अधिमान्य पत्रकार एन पी अग्रवाल के जनसंपर्क वाले बीमा पर इलाज अवधेश भार्गव ने करवाया, बीमा कंपनी से लाखों की धोखाधड़ी वकी, आँखों देखी ख़बर |
*इस मामले में जांच एजेंसी जांच करें एन पी अग्रवाल हॉस्पिटल में भर्ती हुआ था कि नहीं, खुल जाएगी पोल*
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( प्रमाणित खबरों का पिटारा )
*अवधेश भार्गव की धोखाधड़ी का शिकार हुआ अधिमान्य पत्रकार एन पी अग्रवाल, बीमा कंपनी से लाखों की धोखाधड़ी की*
*इलाज की फाइल विनय जी. डेविड के पास सुरक्षित हैं एन पी अग्रवाल ने डेविड को ही दी थी फाइल भुगतान करवाने के लिये अरेरा कॉलोनी ऑफिस पहुचाने*
*पुलिस सही जांच नही करेगी तो मामला न्यायालय जायेगा*
*भोपाल. फर्जी पत्रकारों के नाम पर कलंक चिटरबाज अवधेश भार्गव आज से नहीं पिछले 30 वर्षो पत्रकारों का शोषण करने वाला और जालसाज है. पत्रकार भवन समिति से लेकर जहॉ भी यह रहा उसे बर्बाद करके रख दिया। भोपाल शहर के कई लोगों को और कई पत्रकारों पर जालसाजी करके फर्जी प्रकरण में फसा दिया और अब इसी कड़ी में एक और शिकार हो गया।*
मामला रोचक और अपराध गंभीर है। पत्रकार स्वास्थ्य एवं दुर्घटना बीमा योजना जनसम्पर्क विभाग द्वारा प्रदेश मे काम कर रहे पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कराया जाता है जनसम्पर्क विभाग ही इस बीमा योजना की प्रीमियम राशि का भुगतान भी करता है. यह सब होने के बाद बीमा कंपनी यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड पत्रकारों को अस्पताल में भर्ती होने पर कैशलेश इलाज की सुविधा प्रदान करते हैं। इस योजना का फायदा उठाकर कथित पत्रकार अवधेश भार्गव ने वर्षो पुराने पत्रकार साथी श्री नारायण प्रसाद अग्रवाल के बीमा योजना कार्ड पर अपना इलाज करवाकर बीमा कंपनी को लाखों का चूना लगा दिया। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के मैनेजमेंट शाखा MD इंडिया हेल्थ इंश्योरेंस TPA प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को भी अवधेश भार्गव की शातिर चाल का आभास नहीं हो पाया।
अधिमान्य पत्रकार एन पी अग्रवाल के जनसंपर्क वाले बीमा पर इलाज अवधेश भार्गव ने करवाया, बीमा कंपनी से लाखों की धोखाधड़ी वकी, आँखों देखी ख़बर |
सत्य घटना मार्च 2016 में अवधेश भार्गव जब स्टेट न्यूज़ भोपाल की लिफ्ट से फिसलकर गिर गये थे, हाथों की हड्डी के क्रेक हो गई थी टूट गई थी। इलाज के लिए भोपाल के सिटी हास्पीटल जोन 2 एमपी नगर में भर्ती हुए और अपना इलाज शुरू करवा दिया। मैं स्वयं विनय डेविड उस वक्त इसी हास्पीटल मै अपना इलाज करवा रहा था। हम एक ही पत्रकार संगठन में पदाधिकारी होने की वजह से वहां उपस्थित थे। अवधेश भार्गव ने पत्रकार एन पी अग्रवाल को कहा कि है वह झूठी बीमारी का बहाना बनाकर अस्पताल में भर्ती हो जाएं और अपना बीमा कार्ड ओर अन्य दस्तावेज दे दें।पत्रकार एन पी अग्रवाल खास दोस्त होने की वजह से अवधेश भार्गव को मना भी नहीं कर पा रहे थे क्योंकि सामने अवधेश भार्गव हाथों की टूटी हड्डी बिस्तर पर पड़ा था और अवधेश भार्गव के पास अपना इलाज करवाने के लिए भी रुपया नहीं था।
मरता क्या नहीं करता पत्रकार एन पी अग्रवाल खास दोस्त अवधेश भार्गव के खातिर अग्रवाल अपना बीमा कार्ड और दस्तावेज लाकर हॉस्पिटल में भर्ती हो गए और अपने इलाज का इस्टीमेट बीमा कंपनी की शाखा को भिजवा दिया चूंकि अवधेश भार्गव पहले से बीमा कंपनी के मैनेजर जॉन को जानते थे इसलिए उनको फोन पर ही गुमराह कर अपने इलाज में लगने वाली रकम की अनुमति करवा ली।
अवधेश भार्गव की षड्यंत्रकारी शातिर चालों से बीमा कंपनी ने भरोसे में इलाज करने की अनुमति दे दी। अनुमति मिलने के बाद एन पी अग्रवाल ने विनय डेविड से कहा भार्गव के चक्कर में कही लफड़ा नही हो जाये इस पर विनय डेविड ने कहा आपको ऐसा फर्जीबाड़ा नही करना चाहिये हम लोग संगठन की ओर से फंड इकठ्ठा कर लेते। परन्तु भार्गव से सांठगांठ पहले तय हो गई थी।
बीमा राशि की अनुमति मिलने के बाद ही अस्पताल से NP अग्रवाल नदारद हो गये ओर दो दिन तक अस्पताल में नजर नही आये। यहाँ अस्पताल में अवधेश भार्गव ने अपने हाथ की टूटी हड्डी का ऑपरेशन करवा लिया और अवधेश भार्गव को हॉस्पिटल के प्रबंधन ने बिल की रकम जमा करने हो कहा तो भार्गव ने बिल का भुगतान NP अग्रवाल बीमा राशि की रकम से करने को कहा बोला आपको रुपया चाहिये ये बीमा कम्पनी से रुपया इसलिये ही जारी करवाया है पत्रकारिता की धौस दिखने लगा, हॉस्पिटल का बिल अधिक हो रहा था वहाँ भी अवधेश भार्गव अपनी पत्रकारिता दिखाते हुए बाकी के ₹50000 भी जमा नहीं किए।
*बीमा कंपनी से लाखों की धोखाधड़ी की शिक़ायत*
अवधेश भार्गव और अधिमान्य पत्रकार एन पी अग्रवाल कर द्वारा बीमा कंपनी से लाखों की धोखाधड़ी की शिकायत पत्रकार विनय डेविड ने MP नगर थाना, पुलिस अधीक्षक महोदय, पुलिस महानिरीक्षक महोदय, पुलिस महानिदेशक महोदय एवं यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, कमिश्नर जनसंपर्क विभाग, प्रमुख सचिव जनसंपर्क विभाग को कर दी है देखना है है कि इस धोखाधड़ी में शामिल लोग कब जेल की सलाखों के पीछे पहुंचते हैं। पुलिस आरोपियों को जल्द गिरफ्तार नही करती तो पत्रकारिता को कलंकित करनेवाले और इसकी आड़ में फर्जीबाड़ा करने वालों के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा लगाया जाएगा।
एक और मामले में एक भोपाल के हॉस्पिटल से फर्जी दस्तावेज जानकारी देकर सीएम सहायता से लिये लाखों रुपये जबकि बीमार कोई और बताया कुछ। वो भी करेंगे खुलासा।
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