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आपने शायद एक कहावत सुनी होगी, “भूख न देखे जूठी भात, नींद न देखे टूटी खाट और इश्क ने देखे जात-पात”। यह कहावत इस खबर पर एक दम सटीक बैठता है, दरअसल, झांसी की रहने वाली एक एमए पास लड़की ने अपने अनपढ़ और फेरी लगाने वाले प्रेमी के प्रेम को देखकर उससे शादी कर ली। लड़की करोड़पति है और उसका प्रेमी बेहद गरीब। अब आप सोच रहे होंगे कि लड़के ने ऐसा क्या किया जिससे लड़की उसकी दीवानी हो गई और दोनों की शादी हो गई।
आइए बताते हैं कैसे ये दो दिल हुए एक…
झांसी के शीपरी बाजार थाना क्षेत्र के रहने वाले गुलाब खान के दो बेटी और दो बेटे हैं। उनके पास ऑन रोड लाखों का मकान और झांसी के आसपास खेती की कुछ जमीन भी है। उनकी बड़ी बेटी शबाना खान साल 2005 में न्यू ईयर के समय अपने घर के गेट पर खड़ी थी। उसी समय वहां से मो. ताहिर कपड़े बेचने के लिए गुजरा तो उसकी नजर शबाना पर पड़ गई।
पहली नजर में दे बैठा दिल
शबाना बताती हैं कि ‘जब ताहिर ने मुझे देखा तो वह पहली ही नजर में दिल दे बैठा। उसके बाद उसने मेरे घर रिश्ता पहुंचाया।’ ‘मेरे मम्मी-पारा को जब पता चला कि लड़का कपड़ों की फेरी लगाता है तो उन्होंने कहा यह रिश्ता करना तो बहुत दूर की बात है हम इस रिश्ते के बारे में सोच भी नहीं सकते।’
शबाना ने मना किया
‘मना करने के कुछ दिन बाद ताहिर मुझसे मिला और कहने लगा कि मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं, मुझे अपना लो मैं तुम्हारे बगैर नहीं जी सकता।’ ‘यह सुन मैने ताहिर को गालियां देते हुए हड़का दिया कि तेरे जैसे प्यार करने वाले तो गली-गली घूमते हैं।’
कुएं में कूद गया प्रेमी
शबाना बताती हैं कि ‘मुझे नहीं पता था कि इसका अंजाम क्या होगा?…दूसरे दिन मुझे मेरी सहेली ने बताया कि तेरा मजनूं तो महारानी लक्ष्मीबाई के किले के अंदर कुएं में कूद गया। मैं बहुत डर गई और अपने मम्मी-पापा को बगैर बताए हॉस्पिटल पहुंच गई।’
अस्पताल में भर्ती हुआ ताहिर
वह कहती हैं कि ‘वहां जाकर देखा तो ताहिर को मामूली सी चोटें आई थी मैने उसी समय ताहिर को बहुत समझाया और उससे कहा कि ऐसा कोई कदम न उठाओ मेरे पापा-मम्मी इस रिश्ते को कभी मंजूरी नहीं देंगे।’
ताहिर की दीवानगी पर हुई फिदा
शबाना कहती हैं कि ‘मेरा उस समय ताहिर के प्रति कुछ लगाव तो बड़ा लेकिन ताहिर अनपढ़ था और मैं पोस्ट ग्रेजुएट थी। मैं भी इस रिश्ते को ज्यादा पसंद नहीं कर रही थी। लेकिन उस घटना के एक महीने बाद ही ताहिर ने नींद की गोलियां खा ली और उसकी मम्मी मेरे घर पहुंच गई। ताहिर की ऐसी दीवानगी देख मैं उसपर फिदा हो गई और अपने मां-बाप की इच्छा के बगैर 2 साल तक उसे डेट करती रही।’
नहीं राजी हुए मां-बाप
जब शबाना ने ताहिर से शादी करने का फैसला ले लिए तो उसके मां-बाप ने इस रिश्ते का बहुत विरोध किया। 30 नवंबर 2007 को जब दोनों का निकाह हो रहा था तो शबाना के मां-बाप शामिल नहीं हुए। उसके दादा और दादी ने सारी रश्में पूरी कीं। आज भी ताहिर और उसके सास-ससुर के रिश्ते सामान्य नहीं हुए हैं।