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सूचना का अधिकार अधिनियम में 30 दिन में सूचना के प्रावधान से सभी परिचित हैं, लेकिन इस कानून में 48 घंटे में भी सूचना मांगी जा सकती है। बशर्ते सूचना मांगने वाले व्यक्ति को जान का खतरा हो अथवा उसकी सूचना इतनी महत्वपूर्ण हो कि उसे जल्द प्राप्त करना आवश्यक हो।
यह जानकारी राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने दी। उन्होंने कहा कि 48 घंटे में सूचना के मामले में प्रथम अपील की जरूरत नहीं है। इस मामले में भी सूचना न देने पर सूचना अधिकारी के खिलाफ 25 हजार रुपये अर्थ दंड की कार्रवाई हो सकती है। यही नहीं इस अधिनियम में क्षति पूर्ति का भी प्रावधान है। मसलन किसी व्यक्ति को समय से सूचना नहीं मिलती है और वह सूचना पाने में जो खर्चा करता है तो उसे संबंधित विभाग 25 हजार से लेकर दो लाख तक क्षतिपूर्ति देगा।
उन्होंने विभागवार तैनात सूचना अधिकारियों के मामले में कहा कि यदि उसके कहने से कोई बाबू, अफसर वांछित सूचना नहीं देता है तो वह उसे नोटिस जारी कर सकता है। इस नोटिस से समय पर सूचना न मिलने पर वह कार्रवाई से बच जाएगा और दोषी अफसर व कर्मचारी को अर्थदंड भुगतना पड़ेगा। इस दायरे में विभागीय अफसरों से लेकर प्रमुख सचिव तक आ सकते हैं।
प्रक्रिया का पालन करें सूचना अधिकारी
उन्होंने सूचना अधिकारियों को इस प्रक्रिया का ज्यादा से ज्यादा पालन करने को कहा। उन्होंने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि सूचना मांगने वाला व्यक्ति अपनी अज्ञानता के कारण संबंधित विभाग के स्थान पर अन्य विभाग के पास अपनी अर्जी दे देता है और उक्त विभाग के सूचना अधिकारी उस प्रार्थनापत्र को व्यर्थ समझ कर रद्दी की टोकरी में डाल देते हैं। नियमानुसार उनका दायित्व बनता है कि वे उस प्रार्थनापत्र को संबंधित विभाग के पास भेजें और उसकी रिपोर्ट प्रार्थनापत्र देने वाले को सौंपे।उन्होंने अपीलीय अधिकारियों के मामले में कहा कि अक्सर शिकायत मिलती है कि अपीलीय अधिकारी अपील नहीं सुनते। नियमानुसार उन्हें सप्ताह में एक दिन अपील जरूर सुननी चाहिये। उन्होंने बताया कि प्रदेश में इस वित्तीय वर्ष में दो लाख आवेदनों का निस्तारण हो चुका है और 32 हजार अभी भी पेंडिंग हैं। इनके निस्तारण के प्रयास हो रहे हैं।