो दुनुयाभर के अपराधोँ के मूल जड यही हैँ।
इसलिए इन्हेँ प्रतिबंधित किए जाने हेतु सभी विचारकुशल युवा और भारत के लोग आवाज उठाएँ। ये छोटा सा उदाहरण है। नकाबपोश क्राँतिकारी मीडिया का बलात्कारी अंदाज और घिनौना चरित्र।