मात्र 24700 रुपये में भास्कर प्रबंधन ने किया अपने चेयरमेन रमेश को बेआबरु
विनय जी. डेविड // मोबाईल :-9893221036
(भोपाल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
मामला बड़ा रोचक है और शुरूआत भी एक सुबह दैनिक भास्कर में छपे इस विज्ञापन से हो गई जिसने भी विज्ञापन को पढ़ा लगा करोड़पति बनना कोई चिरागी नुस्खा होगा। परन्तु जब इस विज्ञापन पर दी गई जानकारी अनुसार बताई गई बेवसाइट का अवलोकन किया तो पता चला की पूरा का पूरा काला chittha भारत का सबसे बड़ा समाचार पत्र समूह दैनिक भास्कर के चेयरमेन रमेश अग्रवाल का है जो एक किताब के प्रकाशन के साथ ही खुल गया। वहीं इस प्रकाशन राजस्थान कलिनायक प्रकाशन, राजस्थान का है जो एक सोची समझी साजिश की तरह तय किया गया हैं। परन्तु यहां मजे की बात यह है कि भास्कर प्रबन्धक जो कमाई की हवस में अन्धा हो गया है उसे अपनी कमाई की हवस मिटाने के लिए यह भी नहीं सुझा कि ये विज्ञापन पहली नजर में ही संदेहास्पद दिखाई देता है। प्रबंधक रूपये की लालच का आवरण ऐसा चढ़ा कि जिसने यहां सोचने का अवसर ही नहीं दिया की, जो विज्ञापन स्वयं के अखबार में प्रकाशित किया जा रहा है वहीं कल अपने मुखिया का काला chittha खोल कर रख देगा इसी को तो कहते है, ''घर का भेदी लंका ढाये''दैनिक भास्कर सहित देश की जनता भी अब यह जान गई है कि आखिर यह शान-ओ-शौकत जो दिखाई देती है। वो कितनी मेहनत से मिलती है कितना कहां कहां प्रयास किया गया है इसकी तो इसमें एक झलकही नजर आती है इसके पीछे की कहानी बहुत लम्बी है।
कलिनायक प्रकाशन की इस किताब को दो लेखकों ने लिखा है जिसका प्रयास वाकई क्रांतिकारी है जो इनके हौंसले की दाद देनी पड़ेगी। क्योंकि इन्होंने इसे किताब के तथ्यों को समेटने में आधी जिन्दगी लगा दी होगी। वहीं इसका पेश करने के लिए बड़ा व्यवस्थित खेल खेला। जिसको निपटाना उसी के हाथ कमान थमा दी, कि ले अपनी औकात जनता को बता दें और हुआ भी यहीं कि चाणक्य नीति का शिकार होता नजर आया भास्कर प्रबन्धन। यहां कई लोगों का मानना है कि इस कहानी में दैनिक भास्कर ग्रुप के कई लोगों का हाथ है जो गोपनीयता बनाये रखे है, वर्ना देश का सबसे बड़ा समाचार पत्र का दावा करने वालों में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जो सभी संस्करणों में छपने वाले विज्ञापन की सत्यता की जांच नहीं कर सके और अपने मालिक को जनता के बीच चीथने के लिए छोड़ दिया। कलिनायक किताब की खासियत यह है कि इसे डाऊनलोड करके फ्री में भी पढ़ा जा सकता है, जबकि किताब की कीमत सौ रूपये बताई गई है। वहीं प्रकाशक बड़ा चालबाज है इसने करोड़पति बनाने का भी जनता को लोभ देकर अपनी खुद की जानकारी पुराने और कुछ गोपनीय डाक्यूमेंट उपलब्ध कराने पर लाखों रूपये पुरस्कार देने के लिए प्रतियोगिता प्रायोजित की है।
शामिल प्रतियोगिता की नियमावली भी बनाई गई है जों हम अलग से प्रस्तुत कर रहे हैं। वहीं इस पुस्तक के अंश जनता के बीच छोड़ रहे है ताकि जनता ही बताये कि आखिर इस कलिनायक पेशकश में रमेश अग्र्रवाल को नायक बताया गया है या खलनायक बनाया गया है।तो ये तो था भास्कर में प्रकाशित विज्ञापन का कंटेंट. अब इस किताब के कंटेंट की बात करते हैं. किताब में रमेश चंद्र अग्रवाल के बारे में काफी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है. रमेश चंद्र अग्रवाल के कई कथित-अकथित कारनामों का विस्तार से जिक्र किया गया है. रमेश चंद्र अग्रवाल और उनके क्रियाकलापों के संबंध में ही किताब में एक प्रतियोगिता का ऐलान किया गया है.
पूरी किताब http://www.rajasthankalinayak.net/ पर उपलब्ध है. इस साइट पर जाकर कलिनायक किताब डाउनलोड कर सकते हैं. (आप लिंक पर कर्सर ले जाकर माउस को राइट क्लिक करें, 'सेव लिंक ऐज' आप्शन आएगा जिस पर क्लिक कर देंगे तो कलिनायक किताब पीडीएफ फार्मेट में आपके कंप्यूटर / लैपटाप पर डाउनलोड होने लगेगी) कलिनायक की वेबसाइट को देखकर लगता है कि यह किताब जल्द ही अंग्रेजी में भी प्रकाशित होने जा रही है.
विनय जी. डेविड साप्ताहिक ''टाइम्स ऑफ क्राइम'' http://www.tocnewsindia.blogspot.com/ के संपादक एवं ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स ऐशोसिएशन मध्यप्रदेश के प्रान्तीय महासचिव है।
नोट:- इस द्वंद युद्ध के पीछे की जानकारी का भी हम शीघ्र खुलासा करेंगे। इस खबर पर कमेन्टस हमारी बेबसाइट timesofcrime@gmail.com पर भेज सकते है। वहीं जानकारी साझा करने के लिए संपर्क कर सकते हंै।