Present by toc news
अवधेश पुरोहित
भोपाल। यूं तो प्रदेश में ऐसी कोई योजना नहीं है जिसको लेकर स्वयं राज्य सरकार से लेकर और उनके अधिकारियों के साथ-साथ जिस योजना का लाभ जिस हितग्राही को मिलना है उस तक भ्रम की स्थिति इस प्रदेश में बनी हुर्ई है, जहां तक सरकारी योजनाओं के सफलता के दावे की बात है तो सरकार की ओर से तरह-तरह के दावे भी किये जा रहे हैं, पिछले तीन वर्षों से प्राकृतिक आपदा झेल रहे किसानों की समस्या और उसकी समाधान को लेकर सरकार की ओर से तरह-तरह के दावे किये जा रहे हैं, लेकिन उन सभी दावों से भ्रम की स्थिति बनी हुई है और लोग इस खोज में लगेे हुए हैं कि आखिर सच कौन बोल रहा है, सरकार या देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या फिर राज्य के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन या विधानसभा में दिये गये सरकारी जानकारी के आंकड़े, इंदौर में आयोजित औद्योगिक समिट में पधारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश में हो रही जैविक खेती को लेकर जो भाषण दिया था उसमें यह कहा गया था कि राज्य में ४० प्रतिशत जैविक खेती की जा रही है और उन्होंने अपने भाषण के दौरान यह भी कहा था कि अन्य राज्यों को मध्यप्रदेश से प्रेरणा लेना चाहिए, पता नहीं इस प्रेरणा को लेकर उनका क्या उद्देश्य था। लेकिन जहां तक जैविक खेती का मामला है प्रदेश में २०११ में जैविक कृषि नीति लागू की गई इन पांच सालों में एक साल छोड़ दिया जाए तो शेष वर्षों में जैविक खेती करने वाले किसानों की संख्या दो अंकों में ही पहुंच पाई। एक ओर जहां देश के प्रधानमंत्री जैविक खेती को लेकर प्रदेश में ४० प्रतिशत होने का दावा करते हैं तो वहीं दूसरी ओर हाल ही में कांग्रेस के विधायक डॉ. गोविंद सिंह द्वारा हाल ही में सम्पन्न हुए सत्र के दौरान जैविक खेती के संबंध में पूछे गये प्रश्न के उत्तर में सरकार ने यह जानकारी दी कि राज्य में ५.१२ प्रतिशत जैविक खेती की जा रही है। तो वहीं दूसरी ओर राज्य के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन के हाल ही में दिये गये एक बयान में उन्होंने यह दावा किया कि राज्य में ४० प्रतिशत जैविक खेती की जाती है सवाल यह उठता है कि इस मामले में सही कौन, प्रधानमंत्री या सरकारी अफसरों द्वारा दिये गये विधानसभा में जानकारी या कृषि मंत्री, इससे तो यही जाहिर होता है कि जैविक खेती के मामले में सरकार भ्रम की स्थिति में है और कुछ भी आंकड़े प्रस्तुत करके पता नहीं किसको गुमराह करने में लगी हुई है।
अवधेश पुरोहित
भोपाल। यूं तो प्रदेश में ऐसी कोई योजना नहीं है जिसको लेकर स्वयं राज्य सरकार से लेकर और उनके अधिकारियों के साथ-साथ जिस योजना का लाभ जिस हितग्राही को मिलना है उस तक भ्रम की स्थिति इस प्रदेश में बनी हुर्ई है, जहां तक सरकारी योजनाओं के सफलता के दावे की बात है तो सरकार की ओर से तरह-तरह के दावे भी किये जा रहे हैं, पिछले तीन वर्षों से प्राकृतिक आपदा झेल रहे किसानों की समस्या और उसकी समाधान को लेकर सरकार की ओर से तरह-तरह के दावे किये जा रहे हैं, लेकिन उन सभी दावों से भ्रम की स्थिति बनी हुई है और लोग इस खोज में लगेे हुए हैं कि आखिर सच कौन बोल रहा है, सरकार या देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या फिर राज्य के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन या विधानसभा में दिये गये सरकारी जानकारी के आंकड़े, इंदौर में आयोजित औद्योगिक समिट में पधारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश में हो रही जैविक खेती को लेकर जो भाषण दिया था उसमें यह कहा गया था कि राज्य में ४० प्रतिशत जैविक खेती की जा रही है और उन्होंने अपने भाषण के दौरान यह भी कहा था कि अन्य राज्यों को मध्यप्रदेश से प्रेरणा लेना चाहिए, पता नहीं इस प्रेरणा को लेकर उनका क्या उद्देश्य था। लेकिन जहां तक जैविक खेती का मामला है प्रदेश में २०११ में जैविक कृषि नीति लागू की गई इन पांच सालों में एक साल छोड़ दिया जाए तो शेष वर्षों में जैविक खेती करने वाले किसानों की संख्या दो अंकों में ही पहुंच पाई। एक ओर जहां देश के प्रधानमंत्री जैविक खेती को लेकर प्रदेश में ४० प्रतिशत होने का दावा करते हैं तो वहीं दूसरी ओर हाल ही में कांग्रेस के विधायक डॉ. गोविंद सिंह द्वारा हाल ही में सम्पन्न हुए सत्र के दौरान जैविक खेती के संबंध में पूछे गये प्रश्न के उत्तर में सरकार ने यह जानकारी दी कि राज्य में ५.१२ प्रतिशत जैविक खेती की जा रही है। तो वहीं दूसरी ओर राज्य के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन के हाल ही में दिये गये एक बयान में उन्होंने यह दावा किया कि राज्य में ४० प्रतिशत जैविक खेती की जाती है सवाल यह उठता है कि इस मामले में सही कौन, प्रधानमंत्री या सरकारी अफसरों द्वारा दिये गये विधानसभा में जानकारी या कृषि मंत्री, इससे तो यही जाहिर होता है कि जैविक खेती के मामले में सरकार भ्रम की स्थिति में है और कुछ भी आंकड़े प्रस्तुत करके पता नहीं किसको गुमराह करने में लगी हुई है।