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भोपाल। मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसान रैली के लिए कलेक्टरों को किसानों की भीड़ जुटाने का टारगेट दिया गया है. एक चिट्ठी से खुलासा हुआ है, जिसमें एक कलेक्टर ने तो बाकायदा इनके खाने-पीने का इंतजाम भी किया हैं.
होशंगाबाद कलेक्टर संकेत भोंडवे ने एक ऐसी चिट्ठी जारी की है, जिसने मध्यप्रदेश की सियासत से लेकर सरकार और पूरे सिस्टम को एक साथ सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया है. कलेक्टर ने इस चिट्ठी के जरिए अपने जूनियर अफ़सरों और मातहत कर्मचारियों को ये निर्देश दिया है कि वो सीहोर में 18 फरवरी को होने वाले प्रधानमंत्री किसान सम्मेलन में हज़ारों की तादाद में भीड़ जुटाएं.
कलेक्ट्रेट से जारी ख़त
"किसान महासम्मेलन दिनांक 18 फरवरी 2016 को ज़िला सीहोर के ग्राम शेरपुर में आयोजित किया जा रहा है. उक्त समारोह में ज़िले से 30 हज़ार कृषकों को भ्रमण पर भिजवाना है. उक्त प्रस्तावित भ्रमण कार्यक्रम की भव्यता को देखते हुए अधिकारी/कर्मचारी को निम्न अनुसार दायित्व सौंपे जाते हैं."
हैरानी की बात यह है कि सत्ताधारी बीजेपी संगठन के कार्यकर्ताओं और नेताओं को जो काम करना चाहिए, उसे सरकारी ख़र्चे पर सरकार के अधिकारी करवा रहे हैं. होशंगाबाद से तीस हज़ार किसानों को शेरपुर पहुंचाने के लिए कलेक्टर साहब ने बसों के अलावा उनके भोजन और पार्किंग तक की ज़िम्मेदारी तय की है.
जिन अफ़सरों के ज़िम्मे भीड़ जुटाने की जिम्मेंदारी है, उनमें ऋतु चौहान को होशंगाबाद, धीरेंद्र सिंह को सिवनी-मालवा, आरएस पटले को इटारसी, मनोज उपाध्याय को सोहागपुर, राजेश शाही को पिपरिया से भीड़ लाने का ज़िम्मा सौंपा गया है.
होशंगाबाद कलेक्टर की इस एक चिट्ठी ने बीजेपी के उन दावों की पोल खोल कर रख दी है, जिसमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान, पीएम नरेंद्र मोदी के सम्मेलन में दस लाख किसानों की भीड़ जमा करने का दावा कर रहे थे.
भोपाल। मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसान रैली के लिए कलेक्टरों को किसानों की भीड़ जुटाने का टारगेट दिया गया है. एक चिट्ठी से खुलासा हुआ है, जिसमें एक कलेक्टर ने तो बाकायदा इनके खाने-पीने का इंतजाम भी किया हैं.
होशंगाबाद कलेक्टर संकेत भोंडवे ने एक ऐसी चिट्ठी जारी की है, जिसने मध्यप्रदेश की सियासत से लेकर सरकार और पूरे सिस्टम को एक साथ सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया है. कलेक्टर ने इस चिट्ठी के जरिए अपने जूनियर अफ़सरों और मातहत कर्मचारियों को ये निर्देश दिया है कि वो सीहोर में 18 फरवरी को होने वाले प्रधानमंत्री किसान सम्मेलन में हज़ारों की तादाद में भीड़ जुटाएं.
कलेक्ट्रेट से जारी ख़त
"किसान महासम्मेलन दिनांक 18 फरवरी 2016 को ज़िला सीहोर के ग्राम शेरपुर में आयोजित किया जा रहा है. उक्त समारोह में ज़िले से 30 हज़ार कृषकों को भ्रमण पर भिजवाना है. उक्त प्रस्तावित भ्रमण कार्यक्रम की भव्यता को देखते हुए अधिकारी/कर्मचारी को निम्न अनुसार दायित्व सौंपे जाते हैं."
हैरानी की बात यह है कि सत्ताधारी बीजेपी संगठन के कार्यकर्ताओं और नेताओं को जो काम करना चाहिए, उसे सरकारी ख़र्चे पर सरकार के अधिकारी करवा रहे हैं. होशंगाबाद से तीस हज़ार किसानों को शेरपुर पहुंचाने के लिए कलेक्टर साहब ने बसों के अलावा उनके भोजन और पार्किंग तक की ज़िम्मेदारी तय की है.
जिन अफ़सरों के ज़िम्मे भीड़ जुटाने की जिम्मेंदारी है, उनमें ऋतु चौहान को होशंगाबाद, धीरेंद्र सिंह को सिवनी-मालवा, आरएस पटले को इटारसी, मनोज उपाध्याय को सोहागपुर, राजेश शाही को पिपरिया से भीड़ लाने का ज़िम्मा सौंपा गया है.
होशंगाबाद कलेक्टर की इस एक चिट्ठी ने बीजेपी के उन दावों की पोल खोल कर रख दी है, जिसमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान, पीएम नरेंद्र मोदी के सम्मेलन में दस लाख किसानों की भीड़ जमा करने का दावा कर रहे थे.