TOC NEWS // छतरपुर // पंकज पाराशर
भोपाल/मध्यप्रदेश के छतरपुर में हुए सहकारिता घोटाला अब और तूल पकड़ गया है। सहकारिता मुख्यालय भोपाल द्वारा इस घोटाले से जुड़े दो दर्जन आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।इस करोड़ों के घोटाले पर अब कई चेहरे बेनकाब हो सकते हैं। लेकिन इन सब के बीच सहकारिता विभाग की आयुक्त रेणु पंत और प्रमुख सचिव केसी गुप्ता पर्दा डालने में लगे हुए है।
उन्होंने उपायुक्त द्वारा बनाई गई दोषियों की लिस्ट में से दो नाम यह कहकर हटावा दिए है कि इससे विभाग की बदनामी होगी। इसके बाद से अब इस पूरे घोटाले पर आयुक्त और सचिव भी शक के घेरे में आ गए है।
दरअसल, इस मामले में प्रारंभिक जांच कर रहे सहकारिता उपायुक्त शिवेन्द्र देव पाण्डेय ने इस केस से जुड़े दोषियों की लिस्ट तैयार की,और रिपोर्ट आयुक्त के सामने पेश की ।इस रिपोर्ट में घोटाले के सुत्रधारों के रुप में उप पंजीयक सहकारिता छतरपुर अखिलेश निगम और अपैक्स बैंक के तत्कालीन प्रबंधक प्रदीप निखरा का भी नाम शामिल था, लेकिन आयुक्त पंत ने रिपोर्ट से इनके नाम यह कहकर हटवा दिए कि इससे विभाग की बदनामी होगी।अब संशोधन के बाद ही लिस्ट जारी की जाएगी।
इसके साथ ही उन्होंने पेश की गई रिपोर्ट में लिखा है कि इस घोटाले की पूरी जांच के लिए बीते पांच सालों की विस्तृत जांच की जानी चाहिए। इसके साथ ही बैंक की शाखा बडामलहारा, और धुवारा शाखा और संबंध समितियों की जांच में पाई गई आर्थिक अनियमितता जिला बैंक,सभी शाखाओं और सबंद्ध समितियों में होने की पूर्ण संभावना है।इसलिए घोटाले को पूरी तरह से जानने और दोषियों पर कार्रवाई करने के लिए विगत पांच सालों के डाटा की विस्तृत जानकारी देनी होगी।साथ ही उन्होंने कहा कि इससे जुड़े अफसरों पर आपराधिक औऱ प्रशासनिक कार्रवाई की जानी होगी।
इस पूरे मामले पर सचिव केसी गुप्ता का कहना है कि इस मामले की रिपोर्ट अभी मंत्री के पास है, जैसे ही रिपोर्ट हमारे पास आए दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। वहीं दूसरी तरफ घोटाला सामने आने के बाद जिला स्तर पर भी जांच टीम गठित की गई थी। स्थानीय जांच टीम में शामिल वरिष्ठ सहकारिता निरीक्षक आरके शर्मा, सहकारिता निरीक्षक एनएस अग्रवाल, सहकारिता निरीक्षक आरएन सिंह, जगदीश गुप्ता व जीतेंद्र ने बीरों समिति की जांच की। बीरों समिति से 43 किसानों के खातों में लिमिट से अधिक रुपए डालकर निकाले ने बात सामने आई थी।
कलेक्टर रमेश भंडारी के निर्देश पर बीरों समिति प्रबंधक, अध्यक्ष व बड़ामलहरा शाखा प्रबंधक पर मामला दर्ज कराया गया। वहीं आयुक्त सहकारिता के निर्देश पर गठित की गई कमेटी में डीआर एससी पांडे के साथ तीन अन्य सदस्यों की इस टीम जांच पड़ताल करने छतरपुर आई थी। टीम 18जनवरी को जांच कर भोपाल के लिए लौट गई थी। जांच में यह सामने आया था कि बीरो समिति प्रबंधक भानू प्रताप अवस्थी ने साढ़े 5 करोड, डिकौली हरिओम अग्निहेत्री ने एक करोड़, सेंदपा जाहर सिंह द्वारा एक करोड़ का घोटाला किया गया है।
इस मामले में 30 दिसंबर को बड़ामलहरा शाखा प्रबंधक स्वामी प्रसाद व कैशियर कृष्णपाल सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। साथ ही महाप्रबंधक बाईके को भी भोपाल अटैच किया गया था। वहीं छतरपुर में पदस्थ लेखापाल रामविशाल पटैरिया को भी निलंबित किया गया था। सहकारिता से जुड़े अधिकारियों को दो दिन प्रदेश मुख्यालय भोपाल तलब किया गया था।
इसके बाद सहकारिता मुख्यालय भोपाल के द्वारा जांच रिपोर्ट के आधार तत्कालीन महाप्रबंधक बाईके सिंह, लेखाधिकारी रामविशाल पटैरिया, बड़ामलहरा ब्रांच मैंनेजर, बैंक कर्मचारी, सेंदपा समिति के प्रबंधक जाहिर सिंह, डिकौली समिति के प्रबंधक हरिओम अग्निहोत्री सहित दो दर्जन से अधिक कर्मचारियों पर मामला दर्ज कराने के निर्देश जारी किए गए हैं। वहीं छतरपुर जिले की 113 सोसायिटियों की जांच के भी आदेश दिए गए हैं।
इस पूरे मामले में आयुक्त सहकारिता के निर्देश पर गठित की गई कमेटी में उपायुक्त छतरपुर शिवेन्द्र देव पाण्डेय, अपैक्स बैंक सहायक महाप्रबंधक ,भोपाल आरके श्रीवास्तव, अपैक्स बैंक ओएसडी, भोपाल कमल मकाश्रे, उप सहायक प्रबंधक विवेक मलिक शामिल किया था और इस पूरे घोटाले की जिम्मेदारी इन चारों की थी। लेकिन प्रारंभिक जांच के लिए सिर्फ शिवेन्द्र ही यहां से वहां गए और जांच की, बाकी तीनों अफसरों ना तो कहीं गए और ना ही इस मामले की जांच की। अब सवाल खड़ा ये होता है कि ये तीनों अफसर आखिरकार किसे इशारे पर काम कर रहे है और किसके कहने पर जांच में सहयोग नही दे रहे है।अब तक इन अफसरों से जवाब क्यों नही मांगा गया और इन पर क्यों कार्रवाई नहीं की गई।
गौरतलब है कि सहकारी बैंक की बड़ामलहरा शाखा में 11 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। किसानों को कर्ज देने के नाम बैंक के कर्मचारी और समिति प्रबंधकों ने अपने रिश्तेदारों और चेहते का कर्ज दे दिया है। जिन लोगों को 2 से 3 लाख रुपए तक के कर्ज की पात्रता थी उन्हें 15 लाख रुपए तक का कर्ज जारी कर दिया गया है। इस गड़बड़ी के लिए सारी करंसी बैंक की मुख्य शाखा छतरपुर घोटाले के मास्टर माइंड महा प्रबंधक वाईके सिंह और लेखाधिकारी राम विशाल पटेरिया ने ही जारी की गई थी।