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कश्मीर : घाटी में हिंसक माहौल पैदा करने के लिए अलगाववादियों और आतंकी संगठनों को पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई फंडिंग करती है। हवाला के जरिए हर साल 1000 करोड़ रुपए की फंडिंग पाकिस्तान से इन लगाववादियों और आतंकी संगठनों को होती है।
यह फंडिंग हमलों के लिए फिदायीन दस्ते तैयार करने व कश्मीरी युवकों को संगठन में भर्ती करने के लिए उपयोग में लाई जाती है। आपको बता दें कि कश्मीर में हवाला के जरिए धनराशि आने के पिछले तान सालों में 16 मामले सामने आए हैं और इनके संबंधी सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भी भेजी है।
इस साल अब तक हवाला के जरिए घाटी में पहुंचाए जा चुके हैं 100 करोड़ रुपए सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और यासीन मलिक हवाला के जरिए पाकिस्तान से फंडिंग करते हैं। सूत्रों के मुताबिक आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद 100 करोड़ रुपए कश्मीर घाटी में हवाला के जरिए उपद्रवियों तक पहुंचाए गए हैं। नोटबंदी के समय में हवाला के जरिए लगभग 2000 करोड़ रुपए सर्कुलेशन में थे।
नोटबंदी के कारण इस राशि को हाथ से गवाने के बाद अलगाववादियों की कमर टूट गई जिसके बाद दो महीनों तक पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई। लेकिन दो महीनों के बाद हवाला के जरिए फिर से फंड आना शुरू हो गया जिससे हिंसा और पत्थरबाजी की घटनाएं फिर से बढ़ गई। सूत्रों के मुताबिक इस साल अब तक घाटी में 100 करोड़ रुपए हवाला के जरिए अलगाववादियों और उपद्रवियों तक पहुंचे हैं।
हवाला भेजने के लिए होता है हिजबुल मुजाहिदीन और जमात उद दावा के नेटवर्क का इस्तेमाल पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई हवाला के जरिए धनराशि को भारत भेजने के लिए हिजबुल मुजाहिदीन और जमात उद दावा के नेटवर्क का इस्तेमाल करती है। अधिकांश फंड पाकिस्तान और सऊदी अरब से आता है जो पंजाब, राजस्थान, दिल्ली और कोलकाता के कुछ हवाला कारोबारियों के जरिए घाटी तक पहुंचता है।
इसके अलावा फंडिंग का कुछ हिस्सा अलगाववादियों के विदेशी एकाउंट में अमरीकी डालर के रूप में भी जमा होते हैं। उल्लेखनीय है कि उपमुख्यमंत्री डॉ निर्मल कुमार सिंह ने रविवार को यानी आज कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से अलगाववादियों के नेताओं को फंडिंग कर रहा है, लेकिन अब मामला पूरी तरह से खुल कर सामने आ गया है। सरकार कानून के तहत सख्त कार्यवाही करेगी।