Saturday, May 16, 2015

कभी भी दरक सकते हैं मप्र के उम्रदराज बांध!

विनोद उपाध्याय
Toc news 16 मई 2015

जर्जर बांधों की जद में प्रदेश की आधी आबादी
प्रदेश में 100 साल की उम्र पार कर चुके हैं 23 बांध
नेपाल में आए भूकंप के बाद बढ़ी सरकार की चिंता
भोपाल। नेपाल सहित देश के कई राज्यों में भूकंप से मची तबाही के बाद अब मप्र के उम्रदराज बांधों की चिंता पर्यावरणविदों और उनके आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सताने लगी हैं। सरकार भी इस बात को लेकर चिंतित है, क्योंकि प्रदेश के 23 बांध 100 साल से भी अधिक पुराने हो गए हैं और अधिकांश खतरे की जद में हैं। अहमदाबाद स्थित भूकंप अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक बीके रस्तोगी का कहना है कि अगर नेपाल की तरह यहां 7.9 मैग्नीट्यूट तीव्रता वाला भूकंप आता है तो हर तरफ जलजला हो जाएगा क्योंकि मप्र के अशिकांश बांधों की स्थिति इतना तेज झटका बर्दास्त करने की नहीं है। भूगर्भशास्त्रियों और वैज्ञानिकों के मुताबिक, मप्र अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है। इस कारण यहां के बांधों के निर्माण में भूकंपरोधी क्षमता की ओर अधिक ध्यान नहीं दिया गया है।

 वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार कहते हैं कि जिस तरह टिहरी बांध नौ से दस मैग्निट्यूड के भूकंप को भी झेलने में सक्षम है उस तरह की क्षमता मप्र के बांधों में नहीं है। वैसे भी मप्र के बांध पिछले कुछ सालों से जर्जर अवस्था में पहुंच गए हैं। पिछली बारिश के दौरान डिंडोरी का गोमती बांध, हमेरिया बांध, रामगढ़ी, सिमरियानग, चांदिया, गोरेताल, लोकपाल सागर, भरोली सहित करीब दर्जनभर बांधों में रिसाव और दरार आने से आसपास के क्षेत्रों में दहशत फैल गई थी। हालांकि समय पर इन बांधों के रिसाव और दरार को दुरूस्त कर दिया गया, लेकिन ये घटनाएं इस बात का संकेत दे गईं की अगर बांधों की लगातार देखरेख और मरम्मत नहीं की गई तो ये कभी भी जानलेवा बन सकते हैं। अब नेपाल में आए विनाशक भूकंप के बाद जब मप्र के जर्जर बांधों की स्थिति का जायजा लिया गया तो यह तथ्य सामने आया की प्रदेश के करीब 91 बांध उम्रदराज हैं और ये कभी भी दरक सकते हैं। वाटर रिसोर्स डेवलपमेंट के आंकडों के अनुसार प्रदेश में पेयजल उपलब्ध कराने, सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए 168 बड़े और सैकड़ों छोटे बांध बनाए गए हैं।

देखरेख और मेंटेंनेंस के अभाव में कई छोटे-बड़े बांध बूढ़े और जर्जर हो चुके हैं। इनमें से कुछ की उम्र 100 साल से ज्यादा है। इन उम्रदराज बांधों को लेकर बेपरवाह प्रशासन ने न तो इन्हें डेड घोषित किया और न ही मरम्मत की कोई ठोस पहल की। ऐसे में ये लबालब बांध यदि दरक गए या टूट गए तो कभी भी बड़ी तबाही ला सकते हैं। इन बांधों की वजह से नदियां भी अपनी दिशा बदल सकती हैं। इससे भी बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। लेकिन इस ओर कभी किसी का ध्यान नहीं गया है। प्रदेश के लगभग आधा सैकड़ा बांधों की उम्र 50 साल पूरी हो चुकी है। जबकि 23 बांध तो 100 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। ऐसे में इन बांधों की ठोस मरम्मत नहीं होने से इनके आधार कमजोर हो चले हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक बड़े बांधों की उम्र 100 वर्ष व छोटे बांध की उम्र लगभग 50 वर्ष मानी जाती है।

 इस उम्र तक इन बांधों की मजबूती बनी रहती है। बाद में ये धीरे-धीरे ये कमजोर होने लगते हैं। साथ ही नदियों के साथ आने वाले गाद भी बांधों को प्रभावित करते हैं। इससे बांधों की क्षमता कम होने लगती है। वाटर रिसोर्सेज से जुड़े एक्सपर्ट इंजीनियर बांधों की उम्र 50 और 100 साल बताते हैं। छोटे बांधों को 50 वर्ष के हिसाब से डिजाइन किया जाता है, जबकि बड़े बांधों की उम्र 100 साल बताई जाती है। बांधों के सिलटेशन और मजबूती दोनों के आधार पर उम्र तय होती है। वर्तमान में ज्यादातर बांधों की उम्र बहुत ज्यादा हो चुकी है। जानकारों का कहना है कि जब बांध बने थे जब ज्यादातर स्थान जंगल थे।

 अब जंगल काटकर खेती होने लगी है। इसका असर भी बांधों पर पड़ा है। बांधों में सिलटेशन बढ़ चुके हैं। आजतक सरकार ने लाइव स्टोरेज ही नहीं मापी है। बेस में मिट्टी में सही तरीके से का प्रेशन नहीं किया गया है। आधार ही यदि कमजोर हो गया, तो बांध के बचने का सवाल ही नहीं। गेट से ज्यादा खतरा बांधों में सबसे ज्यादा खतरा गेट के खराब होने का रहता है। हर साल गेट की मरम्मत होनी जरूरी हैं। ज्यादातर गेट के रबर-सील कट जाते हैं, जिन्हें नहीं सुधारने पर बगैर गेट खोले ही पानी बहने लगता है। इसके अलावा चोक नालियां भी खतरा बन सकती हैं। पिछले चार साल से करीब दो दर्जन बांध जब बारिश के दिन में लबालब होते हैं तो उनके गेट से पानी बहने लगता है। लेकिन मध्यप्रदेश वाटर रिसोर्स डेवलपमेंट इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। बताया जात है हर साल सैकड़ों एकड़ खेती तो बांध से निकले पानी से ही खराब हो जाती है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि तीन साल पहले एक रिपोर्ट तैयार की गई थी, जिसमें बांधों की बदहाल स्थिति को बताया गया था।

 लेकिन रिपोर्ट फाइलों में ही दब कर रह गई है। प्रदेश के कई बांधों में रिसाव की समस्या आम है। आए दिन रिसाव वाली जगह से बांधों के आशिंक रूप से टूटने की खबरें आती रहती हैं। बांध टूटने से सैकड़ो एकड़ फसल के अलावा अन्य आर्थिक नुकसान भी होते हैं। मंदसौर शहर को बाढ़ के खतरे से बचाने के लिए चार दशक पहले बने धुलकोट बांध पर अब खनन माफियाओं की नजर पड़ गई है। शहर के पश्चिमी इलाके में बने इस ढाई किलोमीटर लंबे बांध की पाल को मिट्टी माफियाओं ने खोदना शुरु कर दिया है और वे चोरी छिपे यहां से ट्रॉलियों में मिट्टी भरकर ले जा रहे है, जिसका ईंट बनाने में उपयोग कर रह रहे हैं।

ईंट भट्टे मालिकों ने शमशान घाट और नरसिंहपुरा इलाके से गुजर रही बांध की पाल से इतनी भारी मात्रा में मिट्री की खुदाई की है कि करीब आधा किलोमीटर इलाके में बांध काफी जर्जर हो गई है। हैरत की बात ये है कि अधिकारी इस खुदाई से नावाकिफ हैं। वहीं, खंडवा जिले में स्थित 'ओंकार पर्वतÓ की दरार से ओंकारेश्वर बांध (जल विद्युत सिंचाई परियोजना) को खतरा उत्पन्न होने की आशंका है। बांध के ठीक सामने पर्वत में दरार दिखाई दे रही है।

 बांध से लगभग 150 मीटर दूर पर्वत का एक हिस्सा दरकने लगा है। बांध और पर्वत के बीच कुछ चट्टानें कट गई हैं। आशंका व्यक्त की जा रही है कि नर्मदा नदी की तलहटी में दरार अंदर ही अंदर बांध तक पहुंच गई तो बड़े नुकसान का खतरा हो सकता है। जानकारों का कहना है कि नर्मदा में आने वाली बाढ़ से पर्वत चारों तरफ से कट रहा है। पर्वत पर कभी जंगल हुआ करता था, लेकिन क्षेत्र में गिनती के पेड़ रह गए हैं। पर्वत पर मठ, आश्रम, दुकान, मकान बन गए हैं। पर्वत की तलहटी में ज्योर्तिलिग मंदिर है, यह क्षेत्र अवैध भवन निर्माणों से घिरता जा रहा है। पर्वत पर अतिक्रमण हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि नर्मदा हाइड्रोइलेक्ट्रिक डेवलपमेंट कापरेरेशन लिमिटेड द्वारा बनाई गई ओंकारेश्वर जल विद्युत परियोजना में बांध द्वारा 520 मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता है। बांध में कुल 23 गेट लगे हैं। यहां पर 189 मीटर जलस्तर तक (समुद्र तल से) पानी भरा जाता है। अगर यह बांध दरकता है तो बड़ी जन हानि होगी।

संजय सरोवर परियोजना के तहत बनाए गए एशिया के सबसे बड़े मिट्टी के बांध पर खतरा मंडरा रहा है। एक तरफ इस बांध के तटबंध की मिट्टी लगातार बह रही है वहीं आतंकवादियों और नक्सलवादियों की भी कुदृष्टि इस बांध की ओर है। भीमगढ़ बांध में गेटों की सुरक्षा के लिए कन्ट्रोल रूम बनाया गया है जहां एक चोकीदार रहता है और वह भी नदारद रहता है और उसके सिवाय वहां कोई भी जबाबदार व्यक्ति सेवा नहीं देता। इनकी होती है लगातार मॉनिटरिंग एक तरफ जहां आधी शताब्दी पहले बने बांधों की देखरेख नहीं की जा रही है वहीं अभी हाल ही में बने बरगी, तवा, बरना, इंदिरा सागर,ओंकारेश्वर, बाणसागर, गांधी सागर, मनीखेड़ा, गोपीकृष्ण सागर, माही, कोलार और केरवा बांध ऐसे हैं जिनकी लगातार मॉनिटरिंग हो रही है। इन बांधों में किस दिन कितना पानी बढ़ा और कितना कम हुआ इसकी जानकारी प्रतिदिन मिलती है।

 कितने सुरक्षित हैं बांध... सरकार ने माना था कि देश के कुल 5,000 बांधों में से 670 ऐसे इलाके में जो भूकंप संभावित जोन की उच्चतम श्रेणी में आते हैं। ऐसे बांधों में मप्र के करीब 24 बांध भी शामिल हैं। सवाल ये उठता है कि भूकंप संभावित इलाकों में मौजूद ये बांध आखिर कितने सुरक्षित हैं। मौजूदा समय में उपयोग किए जाने वाले 100 से ज़्यादा बांध 100 वर्ष से भी पुराने हैं। भारत में बांध बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है और पिछले 50 वर्षों में ही देश के विभिन्न राज्यों में 3,000 से ज़्यादा बड़े बांधों का निर्माण हुआ है।

ऐसे देश में, जहां आधी से ज़्यादा आबादी कृषि पर निर्भर है वहां 95 प्रतिशत से ज़्यादा बांधों का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। भारत में बांधों का निर्माण और उनकी मरम्मत की निगरानी केंद्रीय जल आयोग करता है। आयोग के साथ सरकारें भी दोहराती रहीं हैं कि सभी बांधों की सुरक्षा जांच होती रही है और भूकंप संभावित ज़ोन में आने वाले बांध भी किसी आपदा को झेल सकने में सक्षम हैं। कई विशेषज्ञों का मत है कि मप्र में सैंकड़ों बांध अब पुराने हो चले हैं और असुरक्षित होते जा रहे हैं।

 उनका कहना है कि पुराने बांधों को गिराकर उसी इलाके में नए और ज़्यादा मज़बूत बांधों का निर्माण आवश्यक है। साऊथ एशिया नेटवर्क ऑफ डैम्स के प्रमुख हिमांशु ठक्कर कहते है कि सरकारों का ध्यान इस ओर नहीं गया है। ठक्कर ने बताया, मौजूदा समय में उपयोग किए जाने वाले देश में 100 तथा मप्र में 23 बांध 100 वर्ष से भी पुराने हैं। बांध पर बांध बने जा रहे हैं बिना ये सोचे की अगर ऊपर का एक बांध टूट गया तो नीचे किस तरह की प्रलय आ जाएगा। मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि भारत में किसी बांध का इस्तेमाल बंद कर देना इतना भी आसान नहीं है और उसे बंद करने से पहले विकल्प की तलाशने की जरूरत होती है।

भारत के 'सेंट्रल वॉटर कमीशनÓ के प्रमुख अश्विन पंड्या को लगता है कि भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था है जहां आबादी का दबाव तेजी से बढ़ रही है, साथ ही सिंचाई और ऊर्जा संबंधी जरूरतें बढ़ती जा रही हैं। ऐसे ताबड़तोड़ बांध बनाए जा रहे हैं, लेकिन इन बांधों को बनाने में कई तरह की बातों को दरकिनार किया जा रहा है,जो भविष्य के लिए खतरनाक है। वह कहते हैं कि भारत में दशकों पहले कंक्रीट से बने बांधों को भूकंप से बचाने के लिए नई बांध तकनीक से मजबूत करने की जरूरत है।

 इसके लिए आईआईटी के साथ मिलकर अमेरिका के विशेषज्ञ काम करने को तैयार हैं। कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ प्रो. एके चोपड़ा कहते हैं कि 1967 में भूकंप में पुणे का 'कोएना बांध'

 जिस तरह से टूटा-फूटा था, उसे लेकर कंक्रीट के बांधों को नई तकनीक से मजबूती देने की जरूरत महसूस हुई। भारत में अधिकांश बांध 50 से 60 साल पुराने हैं जिनकी क्षमता दिनों दिन घट रही है। उल्लेखनीय है कि भारत में कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ने एक प्रस्ताव रखा था जिसमें देश के सभी बांधों के निरीक्षण और मरम्मत की बात कही गई थी। यह प्रस्तावित कानून अभी तक संसद से पारित नहीं हुआ है। हालांकि पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है, हम हर बांध की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे और उसी हिसाब से उनकी समीक्षा की जाएगी। धरती की गरमी बढ़ाते हैं बांध बांधों से हो रहे पर्यावरण विनाश को लेकर पर्यावरणविद बरसों से चेता रहे हैं लेकिन हमारी सरकारें बांधों को विकास का प्रतीक बताने का ढिंढोरा पीटते हुए उनकी नसीहतों को अनसुना करती रही हैं। कैग की रिपोर्ट ने भी अपनी तरह से चेताया है।

 इस सबके बावजूद सरकार बड़े बांध बनाकर उसको विकास का नमूना दिखाना चाह रही है। सच यह है कि बांधों ने पर्यावरणीय शोषण की प्रक्रिया को गति देने का काम किया है जबकि बांध समर्थक इसके पक्ष में विद्युत उत्पादन, सिंचाई, जल, मत्स्य पालन और रोजगार आदि में बढ़ोतरी का तर्क देते हैं। वे बांधों को जल का प्रमुख स्रोत बताते नहीं थकते। जबकि विश्व बांध आयोग के सर्वेक्षण से स्पष्ट होता है कि बांध राजनेताओं, प्रमुख केन्द्रीयकृत सरकारी-अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं और बांध निर्माता कंपनियों के निजी हितों की भेंट चढ़ जाते हैं।

सरकार इस मामले में दूसरे देशों से सबक लेने को तैयार नहीं है जो अब बांधों से तौबा कर रहे हैं। विडम्बना यह है कि सरकार नए बांधों के निर्माण को तो प्रमुखता दे रही है लेकिन खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके 50 साल पुराने तकरीब 655 बांधों के रखरखाव, भूकंप, बाढ़, मौसमी प्रभाव और सामान्य टूट-फूट से उपजी समस्याओं तथा बांधों के खतरे के आकलन स बंधी अध्ययन के लिए सचेत नहीं दिखती है। इस संबंध में जल संसाधन मंत्रालय के पास न तो कोई योजना है और न उसके लिए कोई बजट निर्धारित है। सरकार ने बांध सुरक्षा समिति गठित तो की है लेकिन मात्र सलाह देने के अलावा उसके पास कोई अधिकार नहीं है। यह सरकारी लापरवाही की जीती-जागती मिसाल है।

गौरतलब है कि आज भारत समेत दुनिया के बड़े बांधों को ग्लोबल वार्मिग के लिए भी जिम्मेदार माना जा रहा है। ब्राजील के वैज्ञानिकों के शोध इस तथ्य का खुलासा कर इसकी पुष्टि कर रहे हैं। उनसे स्पष्ट हो गया है कि दुनिया के बड़े बांध 11.5 करोड़ टन मीथेन वायुमंडल में छोड़ रहे हैं और भारत के बांध कुल ग्लोबल वार्मिग के पांचवे हिस्से के लिए जि मेदार हैं। इससे स्थिति की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि दुनिया के कुल 52 हजार के लगभग बांध और जलाशय मिलकर ग्लोबल वार्मिग पर मानव की करतूतों के चलते पडऩे वाले प्रभाव में चार फीसदी का योगदान कर रहे हैं। इस तरह इंसानी करतूतों से पैदा होने वाली मीथेन में बड़े बांधों की अहम भूमिका है। हमारे यहां मौजदा समय में कुल 5125 बड़े बांध हैं जिनमें से 4728 तैयार हैं और 397 निर्माणाधीन हैं। भारत में बड़े बांधों से कुल मीथेन का उत्सर्जन 3.35 करोड़ टन है जिसमें जलाशयों से करीब 11 लाख, स्पिलवे से 1.32 करोड़ व पनबिजली परियोजनाओं की टरबाइनों से 1.92 करोड़ टन मीथेन उत्सर्जित होता है। ऐसे में जिन क्षेत्रों में बांध बने हुए हैं वहीं भूकंप की संभावना अधिक रहती है। भूकंप के अलावा बांधों से लोगों को और भी कई तरह के खतरे रहते हैं। मध्य प्रदेश की जमीन पर बने उत्तर प्रदेश के आधा दर्जन बांधों के कारण पिछले कई दशक से मध्य प्रदेश हर साल बाढ़ से तबाही झेल रहा है। इन बांधों से मध्य प्रदेश को दोहरी मार पड़ रही है। एक तो यहां जमीनें खराब हो रही हैं और साथ ही बांधों के बकाए राजस्व की राशि दिन पर दिन बढ़ती जा रही है।

प्रदेश को होने वाली इस राजस्व की क्षति की वसूली के लिए प्रदेश की सरकारों ने कभी पहल नहीं की जबकि दूसरी ओर एक बड़े रकबे में भूमि सिंचित करने और बकाया भू-भाटक कोई जमा न करने से उत्तर प्रदेश सरकार के दोनों हाथों में लड्डू हैं। इस बीच केन बेतवा नदी गठजोड़ परियोजना पर भी सवालिया निशान उठ रहे हैं। इन बांधों के कारण मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा हुआ छतरपुर जिला अरसे से बाढ़ त्रासदी को झेल रहा है। जंगल और जमीन मध्य प्रदेश की है लेकिन उसका दोहन उत्तर प्रदेश कर रहा है। गौरतलब है कि आजादी से पहले एकीकृत बुन्देलखण्ड में सिंचाई की व्यवस्था थी। लेकिन प्रदेशों के गठन के बाद मध्य प्रदेश को इन बांधों के कारण दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। बांधों का निर्माण तो मध्य प्रदेश की जमीन पर हुआ है लेकिन व्यवसायिक उपयोग उत्तर प्रदेश कर रहा है। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में कुल 6 बांध निर्मित हैं जो उत्तर प्रदेश की सम्पत्ति हैं। लहचुरा पिकअप वियर का निर्माण सन् 1910 में ब्रिटिश सरकार ने कराया था। इसमें मध्य प्रदेश की 607.88 एकड़ भूमि समाहित है। तत्कालीन अलीपुरा नरेश और ब्रिटिश सरकार के बीच अलीपुरा के राजा को लीज के रकम के भुगतान के लिए अनुबन्ध हुआ था।

आजादी के बाद नियमों के तहत लीज रेट का भुगतान मध्य प्रदेश सरकार केा मिलना चाहिए था लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई भुगतान नहीं किया। नियम कायदों के हिसाब से लहचुरा पिकअप वियर ग्राम सरसेड के पास है इसलिए 15.30 रूपया प्रति 10 वर्गफुट के मान से 607.88 एकड़ का 40 लाख 51 हजार 318 रूपया वार्षिक भू-भाटक संगणित होता है। लेकिन ये रकम उत्तर प्रदेश पर बकाया है। इसी तरह पहाड़ी पिकअप वियर का निर्माण 1912 में ब्रिटिश सरकार ने कराया था। अनुबन्ध की शर्तों के मुताबिक दिनांक 01 अप्रैल 1908 से 806 रूपया और 1 अप्रैल 1920 से 789 रूपया अर्थात 1595 रूपया वार्षिक लीज रेट तय किया गया था। पहाड़ी पिकअप वियर के डूब क्षेत्र 935.21 एकड़ का वार्षिक भू-भाटक 62 लाख 32 हजार 875 रूपया होता है। यह राशि 1950 से आज तक उत्तर प्रदेश सरकार ने जमा नहीं की। करोड़ों रूपयों के इस बकाया के साथ-साथ बरियारपुर पिकअप वियर का भी सालाना भू-भाटक 8 लाख 36 हजार 352 रूपया होता है। इस वियर को भी 1908 में अंग्रेजी हुकूमत ने तैयार कराया था। इसमें तकरीबन 800 एकड़ भूमि डूब क्षेत्र में आती है। छतरपुर के पश्चिम में पन्ना जिले की सीमा से सटे गंगऊ पिकअप वियर का निर्माण 1915 में अंग्रेजी सरकार ने कराया था।

 जिसमें 1000 एकड़ डूब क्षेत्र है। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने अन्य बांधों की तरह इस बांध का भी 6 लाख 53 हजार 400 रूपया वार्षिक भू-भाटक राशि को आज तक जमा नहीं किया। छतरपुर एवं पन्ना जिले की सीमा को जोडऩे वाले रनगुंवा बांध का निर्माण 1953 में उत्तर प्रदेश सरकार ने कराया था। इसका डूब क्षेत्र भी तकरीबन 1000 एकड़ है। इस प्रकार से वार्षिक भू-भाटक 6 लाख 53 हजार 400 रूपया है। इस राशि को भी उत्तर प्रदेश सरकार की रहनुमाई का इन्तजार है। वर्ष 1995 में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश की सीमा को जोडऩे वाली उर्मिल नदी पर बांध का निर्माण कराया था। इसके निर्माण के बाद मध्य प्रदेश की 1548 हेक्टेयर भूमि डूब क्षेत्र में आ गयी। इसका सालाना अनुमानित भू-भाटक 9 लाख 86 हजार 176 रूपए बनता है। लेकिन मप्र सरकार कभी भी उत्तर प्रदेश सरकार से अपने राजस्व का हिसाब नहीं कर सकी।,

 जबकि हर बरसात में मध्य प्रदेश के गांवों को भीषण बाढ़ का सामना करने के साथ-साथ पलायन करना पड़ता है। उत्तर प्रदेश के इन अधिकंाश बांधों की समय सीमा अब लगभग समाप्त हो चुकी है। इनसे निकलने वाली नहरों के रख-रखाव पर न ही सरकारों ने कोई ध्यान दिया और न ही जल प्रबन्धन के सकारात्मक समाधान तैयार किए हैं। रनगुंवा बांध से मध्य प्रदेश को अब पानी भी नहीं मिल पाता है। जल-जंगल और जमीन इन तीन मुद्दों के बीच पिसती उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की हांसिए पर खड़ी जनता की यह पीड़ा कहीं न कहीं उन बांध परियोजनाओं के कारण ही उपजी है। जिसने दो प्रदेशों के बीच वर्तमान में पानी की जंग और भविष्य में बिन पानी बुंदेलखंड के अध्याय लिखने की तैयारी कर ली है।

आलम यह है कि अब ये बांध लोगों की जानमाल के लिए भी खतरे की घंटी बजा रहे हैं। इन बांधों से है खतरा बांध निर्मित वर्ष बालाघाट जिले में डोगरबोदी 1911 अमनल्ला 1916 बिठली 1910 बसीनखार 1909 रामगढ़ी 1915 तुमड़ीभाटा 1989 कुतरीनल्ला 1916 बड़वानी जिले में रंजीत 1916 बैतूल जिले में सतपुड़ा 1967 भोपाल जिले में केरवा 1976 हथाईखेड़ा 1962 छतरपुर जिले में मदारखबनधी 1964 गोरेताल 1663 दमोह जिले में माला 1929 मझगांव 1914 हसबुआमुदर 1917 गोड़ाघाट 1913 चिरेपानी 1913 रेद्दैया 1910 छोटीदेवरी 1919 जुमनेरा 1910 नूनपानी 1952 दतिया जिले में रामसागर(गुना) 1963 रामपुर 1917 अमाही 1917 खानपुरा 1907 जमाखेड़ी 1915 भरोली 1916 मोहरी 1916 केशोपुर 1916 खानकुरिया 1915 समर सिंघा 1917 ग्वालियर जिले में हरसी 1917 तिगरा 1917 रामोवा 1931 टेकनपुर 1895 सिमरियानग 1976 खेरिया 1913 रीवा जिले में गोविंदगढ़ 1916 सागर जिले में नारायणपुरा 1926 रतोना 1924 चांदिया 1926 सतना जिले में लिलगीबुंदबेला 1938 सीहोर जिले में जमनोनिया 1938 सिवनी जिले में अरी 1952 समाल 1910 चिचबुंद 1951 बारी 1957 शाजापुर जिले में नरोला 1916 सिलोदा 1916 शिवपुरी जिले में धपोरा 1913 चंदापाठा 1918 डिनोरा 1907 नागदागणजोरा 1911 झलोनी 1913 रजागढ़ 1914 अदनेर 1911 ककेटो 1934 विदिशा जिले में घटेरा 1956 उज्जैन जिले में अंतालवासा 1908 कड़ोडिया 1957 शाजापुर जिले में नरोला 1916 सिलोदा 1916 होशंगाबाद जिले में दुक्रिखेड़ा 1956 धनदीबड़ा 1956 इंदौर जिले में यशवंत नगर 1933 देपालपुर 1931 हशलपुर 1950 जबलपुर जिले में परियट 1927 बोरना 1920 पानागर 1912 कटनी जिले में पिपरोद 1913 गोहबंनधा 1912 पथारेहटा 1918 दारवारा 1918 पब्रा 1912 अमेठा 1918 जगुआ 1921 जगुआ 1921 लोवर सकरवारा 1919 अपर सकरवारा 1919 बोहरीबंद 1927 अमाड़ी 1927 बोरिना लोवरटी 1923 मौसंधा 1917 मंदसौर जिले में पोदोंगर 1956 गोपालपुरा 1954 पन्ना जिले में लोकपाल सागर 1909 रायसेन जिले में लोवर पलकसती 1936 भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है नर्मदा पट्टी भारतीय उपमहाद्वीप में विनाशकारी भूकंपों का लम्बा इतिहास रहा है।

 भूकंपों की अत्यधिक आवृत्ति और तीव्रता का मुख्य कारण यह है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट तकरीबन 47 मिलीमीटर प्रति वर्ष की गति से यूरेशियाई प्लेट से टकरा रही है। भारत का करीब 54 प्रतिशत हिस्सा भूकंप की आशंका वाला है। जहां तक मप्र का सवाल है तो यहां के अधिकांश क्षेत्र जोन-3 यानी सामान्य तबाही वाले क्षेत्र की श्रेणी में आते हैं। भूकंप के दृष्टिकोण से अति संवेदनशील निमाड़ देश के मानचित्र में भूकंप जोन-3 में आता है। यह भूकंप की दृष्टि से कमजोर सोन-नर्मदा-ताप्ती लिनियामेंट जोन में है। यहां सन 1847 से 1992 के बीच 4 से 6.5 मैग्नीट्यूट क्षमता के 7 भूकंप आ चुके हैं। इसे देखते हुए नर्मदा पट्टी को संवेदनशील भूकंप संभावित क्षेत्र माना गया है। खंडवा जिले की पंधाना तहसील में करीब 20 वर्षों से भूगर्भीय हलचल ज्यादा बढ़ी है। 11 सितंबर 1998 से सन 2002 तक अंचल के 50 से अधिक गांवों को थर्रा देने वाले करीब 2000 झटके दर्ज हुए। इस दौरान सबसे अधिक 3.1 मैग्नीट्यूट तीव्रता का एक झटका दर्ज हुआ था। कई बार तो एक ही दिन में 50 से अधिक झटके दर्ज हुए। इनसे किसी प्रकार की क्षति तो नहीं हुई लेकिन कुछ वर्षों तक भूकंप की दहशत बनी रही। धीरे-धीरे भूगर्भीय गतिविधियों में कमी होते-होते लगभग बंद हो गई।

भूगर्भीय हलचल के बाद देश के ख्यात वैज्ञानिकों ने क्षेत्र में इनका सर्वेक्षण किया। पंधाना तहसील मुख्यालय, नर्मदानगर, जिलाधीश कार्यालय, छनेरा, ओंकारेश्वर, बागली, बड़वानी, मंडलेश्वर सहित 11 स्थानों पर भूकंप मापी सिस्मोग्राफ मशीनें लगाई गई। छेगांवमाखन विकास खंड के सिरसोद में वैधशाला स्थापित की गई। भूगर्भीय हलचल पर नजर रखने के लिए वैज्ञानिकों के लगातार दौरे होते रहे, लेकिन सन 2002 के बाद जैसे-जैसे भूगर्भीय हलचलों में कमी आई वैधशाला बंद हो गई। अधिकांश स्थानों पर लगी भूकंपमापी मशीनें भी बंद हो गईं। लेकिन विसंगति यह है कि भूकंप के लिए संवेदनशील नर्मदा पट्टी में सबसे अधिक बांधों और नहरों का निर्माण किया गया है। क्षेत्र में निर्माण की लंबी श्रृंखला को देखते हुए लगता है कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए)को पता ही नहीं है कि नर्मदा पट्टी भूकंप के लिए संवेदनशील क्षेत्र है। खतरे में है नर्मदा घाटी नर्मदा घाटी क्षेत्र में 26 अप्रैल को हुए भू-गर्भीय कंपन लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। बड़वानी में भूकंप से कई स्थानों पर पक्के मकानों की दीवारों में दरारें आ गई। लोगों का कहना है कि भूकंपन की दृष्टि से नर्मदा घाटी खतरनाक जोन में माना गया है।

 नर्मदा पर बनाए जा रहे सरदार सरोवर बांध सहित अन्य बांधों की श्रृंखला से व जलाशयों के बनने से यहां लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है। बावजूद इसके आपात स्थिति से निपटने के लिए कोई तैयारी नहीं है। जिला मुख्यालय पर वेधशालाएं तो हैं लेकिन पर्याप्त संसाधन नहीं होने से ये किसी काम की साबित नहीं हो रही है। जिस समय भूकंपन हुआ उस दौरान लोगों ने इसे साफ महसूस किया। कृष्णा स्टेट कॉलोनी निवासी विजय गोरे ने बताया मकान के खिड़की दरवाजे हिलने लगे। अजय गोरे ने बताया कि पूजा करते समय दो झटके लगे। इससे मकान की दीवार में दरारें भी पड़ गई। नर्मदा बचाओ आंदोलन नेत्री मेधा पाटकर ने बताया कि नर्मदा घाटी खतरे की जद में है। वर्ष 2009 में भी क्षेत्र में 4.2 रिक्टर स्केल की तीव्रता का कंपन आंका गया था।

सरदार सरोवर बांध प्रभावित क्षेत्र में भू-गर्भीय हलचल को रोकने या इसके आंकलन के लिए कोई तैयारी नहीं है। भूकंप के लिए मेधा पाटकर ने सरदार सरोवर बांध व नर्मदा क्षेत्र में हो रहे रेत उत्खनन को जिम्मेदार ठहराया हैं। उन्होंने बताया कि मप्र में जलाशयों की श्रंृखला निर्मित की जा रही है। नर्मदा सोन लिनमेट पर बहने वाली नर्मदा पर ही बनने से जो क्षेत्र पर बड़ा दबाव पैदा होता है, उससे भूगर्भ में हलचल मचती है, जो भूचाल बनाती है। मेधा पाटकर कहती हैं कि नर्मदा सोन नर्मदा लिनामेंट पर बह रही है। भूकंप की दृष्टि से ये क्षेत्र बहुत ही कमजोर है। उन्होंने बताया कि 3 रिक्टर स्केल के भूकंप महसूस नहीं होता है। 4.5 रिक्टर स्केल के भूकंप महसूस होते हैं। मप्र में भूकंप मापन पर कोई काम नहीं हो रहा है। सोन नर्मदा लिनामेंट पर वॉटर बॉडी खड़ी कर रहे हैं। इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे। किनारों पर जमीन धंसने की घटनाएं अब लगातार होने की संभावना है। नर्मदा घाटी देश की संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है। नदी घाटियों में स्थित सरदार सरोवर के इर्दगिर्द में तीनों राज्यों में कई सोर प्लांट जोन्स है। इसमें एक बोरखेड़ी बड़वानी में है तो दूसरा शाहदा महाराष्ट्र में है। बड़वानी में 1930 से लेकर कई भूकंप आए हंै।

 जिसमें 6 .5 तक के झटके हैं, 2009 में 4.2 रिक्टर स्केल का रहा है। इससे बांध को क्षति हुई, लेकिन कभी भी उसका आंकलन नहीं करवाया गया। सरदार सरोवर संबंध में भूकंप मापन केन्द्र प्रस्थापित किए गए हैं। इनमें से एक सागबारा, गुजरात में तथा दूसरा शाहदा, महाराष्ट्र में कार्यरत है। मप्र में एक भी काम नहीं कर रहा है। इसी कारण भूकंप की तीव्रता एवं नियमितता कभी रिकॉर्ड पर नहीं हुई। नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के पर्यावरण उपदल की बैठकों में यह कहा गया है कि अधिक जानकारी राज्यों से जरूरी है, जो नहीं मिल पा रही है। बरगी में 1996 का भूकंप बांध के पास ही केंद्र होकर निर्मित हुआ था। कच्छ में आए महाविनाशक 2000 के भूंकप का केंद्र भी सरदार सरोवर के ही पास था। यह गुजरात के कई वैज्ञानिकों की खोज से निकली बात थी। बड़वानी 1938 में 6 रिस्केल से अधिक और 2009 में 4.2 रिस्केल को भूंकप आया था। बरगी मध्यप्रदेश तथा कोयना महाराष्ट्र और अन्य बांधों को भूकंप से सुरक्षित कहकर इर्दगिर्द के घर, इंसान, पेड़ और संपत्ति का बड़ा नुकसान किया था।

बोरखेड़ी बड़वानी फाल्ट जोन में आज भी भूकंप का हादसा बना हुआ है, जिसका असर पाटी जैसे आदिवासी क्षेत्र से लेकर खरगोन तक जाता है। 2009 में बड़वानी के भूकंप का धक्का भी खरगोन तक पहुंचा था। 1972 में बने मास्टर प्लान के अनुसार मध्यप्रदेश नर्मदा में उपलब्ध कुल जल का 65 फीसद यानि 18.25 मिलियन एकड़ फीट(एमएएफ ) जल का उपयोग कर प्रदेश को समृद्ध बनाएगा। इसके तहत 23 बड़ी, 135 मध्यम व तीन हजार से अधिक छोटी परियोजनाओं का निर्माण करना तय किया गया। वृहद परियोजनाओं के लिए 1985 में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए)का गठन हुआ। सभी बड़ी परियोजनाओं का जिम्मा प्राधिकरण को सौंपा गया। लेकिन प्राधिकरण ने बिना मापदंड के इस क्षेत्र में निर्माण कार्य करवाया है जो कभी भी खतरनाक बन सकते हैं। इस क्षेत्र में प्राधिकरण ने तीन दशक में केवल दो बड़ी परियोजनाएं मान व जोबट ही पूरी कर सका। वहीं पांच परियोजनाएं वर्ष 1988 से पहले जल संसाधन विभाग द्वारा पूरी की गई। एनवीडीए की सात परियोजनाएं रानी अवंतीबाई लोधी सागर परियोजना (जल उपयोग1681एमसीएम), बरगी डायवर्जन (2510.6 एमसीएम), इंदिरा सागर (1625.26 एमसीएम), ओंकारेश्वर (1300 एमसीएम), अपर वेदा(101.09 एमसीएम), पुनासा लि ट (130.20 एमसीएम)एवं लोअर गोई (136.65 एमसीएम)निर्माणाधीन हैं।

वहीं दो परियोजनाएं हालोन एवं अपर नर्मदा के लिए निर्माण का कार्य शुरुआती दौर में ही है। जबकि सात परियोजनाएं अब तक शुरु ही नहीं की जा सकी। इनके लिए सर्वे,अन्वेषण एवं डीपीआर बनाने का काम ही पूरा नहीं हो सका। भूकंप से बचाने की कागजी योजना भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं को लेकर सरकारी एजेंसियों का अभी तक का रवैया कैसा रहा है इसका सबसे बड़ा उदाहरण जवाहर लाल नेहरू अर्बन रिन्यूअल मिशन के तहत भूकंप सहने वाले मकान बनाने की योजना है।

इस योजना के तहत तीन दर्जन से ज्यादा शहरों में भूकंप रोधी मकानों के निर्माण के कार्य को वरीयता देने की बात थी लेकिन कई वर्ष बीतने के बाद भी यह योजना कागजों में ही सिमटी है। इस योजना का हश्र बताता है कि जब देश में कोई आपदा आती है तो सरकारी एजेंसियां योजना बनाने में जुट जाती हैं लेकिन समय बीतने के साथ ही उस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। योजनाओं के अमल का कोई उपाय नहीं जवाहर लाल नेहरू अर्बन रिन्यूअल मिशन में भूकंप सहने वाले मकान बनाने की योजना के साथ ही 38 शहरों के लिए अर्बन अर्थक्वेक वलनरबिलिटी रिडक्शन प्रोजेक्ट की प्रगति भी काफी खराब है। असलियत में इन दोनों योजनाओं की प्रगति सिर्फ कागजों में दिखाई देती है।

 दरअसल, इन योजनाओं को कैसे अमलीजामा पहनाया जाएगा, इसको लेकर सरकार अंधेरे में हैं। केंद्र में नई सरकार के आने के बाद भी हालात में बहुत बदलाव नहीं हुए हैं। बार-बार केंद्र की तरफ से राज्यों को भूकंप से बचने के लिए तमाम उपाय करने पर सुझाव देने की औपचारिकता पूरी कर दी जाती है। लेकिन इसे कैसे अमल में लाया जाए या इसको लेकर क्या प्रगति हो रही है, इसकी कोई निगरानी नहीं होती। बिल्डर उड़ा रहे नियमों की धज्जियां राज्य सरकारों की भूमिका भी कम चिंताजनक नहीं है। इस बारे में केंद्र की तरफ से बुलाई गई बैठक में काफी वादे किए जाते हैं लेकिन जमीनी तौर पर भूकंप से बचने के लिए होने वाले उपायों की पूरी तरह से अनदेखी की जाती है।

 लिहाजा बिल्डर धड़ल्ले से नियम कायदों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। मप्र की राजधानी से लेकर इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर जैसे तमाम शहरों में सिंगल प्लाट पर बनने वाले बहुमंजिला इमारत किसी प्राकृतिक आपदा में मौत का कुंआ साबित हो सकते हैं। उत्तर भारत के अधिकांश शहर खतरनाक सेस्मिक जोन (भूकंप संभावित क्षेत्र) में है। सरकार ने भूकंप की आशंका के मुताबिक सभी शहरों के लिए योजना बनाई थी लेकिन अमल अभी तक नहीं ह o  पाया। पहले चरण में पांच लाख से ज्यादा आबादी वाले  संभावित शहरों को चुना गया था। लेकिन कही भी इसका अमल नहीं हुआ है।

असमा जावेद की हत्या का खुलासा

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अलीगढ़।एएमयू की स्कॉलर असमा जावेद की हत्या का खुलासा हुआ है।पुलिस के मुताबिक बॉयफ्रेंड जावेद ने ही डॉ.असमा की गला दबाकर हत्या की थी। उसका कहना है कि मेडिकल रोड स्थित अपार्टमेंट में रहने वाली असमा देर रात तक फोन पर किसी और से भी घंटों बातें किया करती थी।इससे आरोपी जावेद नाराज था।पैसे को लेकर भी दोनों के बीच विवाद था।डीआईजी और एसएसपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह खुलासा किया।असमा 8 मई से लापता थी।शव 13 मई की सुबह उनके कमरे से बरामद किया गया।

पुलिस की मानें तो आरोपी जावेद दिखावे के लिए हत्या के पीछे की वजह जानना चाह रहा था।जब पुलिस ने असमा के बैंक अकाउंट की पड़ताल की तो पता चला कि उनके लापता होने के बाद जावेद ने 12 तारीख को उनके एटीएम से 55 हजार रुपये निकाले गए थे। जब पुलिस ने जावेद से पूछताछ की तो वह टूट गया और उसने हत्या की बात कबूल कर ली।असमा और जावेद की दोस्ती करीब सालभर पहले हुई थी।जावेद प्रॉपर्टी का छोटा-मोटा काम करता है।असमा हाथरस से बीटीसी कोर्स कर रही थीं।असमा रोजाना बस से हाथरस जाती थी।जावेद, असमा को फ्लैट से बस अड्डे तक छोड़ता और शाम को रिसीव करता था।

इस दौरान दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गई थीं।हालांकि इंटर पास जावेद शादीशुदा और तीन बच्चों का पिता है।कुछ समय पहले असमा एक रेस्तरां मालिक अकरम के संपर्क में आई।पुलिस का कहना है कि जावेद के कहने पर ही असमा ने उसके खिलाफ सिविल लाइंस थाने में 376 का मामला दर्ज कराया था।यह सब जावेद ने पैसे के लालच में किया था।बाद में उस मामले में पैसे लेकर समझौता हो गया था।जावेद सोच रहा था कि पैसा उसे मिलेगा लेकिन असमा के पिता पूरा पैसा लेकर बलरामपुर चले गए।इसके बाद जावेद और असमा के बीच अनबन रहने लगी।

हालांकि विवाद के बाद भी इंटर पास जावेद असमा से निकाह करना चाहता था।इसी दौरान जावेद को शक हुआ कि असमा देर रात तक किसी और से बातें करती है।जब इस बारे में उससे पूछताछ की तो दोनों के बीच विवाद बढ़ गया।8 मई को जावेद ने असमा का टैबलेट चेक करने की कोशिश की तो असमा ने चांटा जड़ दिया और हाथरस निकल गई।शाम को जावेद जब असमा को लेकर फ्लैट पर आया तो दोनों के बीच फिर झगड़ा शुरू हो गया।इसी दौरान जावेद ने असमा की गला दबाकर हत्या कर दी।इसके बाद टैबलेट और एटीएम कार्ड लेकर फ्लैट का ताला लगाकर गायब हो गया।👇👇👇👇👇�

प्रधानमंत्री मोदी के एक साल के काम की समीक्षा वाटस एप पर, आप भी समझे

1. सभी राज्यों में चुनाव प्रचार. इस दौरान झूठे वादे किए.
2. विदेशी दौरे किए पर देश के पक्ष में कोई अहम डील करने में विफल रहे.
3. चीनी, अनाज, दूध, सब्जी, तेल, फल आदि सभी की कीमतें बढ़ाई.
4. खाद और बिजली के दाम बढ़ाए, महँगाई बढ़ाई पर फसलों पर समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाए. जिससे 8 महीने में 10 हज़ार किसानों ने आत्म हत्या की.
5. मोबाइल इंटरनेट की कीमत दोगुनी की.
6. इंटरनॅशनल क्रूड का दाम 60% से ज़्यादा गिर जाने पर भी पेट्रोल-डीजल की कीमत को 20% भी कम नहीं किया.
7. अँग्रेज़ों के जमाने से कहीं भयावह भूमि अधिग्रहण क़ानून लाया जिससे आपके ज़मीन आपसे मंज़ूरी लिए बगैर सस्ते में छीन ली जाएगी.
8. अपने सभी MP को 5 स्टार होटेल में रखते हैं.
9. स्वास्थ्य बजट में 6000 करोड़ रुपये की कटौती की.
10. पुलिस सुधार में 1500 करोड़ रुपये की कटौती की.
11. उच्च शिक्षा बजट में 4000 करोड़ रुपये की कटौती की.
12. देश के रक्षा क्षेत्र में 13000 करोड़ रुपये की कटौती की.
13. शहरी विकास में 1412 करोड़ रुपये की कटौती की.
14. ग्रामीण विकास में 6800 करोड़ रुपये की कटौती की.
15. नरेगा बजट में 40% की कटौती की गयी.
16. एक साल तक केंद्र में कोई नौकरी नहीं दी जाएगी.
17. दिल्ली समेत पूरे देश में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया (आँकड़े में बृद्धि), चुनाव से पहले दंगे में बृद्धि हुई, संप्रदायिक तनाव बढ़ाया.
18. स्वच्छ भारत अभियान के ज़रिए जनता को मूर्ख बनाया गया. देश को स्वच्छ रखने के लिए कोई कर्मचारी बहाली नहीं की गयी.
19. प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत ना तो उन्हें 5000 रुपये की ओवेरड्राफ्ट दी गयी ना ही 1 लाख रुपये की इन्सुरन्स दी जा रही है.
20. जनता के टैक्स के पैसे को अडानी को 1.5% के ब्याज पर दिया जा रहा है.
21. वोडाफोने को 3200 करोड़ का टैक्स माफ़ किया.
22. 100 दिन में काला धन लाने में विफल.
 23. अपने मुद्दे पर भी विफल: गौवध को रोकने में विफल, आर्टिकल 370 को ख़त्म करने मे पूरी तरह विफल, हिन्दी को जन-जन की भाषा बनाने के नियत में खोट निकली (UPSC केस).
24. लोकपाल लागू करने में विफल.
25. भारत को पाकिस्तान और चीन के ख़तरे से बचाने में विफल.
26. बांग्लादेश लैंड स्वाप डील और उसके पहले बांग्लादेश को ज़मीन देना.
27. आते ही देश में रोडवेज़ और रेल किराए में भारी बढ़ोतरी की.
28. पटेल की मूर्ति बनाने के लिए करीब 3000 करोड़ रुपये दिए जाएँगे.
29. रीटेल, रक्षा, रेलवे सहित कई क्षेत्रों में FDI लाने को तैयार हुई जबकि मनमोहन सरकार के समय भाजपा FDI को जनविरोधी तक बताती रही है.
30. जीवन रक्षक 108 दवाइयों के दाम कई गुणा तक बढ़ाए. कैंसर के दवाई ग्लिवेक की कीमत 8 हज़ार से बढ़ा कर 1 लाख 8 हज़ार की.

भोपाल एयर पोर्ट हो रहे भ्रष्टाचार का एक खुलासा और देखिए।

भोपाल एयर पोर्ट हो रहे भ्रष्टाचार का एक खुलासा और देखिए। इसमें फीरोज खान, मोहम्मद वसीम और भोपाल एयर पोर्ट अथाारिटी शामिल हैं। खुलासा देखिए :-

1. भोपाल एयर पोर्ट पर 16 दैनिक वेतन भोगी हैलपर रखे हुए हैं। इन दैनिक वेतन भोगी हैलपरों को पहले कैजुअल हैलपर बताया गया। जबकि ये सारे कैजुअल हैं ही नहीं।

2. एयर पोर्ट अथाारिटी के नियमानुसार जो इस प्रकार कर्मी एयर पोर्ट पर कार्य करते हैं। उन्हें उनकी सालाना कमाई की 36% रोयलटी एयर पोर्ट अथाारिटी लेता है। तब जाकर कहीं उनका पास बन सकता है।

3. परंतु भोपाल एयर पोर्ट ऐसा नहीं हो रहा है, बिना रोयलटी लिए बनाए गए एयर पोर्ट पास फर्जी पास होते हैं। इस गोरखधंदे में मुख्य भूमिका फीरोज खान और मोहम्मद वसीम की है कि कैसे और किस सैटिंग से, बिना रोयलटी के इन  लोगों के  सालों से एयर पोर्ट पर पास बन रहे हैं। और दिल्ली मुख्यालय को और एयर पोर्ट मुख्यालय प्रबंधन को पता ही नहीं है। इससे सरकारी राजस्व का नुकसान तो हो ही रहा है, साथ ही बिना नियमों का पालन किए, और ऐसे स्थान पर जहाँ सुरक्षा मान दंडों का बहुत ही विशेष खयाल रखा जाना चाहिए। यहाँ किसी भी हादसे के होने का इंतजार किया जा रहा है।

अब एयर इंडिया प्रबंधन अपने भ्रष्ट अधिकारियों को और एयर पोर्ट अथाारिटी अपने भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने में लग जाएँगे। कोई कार्यवाही नहीं होगी। क्या यह मुद्दा भी गंभीर नहीं है।

1. जफरुददीन का फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी और परमोसन लेने का केस 2006 में आरंभ हुआ था। और सरे आम विभाग को कानून को धोखा देता रहा, बराएनाम केस चलाते रहे। दोषी साबित करते रहे और परमोसन देते रहे। और अपराधी अधिकारी अपना सारा हिसाब लेकर लाखों का कंपनी को चूना लगाकर आराम से बाइजजत रिटायरमेंट ली, डायरेक्टर आफ कमरसियल और रीजनल डायरेक्टर ने उसकी प्रशंसा की। यह कहा, क्योंकि आपकी संतोषजनक सर्विस रही है। इसलिए मानवता के आधार पर आपको छोड़ा जाता है। जिसने विभाग को, कानून को धोखा दिया। उसकी नौकरी संतोषजनक बताई गई और शुभकामनाएँ दी गईं। यह नजारा  एयर इंडिया में ही देखा झा सकता है।

2. अब बारी है उसी ऑफिस में फीरोज खान की, जिसपर चार दोष हैं वो ये हैं :-

क. इसकी पदोन्नति फर्जी तरीके से हुई। जिसके सबूत हमने रोहित नंदन, सी एम डी को दिए।

ख. सन 2007 में जब इसने उप प्रबंधक से प्रबंधक बनने के लिए इंटरव्यू दिया। यह इंटरव्यू आज के महाप्रबंधक - वाणिज्य श्री पाठक जी ने लिया था। यह उसमें फेल हो गया था। फिर फेल उम्मीदवार का कैसे परमोसन किया।

ग. जब इसकी नियुक्ति यातायात सहायक के रूप में ग्वालियर में हुई थी। 1979 से 1982 तक रेगुलर नौकरी करते हुए ग्वालियर में रहा, फिर ठीक उसी समय में भोपाल कई बरकातुलला यूनिवर्सिटी से रेगुलर बी.ए.  कैसे पास कर ली। विभाग ने इस गंभीर अनियमितता को भी अनदेखा कर दिया।

घ. उसके बाद यह अधिकारी और अनियमितता में रंगे हाथ पकड़ा गया। खुद एयर इंडिया की CVO, मैडम सुबबाराव ने भोपाल में इसके कमरे पर छापा मारा। जिसमें यह दोषी पाया गया। इसे chargsheeted किया गया। इसके बाद भी विभाग इनपर मेहरबान रहा और इसे अमृतसर स्थानांतरण कर दिया। यह अधिकारी जिसे बर्खास्त करना था। डेढ़ साल के बाद विनीता भंडारी ने इनके केस में अपना कमाल दिखाया और इसे वापस भोपाल बुलाकर। कुल चार महीने में तीन परमोसन देकर उप प्रबंधक ले ए जी एम बना दिया।

इन सभी सबूतों को अनदेखा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि यह जाली अधिकारी अगस्त 2015 में रिटायरमेंट हो रहा है, तो प्रबंधन हर मुमकीन कोशिश करते रहा है कि इनपर भी कोई कार्यवाही करने से पहले इसे भी बाइजजत, सम्मान से शुभकामनाएँ देकर रिटायरमेंट दे दें। हम बार बार पुख्ता सबूत दे रहे हैं। पर एयर इंडिया का प्रबंधन इसे भी पहले अधिकारी की तरह ही सम्मान से सारा हिसाब देंगे।
इनकी नजर में विभाग की बदनामी, विभाग की आर्थिक हानि, बार बार कंपनी की प्रतिष्ठा को चोट पहुँचना कोई माएने नहीं रखता। इन्हें जो भी भ्रष्टाचार कर रहे हैं, कंपनी को नुकसान पहुँचारहे हैं उन्हें सम्मान और परमोसन देने हैं।

पहले साल में फिर सबसे अहम सवाल बचकाने करार दिये गये

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26 मई 2014 को राष्ट्रपति भवन के खुले परिसर में नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में 45 सांसदों ने मंत्री पर की शपथ ली लेकिन देश-दुनिया की नजरें सिर्फ मोदी पर ही टिकीं।  और साल भर बाद भी देश-दुनिया की नजरें सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी ही टिकी हैं। साल भर पहले शपथग्रहण समारोह में सुषमा, राजनाथ जीत कर भी हारे हुये लग रहे थे और अरुण जेटली व स्मृति ईरानी लोकसभा चुनाव हार कर भी जीते थे। पहले बरस ने देश को यह पाठ भी पढ़ाया कि चुनाव जीतने के लिये अगर पूरा सरकारी तंत्र ही लग जाये तो भी सही है। और सरकार चलाने के लिये जनता के दबाव से मुक्त होकर चुनाव हारने या ना लड़ने वालों की फौज को ही बना लिया जाये।

इसलिये देश के वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री, मानव संसाधन मंत्री,सूचना प्रसारण मंत्री, वाणिज्य मंत्री, उर्जा मंत्री, पेट्रोलियम मंत्री, रेल मंत्री, संचार मंत्री, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री समेत दर्जन भर मंत्री राज्य सभा के रास्ते संसद पहुंच कर देश को चलाने लगे। या फिर मंत्री बनाकर राज्यसभा के रास्ते सरकार में शामिल कर लिया गया।

क्योंकि सरकार चलाते वक्त जनता के बोझ की जिम्मेदारी तले कोई मंत्री पीएमओ की लालदीवारो के भीतर सरकार के विजन पर कोई सवाल खड़ा ना कर दें। तो पहले बरस इसके कई असर निकले। मसलन मोदी जीते तो बीजेपी की सामूहिकता हारी। मोदी जीते तो संघ का स्वदेशीपन हारा।

मोदी जीते तो राममंदिर की हार हुई विकास की जीत हुई। मोदी जीते तो हाशिये पर पड़े तबके की बात हुई लेकिन दुनिया की चकाचौंध जीती। मोदी पीएम बने तो विकास और हिन्दुत्व टकराया। मोदी पीएम बने तो विदेशी पूंजी के लिये हिन्दुस्तान को बाजार में बदलने का नजरिया सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को भी भारी पड़ता नजर आया। यानी पहले बरस का सवाल यह नहीं है कि बहुसंख्यक तबके की जिन्दगी विकास के नाम पर चंद हथेलियों पर टिकाने की कवायद शुरु हुई और बेदाग सरकार का तमगा बरकरार रहा। पहले बरस का सवाल यह भी नहीं है कि महंगाई उसी राज्य-केन्द्र के बीच की घिंगामस्ती में फंसी नजर आयी जो मनमोहन के दौर में फंसी थी।

पहले बरस का सवाल यह भी नहीं है कि कालाधन किसी बिगडे घोड़े की तरह नजर आने लगा जिसे सिर्फ चाबुक दिखानी है। और सच सियासी शिगूफे में बदल देना है। पहले बरस का सवाल रोजगार के लिये कोई रोड मैप ना होने का भी नहीं है और शिक्षा-स्वास्थ्य को खुले बाजार में ढकेल कर धंधे में बदलने की कवायद का भी नहीं है।

पहले बरस का सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जिस राजनीति और उससे निकले नायको को खलनायक मान कर देश की जनता ने बदलाव के लिये गुजरात के सीएम को पीएम बनाकर देश को बदलने के सपने संजोये उसी
जनता के सपनों की उम्र 2019 और 2022 तक बढायी गई। बैंक खातों से लेकर पेंशन योजना और विदेशी जमीन पर भारत की जयजयकार से लेकर देश को स्वच्छ रखने तले हर भावना को नये सीरे से ढालने की कोशिश हुई। और राजनीति को उसी मुहाने पर ला खडा किया गया जिसके प्रति गुस्सा था। क्योंकि जाति की राजनीति। भ्रष्ट होती राजनीति ।

सत्ता के लिये किसी से भी गठबंधन कर मलाई खाने की राजनीति। लाल बत्ती के आसरे देश को लूटने की राजनीति से ही तो आम आदमी परेशान था। गुस्से में था । उसे लग चुका था कि राजनीतिक सत्ता तो देश के 543 सांसदों की लूट या दर्जन भर राजनीतिक दलों की सांठगांठ । या देश के दस कारपोरेट या फिर ताकतवर नौकरशाही के इशारों पर चल रहा है । उनके विशेषाधिकार को ही देश का संविधान मान लिया गया है।

इसलिये संविधान में मिले हक के लिये भी आम जनता को राजनेताओं के दरवाजे पर दस्तक देनी पड़ती। सत्ता के दायरे में खडे हर शख्स के लिये कानून-नियम बेमानी है और जनता के लिय सारे नियम कानून सत्ताधारियो के कोठे तक जाते हैं। यानी वहां से एक इशारा पुलिस थाने में एफआईआर करा सकता है। स्कूल में एडमिशन करा सकता है। अदालत जल्द फैसला दे सकती है। और अपराधी ना होने के बावजूद अपराधी भी करार दिये जा सकते है। लेकिन 26 मई 2014 के बाद हुआ क्या।

पहले बरस ही कश्मीर में जिन्हे आतंकवादियों के करीब बताया उसके साथ मिलकर सत्ता बनाने में कोई हिचक नहीं हुई। महाराष्ट्र में जिसे फिरौती वसूलने वाली पार्टी करार दिया उसके साथ ही मिलकर सरकार बना ली। जिस चाचा भतीजे के भ्रष्टाचार पर बारामती जाकर कसीदे पढ़े उसी के एकतरफा समर्थन को नकारने की हिम्मत तो हुई नहीं उल्टे महाराष्ट्र की सियासत में शरद पवार
का कद भी बढ गया। जिस झारखंड में आदिवासियों के तरन्नुम गाये वहां का सीएम ही एक गैर आदिवासी को बना दिया गया।

पहले बरस का संकट तो हर उस सच को ही आईना दिखाने वाला साबित होने लगा जिसकी पीठ पर सवाल होकर जनादेश मिला। क्योंकि बरस भर पहले कहां क्या क्या गया। किसान खत्म हो रहा है। शिक्षा सस्थान शिक्षा से दूर जा रहे हैं। हास्पिटल मुनाफा बनाने के उद्योग में तब्दील हो गये हैं। रियल इस्टेट कालेधन को छुपाने की अड्डा बन चुके हैं।खनिज संपदा की विदेश लूट को ही नीतियों में तब्दील किया जा रहा है।  सुरक्षा के नाम पर हथियारो को मंगाने में रुचि कमीशन देखकर हो रही है। सेना का मनोबल अंतर्राष्ट्रिय कूटनीति तले तोड़ा जा रहा है।

युवाओं के सामने जिन्दगी जीने का कोई ब्लू प्रिट नहीं है। हर रास्ता पैसे वालो के लिये बन रहा है। तमाम सस्थानो की गरिमा खत्म हो चुकी है । याद किजिये तो बरस भर पहले लगा तो यही कि सभी ना सिर्फ जीवित होंगे बल्कि पहली बार 1991 में अपनायी गई बाजार अर्थव्यवस्था को भी ठेंगा दिखाया जायेगा। वैकल्पिक सोच हो या ना हो लेकिन बदलाव की दिशा में कदम तो ऐसे जरुर उठेगे जो देश की गर्द तले खत्म होते सपनों को फिर से देश को बनाने के लिये खड़े होंगे। लेकिन रास्ता बना किस तरफ। विदेशी पूंजी पर विकास टिक गया।

विकास दर को आंकडो में बदलने की मनमोहनी सोच पैदा हो गई। रसोइयों से चावल दाल खत्म कर प्रेशर कूकर की इंडस्ट्री लगाने के सपने पाले जाने लगे। देशी व्यापारी, देशी उगोगपतियो से लेकर देसी कामगार और देसी नागरिक आर्थिक नीतियों की व्यापकता में सिवाय टुकटुकी लगाये विदेशी पैसा और विदेशी कंपनियो के आने के बाद ठेके पर काम करने से लेकर ठेके पर जिन्दगी जीने के हालात में बीते एक बरस से इंतजार में मुंह बाये खड़ा है।

 फिर जो कहा गया वह हवा में काफूर हो गया। 26 मई 2014 को सत्ता संभालने के महीने भर में ही यानी जून 2014 में तो दागी सांसदों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को साल भर के भीतर अंजाम तक पहुंचाने का खुला वादा किया गया । लेकिन साल बीता है तो भी संसद के भीतर 185 दागी मजबूती के साथ दिखायी देते रहे। बीजेपी के ही 281 में से 97 सांसद दागी हैं। एडीआऱ की रिपोर्ट बताती है कि प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल में ही 64 में से 20 दागदार हैं।

जबकि अगस्त 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा कि कम से कम पीएम और तमाम राज्यो के सीएम तो किसी दागी को अपने मंत्रिमंडल में ना रखें। असल में पहला बरस तो भरोसा जगाने और उम्मीद के उडान देने का वक्त होता है । लेकिन देश में भरोसा जगाने के लिये विदेशी जमीन का बाखूबी इस्तेमाल उसी तरह किया गया जैसे बीजेपी से खुद को बडा करने के लिये पार्टी के बाहर का समर्थन प्रधानमंत्री मोदी को इंदिरा गांधी के तर्ज पर नायाब विस्तार देने लगा ।

देसी कारपोरेट को खलनायक करार देकर खुद को जनकल्याण से जोडने की कवायद का ही असर हुआ कि एक तरफ विदेशी कंपनियों से वायदे किये गये कि भारत में आर्थिक सुधाऱ के लिये जमीन बन जायेगी। तो दूसरी तरफ खेती की जमीन पर सवालिया निशान लगाने से लेकर मजदूरो की नियमावली भी सुधार से जोड़कर जनकल्याण पर्व मनाने के एलान किया गया ।

जनता तो समझी नहीं संघ भी समझ नहीं पाया कि मजदूर विरोधी कानून के खिलाफ खड़ा हो या जनकल्याण पर्व में खुद को झोंक दें। उम्मीद उस बाजार को देने की कोशिश की गई जो सिर्फ उपभोक्ताओ की जेब पर टिकी है। जिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अपने प्रचारकों पर गर्व रहता है कि उनके सामाजिक सरोकार किसी भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता पर भारी पड़ते है, वह संघ परिवार पहली बार बदलते दिखा।

प्रचारक से पीएम बने नरेन्द्र मोदी ने उस ग्रामीण व्यवस्था को ही खारिज कर दिया जिसे सहेजे हुये संघ ने 90 बरस गुजार दिये । स्मार्ट सिटी की सोच और बुलेट ट्रेन दौडाने के ख्वाब से लेकर गांव गांव शौचालय बनाने और किसान मजदूर को बैक के रास्ते जिन्दगी जीने का ककहरा पढ़ाने का बराबर का ख्वाब सरकारी नीतियों के तहत पाला गया। यानी जिस रास्ते को 26 मई 2014 को शपथ लेने से पहले देश की जनता के बीच घूम घूमकर खारिज किया गया जब उसी रास्ते को बरस भर में ठसक के साथ मोदी सरकार ने अपना लिये।

चूंकि 2014 का जनादेश कुछ नये संकेत लेकर उभरा । और उसकी वजह राजनीतिक सत्ता से लोगों का उठता भरोसा भी था। तो झटके में जनादेश के नायक बने प्रधानमंत्री मोदी बीतते वक्त के साथ देश के नायक से ब्रांड एंबेसडर में बदलते भी बने। और ब्रांड एंबेसडर की नजर से विकास का समूचा नजरिया उसी उपभोक्ता समाज की जरुरतो के मुताबिक देखा समझा गया जिसे देखकर दुनिया भारत को बाजार माने। तो पहले बरस का आखिरी सवाल यही उभरा कि बीते दस बरस के उस सच को मोदी सरकार आत्मसात करेगी या बदलेगी जहा देश के चालिस फिसदी संसाधन सिर्फ 62 हजार लोगों में सिमट चुके हैं।

आर्थिक असमानता में तीस फिसदी के अंतर और बढ़ चुका है। जिसके दायरे में शहरी गरीब 700 रुपये महीने पर जिन्दा हैं तो शहरी उपभोक्ता 18690 रुपये महीने पर रह रहा है। यानी जिन नीतियों पर पहले बरस की सोच गुजर गई उस मुताबिक देश के पच्चीस करोड़ के बाजार के लिये सरकार को जीना है और वही से मुनाफा बना कर बाकी सौ करोड़ लोगों के लिये जीने का इंतजाम करना है।

पुण्य प्रसून बाजपेयी✏

Friday, May 15, 2015

मैं पाप बेचती हूँ

एक बार घूमते-घूमते कालिदास बाजार गये | वहाँ एक महिला बैठी मिली | उसके पास एक मटका था और कुछ प्यालियाँ पड़ी थी |

कालिदास ने उस महिला से पूछा : ” क्या बेच रही हो ? “
महिला ने जवाब दिया : ” महाराज ! मैं पाप बेचती हूँ | “

कालिदास ने आश्चर्यचकित होकर पूछा : ” पाप और मटके में ? “
महिला बोली : ” हाँ , महाराज ! मटके में पाप है| “

कालिदास : ” कौन-सा पाप है ? “
महिला : ” आठ पाप इस मटके में है | मैं चिल्लाकर कहती हूँ की मैं पाप बेचती हूँ पाप … और लोग पैसे देकर पाप ले जाते है|”

अब महाकवि कालिदास को और आश्चर्य हुआ : ” पैसे देकर लोग पाप ले जाते है ?“
महिला : ” हाँ , महाराज ! पैसे से खरीदकर लोग पाप ले जाते है | “

कालिदास : ” इस मटके में आठ पाप कौन-कौन से है ? “
महिला : ” क्रोध ,बुद्धिनाश , यश का नाश , स्त्री एवं बच्चों के साथ अत्याचार और अन्याय , चोरी , असत्य आदि दुराचार , पुण्य का नाश , और स्वास्थ्य का नाश … ऐसे आठ प्रकार के पाप इस घड़े में है | “

कालिदास को कौतुहल हुआ की यह तो बड़ी विचित्र बात है | किसी भी शास्त्र में नहीं आया है की मटके में आठ प्रकार के पाप होते है |
वे बोले : ” आखिरकार इसमें क्या है ? ”
महिला : ” महाराज ! इसमें शराब है शराब ! “

कालिदास महिला की कुशलता पर प्रसन्न होकर बोले : ” तुझे धन्यवाद है ! शराब में आठ प्रकार के पाप है यह तू जानती है और ‘मैं पाप बेचती हूँ ‘ ऐसा कहकर बेचती है फिर भी लोग ले जाते है |🌹🌹🌹

77 IPS अधिकारियों के तबादले सूची देखे

77 IPS अधिकारियों के तबादले
रिशी कुमार शुक्ला अध्यक्ष,हाउसिंग बोर्ड
मैथलीशरण गुप्त महानिदेशक,होमगार्ड
डा0 आर.के.गर्ग अति.पुलिस महानिदेशक भोपाल
एस.के.पांडे अति.पुलिस महानिदेशक PTRI
आर.के.टंडन अति.पुलिस महानिदेशक भोपाल
कैलाश मकवाना अति.पुलिस महानिदेशक चयन भोपाल
सुषमा सिंह अति.पुलिस महानिदेशक,APTC
प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव पुलिस महानिरीक्षक SAF  मुख्यालय
वी के माहेश्वरी अति.पुलिस महानिदेश एवं महानिरीक्षक
इंदौर
अशोक अवस्थी अति.पुलिस महानिदेश विशेष पुलिस
स्थापना भोपाल
विजय कटारिया महानिदेशक लोकायुक्त
अनुराधा शंकर अति.महानिदेशक रेल
एस.एम.अफजल अति.महानिदेशक EOW
ए.पी.सिंह अति.पुलिस महानिदेशक,RNDM भोपाल
रमन सिंह एसएसपी भोपाल एवं पुलिस महानिरीक्षक
अरबन भोपाल
जी.जी पांडे पुलिस अधीक्षक,सेनानी प्रथम वाहिनी
इंदौर
डी.के. सिंह सेनानी 6 वीं वाहिनी जबलपुर
हरिनारायण चारी मिश्रा एस.पी.ग्वालियर
अविनाश शर्मा एस.पी.रतलाम
अनिल कुमार शर्मा एस.पी.शाजापुर
आशीष एस.पी.जबलपुर
अखिलेश झा एस.पी.मुख्यालय इंदौर
अनिल माहेश्वरी एस.पी.मुख्यालय भोपाल
इरशाद बलि एस.पी.दतिया
संजय कुमार एस.पी.सतना
सुषांत शर्मा एस.पी.शहडोल

15 दिन में दूसरा झटका, और महंगा हुआ पेट्रोल और डीजल

Toc news

नई दिल्ली:  वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की बढती कीमतों के मद्देनजर पेट्रोल के दाम 3.13 रूपये प्रति लीटर और डीजल के दाम 2.71 रुपये प्रति लीटर बढ गए हैं. यह बढोतरी आधी रात्रि से लागू होंगी.

इससे पहले पेट्रोल और डीजल के दाम एक मई को भी बढ़े थे.

इंडियन आयल कारपोरेशन के अनुसार इस बढोतरी के बाद दिल्ली में पेट्रोल के दाम मौजूदा 63.16 रूपये से बढकर 66.29 रूपये प्रति लीटर, डीजल के दाम 49.57 रूपये से बढकर 51.28 रूपये प्रति लीटर हो जाएंगे.

आपको बता दें कि इससे पहले एक मई को पेट्रोल के दाम में 3 रुपये 96 पैसे प्रति लीटर जबकि डीजल के दाम में 2 रूपए 37 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी.

डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ने पर बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का कहना है कि देश का स्वास्थ्य लंबे समय तक ठीक रहे, इसे ही ध्यान में रखकर पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाए गए हैं.

सार्वजनिक क्षेत्र की आईओसी, भारत पेट्रोलियम व हिंदुस्तान पेट्रोलियम हर महीने की एक और 16 तारीख को पेट्रोल-डीजल के दामों की समीक्षा करती हैं.

बीते साल अगस्त से लेकर फरवरी के बीच पेट्रोल के दाम 10 बार घटे और प्रति लीटर कुल 17.11 रुपये की कमी की गई. इस दौरान डीजल के दाम भी छे बार घटे और इसके दाम में 12.96 रुपये की कमी आई.

धार- मनावर पुलिस ने पकडा सटटा, 04 आरोपी गिरफ्‍तार

धार- मनावर पुलिस ने पकडा सटटा, 04 आरोपी गिरफ्‍तार

Toc news @
15-05-2015

धार। पुलिस अधीक्षक राजेश हिंगणकर द्वारा अवैध धंधो पर प्रतिबंध लगाने हेतु धार जिले मे लगातार चलाए जा रहे विशेष अभियान के दौरान पुलिस अधीक्षक द्वारा सभी थाना प्रभारियो को अवैध धंधो पर प्रतिबंध लगाने हेतु तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश दिये है। जिस पर पुलिस अधीक्षक के निर्देशन व एसडीओपी मनावर धीरज बब्बर के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी मनावर रणजीत सिंह बघेल के द्वारा थाना मनावर क्षेत्रान्तर्गत चल रहे सभी अवैध धंधो पर लगातार छापा मार कार्यवाही की जा रही है।

गुरुवार को राञि में थाना प्रभारी मनावर रणजीत सिंह बघेल को मुखबिर द्वारा सुचना मिली की सिंघाना के कुछ लोग अवैध रुप से सटटा खेल रहे है। जिस पर तत्काल टीम बनाकर सिघाना स्थित तालाबपुरा पहुचकर घेराबंदी कर छापामार कार्यवाही की तथा मौके से 04 आरोपी को गिरफतार कर उनके पास से 8110 रु नगदी, 04 मोबाईल, 04 सटटा अंक लिखी डायरिया , लिड एवं पेन  जप्त किये गये।

 गिरफ्‍तार आरोपीयो में मोहन राठौर पिता पैमा राठौर जाति सिरवी उम्र 49 साल निवासी सिंघाना, मुश्‍ताक पिता बाबुखां मुसलमान उम्र 32 साल निवासी सिंघाना, महेश चोयल पिता गोविन्द जाति सिरवी उम्र 40 वर्ष निवासी सिंघाना, जगदीश उर्फ जग्गु पिता धुलचंद प्रजापत उम्र  30 वर्ष निवासी सिंघाना है। चारो आरोपी जो कि सिंघाना क्षेत्र स्थित मे मुख्य सटटा खिलाडी है जो कि सिंघाना स्थित सभी क्षेत्रो मे सटटा संचालित करते है।

थाना प्रभारी द्वारा सभी आरोपीयो को गिरफतार कर थाने लाया व थाने पर सभी आरोपीयो के खिलाफ अपराध कं्रमाक 272/15 धारा 4क धुत अधिनियम पंजीबद्व किया गया। उक्‍त कार्रवाई में थाना प्रभारी मनावर रणजीत सिंह बघेल के साथ उनकी टीम में आर गुलसिंग, आर राममुर्ति, आर आकाश, आर अनिल, आर अरुण, आर भुपेन्द्र, आर तेेजेन्द्र व आर चन्द्रप्रकाश की भुमिका रही।

प्रदेश के 171 उप निरीक्षकों के स्‍थानान्‍तरण आदेश जारी सूची देखे....

राज्‍य के पुलिस मुख्‍यालय ने प्रदेश के 171 उप निरीक्षकों के स्‍थानान्‍तरण आदेश जारी किये हैं।

Toc news @ Bhopal
निम्नलिखित उप निरीक्षकों को प्रशासनिक दृष्टिकोण से तत्काल प्रभाव से स्थानान्तरित कर अस्थाई रूप से आगामी आदेश तक उनके नाम के सम्मुख दर्शित इकाई में पदस्थ किया जाता है:-
स.क्र.    नाम अधिकारी    वर्तमान पदस्थापना    नवीन पदस्थापना

1ण्        रामविलास त्रिपाठी    भोपाल        जिला रीवा
2ण्        प्रफुल्ल राय    अअवि भोपाल    जिला कटनी
3ण्        प्रमोद पाटिल     रेल विशा इंदौर    जिला बुरहानपुर
4ण्        परसराम साकरे    भोपाल    ईओडब्ल्यू, भोपाल
5ण्        प्रदीप कुमार पांडे    भोपाल    जिला सिवनी
6ण्        उर्मिला चैधरी
    सीहोर    महिला अपराध शाखा. पुमु भोपाल
7ण्        विमल कुमार शुक्ला    इंदौर    जिला सीहोर
8ण्        संतोष तिवारी     भोपाल    जिला सतना
9ण्        अनिल वर्मा    इंदौर    पीटीसी इन्दौर
10ण्        एस.एन. द्विवेदी    भोपाल    जिला सतना
11ण्        प्रेमलाल यादव    भोपाल    जिला हरदा
12ण्        कुृ अनुपम सिंह    जबलपुर    जिला सिंगरौली
13ण्        खेलचंद पटले    भोपाल    जिला सिवनी
14ण्        मोनिका मिश्रा    शाजापुर    जिला मुरैना
15ण्        बंशीलाल पवार    जिविशा खंडवा    जिविशा बुरहानपुर
16ण्        निशा अहिरवार    ग्वालियर    महिला अपराध शाखा. पुमु भोपाल
17ण्        मगनलाल अहिरवार    सतना    जिला दमोह
18ण्        जितेन्द्र वर्मा    रीवा    जिला शाजापुर
19ण्        राजकुमार दुबे    छतरपुर    जिला नरसिंहपुर
20ण्        नानक राम पंवार    भोपाल    जिला हरदा
21ण्        मुन्नालाल पवार    जबलपुर    जिला रायसेन
22ण्        राजेन्द्र सिंह राजपूत    भोपाल    जिला नरसिंहपुर
23ण्        बृजकिशोर पंडोरिया    भोपाल    जिला मंडला
24ण्        एस.एन. त्रिपाठी    इन्दौर    जिला भोपाल
25ण्        शंभूनाथ कश्यप    राजगढ़    म0प्र0 पुलिस अकादमी भौंरी, भोपाल
26ण्        प्रेमशंकर सिंह    रायसेन    जिला भोपाल
27ण्        आर.एन. (रविन्द्र नाथ) सिंह    दमोह    जिला कटनी
28ण्        नब्बीलाल भारती    राजगढ़    जिला दमोह
29ण्        शिवशंकर चैधरी    सतना    जिला उमरिया
30ण्        आर.के. शर्मा    रीवा    जिला कटनी
31ण्        श्यामलाल वर्मा    भोपाल    जिला नरसिंहपुर
32ण्        ओमप्रकाश जोशी    इंदौर    जिला उज्जैन
33ण्        केदार सिंह यादव    इन्दौर    जिला भिण्ड
34ण्        सुरेन्द्र कुमार शुक्ला    शाजापुर    अजाक पुमु भोपाल
35ण्        भागीरथ प्रसाद मालवीय    विदिशा    जिला आगर मालवा
36ण्        कमलेश चैरिया    बालाघाट    जिला नरसिंहपुर
37ण्        रमेश प्रसाद मिश्रा    डीसीआरबी रायसेन    एससीआरबी पुमु भोपाल
38ण्        राजनारायण मिश्रा    भोपाल    जिला सतना
39ण्        पी.एल. जायसवाल    उमरिया    पीटीएस रीवा
40ण्        होमसिंह कुशवाह    इंदौर    जिला सीहोर
41ण्        विष्णु प्रसाद वर्मा    सतना    जिला कटनी
42ण्        तेजभान सिंह    भोपाल    जिला सीधी
43ण्        रामकृष्ण तिवारी    होशंगाबाद    विशेष शाखा
44ण्        सुश्री मीना बोरासी    महिला अपराध शाखा इंदौर    जिला इन्दौर
45ण्        एस.एन. कौरव    रेल भोपाल    अजाक, होशंगाबाद
46ण्        शिवसिंह कुशवाह    यातायात जबलपुर    जिला सीहोर
47ण्        इंद्रलाल मरावी    यातायात भोपाल    जिला सिवनी
48ण्        शिव प्रसाद चतुर्वेदी    पुलिस वाहन प्रशिक्षण शाला रीवा    जिला सिंगरौली
49ण्        आर.डी. शर्मा    एससीआरबी पुमु भोपाल    जिला रायसेन
50ण्        एम.एल. वर्मन    सागर    जिला नरसिंहपुर
51ण्        मनीष मिश्रा    बालाघाट     जिला दमोह
52ण्        प्रतिभा तोमर    मंदसौर    जिला इन्दौर
53ण्        संतोष सिंह दांगी    भोपाल    जिला रायसेन
54ण्        कल्पना राजपूत    छिन्दवाड़ा    जिला रायसेन
55ण्        सविता नीरज ठाकुर    ग्वालियर    जिला कटनी
56ण्        नेहा कारोलिया    ग्वालियर    जिला विदिशा
57ण्        रामबालक बागरी    शहडोल    जिला सिवनी
58ण्        श्यामलाल आरोलिया    पीटीएस तिगरा ग्वालियर    जिला श्योपुर
59ण्        श्रीमति सीमा यादव    जिविशा शिवपुरी    जिविशा इन्दौर
60ण्        कमलनेत्र चैधरी    रीवा    जिला भिण्ड
61ण्        अनुराग उइके    खरगोन    एससीआरबी पुमु भोपाल
62ण्        हरिगोविंद झारिया    शहडोल    जिला कटनी
63ण्        श्रीपति दुबे    रेल भोपाल    अअवि पुमु भोपाल
64ण्        सातेन्द्र प्रसाद चतुर्वेदी    शहडोल    जिला कटनी
65ण्        मुन्नालाल राहंगडाले    छिंदवाड़ा    जिला इन्दौर
66ण्        गोपाल निगवाल    सतना    जिला सागर
67ण्        शिवराज सिंह चैहान    होशंगाबाद    जिला भोपाल
68ण्        रामसेवक झारिया    भोपाल    जिला नरसिंहपुर
69ण्        वामन राव वाघमारे    बैतूल    जिला सिवनी
70ण्        मनोरमा सिसोदिया    भिण्ड    जिला अलिराजपुर
71ण्        सूरज पाण्डेय    डिण्डोरी    जिला छिंदवाडा
72ण्        जानकी प्रसाद अनुरागी    सतना    जिला देवास
73ण्        रांखी पाण्डेय    इंदौर    जिला कटनी
74ण्        ज्योति तिवारी    सागर    जिला अनूपपुर
75ण्        सुरेन्द्र नाथ तिवारी    जबलपुर    जिला रायसेन
76ण्        गब्बर सिंह गुर्जर    उज्जैन    जिला दतिया
77ण्        रामलाल विश्वकर्मा    जिविशा रायसेन    जिला विदिशा
78ण्        राजन सिंह अहिरवार    रीवा    जिला भोपाल
79ण्        त्रिवेणी प्रसाद मिश्रा    इंदौर    जिला सतना
80ण्        आकांक्षा सहारे    सागर    जिला सिवनी
81ण्        बी.एन.(बैजनाथ) शर्मा    टीकमगढ़    जिला दतिया
82ण्        महेश कपूर    इंदौर    जिला भोपाल
83ण्        गणपत सिंह ठाकुर    भोपाल    जिला बैतूल
84ण्        विष्णु प्रसाद मंडलोई    देवास    जिला इन्दौर
85ण्        सी.एल. विश्वकर्मा    सतना    जिला अनूपपुर
86ण्        ओमप्रकाश सिंह    बुरहानपुर    जिला बड़वानी
87ण्        रामकृष्ण पटवारे    बैतूल    जिला रायसेन
88ण्        अम्बिका प्रसाद तिवारी    सागर    जिला सिंगरौली
89ण्        नरबद सिंह मरावी    सागर    जिला उमरिया
90ण्        रश्मि ठाकुर    इंदौर    जिला डिण्डौरी
91ण्        बनवारी लाल त्यागी    भोपाल    जिला बैतूल
92ण्        आरती (बोधी) सिंह    रीवा    जिला भोपाल
93ण्        भजनलाल बिसेन    विदिशा    जिला मण्डला
94ण्        शिवकुमार तिवारी    सीधी    जिला नरसिंहपुर
95ण्        अनिता कुड़ापे    शहडोल    जिला जबलपुर
96ण्        आर.एल. तिवारी    सिंगरौली    जिला कटनी
97ण्        रामनरेश शर्मा    इंदौर    जिला ग्वालियर
98ण्        सुनील कुमार दुबे    इंदौर    जिला भोपाल
99ण्        चन्द्रपाल सिंह सोलंकी    जिविशा उज्जैन    जिविशा इंदौर
100ण्        शिवकुमार शर्मा    भिण्ड    जिला अशोकनगर
101ण्        चित्रांगदा सिंह    सीधी    जिला भोपाल
102ण्        अंजलि अग्निहोत्री    दमोह    जिला नरसिंहपुर
103ण्        निकिता शुक्ला    दमोह    जिला जबलपुर
104ण्        रामचंद नागर    सीहोर    जिला आगर मालवा
105ण्        महावीर प्रसाद शर्मा    ग्वालियर     जिला टीकमगढ़
106ण्        परवत सिंह यादव    देवास    जिला शाजापुर
107ण्        रामबाबू सिंह रघुवंशी    इंदौर    जिला शिवपुरी
108ण्        सुदामा प्रसाद मिश्रा    सतना    जिला कटनी
109ण्        एम.आर. उईके    भोपाल    अअवि पुमु भोपाल
110ण्        पूरनलाल अहिरवार    पीटीएस सागर    जिला भोपाल
111ण्        उत्तम सिंह जाटव    होशंगाबाद    जिला सीहोर
112ण्        अनीता गुर्जर    ग्वालियर    जिला इन्दौर
113ण्        चन्द्रकांत झा    जबलपुर    जिला भोपाल
114ण्        बनवारी लाल शर्मा    भोपाल    जिला विदिशा
115ण्        चंद्रिका राम    सीहोर    जिविशा सागर
116ण्        अनोखीलाल लिपटन    सीहोर    विशेष शाखा पुमु भोपाल
117ण्        हरदेव सिंह सोलंकी    सीहोर    अअवि पुमु भोपाल
118ण्        सुरेन्द्र चतुर्वेदी    टीकमगढ़    जिला रीवा
119ण्        अनंती मर्सकोले    इंदौर    महिला अपराध शाखा जबलपुर
120ण्        रमेश गोस्वामी    खरगोन    जिला रतलाम
121ण्        सी.के. गौतम    पीटीएस उमरिया    जिला डिण्डौरी
122ण्        के.के. अग्रवाल    जिविशा खंडवा    जिला बुरहानपुर
123ण्        कैलाश खेडे    बुरहानुपर    जिला धार
124ण्        धनेश्वर मिश्रा    अनूपपुर    जिला मण्डला
125ण्        नेहा चन्द्रवंशी    बैतूल    जिला इन्दौर
126ण्        रामप्रताप दुबे    पीटीसी सागर    जिला विदिशा
127ण्        सुल्तान सिंह जाट    उज्जैन    जिला रतलाम
128ण्        शिवलाल पालीवाल    उज्जैन    अजाक इन्दौर
129ण्        अलख मिश्रा    सागर    जिला छतरपुर
130ण्        चित्ररेखा मर्सकोले    सागर    जिला नरसिंहपुर
131ण्        देवसिंह धुर्वे    बैतूल    जिला भोपाल
132ण्        निशा मिश्रा    रीवा    जिला छतरपुर
133ण्        केशरी प्रसाद मिश्रा    अजाक सिंगरौली    जिला अनूपपुर
134ण्        अवध किशोर जैन    डीसीआरबी शाजापुर    जिला आगर मालवा
135ण्        प्रियंका पाठक    टीकमगढ़    जिला रीवा
136ण्        विजय बहादुर सिंह परिहार    सतना    जिला छतरपुर
137ण्        महेन्द्र सिंह मंडलोई    रेल इंदौर    जिला इन्दौर
138ण्        आरती धुर्वे    नरसिंहपुर    जिला मंडला
139ण्        प्रेमलाल शिववंशी    इंदौर    जिला सिवनी
140ण्        मोहन लाल गौड़    सागर    जिला सिवनी
141ण्        मिथिलेष यादव    बैतूल    जिला रीवा
142ण्        सोनल पाण्डे    छिंदवाड़ा    जिला सिवनी
143ण्        कमल प्रसाद डेहरिया    बालाघाट    जिला सिवनी
144ण्        कृष्णकांत चैबे    विशा उज्जैन    जिला शाजापुर
145ण्        अर्चना सिंह चैहान    खंडवा    जिला विदिशा
146ण्        आराधना सिंह परिहार    सागर    जिला भोपाल
147ण्        अंजना दुबे    रीवा    जिला छतरपुर
148ण्        संतोषी पिपरे    शाजापुर    जिला नरसिंहपुर
149ण्        माधवी परिहार    देवास    जिला जबलपुर
150ण्        पारसनाथ मिश्रा    रेल भोपाल    डीसीआरबी भोपाल
151ण्        बी.एल. (भगवान लाल) साहू    सागर    जिला विदिशा
152ण्        सरोज ठाकुर    सतना    जिला कटनी
153ण्        उमाशंकर पाण्डेय    सागर    पीटीएस रीवा
154ण्        कृष्णा उइके    उमरिया    जिला मण्डला
155ण्        इतेन्द्र चैहान    धार    ईओडब्ल्यू, भोपाल
156ण्        आर.आर.(राजाराम) बंसल    ग्वालियर    ईओडब्ल्यू, भोपाल
157ण्        राजेश गोयल    खरगोन    ईओडब्ल्यू, भोपाल
158ण्        रामायण यादव    भोपाल    विशेष शाखा पुमु, भोपाल
159ण्        अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी    दमोह    जेएनपीए, सागर
160ण्        टीना शुक्ला    नीचम    जिला इन्दौर
161ण्        प्रतिपाल सिंह परमार    ग्वालियर    जिला दतिया
162ण्        शेख सगीर    विदिशा    पीटीएस सागर
163ण्        रामदेव साकेत    उमरिया    जिला कटनी
164ण्        फेमिदा खान    रायसेन    जिला अशोकनगर
165ण्        रामनाथ सिंह घुरैया    राजगढ़    जिला मुरैना
166ण्        एल.एस. सोलंकी
    इंदौर    अजाक इंदौर
167ण्        जी.एस.(घनश्याम सिंह) सेंगर    देवास    जिला भोपाल
168ण्        गीता जाटव    खंडवा    जिला होशंगाबाद
169ण्        विश्राम सिंह कनौजिया    जिविशा बैतूल    जिला बैतूल
170ण्        मंगलेश्वर सिंह    होशंगाबाद    जिला जबलपुर
171ण्        आर.ए.(रामअवतार) तिवारी    होशंगाबाद    अजाक कटनीराज्‍य के पुलिस मुख्‍यालय ने प्रदेश के 171 उप निरीक्षकों के स्‍थानान्‍तरण आदेश जारी किये हैं।

निम्नलिखित उप निरीक्षकों को प्रशासनिक दृष्टिकोण से तत्काल प्रभाव से स्थानान्तरित कर अस्थाई रूप से आगामी आदेश तक उनके नाम के सम्मुख दर्शित इकाई में पदस्थ किया जाता है:-
स.क्र.    नाम अधिकारी    वर्तमान पदस्थापना    नवीन पदस्थापना

1ण्        रामविलास त्रिपाठी    भोपाल        जिला रीवा
2ण्        प्रफुल्ल राय    अअवि भोपाल    जिला कटनी
3ण्        प्रमोद पाटिल     रेल विशा इंदौर    जिला बुरहानपुर
4ण्        परसराम साकरे    भोपाल    ईओडब्ल्यू, भोपाल
5ण्        प्रदीप कुमार पांडे    भोपाल    जिला सिवनी
6ण्        उर्मिला चैधरी
    सीहोर    महिला अपराध शाखा. पुमु भोपाल
7ण्        विमल कुमार शुक्ला    इंदौर    जिला सीहोर
8ण्        संतोष तिवारी     भोपाल    जिला सतना
9ण्        अनिल वर्मा    इंदौर    पीटीसी इन्दौर
10ण्        एस.एन. द्विवेदी    भोपाल    जिला सतना
11ण्        प्रेमलाल यादव    भोपाल    जिला हरदा
12ण्        कुृ अनुपम सिंह    जबलपुर    जिला सिंगरौली
13ण्        खेलचंद पटले    भोपाल    जिला सिवनी
14ण्        मोनिका मिश्रा    शाजापुर    जिला मुरैना
15ण्        बंशीलाल पवार    जिविशा खंडवा    जिविशा बुरहानपुर
16ण्        निशा अहिरवार    ग्वालियर    महिला अपराध शाखा. पुमु भोपाल
17ण्        मगनलाल अहिरवार    सतना    जिला दमोह
18ण्        जितेन्द्र वर्मा    रीवा    जिला शाजापुर
19ण्        राजकुमार दुबे    छतरपुर    जिला नरसिंहपुर
20ण्        नानक राम पंवार    भोपाल    जिला हरदा
21ण्        मुन्नालाल पवार    जबलपुर    जिला रायसेन
22ण्        राजेन्द्र सिंह राजपूत    भोपाल    जिला नरसिंहपुर
23ण्        बृजकिशोर पंडोरिया    भोपाल    जिला मंडला
24ण्        एस.एन. त्रिपाठी    इन्दौर    जिला भोपाल
25ण्        शंभूनाथ कश्यप    राजगढ़    म0प्र0 पुलिस अकादमी भौंरी, भोपाल
26ण्        प्रेमशंकर सिंह    रायसेन    जिला भोपाल
27ण्        आर.एन. (रविन्द्र नाथ) सिंह    दमोह    जिला कटनी
28ण्        नब्बीलाल भारती    राजगढ़    जिला दमोह
29ण्        शिवशंकर चैधरी    सतना    जिला उमरिया
30ण्        आर.के. शर्मा    रीवा    जिला कटनी
31ण्        श्यामलाल वर्मा    भोपाल    जिला नरसिंहपुर
32ण्        ओमप्रकाश जोशी    इंदौर    जिला उज्जैन
33ण्        केदार सिंह यादव    इन्दौर    जिला भिण्ड
34ण्        सुरेन्द्र कुमार शुक्ला    शाजापुर    अजाक पुमु भोपाल
35ण्        भागीरथ प्रसाद मालवीय    विदिशा    जिला आगर मालवा
36ण्        कमलेश चैरिया    बालाघाट    जिला नरसिंहपुर
37ण्        रमेश प्रसाद मिश्रा    डीसीआरबी रायसेन    एससीआरबी पुमु भोपाल
38ण्        राजनारायण मिश्रा    भोपाल    जिला सतना
39ण्        पी.एल. जायसवाल    उमरिया    पीटीएस रीवा
40ण्        होमसिंह कुशवाह    इंदौर    जिला सीहोर
41ण्        विष्णु प्रसाद वर्मा    सतना    जिला कटनी
42ण्        तेजभान सिंह    भोपाल    जिला सीधी
43ण्        रामकृष्ण तिवारी    होशंगाबाद    विशेष शाखा
44ण्        सुश्री मीना बोरासी    महिला अपराध शाखा इंदौर    जिला इन्दौर
45ण्        एस.एन. कौरव    रेल भोपाल    अजाक, होशंगाबाद
46ण्        शिवसिंह कुशवाह    यातायात जबलपुर    जिला सीहोर
47ण्        इंद्रलाल मरावी    यातायात भोपाल    जिला सिवनी
48ण्        शिव प्रसाद चतुर्वेदी    पुलिस वाहन प्रशिक्षण शाला रीवा    जिला सिंगरौली
49ण्        आर.डी. शर्मा    एससीआरबी पुमु भोपाल    जिला रायसेन
50ण्        एम.एल. वर्मन    सागर    जिला नरसिंहपुर
51ण्        मनीष मिश्रा    बालाघाट     जिला दमोह
52ण्        प्रतिभा तोमर    मंदसौर    जिला इन्दौर
53ण्        संतोष सिंह दांगी    भोपाल    जिला रायसेन
54ण्        कल्पना राजपूत    छिन्दवाड़ा    जिला रायसेन
55ण्        सविता नीरज ठाकुर    ग्वालियर    जिला कटनी
56ण्        नेहा कारोलिया    ग्वालियर    जिला विदिशा
57ण्        रामबालक बागरी    शहडोल    जिला सिवनी
58ण्        श्यामलाल आरोलिया    पीटीएस तिगरा ग्वालियर    जिला श्योपुर
59ण्        श्रीमति सीमा यादव    जिविशा शिवपुरी    जिविशा इन्दौर
60ण्        कमलनेत्र चैधरी    रीवा    जिला भिण्ड
61ण्        अनुराग उइके    खरगोन    एससीआरबी पुमु भोपाल
62ण्        हरिगोविंद झारिया    शहडोल    जिला कटनी
63ण्        श्रीपति दुबे    रेल भोपाल    अअवि पुमु भोपाल
64ण्        सातेन्द्र प्रसाद चतुर्वेदी    शहडोल    जिला कटनी
65ण्        मुन्नालाल राहंगडाले    छिंदवाड़ा    जिला इन्दौर
66ण्        गोपाल निगवाल    सतना    जिला सागर
67ण्        शिवराज सिंह चैहान    होशंगाबाद    जिला भोपाल
68ण्        रामसेवक झारिया    भोपाल    जिला नरसिंहपुर
69ण्        वामन राव वाघमारे    बैतूल    जिला सिवनी
70ण्        मनोरमा सिसोदिया    भिण्ड    जिला अलिराजपुर
71ण्        सूरज पाण्डेय    डिण्डोरी    जिला छिंदवाडा
72ण्        जानकी प्रसाद अनुरागी    सतना    जिला देवास
73ण्        रांखी पाण्डेय    इंदौर    जिला कटनी
74ण्        ज्योति तिवारी    सागर    जिला अनूपपुर
75ण्        सुरेन्द्र नाथ तिवारी    जबलपुर    जिला रायसेन
76ण्        गब्बर सिंह गुर्जर    उज्जैन    जिला दतिया
77ण्        रामलाल विश्वकर्मा    जिविशा रायसेन    जिला विदिशा
78ण्        राजन सिंह अहिरवार    रीवा    जिला भोपाल
79ण्        त्रिवेणी प्रसाद मिश्रा    इंदौर    जिला सतना
80ण्        आकांक्षा सहारे    सागर    जिला सिवनी
81ण्        बी.एन.(बैजनाथ) शर्मा    टीकमगढ़    जिला दतिया
82ण्        महेश कपूर    इंदौर    जिला भोपाल
83ण्        गणपत सिंह ठाकुर    भोपाल    जिला बैतूल
84ण्        विष्णु प्रसाद मंडलोई    देवास    जिला इन्दौर
85ण्        सी.एल. विश्वकर्मा    सतना    जिला अनूपपुर
86ण्        ओमप्रकाश सिंह    बुरहानपुर    जिला बड़वानी
87ण्        रामकृष्ण पटवारे    बैतूल    जिला रायसेन
88ण्        अम्बिका प्रसाद तिवारी    सागर    जिला सिंगरौली
89ण्        नरबद सिंह मरावी    सागर    जिला उमरिया
90ण्        रश्मि ठाकुर    इंदौर    जिला डिण्डौरी
91ण्        बनवारी लाल त्यागी    भोपाल    जिला बैतूल
92ण्        आरती (बोधी) सिंह    रीवा    जिला भोपाल
93ण्        भजनलाल बिसेन    विदिशा    जिला मण्डला
94ण्        शिवकुमार तिवारी    सीधी    जिला नरसिंहपुर
95ण्        अनिता कुड़ापे    शहडोल    जिला जबलपुर
96ण्        आर.एल. तिवारी    सिंगरौली    जिला कटनी
97ण्        रामनरेश शर्मा    इंदौर    जिला ग्वालियर
98ण्        सुनील कुमार दुबे    इंदौर    जिला भोपाल
99ण्        चन्द्रपाल सिंह सोलंकी    जिविशा उज्जैन    जिविशा इंदौर
100ण्        शिवकुमार शर्मा    भिण्ड    जिला अशोकनगर
101ण्        चित्रांगदा सिंह    सीधी    जिला भोपाल
102ण्        अंजलि अग्निहोत्री    दमोह    जिला नरसिंहपुर
103ण्        निकिता शुक्ला    दमोह    जिला जबलपुर
104ण्        रामचंद नागर    सीहोर    जिला आगर मालवा
105ण्        महावीर प्रसाद शर्मा    ग्वालियर     जिला टीकमगढ़
106ण्        परवत सिंह यादव    देवास    जिला शाजापुर
107ण्        रामबाबू सिंह रघुवंशी    इंदौर    जिला शिवपुरी
108ण्        सुदामा प्रसाद मिश्रा    सतना    जिला कटनी
109ण्        एम.आर. उईके    भोपाल    अअवि पुमु भोपाल
110ण्        पूरनलाल अहिरवार    पीटीएस सागर    जिला भोपाल
111ण्        उत्तम सिंह जाटव    होशंगाबाद    जिला सीहोर
112ण्        अनीता गुर्जर    ग्वालियर    जिला इन्दौर
113ण्        चन्द्रकांत झा    जबलपुर    जिला भोपाल
114ण्        बनवारी लाल शर्मा    भोपाल    जिला विदिशा
115ण्        चंद्रिका राम    सीहोर    जिविशा सागर
116ण्        अनोखीलाल लिपटन    सीहोर    विशेष शाखा पुमु भोपाल
117ण्        हरदेव सिंह सोलंकी    सीहोर    अअवि पुमु भोपाल
118ण्        सुरेन्द्र चतुर्वेदी    टीकमगढ़    जिला रीवा
119ण्        अनंती मर्सकोले    इंदौर    महिला अपराध शाखा जबलपुर
120ण्        रमेश गोस्वामी    खरगोन    जिला रतलाम
121ण्        सी.के. गौतम    पीटीएस उमरिया    जिला डिण्डौरी
122ण्        के.के. अग्रवाल    जिविशा खंडवा    जिला बुरहानपुर
123ण्        कैलाश खेडे    बुरहानुपर    जिला धार
124ण्        धनेश्वर मिश्रा    अनूपपुर    जिला मण्डला
125ण्        नेहा चन्द्रवंशी    बैतूल    जिला इन्दौर
126ण्        रामप्रताप दुबे    पीटीसी सागर    जिला विदिशा
127ण्        सुल्तान सिंह जाट    उज्जैन    जिला रतलाम
128ण्        शिवलाल पालीवाल    उज्जैन    अजाक इन्दौर
129ण्        अलख मिश्रा    सागर    जिला छतरपुर
130ण्        चित्ररेखा मर्सकोले    सागर    जिला नरसिंहपुर
131ण्        देवसिंह धुर्वे    बैतूल    जिला भोपाल
132ण्        निशा मिश्रा    रीवा    जिला छतरपुर
133ण्        केशरी प्रसाद मिश्रा    अजाक सिंगरौली    जिला अनूपपुर
134ण्        अवध किशोर जैन    डीसीआरबी शाजापुर    जिला आगर मालवा
135ण्        प्रियंका पाठक    टीकमगढ़    जिला रीवा
136ण्        विजय बहादुर सिंह परिहार    सतना    जिला छतरपुर
137ण्        महेन्द्र सिंह मंडलोई    रेल इंदौर    जिला इन्दौर
138ण्        आरती धुर्वे    नरसिंहपुर    जिला मंडला
139ण्        प्रेमलाल शिववंशी    इंदौर    जिला सिवनी
140ण्        मोहन लाल गौड़    सागर    जिला सिवनी
141ण्        मिथिलेष यादव    बैतूल    जिला रीवा
142ण्        सोनल पाण्डे    छिंदवाड़ा    जिला सिवनी
143ण्        कमल प्रसाद डेहरिया    बालाघाट    जिला सिवनी
144ण्        कृष्णकांत चैबे    विशा उज्जैन    जिला शाजापुर
145ण्        अर्चना सिंह चैहान    खंडवा    जिला विदिशा
146ण्        आराधना सिंह परिहार    सागर    जिला भोपाल
147ण्        अंजना दुबे    रीवा    जिला छतरपुर
148ण्        संतोषी पिपरे    शाजापुर    जिला नरसिंहपुर
149ण्        माधवी परिहार    देवास    जिला जबलपुर
150ण्        पारसनाथ मिश्रा    रेल भोपाल    डीसीआरबी भोपाल
151ण्        बी.एल. (भगवान लाल) साहू    सागर    जिला विदिशा
152ण्        सरोज ठाकुर    सतना    जिला कटनी
153ण्        उमाशंकर पाण्डेय    सागर    पीटीएस रीवा
154ण्        कृष्णा उइके    उमरिया    जिला मण्डला
155ण्        इतेन्द्र चैहान    धार    ईओडब्ल्यू, भोपाल
156ण्        आर.आर.(राजाराम) बंसल    ग्वालियर    ईओडब्ल्यू, भोपाल
157ण्        राजेश गोयल    खरगोन    ईओडब्ल्यू, भोपाल
158ण्        रामायण यादव    भोपाल    विशेष शाखा पुमु, भोपाल
159ण्        अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी    दमोह    जेएनपीए, सागर
160ण्        टीना शुक्ला    नीचम    जिला इन्दौर
161ण्        प्रतिपाल सिंह परमार    ग्वालियर    जिला दतिया
162ण्        शेख सगीर    विदिशा    पीटीएस सागर
163ण्        रामदेव साकेत    उमरिया    जिला कटनी
164ण्        फेमिदा खान    रायसेन    जिला अशोकनगर
165ण्        रामनाथ सिंह घुरैया    राजगढ़    जिला मुरैना
166ण्        एल.एस. सोलंकी
    इंदौर    अजाक इंदौर
167ण्        जी.एस.(घनश्याम सिंह) सेंगर    देवास    जिला भोपाल
168ण्        गीता जाटव    खंडवा    जिला होशंगाबाद
169ण्        विश्राम सिंह कनौजिया    जिविशा बैतूल    जिला बैतूल
170ण्        मंगलेश्वर सिंह    होशंगाबाद    जिला जबलपुर
171ण् y      आर.ए.(रामअवतार) तिवारी    होशंगाबाद    अजाक कटनी

इस तरह हैकर्स चुराते हैं पासवर्ड, क्या आपका पासवर्ड है सुरक्षित

Toc news@bhopal

क्या है सुरक्षित पासवर्ड?

आधुनिक जीवनशैली में पासवर्ड के बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं है। मोबाइल फ़ोन से लेकर कंप्यूटर खोलने, बैंक खाता खोलने, घर के लॉक को खोलने, हर जगह पासवर्ड का इस्तेमाल होता है।

हमारी निर्भरता पासवर्ड पर जितनी बढ़ती जा रही है, उतने ही हैकरों के हमले भी बढ़ रहे हैं, जो हमारी गोपनीय सूचनाओं को उड़ा ले जाते हैं।

ये जानना ज़रूरी है कि पूरी दुनिया में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों में 98.8 प्रतिशत वही 10,000 पासवर्ड्स का इस्तेमाल करते हैं।

हैकर छह एल्फ़ा-न्यूमैरिक डिजिट के पासवर्ड को एक सैकेंड के 1000वें हिस्से में, 12 एल्फ़ा-न्यूमैरिक डिजिट के पासवर्ड को 3.21 मिनट में कंप्यूटर एलगोरिदम का इस्तेमाल करते हुए हैक कर सकते हैं।

तो फिर सुरक्षित पासवर्ड क्या है?

इसके लिए ज़रूरी है कि आपको हैकर्स के तौर तरीकों का बेहतर पता हो, ताकि आप सुरक्षा के बेहतर इंतज़ाम तलाश पाएं।

हैकर्स कैसे चुराते हैं पासवर्ड?

हैकर्स अमूमन किसी का भी पासवर्ड चुराने के लिए तीन तरीके इस्तेमाल करते हैं। वे फर्ज़ी ईमेल भेजते हैं, जिसके जरिए अचानक से अमीर होने, लाटरी खुलने जैसे लालच दिए जाते हैं। जब आप उन साइट्स पर जाते हैं तो आपको सीक्रेट कोड डालने को कहा जाता है।

हैकर्स चालाकी, समझ और अनुमानों से काम लेते हैं। साईबर सुरक्षा के इस दौर में भी, दुनिया भर के लोगों में सबसे ज़्यादा PASSWORD को ही अपना पासवर्ड रख बैठते हैं। इसके बाद सबसे लोकप्रिय पासवर्ड है 123456, लेकिन हैकर्स ये सब जानते हैं।

अगर आप ये सोचते हैं कि आप अपने पालतू जानवर या घर के किसी सदस्य के नाम पर पासवर्ड रखें तो ये भी सुरक्षित नहीं होता है। क्योंकि हैकर्स आपकी फेसबुक और ट्विटर प्रोफ़ाइल के जरिए आपसे जुड़े लोगों के नाम, महत्वपूर्ण तिथियों को आसानी से जान जाते हैं।

कई लोग पापुलर चलन के आधार पर अपना पासवर्ड बनाते हैं। लेकिन हैकिंग करने वालों के डाटाबेस में ऐसे कई संभावित पासवर्ड के कांबिनेशन, आपके, आपके रिश्तेदारों के नाम और तिथियों से बनने वाले कॉम्बिनेशन मौजूद होते हैं।

अगर दूसरे तरीके से भी हैकिंग करने वाले कामयाब नहीं होते हैं तो वे तीसरा रास्ता अपनाते हैं। वे कंप्यूटर एलोगरिदम का इस्तेमाल करते हैं।

लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हैकरों के चुंगल से बचा नहीं जा सकता है। इसके काफ़ी आसान से उपाय हैं।

27 लाख का जुआ पकड़ाया, भाजपा नेता की गाड़ी सहित नौ वाहन जप्त

Toc news @ raisen

रायसेन। जिले के बाड़ी के समीप स्थित ग्राम भैसाया में पुलिस ने जुआ की फड़ पर छापा मार कार्रवाई की है जिसमें एक भाजपा नेता की गाड़ी सहित दो चार पहिया और नौ वाहन जप्त की गई है। पुलिस ने जप्त सामग्री और नकदी सहित करीब 27 लाख रुपए का जुआ पकड़े जाने का दावा किया है।

पुलिस के मुताबिक गुरुवार की रात को जुआ की फड़ पर छापा मारा गया था जिसके बाद पुलिस अधिकारियों को धमकियां भी दी गईं। ये लोग जिन वाहनों से जुआ खेलने पहुंचे थे उन्हें भी पुलिस ने जप्त कर लिया है। जप्त वाहनों में एक बोलेरो, मारुति की एक इरटिजा और सात बाइक शामिल हैं। इन वाहनों में से एक गाड़ी भाजपा के स्थानीय नेता की भी बताई जा रही है।

पुलिस का दावा है कि 26 लाख 75 हजार 530 रुपए का जुआ जप्त किया गया है। इसमें वाहनों की कीमत भी शामिल है।

Thursday, May 14, 2015

सुब्रत राय सहारा को 'सुप्रीम' झटका, नहीं मिली जमानत

Toc News
नई दिल्ली। सहारा प्रमुख सुब्रत राय सहारा को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उनको बेल नहीं दी है। फिलहाल कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा है।

पिछली सुनवाई के दौरान सहारा समूह ने आश्वासन दिया था कि रिहाई के लिए जरूरी बैंक गारंटी का इंतजाम बुधवार तक कर दिया जाएगा। सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सहारा के ऊपर कुल 39 हजार करोड़ रुपये का बकाया है जो उसे चुकाना है। मामले पर सुनवाई जारी है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत राय की जमानत के लिए 10 हजार करोड़ रूपये सेबी के पास जमा कराने की शर्त रखी है। इसमें से आधी रकम नकद जमा करानी है और आधी रकम की बैंक गारंटी देनी है।

क्या है मामला

सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये न चुकाने के मामले में सुब्रत राय सहारा 4 मार्च 2014 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। सहारा की ओर से निवेशकों की रकम लौटाने के कई प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है।

"सूर्य प्रकाश मिश्रा" रीवा " जिला अध्यक्ष" नियुक्त

"सूर्य प्रकाश मिश्रा" रीवा " जिला अध्यक्ष" नियुक्त

राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)
RTI ACTIVISTS FORUM M.P. की रीवा इकाई में पत्रकार, अधिवक्ता और आर टी आई कार्यकर्ता साथी "सूर्य प्रकाश मिश्रा " को रीवा "जिला अध्यक्ष" नियुक्त किया जाता हैं।
इनका सम्पर्क मो. न.
 +919893108331

"सूर्य प्रकाश मिश्रा " को रीवा "जिला अध्यक्ष" को बनाये जाने पर हार्दिक बधाईयां... आप सभी मित्र शुभकामनाएं प्रेषित कर सकते हैं...
💐💐💐💐💐
शुभकामनाओं सहित:

सैयद महमूद अली चिश्ती, प्रांताध्यक्ष सूचना का अधिकार मंच भारत
शाखा: मध्यप्रदेश
+91 9425041700

विनय जी. डेविड
प्रदेश महासचिव ( म.प्र.)
+919893221036
RTI ACTIVISTS FORUM M.P.
राष्ट्रीय स्तरीय फोरम (संगठन)

10वीं का रिज़ल्ट घोषित

Toc NEWS
भोपाल। मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल हाईस्कूल परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया गया है। परिणाम 49.79 प्रतिशत रहा। जानकारी के अनुसार, सिंगरौली के संदीप कुमार शाह और कटनी के शिवम दुबे संयुक्‍त रूvप से मेरिट लिस्‍ट में प्रथम रहे हैं। दोनों को 600 में से 586-586 अंक मिले हैं।

मेरिट लिस्‍ट में दूसरे स्‍थान पर दतिया के आयुष श्रीवास्‍तव,तीसरे स्‍थान पर दतिया के शिवम शर्मा, चौथे स्‍थान पर भोपाल की नंदनी चौहान और नंदगांव के अनिकेत परिहार रहे हैं। जबकि पांचवें स्‍थान पर ब्‍योहारी के सैफ अंसारी, बिजूरी कालानी के जितेंद्र कुमार केवट और इंदौर की एकता सिंघई पांचवें स्‍थान पर रही हैं।

दोपहर 2 बजे स्कूल शिक्षा मंत्री पारस जैन और राज्यमंत्री दीपक जोशी ने मंडल मुख्यालय स्थित विज्ञान भवन में रिजल्ट घोषित किया।हालांकि मेरिट में आए विद्यार्थियों को एक दिन पहले ही राजधानी बुलवा लिया गया था। मेरिट में आए बच्‍चों को सम्‍मानित भी किया गया।

मेरिट लिस्‍ट में पहले 5 स्‍थान पर आने वाले विद्यार्थी संदीप कुमार शाह, सरस्‍वती उमावि बैढन, सिंगरौली और शिवम दुबे एसीसी उमावि कैमूर कटनी प्रथम अंक 586 आयुष श्रीवास्‍तव सरस्‍वती विद्या मंदिर हाईस्‍कूल भांडेर दतिया द्वितीय अंक 584 शिवम शर्मा सरस्‍वती विद्या मंदिर उमावि भारतगढ़ दतिया अंक 583 तृतीय नंदनी चौहान सरस्‍वती विद्या मंदिर भोपाल और अनिकेत परिहार देवमाता विद्या आश्रम उमावि नंदगांव सीहोर चतुर्थ अंक 582 सैफ अंसारी क्राइस्‍ट ज्‍योति मिशन उमावि ब्‍योहारी, जितेंद्र कुमार केवट न्‍यू ज्‍योति मिशन हाईस्‍कूल बिजूरी कालानी अनूपपुर, एकता सिंघई गुरू रामचंद्र झा पब्लिक उमावि कालानी नगर इंदौर पांचवां अंक 581 रिजल्ट एसएमएस, वेबसाइट, इंट्रेक्टिव वॉइस रिस्पॉस सिस्टम (आईवीआरएस), मोबाइल एप, मोबाइल फोन ब्रोशर और अनस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डाटा (यूएसएसडी) से पता चल सकेगा। ज्ञात हो कि यह परीक्षा 3 से 24 मार्च तक चली थी। जिसमें 11,45,386 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। यह रिजल्ट पिछले साल से एक दिन पहले आ रहा है।

श्रीनिवास तिवारी की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर

Toc News @Jabalpur
जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्रीनिवास तिवारी की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली। इसी के साथ राजधानी भोपाल की जहांगीराबाद थाना पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी की आशंका पर विराम लग गया। सुप्रीम कोर्ट ने 22 साल के लंबे अंतराल के बाद महज राजनीतिक विद्वेषवश एफआईआर दर्ज करने को लेकर राज्य को जमकर फटकार भी लगाई गई।

इस संबंध में राज्य को अपना जवाब पेश करने के लिए 3 सप्ताह का समय दिया गया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जेएस केहर व जस्टिस मदन लोकुर की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान श्रीनिवास तिवारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि संपूर्ण प्रकरण विशुद्घ राजनीतिक है। इसका अंदाजा पूरे 22 साल के विलंब से एफआईआर दर्ज किए जाने से लगाया जा सकता है।

राज्य शासन की मंशा 90 साल के वयोवृद्घ राजनेता को येन-केन-प्रकारेण गिरफ्तार करके जेल में डालकर विरोधी दल के नेताओं पर दबाव बनाने की है। चूंकि इस मामले में प्रथमदृष्ट्या एफआईआर निराधार और राजनीति-प्रेरित प्रतीत हो रही है, अतः अग्रिम जमानत का वैधानिक आधार बनता है। यह है मामला विधानसभा सचिवालय के उप सचिव एमएम मैथिल की शिकायत पर 27 फरवरी 2014 को राजधानी भोपाल के जहांगीराबाद थाने की पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी सहित 18 के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली।

इन सभी पर 1993 से 2003 के मध्य विधानसभा में अवैध नियुक्तियों का आरोप लगाया गया है। इस मामले में गिरफ्तारी के आशंका के कारण श्रीनिवास तिवारी ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दायर की थी। जिसे जस्टिस जीएस सोलंकी की एकलपीठ ने 1 मई 2015 को खारिज कर दिया। लिहाजा, सुप्रीम कोर्ट की शरण ली गई। 

वंशिका कंस्ट्रक्शन कर रही बिना राँयल्टी खनन

इन गाड़ियों का मिलिक है संजू शर्मा विधायक बोहानी । वंशिका कंस्ट्रक्शन के करीब 100 highwa डम्पर Nh 26 बरमान गाडरवारा से सागर की और रोज चल रहे हैं ।आप इन गाड़ियो को ध्यान से देखिये royalti से ज्यादा रेत और यह सब गाड़ियां वैसे भी बिना royalty के चल रही हैं ।किसी भी गाड़ी पर RTO नंबर नहीं हैं । 1200 cubic फिट रेत भरी हुई है और rto भी नहीं कराया गया है ।रेत माफिया का  गुर्गा सफ़ेद बोलेरो गाड़ी से साथ में चलता है मजाल है कोई बीच में बात कर दे ।आप से अनुरोध है की कलेक्टर सागर । प्रेस के मित्रों को भेजें ताकि मामला सबकी नज़रों में आ सके ।माँ नर्मदा को छलनी कर रहे मामा के गुर्गों को रोकना जरुरी है ।

निजी स्कूलों के लिए ये कैसी गाइड लाईन

 -इंदौर के सीए ने लिखा सीएम को लिखा खुला पत्र

माननीय श्री शिवराज जी चौहान
 मुख्यमंत्रीजी
 विषय : मध्यप्रदेश के स्कुलों में फीस वृद्धि हेतु जारी गाइडलाइन पर एक विवेचना व् अनुरोध
 धन्यवाद् की आप के १२ साल के कार्यकाल में आपके मातहत विद्वान् अफसर आपकी सरकार के सदन में पूर्ण बहुमत के बावजूद के कानून के बजाये एक गाइडलाइन ले कर आये है|
आप जानते है की शिक्षा का क्षेत्र लाभ का क्षेत्र नहीं माना गया है इसलिए सरकार इसे ट्रस्ट और सोसाइटी के माध्यम से गैर लाभकारी संघठन के मातहत चलाया जाता है|
ये वो क्षेत्र है जो देश की भावी पीढ़ी कैसी हो निर्धारित करता है| शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण मानते है इसलिए शिक्षा क्षेत्र में कोई कर नहीं है है न आयकर न सेवा कर न विक्रय कर न ही कोई अन्य कर. |

शिक्षा का क्षेत्र कोई मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री नहीं है जहाँ कच्चे माल की लागत हा रोज बढती रहे या रोज माल बेचने के लिए मार्केटिंग टीम की जरुरत पढ़े . न ही ऐसा क्षेत्र है जहाँ रोजमर्रा की तरह रिश्वत की जरुरत पढ़े|
किसी भी स्कूल के संचलन का मुख्य खर्च उस स्कूल की बिल्डिंग और कर्मचारियों की सैलरी रहती है |
और इसमें से स्कूल बिल्डिंग का खर्च तो एक मुस्त रहता है जिसमे लागत वृद्धि नहीं होती अपितु डेप्रिसिएशन होता है और वह भावी सुविधाओ के संचय के लिए संचय बन जाता है |

रही बात कर्मचारियों के वेतन की तो यह वसूल की जाने वाली फीस और फीस वृद्धि में मुकाबले बहुत ही कम रकम होती है , तिस पर इतने गहन विचार विमर्श कर आपकी टीम ने १०% के जनरल बढ़ोतरी की अनुमति दे कर पलको की कमर तोड़ कर रख दी| आपकी गाइडलाइन में स्कूल संघ की और से जो फीस वृद्धि के पक्ष में जो भी तर्क दिए है क्या आपके अफसरों ने उन तथ्यो की विवेचना भी की है?

गाइडलाइन के para ३ में बताये गए स्कूल के पक्ष की विवेचना :-
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फीस वृद्धि का सबसे महत्वपूर्ण कारन नंबर १ पर उनका योगदान है
 क्या शिक्षा के क्षेत्र में किसी शिक्षण संसथान का महत्वपूर्ण योगदान रहा है तो वह फीस वृद्धि का कारन रहेगा ?
2. शिक्षा की गुणवत्ता को आधार बनाया गया है ? क्या शिक्षा की गुणवत्ता की जाँच की है आपने इस गाइडलाइन को बनाते समय ?

क्या ऊच्च शिक्षा का मापदंड किसी स्कूल में कितने एयरकंडीशन लगे है उस पर निर्धारित किया जाता है या उसके शिक्षक से ? किसी भी स्कूल में शिक्षा में गुणवत्ता का मापदंड उसका शिक्षक होता है ,तो क्या स्कूल अपने शिक्षको को उनकी योग्यता के आधार पर अलग अलग तनख्वा देता है ? क्या अफसरों ने उन स्कूलो में शिक्षको को क्या सैलरी दी जा रही है ये जानने की कोशिश की ?
संस्था में उपलब्ध सुविधाओ और गुणवत्ता के आधार पर पालको द्वारा स्वेच्छा से एडमिशन लिया जाता है
 इसका मतलब यह हुआ की एडमिशन के बाद हर वर्ष मन मने तरीके से स्कूल को फीस बढ़ने का लाइसेंस मिल गया ? क्या हर बार फीस बढ़ोतरी के बाद पलक हर वर्ष स्कूल परिवर्तन करवाए?

क्या हर वर्ष उपलब्ध सुविधाओ और गुणवत्ता का कोई मापदंड पूर्वक कोई मूल्याङ्कन होता है ? जीके आधार पर फीस वृधि की जा सके ? माफ़ कीजियेगा यदि एसा कोई मानदंड स्थापित यदि हो गया तो ९५% स्कूलो की फीस वृद्धि में १०-१० साल लग जायेंगे
 वस्तुतः सुविधाओ के नाम पर स्कूल अंधाधुन्द लाभ कमाने के साधन बन गए है!
उपलब्ध करवाई जाने वाली सुविधाओ पर बहुत व्यय होता है इसलिए हर साल फीस वृद्धि जायज है
 क्या आपकी सरकार ने इन स्कूलो द्वारा सुविधाओ का कोई मुल्याकन के लिए कोई मापदंड बनाये है ?

जब हर स्कूल द्वारा उपलब्ध करवाई जाने वाली सुविधा अलग अलग है है तो फीस वृद्धि क्यों नहीं स्कूल का स्वतंत्र मल्यांकन के आधार पर बढाई जाने की अनुशंषा क्यों नहीं की गयी सभी स्कूलो को एक जैसी १०% फीस बढ़ने की अनुशंषा क्यों की गयी ?
क्या इस बात की कोई गाइडलाइन है कि स्कूल में क्या क्या न्यूनतम सुविधा होना चाहिए ? और उस न्यूनतम सुविधा पर सामान्यतः क्या खर्च होता है ?

अच्छा तो यह होता की सभी स्कूलों द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओ का स्वतंत्र मूल्याङ्कन होता और उस मूल्याङ्कन की रेटिंग के आधार पर हर स्कूल को अलग अलग रेटिंग मिलती और उस रेटिंग के आधार पर स्कूल फीस वृद्धि के लिए योग्य होता !
बेहतर शिक्षक , और शिक्षण की बेहतर तकनीक और बेहतर सुविधाए ?
क्या अफसरान विचारिक तोर पर इतने कमजोर है की एक ही बात को ४ बार अलग लग तरीके से कहने पर उन्हें मुद्दा समझ नहीं आएगा?

क्या स्कूल शिक्षको को उनके द्वारा पढाई जाने वाली तकनीक के आधार पर तनख्वा देते है ?
हर वर्ष शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी कौन सी तकनीक आ जाती है जो हर वर्ष उसमे फीस वृधि की जरुरत पढ़ जाती है ?
रही बात सुविधाओ की तो जब पालक एडमिशन के समय ही आपकी सुविधाओ की कीमत चूका देता है तो हर वर्ष ऐसी कौन सी सुविधाए नयी प्रदान की जाती है जो आपको फीस वृद्धि का आधार लगती है ?

यदि बच्चो को प्रदान की जाने वाली सुविधाओ पर नजर डाले तो पता चलता है की इन सुविधाओ के संधारण पर एसा कोई विशेष खर्च नहीं होता जिसके लिए उन्हें प्रतिवर्ष १०% अक की फीस वृद्धि की जरुरत पढ़े! मसलन पिने के पानी ,खेल का मैदान , कंप्यूटर लेब , साइंस लैब , पुस्तकालय. सभी बच्चो से भोजन और यातायात की सुविधा का खर्च अलग से लिया जाता है जो स्कूल की फीस में शामिल नहीं होता!

हर स्कूल के सुविधाए भिन्न भिन्न होती है अतः उनकी पारस्परिक तुलना कठीण हैं
 दुर्भाग्य से हम सभी स्कूलो में एक जैसी शिक्षण की किताबे तो प्रस्तावित न कर पाए तो और न स्कूलो को अलग अलग छोटी छोटी आधारभूत सुविधाए तो सुनिश्चित कर पाए और न उनके लिए कोई मानदंड स्थापित कर पाए| स्कूल में दी जाने वाली छोटी छोटी सुविधा में छोटा सा परिवर्तन फीस बढ़ने का बड़ा मुद्दा बन जाता है !

सुविधाए भिन्न भिन्न है तो सभी स्कूलों को भिन्न भिन्न सुविधाओ के आधार पर १०% तक फीस बढ़ने का मनमानी छुट क्यों दी गयी ?
सभी स्कूलों द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधा की रेटिंग होना चाहिए! शैक्षणिक स्टार की रेटिंग होना चाहिए जिससे सभी स्कूलों में आपस में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और छात्रो को सही शिक्षा का स्तर मिलेगा !
सभी संस्थाओ पर शुल्क का निर्धारण एक सा नहीं किया जा सकता
 फिर क्यों सभी संस्थाओ को १०% तक की फीस बिना अप्रूवल का अधिकार क्यों दिया ?
फिर भी संस्थाओ को शुल्क बढ़ने की स्वंतत्रता दी जानी चाहिए ?
क्यों सरकार निजी शिक्षण संस्थाओ के ये लचर तर्क मान कर उनके हाथो की कठपुतली बनी है ?

फीस
 महोदय हम पलक गण को १०% फीस की वृधि ही बहुत ज्यादा लग रही थी आपने तो अब सभी संस्थाओ को १०% फीस बिना अनुमति का कानूनन अधिकार उनके हाथ में दे दिया और सभी पलक गण आपसे आस लगाये बैठे थे की आप कोई बुद्धिपूर्वक निर्णय लेंगे
 परन्तु आपकी सारकार का निर्णय पूरी तरह निजी संस्थाओ के पक्ष में जाता हुआ प्रतीत होता दिखाई पढ़ रहः है
 मनमानी फीस की सुनवाई एक छलावा मात्र है जब संस्थाओ को १०% बढ़ने का अधिकार दे ही दिया है तो मनमानी फीस की बात तो ख़तम हो गयी

 किताब
 अफ़सोस है की जारी गाइडलाइन में संस्थाओ के सभी हितो का ध्यान रखा गया है | गाइडलाइन में उम्मीद की जा रही थी की स्कूलो में सिर्फ NCERT की किताबो को अधिमान्यता दी जाएगी और निजी प्रकाशकों की महँगी किताबो से छुटकारा मिल सकेगा
 आज हर स्कूल अपनी मन माफिक किताब चुनने का अधिकार रखता है क्यों हर स्कूल में सुविधाओ के नाम पर अलग अलग किताबे पढाई जाती है | संस्थाओ और पुस्तक प्रकाशकों की साठगांठ पर नकेल क्यों नहीं कसी गयी ? आपने दिखावे के लिए किताबो को ३ दुकान पर उपलब्ध करवाने का आदेश दिया है |

माफ़ कीजियेगा अफसरशाही शायद इस मुद्दे पर या तो अनुभवहीन है या निजी संस्थाओ के हितो के लिए ये नूरा नियम बना दिया जिससे पलक ठगे न महसूस करे | जब पब्लिशर ही स्कूल संचालक से पूर्व में अनुबंध कर लेगा की अमुक किताब अगले सत्र में पढाई जाएगी तो दुकानदार क्या कर लेगा ? सामान्य सी बात है जब एक ही पाठ्यक्रम जब NCERT के पास उपलब्ध है तो फिर स्कूलो को अलग अलग किताबे खरीदने की अनुमंती देना समझ से परे है क्या कारण है की प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों को रखने की छुट दी जा रही है
 जब सामान्य ज्ञान के पालक ही इस छोटी सी बात समझते है तो विशिस्ट ज्ञान व् योग्यता से युक्त अफसरान क्यों नहीं समझते होंगे ? लेकिन शायद निजी हित के आगे सब मजबुर है !

अलग अलग किताबो के नाम पर बच्चो में शिक्षा गत हीनभावना बढती जा रही है एक स्कूल में H फॉर Hen एक स्कूल में H for Horse और एक स्कूल में H for Hippopotomus पढाया जा रहा है
 क्यों नहीं सामान शिक्षा के अधिकार में सामन किताब से शिक्षा का अधिकार शामिल किया जाए ? हर वर्ष सुविधा के नाम पर नया पाठ्यक्रम नयी किताबे और पब्लिशर से मोटा कमीशन स्कूल संचालक की जेब में पहुच जाता है जिसका कोई हिसाब नहीं | 50-50 पेज की किताबे निजी प्रकाशकों द्वारा Rs 150-200 में बेचीं जा रह है ! बाजारवाद के नाम पर शिक्षा से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है यह समझ से परे है !!

स्कूल ड्रेस
 धन्यवाद् आपको की गाइडलाइन में आपने ५ साल में एक बार ड्रेस परिवर्तन का प्रावधान रखा | क्या जरुरत है स्कूलो की अलग अलग ड्रेस रखने की | और आज के स्कूल तो एक कदम आगे है इन में तो आजकल हर एक क्लास में अलग अलग हाउस के नाम पर अलग अलग कलर की ड्रेस का कोड लागु है (Like Red house, blue house)

सरकारी विज्ञापनों से नेताओ की छूट्टी

विज्ञापन देकर जनता के पैसे का दुरुपयोग किए जाने पर रोक

Present by @Toc news

सरकारी विज्ञापनों के नियमन से जुड़े दिशानिर्देश जारी करते हुए आज उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इन विज्ञापनों में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और प्रमुख न्यायाधीश जैसे कुछ ही पदाधिकारियों की तस्वीरें हो सकती है। न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की इस याचिका को खारिज कर दिया कि न्यायपालिका को नीतिगत फैसलों के क्षेत्र में दखल नहीं देना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि कोई नीति या कानून मौजूद न होने की स्थिति में अदालतें हस्तक्षेप कर सकती है।

न्यायालय ने केंद्र सरकार से यह भी कहा कि वह सरकारी विज्ञापन के मुद्दे के नियमन के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन करे। न्यायालय ने सरकारी विज्ञापनों के नियमन के संदर्भ में एक समिति की सभी बड़ी सिफारिशें स्वीकार कर ली। हालांकि न्यायालय ने मीडिया घरानों को सरकार द्वारा दिए जा रहे विज्ञापनों के विशेष ऑडिट के प्रावधान को मंजूरी नहीं दी।

न्यायालय ने प्रतिष्ठित शिक्षाविद प्रोफेसर एन आर महादेव मैनन की अध्यक्षता वाली इस तीन सदस्यीय समिति की वह सिफारिश भी अस्वीकार कर दी, जिसमें कहा गया था कि सरकारी विज्ञापनों में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत किसी पदाधिकारी की तस्वीर नहीं होनी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने 24 अप्रैल को समिति का गठन किया था और राजनीतिक लाभ लेने के लिए सरकारों और अधिकारियों द्वारा अखबारों एवं टीवी में विज्ञापन देकर जनता के पैसे का दुरुपयोग किए जाने पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश तय करने का फैसला किया था। इससे पहले 17 फरवरी को सरकार ने अपने विज्ञापनों के नियमन के लिए दिशानिर्देशों का निर्धारण किए जाने का विरोध किया था। सरकार ने कहा था कि यह न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता क्योंकि एक निर्वाचित सरकार संसद के प्रति जवाबदेह है।

इसके साथ ही सरकार ने यह भी पूछा था कि अदालत यह कैसे तय करेगी कि कौन सा विज्ञापन राजनैतिक लाभ के लिए जारी किया गया है। केंद्र का पक्ष रखने के लिए पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि कुछ मामले सिर्फ सरकार पर ही छोड़ दिए जाने चाहिए और ये अदालतों के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि सरकार नीतियों एवं अन्य मामलों के बारे में अधिकतर इन विज्ञापनों के जरिए ही संवाद करती है।

इससे पहले न्यायालय ने राजनैतिक हस्तियों की तस्वीरों वाले सरकारी विज्ञापनों के प्रकाशन पर सीधे रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा था कि वह केंद्र का पक्ष और प्रचार संबंधी सामग्री के नियमन से जुड़ी सिफारिशें देने के लिए न्यायालय द्वारा नियुक्त किए गए पैनल की सिफारिशें भी सुनना चाहेगा।

न्यायालय ने केंद्र और अन्य से कहा था कि वे पैनल की रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रियाएं जमा करवाएं। इन अन्य पक्षों में याचिकाएं दायर करने वाले गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉजम् और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन शामिल थे। तीन सदस्यीय समिति ने उन विज्ञापनों के खर्च और सामग्री के नियमन के लिए दिशानिर्देश तैयार किए थे, जिनके लिए धन का भुगतान करदाताओं के पैसे से किया जाता है।

लोकसभा के पूर्व सचिव टी के विश्वनाथन और सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार की सदस्यता वाली समिति ने सिफारिश दी थी कि एक ही विज्ञापन निकाला जाना चाहिए, जो कि किसी महत्वपूर्ण शख्सियत की जयंती या पुण्यतिथि जैसे मौकों पर आए। अच्छा होगा कि यह विज्ञापन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा निकाला जाए।

Wednesday, May 13, 2015

दहेज़ लोभी यातना की शिकार गर्भवती महिला के पेट पर पति ने मारी लात, हुआ गर्भपात |

शिवपुरी :- 15 मई 2014 को ग्राम क्यारा की मीना पुत्री जयभान लोधी की शादी ग्रामपंचायत नयागांव के अनिल पुत्र धनीराम से करीब एक बर्ष पूर्व पूर्ण रीतिरिवाजो के साथ संपन्न हुयी थी, कुछ माह तक दहेज़ लोभी ससुरालियो का बर्ताव बहु के लिए ठीक ठाक था पर समय गुजरने के साथ साथ बेटे के ससुरालियों से बुलेरो की चाहत में नवांगत बहु से क़िए जाने वाले बर्ताव में तब्दीली आने लगी, मीना गर्भवती हो चुकी थी, और गर्भधारण के बाद से ही मीना के ससुराल वालो ने उसे बुलेरो की मांग के साथ प्रताड़ित करना शुरू कर दिया । 12 नवंबर को पति अनिल, ससुर धनीराम, जेठ कीरत, एवम् सास कुसुम ने बुलेरो की चाहत में बिलबिलाते कीड़े की आड़ में बहु मीना की मारपीट कर दी और इसी दरमियाँ पति अनिल ने उसके पेट पर लात मार दी जिसके बाद उसका गर्भपात हो गया ।

अपने पिता जयभान के साथ पिछोर आई मीना ने इससे सम्बंधित रिपोर्ट थाने में दर्ज़ करायी है पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ बिभिन्न धाराओ सहित दहेज़ एक्ट का मामला दर्ज़ लिया है, थाने में दर्ज़ करवाई गयी रिपोर्ट कीे जानकारी देते हुए मीना के पिता ने बताया है की उन्होंने हैसियतानु्सार अपनी बेटी का विवाह किया था जिसमे उन्होंने साढ़े चार लाख रुपये नगद दिए एवम् दो लाख के करीब अन्य कीमती सामान अपनी बेटी के खुशहाल भविष्य के लिए मीना के ससुरालवालों को दिया था, कुछ माह तक सब ठीक चला और उसके बाद बह बुलेरो की मांग करते हुए मीना  को प्रताड़ित करने लगे | इसी दौरान 12 नबम्वर 2014 को पति अनिल एवम् ससुरालियों ने मिलकर उसकी बेटी की मारपीट कर दी एवम् गर्भपात करने क़ी नियत से मीना के पेट में लात मार दी जिससे उनकी मंशा पूरी हो गयी और बेटी का गर्भपात हो गया और तत्पश्चात उन्होंने मीना को घर से भी बेदखल कर दिया, पूलिस ने मर्ग क़ायम कर लिया है मामले की जांच उपरान्त पता चलेगा की सच्चाई क्या है ।

अभिषेक शर्मा, शिवपुरी

देश में 21 यूनिवर्सिटी फर्जी, इनमें न लें एडमिशन, UGC ने जारी की सूची

Present by: toc news

देश में 21 यूनिवर्सिटी फर्जी हैं। यूजीसी ने वेबसाइट पर इनकी सूची जारी कर छात्रों को इनमें एडमिशन न लेने के लिए आगाह किया है। कारण, ऐसी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने वाले छात्रों की डिग्री मान्य नहीं होगी। लिहाजा, किसी भी नौकरी के लिए उसका उपयोग नहीं हो सकेगा। सूची में देश के नौ राज्यों में संचालित यूनिवर्सिटी के नाम हैं। इनमें सर्वाधिक नौ यूनिवर्सिटी उत्तरप्रदेश में है। नागपुर में भी राजा अरेबिक नाम की ऐसी एक यूनिवर्सिटी है।

मध्यप्रदेश -केसरवानी विद्यापीठ, जबलपुर
दिल्ली-कमर्शियल यूनिवर्सिटी लिमिटेड, दरियागंज
>यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी
>वोकेशन यूनिवर्सिटी
>एडीआर-सेंट्रिक ज्यूरिडिकल यूनिवर्सिटी, एडीआर हाउस
>इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड इंजीनियरिंग
बिहार:मैथिली यूनिवर्सिटी, दरभंगा
कर्नाटक : बडागानवी सरकार वर्ल्ड ओपन यूनिवर्सिटी एजुकेशन सोसाइटी, बेलगाम
केरल:सेंट जॉन, कृष्णट्‌टम
तमिलनाडु : डीडीबी संस्कृत यूनिवर्सिटी, पुत्तुर, त्रिची
पश्चिम बंगाल :इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आल्टरनेटिव मेडिसिन, कोलकाता
उत्तरप्रदेश :वाराणसेय संस्कृत यूनिवर्सिटी, वाराणसी यूपी/ जगतपुरी, दिल्ली
>महिला ग्राम विद्यापीठ/यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद
>गांधी हिंदी विद्यापीठ, इलाहाबाद
>नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ इलेक्ट्रो कम्प्लेक्स होमियोपैथी, कानपुर
>नेताजी सुभाषचंद्र बोस यूनिवर्सिटी (ओपन यूनिवर्सिटी), अचलताल, अलीगढ़
>उप्र यूनिवर्सिटी, मथुरा
>महाराणा प्रताप शिक्षा निकेतन यूनिवर्सिटी, प्रतापगढ़
>इंद्रप्रस्थ शिक्षा परिषद, इंस्टीट्यूशनल एरिया, खोड़ा माकनपुर, नोएडा
>गुरुकुल यूनिवर्सिटी,वृंदावन, मथुरा
महाराष्ट्र : फर्जी विश्वविद्यालयों की इस सूची में महाराष्ट्र भी शामिल है। यह फर्जी विश्वविद्यालय नागपुर में है। नाम है राजा अरेबिक यूनिवर्सिटी।

(आइसना) मध्यप्रदेश इकाई की सदस्यता शुरू

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बैतूल छात्रावासो में सीधी नकेल कसने से डरते है कलैक्टर और सहायक आयुक्त

बैतूल छात्रावासो में सीधी नकेल कसने से डरते है कलैक्टर और सहायक आयुक्त

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श्योपुर की घटना के चलते बैतूल कलैक्टर और सहायक आयुक्त दोनो ही छात्रावासो में सीधी नकेल कसने से डरते है,
इसलिए दोनो ने बैतूल जिले के दो सौ से अधिक छात्राओं एवं छात्रो के होस्टलो के लिए नियुक्त किये पालक अधिकारी

Toc News @ ब्यूरो भोपाल
13 मई 2015

भोपाल, मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में दो संगीन मामलो में बुरी तरह से फंसे बी. ज्ञानेश्वर पाटील एवं सहायक आयुक्त परिहार बैतूल जिले में कहीं श्योपुर वाली घटना पुनः न घट जाए इसलिए दुध के जले व्यक्ति की तरह छाछ भी फूक - फूक कर पी रहे है।

बैतूल जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग, राजीव गांधी शिक्षा मिशन, सर्व शिक्षा अभियान, तथा भारत सरकार के कस्तुरबा गांधी बालिका , कमला नेहरू बालिका, उत्कृष्ट बालिका, नवोदय जैसे होस्टलो में सप्रमाण शिकायते मिलने के बाद भी उन पर सीधी नकेल कसने से डरते है।

इस बात का खुलासा आरटीआई कार्यकर्त्ता की उस रिर्पोट में आया है कि दोनो ही प्रथम एवं द्धितीय श्रेणी अधिकारियों ने अपनी पदस्थापना के बाद किसी भी महिला प्रभारी होस्टल का निरीक्षण नहीं किया है। बैतूल जिले में लगभग पचास से अधिक महिला छात्रावास अधिक्षिका मौजूद है जिसमें कई तो एक दशक से अधिक समय से अंगद की तरह पांव जमा कर बैठी हुई है।

अधिकांश छात्रावास अधिक्षिकायें किसी पक्ष या विपक्ष के नेता की बहन - बेटी - बहू- पत्नि है या फिर किसी पत्रकार, तथाकथित अधिकारी या ऊंची पहुंच वाले व्यक्ति की पसंद जिसके कारण इनके खिलाफ आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। पुरूष छात्रावास अधिक्षको का भी लगभग यही हाल है।

सब पर भारी पडने वाले बैतूल कलैक्टर के सामने जब कोई मिशन के छात्रावासो या आरबीसी की बाते करता है तो कलैक्टर के रोंगटे खडे हो जाते है। लगभग हाल कुछ ऐसा बैतूल जिले के नये सहायक आयुक्त श्री परिहार का भी यही है। दोनो अधिकारियों ने सीधे पंगा से बचने के लिए अपने अधिनस्थ अधिकारियों को एक नही चार - पांच छात्रावासो का पालक अधिकारी नियुक्त तो किया है लेकिन वे स्वंय दूरियां बनाने हुये है।

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार दोनो ही जिले के महत्वपूर्ण अधिकारियों पर श्योपुर में दैहिक शोषण से जुडे तथाकथित संगीन मामले दर्ज होने की भनक लगने के बाद जिले के छात्रावास अधिक्षक एवं अधिक्षिकायें बेलगाम हो चुकी है। बैतूल जिले में सबसे अधिक आरटीआई छात्रावासो एवं आरबीसी को लेकर लगी है।

आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते दस सालो में शिक्षा विभाग, जिला शिक्षा केन्द्र, अजाक विभाग जिला पंचायत,तथा अन्य विभागो के छात्रावास अधिक्षको एवं लोक सूचना अधिकारियों के पास 9875 सूचना के अधिकार कानून के तहत आवेदन लगे है। जिसमें 1344 मामलो की प्रथम लोक सूचना अधिकारी के समक्ष अपीले लगी है। द्धितीय अपीले राज्य सुचना आयुक्त के समक्ष 231 पहुंची है जिसमें से मात्र दस सालो में 98 अपीलो का निराकरण हुआ है। लगभग छै से सात हजार आवेदनो का निराकरण स्थानीय स्तर पर हो चुका है।

सवाल यह उठता है कि बैतूल जिले में लोक सूचना अधिकार कानून के तहत चाही गई जानकारी के नाम पर सौदेबाजी का यह खेल सिर्फ चंद पत्रकार या नेता ही नहीं करते है बल्कि अधिकांश मामलो में तो ऐसे लोगो के नाम भी आ रहे है जिनका किसी से कुछ लेना - देना नहीं होता है। आज छात्रावासो में इसलिए भी सूचना के अधिकार कानून के तहत लगने वाले आवेदनो के पीछे जिले के दो वरिष्ठ डरे सहमें अधिकारी को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है। जानकारो का तो यहां तक कहना है कि अपनी बहन - बेटी - बीबी - रिश्तेदार पर कोई आंच न आये इसलिए पेपरबाजी से लेकर आरटीआई के आवेदन तक लगाये जाने का गोरखधंधा चल रहा हैै।

सवाल यह भी उठता है कि जिसकी बीबी स्वंय अधिक्षिका हो उसे उसी विभाग में आरटीआई के तहत आवेदन लगाने या उसी विभाग के खिलाफ बैनर खबर छापने के पीछे सीधे - सीधे ब्लेकमेलिंग का फण्डा और कलम का डण्डा है। बैतूल जिले में कस्तुरबा गांधी बालिका छात्रावास माण्डवी में पदस्थ अधिक्षिकायें बीते एक दशक से एक ही परिवार की सदस्य नियुक्त होते चली आ रही है।

सीधे शिवराज सिंह चौहान के चुल्हे चौके तक पहुंच रखने वाले शिवराज सिंह के स्वजाति आठनेर के माण्डवी ग्राम के कस्तुरबा गांधी बालिका छात्रावास अधिक्षिकाओं की पोस्टींग और उसके खिलाफ आज तक दर्ज हुई शिकायतो पर कोई कार्रवाई का न होना अपने आप में एक ऐसा सवाल है जिसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है।

Sunday, February 22, 2015

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जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

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