Friday, October 26, 2018

किसको मिलेगी टिकिट, गाडरवारा विधानसभा से

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किसको मिलेगी टिकिट, गाडरवारा विधानसभा से
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ब्यूरो चीफ गाडरवाराजिला नरसिंहपुर // अरुण श्रीवास्तव : 91316 56179
गाडरवारा. यूँ तो जिले की गाडरवारा विधानसभा सीट दावेदारों की भीड़ से भरी पड़ी है,लेकिन चुनिंदा दावेदार ही चर्चाओं में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उपयुक्त माने जा रहे हैं,कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने अभी प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है,जिसके चलते दावेदारी ठोकते हुए,कई नेता अपने अपने स्तर पर अपने चहेते वरिष्ठ नेताओं से मिलने भोपाल और दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं,अब किसकी दौड़ कितनी सफल होती है,यह तो समय ही बताएगा,लेकिन फिलहाल दोनों पार्टियों से कुछ नाम खाशी चर्चाओं में बने हुए हैं।

गोविंद हटें तो हमारा नंबर लगे

गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान में भाजपा से गोविन्द सिंह पटेल विधायक हैं,पटेल दूसरी बार गाडरवारा के विधायक बने हैं,विधायक रहते हुए उनकी कार्यप्रणाली भी संतुष्टिजनक रही है,और छोटे-मोटे विवादों को छोड़ दें तो कोई भी बड़ा विवाद इसके नाम से नही जुड़ा है,बाबजूद इसके भी पार्टी के अंदारखानों में चर्चा है कि हो सकता है,इस बार पार्टी किसी नए चेहरे को मौका देना सुनिश्चित करेगी,लेकिन गैरविवादित नेता एवं एवरेज परफार्मेंस बाले विधायक का टिकिट काटने के लिए पार्टी को कोई जननायक ही ढूंढकर लाना पड़ेगा।

मौजूदा विधायक गोविन्द सिंह पटेल के बाद सबसे प्रबल दावेदार जिला पंचायत अध्यक्ष संदीप पटेल ही माने जा रहे हैं,पटेल ने जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए,जिले समेत गाडरवारा विस् क्षेत्र में भी खासा मेलजोल रखा जिसका फायदा टिकिट मिलने पर उन्हें मिल सकता है। इसके अलावा जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष वीरेंद्र फौजदार भी गाडरवारा विधानसभा से किस्मत आजमाने की जुगत में लगे हुए हैं,क्षेत्र में बढ़ते ब्राह्मणवाद के चलते एवं गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मणों की अच्छी संख्या होने के कारण भी इनकी दावेदारी प्रबल मानी जा रही है,हालाँकि विधानसभा क्षेत्र की चर्चाओं की माने तो जनता पैरासूट बाले प्रत्यासी से परहेज ही कर रही है।

कांग्रेस में तो पेंच फसा है

कांग्रेस से भी दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है,लेकिन जनता के बीच कुछ ही नामो पर रुझान समझ में आ रहा है,जिसमे पूर्व विधायक साधना स्थापक का नाम अग्रणीय है,श्रीमती स्थापक दो बार गाडरवारा विधानसभा से विधायक रह चुकी हैं,राजनैतिक स्तर पर यह पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी की करीबी भी मानी जाती हैं,पूर्व में भी विधायक रहते हुए इनकी कार्यप्रणाली गैरविवादित रही है,इसके अलावा सट्टा,जुआ,नशा इत्यादि की धुरविरोधी रही हैं,क्षेत्र की जनता में भी उनकी स्वीकार्यता रही है।

इसके अलावा गाडरवारा क्षेत्र समेत पूरे जिले में जननेत्री के रूप में अपनी पहचान बना चुकीं सुनीता पटेल का नाम भी इस बार कांग्रेस के दावेदारों में अव्वल है,सुनीता पटेल हमेशा से प्रशासन की मनमानियों एवं किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ खड़ी नजर आई हैं,और दो बार गाडरवारा विधानसभा से निर्दलीय चुनाव भी लड़ चुकी हैं,हालाँकि अंदारखानो की चर्चा के अनुसार पार्टी में सुनीता पटेल के नाम पर सहमति बन गई है,इनके नाम पर मुहर लगने में उनकी जननेत्री बाली छवि के अलावा क्षेत्र में भारी संख्या में मौजूद कौरव वोटों का गणित भी मुख्य कारण माना जा रहा है, लेकिन दो बार पार्टी के प्रत्यासी के खिलाफ बागी होकर चुनाव लड़ने की वजह से पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा पर सवाल खड़े होते रहे हैं।

इसी प्रकार कांग्रेस में तीसरा नाम है मिनेंद्र डागा का डागा वर्तमान में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता हैं,और पूर्व में भी पार्टी के गंभीर पदों पर रह चुके हैं,मिनेंद्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाते हैं,किसानों से संबंधित विषयों पर डागा लंबे समय से आवाज उठाते रहे हैं,साथ ही गाडरवारा एवं जिला मुख्यालय पर हुए एनटीपीसी आंदोलन में भी इनकी खासी भूमिका रही,चर्चाओं में डागा का नाम भी लोगों की जुबान पर है,लेकिन सुनीता पटेल के अलावा किसी और को टिकिट देने के लिए पार्टी को शायद फिर बगावत के लिए तैयार रहना पड़ेगा,बहरहाल दावेदारों की भीड़ और भागदौड़ से तो ऐंसा प्रतीत हो रहा है कि सभी दिल जान से जनता की सेवा करना चाहते हैं, और यह मौका हाथ से कोई नहीं छोड़ना चाहता,लेकिन वह कहावत है न ,ये पब्लिक है,यह सब जानती है,अब आगे का फैसला तो आम जनता को ही करना है,बहरहाल देखना यह है,भोपाल और दिल्ली की भागदौड़ से किसको कितना फायदा मिलता है?

आप और शिवसेना के प्रत्याशी भी हुए घोषित

 विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं है , किंतु कांग्रेस व भाजपा ने अपने किसी भी उम्मीदवारों के नाम की पुष्टि नहीं की है , जिस वजह से नगर भर में विभिन्न नामो पर चर्चाएं जारी हैं,वहीं दूसरी ओर  आम आदमी पार्टी की ओर से गाडरवारा विधानसभा प्रत्याशी रीना सतीश लवानिया को आप पार्टी की ओर से प्रत्याशी घोषित किया गया है ,  तो वहीं शिवसेना पार्टी प्रमुख की ओर से गाडरवारा विधानसभा प्रत्याशी के रूप में कपिल दुबे को घोषित किया गया है । बरहाल कई पार्टियों के प्रत्याशियों की घोषणा भी नहीं हुई है जिसको लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है , अब देखना होगा कि चुनावी अखाड़े में कौन किसके ऊपर भारी पड़ेगा बाद में पता चलेगा

गाडरवारा : नगर की रोड पर गंदगी उगल रहे नाले दूषित पानी का हो रहा भराव


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ब्यूरो चीफ गाडरवाराजिला नरसिंहपुर // अरुण श्रीवास्तव : 91316 56179
गाडरवारा नगर परिषद* की लापरवाही के चलते पचामा रोड, हनुमान जी के मन्दिर के पास टाल के सामने स्थित नाला गन्दा पानी  से लवालव भरा है। जिसकी वजह से आस-पास के निवासियों और राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नाले की सफाई के लिए कई बार नगर परिषद प्रशासन के अधिकारियों से कहा जा चुका है।
लिखित शिकायत की जा चुकी है नाले का वाटरलेवल सही नही है जिससे कई महीनों से रोड एवं लोगो के घरों में पानी भरा रहा है लेकिन कोई सुनवाई एवं कार्रवाई नहीं हो रही है। जिसके चलते लोगों में काफी रोष है। आसपास के लोगो का कहना है कि नाले में गन्दगीं पड़ी रहने की वजह से पानी नहीं निकल पाता है और यह पानी सडक़ पर ही बहता रहता है। एवं लोगो के घरों तक पोहुच जाता है जिसका अन्दाजा नाले में पड़ी गन्दगीं को देखकर लगाया जा सकता है।
वही लोगों का कहना है कि नाले में गन्दगीं जमा रहने से मच्छरों एवं मक्खियों का जमावड़ा रहता है। जिससे बिमारियां फैलने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। निवासीयो के अनुसार नगर परिषद प्रशासन सफाई की सुध नहीं ले रहा। जिसकी वजह से नाले में गन्दगीं के अंबार लगे है और पानी नाले से निकलने के बजाय सडक़ पर बहता है।वार्ड वासियों ने शीध्र समुचित व्यवस्था कराने की अपेक्षा नगर परिषद से की है

बैंक मैनेजर राकेश कुमार झा को 20,000 रुपये की रिश्वत लेते सी बी आई ने किया गिरफ्तार

*बैंक मैनेजर को रिश्वत लेते सी बी आई ने किया गिरफ्तार*
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ब्यूरो चीफ गाडरवाराजिला नरसिंहपुर // अरुण श्रीवास्तव : 91316 56179

गाडरवारा यूनियन बैंक मैनेजर राकेश कुमार झा को 20,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए सी बी आई ने रंगे हाथों किया गिरफ्तार मामला यह है कि  राजीव वार्ड गाडरवारा निवासी अनिल विश्वकर्मा के बताने के अनुसार मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत ऋण स्वीकृत हुआ था.

जिसको लेकर बैंक मैनेजर राकेश कुमार झा अनिल को बार बार परेशान कर रहा था तो एक दिन अनिल द्वारा मैनेजर से पूंछा गया कि सर मेरा लोन क्यो नही हो रहा तो मैनेजर द्वारा अनिल से 60,000रु की मांग की गई तो अनिल ने बोला सर में गरीब हुँ मेरे पास इतना पैसा नही है तो मैनेजर ने 60,000रु दो किस्तो में देने को कहा मैनेजर द्वारा बोला गया कि 20,000रु कोटेशन बालो के खाते में ऋण राशि ट्रांसफर होने के पहले बाकी 40,000रु ऋण राशि ट्रांसफर होने के बाद तो अनिल के पास पैसे न होने के कारण उसने सी बी आई से संपर्क किया तो सी बी आई एस पी श्री प्रशांत पांडे ने तुरंत एक्शन लिया और 6 सदस्यीय टीम को गाडरवारा भेज दिया गया.
सी बी आई ने गाडरवारा आकर अनिल से संपर्क किया और अनिल द्वारा रुपये देने के लिए मैनेजर से बात करवाई गई रुपये कब और कहा देना है मैनेजर ने शाम 5 बजे बैंक में आकर देने को कहा तो शाम 5 बजे अनिल 20,000रु लेकर यूनियन बैंक मैनेजर के केबिन में गया और जैसे ही रुपये दिए पीछे खड़ी सी बी आई कि टीम ने तुरंत रंगे हाथों मैनेजर राकेश कुमार झा को धर दबोचा सी बी आई अधिकारी ने बताया यह सब सी बी आई एस पी श्री प्रशांत जी पांडे जबलपुर के निर्देशानुसार किया गया है

सिवनी:अर्थलिप्सा की भेंट चढ़े करोड़ों के निर्माण कार्य, निर्माण में खुलेआम किया गया भ्रष्टाचार

सिवनी:अर्थलिप्सा की भेंट चढ़े करोड़ों के निर्माण कार्य, निर्माण में खुलेआम किया गया भ्रष्टाचार
अर्थलिप्सा की भेंट चढ़े करोड़ों के निर्माण कार्य जनपद अध्यक्ष के निवास स्थान पहुंच मार्ग में पुलिया निर्माण में खुलेआम किया गया भ्रष्टाचार जनप्रतिनिधियों समेत विभागीय अधिकारियों ने  साधी चुप्पी

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जिला ब्यूरो चीफ सिवनी // देवराज डहेरिया : 94256 51310
सिवनी। जिले के केवलारी विकासखण्ड के अंतर्गत पलारी मैरा से जनपद अध्यक्ष के निवास स्थान रोशान पहुंच मार्ग में पुलिया निर्माण में ठेकेदार द्वारा जमकर भ्रष्टाचार का खेल खेला गया है। जिसमें शासन प्रशासन की उदासीनता साफ झलक रही है। लाख शिकायतों के बावजूद भी भ्रष्ट ठेकेदार की उक्त कार्यप्रणाली को लेकर कोई ठोस कार्यवाही नही की जा रही है।
जिसके परिणामस्वरूप उक्त ठेकेदार के हौंसले बुलंद हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम मैरा से रोशान मार्ग में आर.ई.एस. विभाग द्वारा दो पुलिया निर्माण का कार्य ठेकेदार नीलेश्वर ठाकुर छपारा निवासी द्वारा किया गया है। जिसकी  स्वीकृत राशि क्रमशः 66.17 लाख एवं 60.44 लाख रूप्ये है।
ज्ञात होवे कि उक्त पुलियों का निर्माण आर.ई.एस. विभाग सिवनी के कार्यपालन यंत्री मेश्राम, एस.डी.ओ. खालौनकर एवं उपयंत्री ए.के. पन्द्रे के मार्गदर्शन में किया गया है। उल्लेखनीय है कि जनपद अध्यक्ष केवलारी के गांव रोशान मार्ग पर बनाई गई करोड़ों की लागत की पुलियों में खराब गुणवत्ता के चलते दरारें आ गई है। उक्त कार्यों में मानकस्तर की गुणवत्ता को दरकिनार करते हुये अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की मिलिभगत से ठेकेदार के द्वारा वर्षा ऋतुकाल में आनन-फानन में लीपापोती करते हुये पूर्ण करा दिया गया है।
वहीं बेसबीम में क्रांक्रीट की जगह बड़े-बड़े बोल्डर डालकर रातोंरात पुलियों का निर्माण कार्य किया गया। देखा गया की ठेकेदार द्वारा निर्माण स्थल में किसी भी प्रकार का साईनबोर्ड नही लगाया गया जिसमें उक्त कार्य की स्वीकृत राशि, नक्शा एवं अन्य जानकारियां प्रदर्शित की जाती हैं। जिसकी शिकायत दुर्गेश ठाकुर निवासी रोशान के द्वारा सी.एम. हेल्पलाईन समेत संबंधित विभागों को बार-बार की गई। किन्तु नतीजा सिफर रहा। वहीं दबंग ठेकेदार द्वारा शिकायतकर्ता को पैसों का प्रालोभन देकर की गई शिकायत को वापस लेने को कहा गया।

जिसमें शिकायतकर्ता द्वारा मना करने पर ठेकेदार के द्वारा जान से मारने तथा झूठे मामले में फंसाने की धमकी दी गई। ज्ञात होवे कि जिस दौरान ठेकेदार एवं शिकायतकर्ता के बीच गाली-गलौंच एवं धमकी देने की घटना हुई उस समय संबंधित विभाग के एस.डी. ओ. एवं उपयंत्री, समेत रोशान निवासी रमाशंकर ठाकुर तथा अन्य ग्रामीणजन मौके पर उपस्थित थे। वहीं शिकायतकर्ता द्वारा उक्त घटनाक्रम की शिकायत संबंधित पुलिस चैकी पलारी समेत जिले के आलाधिकारियों को की गई, किन्तु विभागीय अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की सांठ-गांठ तथा ठेकेदार की राजनैतिक पहुंच के चलते उक्त शिकायत की जांच में खानापूर्ति करते हुये धरातल पर आज दिनांक तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है।
सोचनीय विषय यह है कि नियमानुसार निर्माण कार्य मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के मार्गदर्शी सिद्धांतो के अनुरूप तथा कार्य विभाग नियमावली एवं केन्द्रीय लोक लेखा सहिता के प्रावधानों के अनुसार कराया जाना था,  साथ ही कार्य प्रारंभ करने के पूर्व निर्धारित प्रारूप में योजना से संबंधित सूचना फल कार्य स्थल पर लगाया जाना आवश्यक था, एवं निर्माण कार्य स्वीकृत प्राक्कलन एवं तकनीकी स्वीकृति अनुसार किया जाना था, निर्माण कार्य हेतु उपयोग की जाने वाली सामग्री व कार्य की गुणवत्ता का परीक्षण विभाग द्वारा निर्धारित प्रक्रिया अनुसार कराया जाना था। किन्तु उक्त निर्देशों एवं नियमों को ताक में रखकर ठेकेदार द्वारा संबंधित अधिकारियों से आपसी सांठ-गांठ कर पुलिया निर्माण में लीपापोती कर दी गई है।
जिसके परिणाम स्वरूप उक्त पुलियों में दरारें आ गई है। खराब गुणवत्ता से बनी पुलियों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वर्षा ऋतु में पहली बरसात में ही उक्त पुलिया बहकर धराशाही न हो जाये। लेकिन चिंतन का विषय यह है कि ग्रामीणों द्वारा बार-बार शिकायत की जाने के बाबजूद जनप्रतिनिधियों समेत विभाग के आलाधिकारियों द्वारा उक्त ठेकेदार के विरूद्ध कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं की गई। जिससे यह स्पष्ट होता है कि पुलिया निर्माण में किये गये भ्रष्टाचार  में जनप्रतिनिधियों समेत विभाग के आलाधिकारी भी लिप्त हैं।
वहीं रोशान निवासी ग्रामीणों ने कलेक्टर से अपेक्षा जताई है कि अबिलंब स्टाप वेरिफिकेशन कर उक्त पुलिया निर्माण में की गई लीपा पोती की जांच कर भ्रष्ट ठेकेदार समेत विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जावे। अब देखना यह है कि जिले के संवेदनशील कलेक्टर द्वारा उक्त मामले को संज्ञान में लेकर भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाती है? या फिर उन्हे संरक्षण देकर पुनः भ्रष्टाचार के लिये उनके हौंसले बुलंद किये जाते हैं?

Thursday, October 25, 2018

जम्मू-कश्मीरः राफेल डील में फंसे अनिल अंबानी की कंपनी को मिला बीमा का ठेका रद्द, राज्यपाल ने बताया फर्जी

जम्मू-कश्मीरः राफेल डील में फंसे अनिल अंबानी की कंपनी को मिला बीमा का ठेका रद्द, राज्यपाल ने बताया फर्जी
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जम्मू-कश्मीर राज्यपाल ने अनिल अंबानी की कंपनी को मिला बीमा का ठेका रद्द किया
राज्य के 4 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रस्तावित मेडिकल बीमा योजना के लिए अनिल अंबानी की कंपनी को मिले ठेके को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रद्द कर दिया है।
महज एक महीने पहले शुरू हुई इस योजना के ठेके में भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए प्रदेश के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार को इसे रद्द करने का आदेश दे दिया। खबरों के अनुसार इस योजना के लिए अनिल अंबानी की रिलायंस कंपनी को दिये गए ठेके में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं की खबरों को राज्यपाल ने काफी गंभीरता से लेते हुए ये फैसला लिया है।
राज्यपाल ने ठेके को रद्द् करने की घोषणा करते हुए कहा, “मैंने सरकारी कर्मचारियों के लिए जम्मू-कश्मीर ग्रुप मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी को रद्द करने का आदेश दिया है। मैं मामले की तह तक गया और यह ठेका धोखाधड़ी से भरा हुआ था। इस संबंध में औपचारिक आदेश अगले दो दिनों में जारी किये जाएंगे।” उन्होंने नीति के गलत क्रियान्वयन के लिए वित्त विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि ठेका देने की पूरी प्रक्रिया काफी गुप्त रखी गई थी और यहां तक कि एक विशेष कंपनी की सुविधा के लिए छुट्टियों के दिन निविदाएं खोली गई थीं।
दिलचस्प बात ये है कि सत्यपाल मलिक के राज्य का राज्यपाल बनने के फौरन बाद ही उनके प्रशासन द्वारा राज्य के 4 लाख सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को कवर करने के उद्देश्य से प्रस्तावित बीमा योजना का ठेका रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी (आरजीआईसी) को दिया गया था। सत्यपाल मलिक ने कहा, “मैंने मुख्य सचिव से बात की और बीमा कंपनी के साथ अनुबंध को तुरंत वापस लेने का निर्देश दिया।"
गौरतलब है कि बीते 26 सितंबर को राज्य सरकार के वित्त विभाग ने ग्रुप मेडिक्लेम इंश्योरेंस पॉलिसी (जीएमआईपी) के नाम से इस महत्वाकांक्षी बीमा योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत मौजूदा 4 लाख सरकारी कर्मचारियों के अलावा इस योजना में पेशन धारकों और पत्रकारों को भी बीमा सुविधा देने की व्यवस्था की गई थी। लेकिन इसमें बड़े पैमाने पर धांधली उजागर होने के बाद अब इसे रोकने का फैसला किया गया है।
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस बीमा योजना का ठेका अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस को दिये जाने पर सवाल उठाए थे। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा था, “अगर पीएम आपके खास दोस्त हों तो बिना किसी अनुभव के भी आपको 1,30,000 करोड़ रुपये का राफेल ठेका मिल सकता है। इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर के 400,000 सरकारी कर्मचारियों को भी जबरन आपकी कंपनी से स्वास्थ्य बीमा खरीदने के लिए मजबूर किया जाएगा।”
हालांकि इन ठेका दिये जाने में अनियमितता के आरोपों को नकारते हुए जम्मू और कश्मीर सरकार ने कहा था कि अंबानी की कंपनी को ठेका निष्पक्ष तरीके से दिया गया है। सरकार की ओर से कहा गया था कि इस योजना को काफी सोच-विचार और निष्पक्षता के साथ शुरू किया गया है। और कंपनी को ठेका दिए जाने से पहले मुख्य सतर्कता आयुक्त के निर्देशों का पूरा-पूरा पालन किया गया है।

तेजस्वी यादव ने अंग्रेजी में लिखे CBI के इतने नाम, आपके छूट जाएंगे पसीने

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राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव ने सीबीआई के आला अफसर पर लगे आरोपों के बीच बुधवार को बीजेपी पर निशाना साधा. तेजस्वी ने ट्वीट में सीबीआई का कई तरह से नामकरण किया.
तेजस्वी ने कहा, 'सेंट्रल बीजेपी इनट्रूडर्स (CBI) ने करप्ट ब्रोकर्स ऑफ इंडिया (CBI) को बचाने के लिए अपने क्रूक्ड ब्यूरोक्रेट्स ऑफ इनकंपीटेंस (CBI) से क्रिमिनल बार्टर इनटेरोगेशन (CBI) के जरिए केज्ड ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) को हथिया लिया.'
वहीं, लालू यादव ने भी मामले में किसी का नाम लिए बिना क‍हा कि रात के 2 बजे घुप्प काले घने अंधेरे में संविधान के साथ खेला हो रहा है. बाबा साहेब के संविधान पर बुरी नजर रखने वालो, जनता तुम्हारा भला नहीं करेगी.
बता दें कि इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए सीबीआई विवाद पर टिप्पणी की और इसे राफेल विमान डील से जोड़ते हुए मोदी सरकार की आलोचना की. राहुल ने कहा कि सीबीआई डायरेक्टर को इसलिए हटाया गया है क्योंकि उन्होंने राफेल पर सवाल उठाए थे.
राहुल गांधी ने आरोप लगाया, 'कल रात चौकीदार ने सीबीआई के डायरेक्टर को हटाया क्योंकि सीबीआई के डायरेक्टर ने राफेल पर सवाल उठाए थे.'
राहुल ने इस मसले पर ट्वीट भी किए. उन्होंने लिखा, 'पीएम ने सीबीआई निदेशक को राफेल की जांच से रोकने के लिए हटाया. मि. 56 ने कानून तोड़ा, जब उन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और नेता प्रतिपक्ष को बाइपास किया. मि. मोदी, राफेल बेहतरीन रडार से लैस एक खतरनाक विमान है. आप इससे भाग सकते हैं, लेकिन छिप नहीं सकते.'

इससे पहले उन्होंने एक और ट्वीट में लिखा, 'सीबीआई चीफ आलोक वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे. उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया. प्रधानमंत्री का मैसेज एकदम साफ है जो भी राफेल के इर्द गिर्द आएगा, हटा दिया जाएगा, मिटा दिया जाएगा. देश और संविधान खतरे में हैं.

क्या सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को हटाने का फ़ैसला अमित शाह ने लिया.?

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प्रशांत टण्डन
24 अक्तूबर की रात सीबीआई में तख्तापलट की टेलीग्राफ ने जो टाइमलाइन छापी है उसकी शुरुआत होती रात 10 बजे प्रधानमंत्री निवास पर एक बैठक से जिसमे प्रधानमंत्री मोदी के अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित दोवल और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद थे. इसी बैठक के आधे घंटे बाद यानि 10:30 बजे सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को हटाने का फैसला हो जाता है.
जब वर्मा को सीबीआई से हटाया गया तब उनकी मेज पर जिन सात संवेदनशील केसों की फाइले थीं उनमे राफेल घोटाला, कोयला घोटाला में प्रधानमंत्री मोदी के सचिव भास्कर खुल्बे की भूमिका, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया घूस कांड और स्टर्लिंग बायोटेक केस (राकेश अस्थाना का नाम केस में भी है) शामिल हैं. इस सभी घोटालों के तार मोदी और अमित शाह कहीं न कहीं जुड़ते दिखाई देते हैं.
सुप्रीम कोर्ट को इस बात का संज्ञान लेना चाहिये सीबीआई में जो कुछ हुआ उसमे अमित शाह की क्या भागीदारी और दिलचस्पी थी और उन्हे इस महत्वपूर्ण बैठक में किस हैसियत से शामिल किया गया. प्रधानमंत्री गोपनीयता की शपथ लेते हैं – जिस संवेदनशील फैसले में उन्होने अमित शाह को शामिल किया है ये साफ तौर पर गोपनीयता की शपथ का उलंघन है.
आलोक वर्मा सुप्रीम कोर्ट जा चुके हैं और साथ ही राफेल मामले में FIR दर्ज कराने याचिका लेकर प्रशांत भूषण, पूर्व काबिनेट मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी भी अदालत में हैं. सुप्रीम कोर्ट को इन दोनो याचिकायों के जरिये संविधान और कानून की रक्षा तो करनी ही है साथ ही उसे सीबीआई के निदेशक को रातो रात हटाने के फैसले की जांच के आदेश देने चाहिये और खासकर अमित शाह भी भूमिका पर. ये जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिये.

लालू यादव और आसाराम को जेल भिजवाने वाले राकेश अस्थाना कैसे फंसे विवादों में, जानें पूरी कहानी

लालू यादव और आसाराम को जेल भिजवाने वाले राकेश अस्थाना कैसे फंसे विवादों में, जानें पूरी कहानी के लिए इमेज परिणाम
सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की फाइल फोटो.
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सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना की फाइल फोटो.

नई दिल्ली: 23 वर्ष की उम्र में ही आइपीएस(IPS) बन गए थे राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana). नौकरी के दौरान राजनीतिक रूप से रसूखदार हस्तियों के खिलाफ जांचों और उन्हें जेल भिजवाने के चलते जहां हमेशा चर्चा में रहे, वहीं विवादों में भी घिरते रहे. ताजा विवाद हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी मोइन कुरैशी केस में कथित रूप से दो करोड़ रुपये  घूस लेने के आरोपों से जुड़ा है. इस केस में सीबीआई डायरेक्टर के निर्देश पर उनके खिलाफ केस दर्ज होने के बाद से सीबीआई में घमासान मचा हुआ है. इसी बहाने इस अफसर के करियर पर नजर डालना भी मौजू हो उठता है.
आइपीएस की नौकरी करते तब राकेश अस्थाना को करीब 12 साल हुए थे, जब उन्हें एक ऐसा केस मिला, जिसने उन्हें रातोंरात सुर्खियों में ला दिया. यह केस था बिहार में हुए बहुचर्चित चारा घोटाले का. यह घोटाला उस वक्त जगन्नात मिश्रा और लालू यादव के मुख्यमंत्री रहते हुआ था. कहा जाता है कि बिहार में मुख्यमंत्री रहते हुए लालू यादव के रसूख के आगे जब कई अफसर इस केस को हाथ लगाने से डरते थे, तब उस वक्त सीबीआई में एसपी रहे राकेश अस्थाना  ने इस केस को चुनौती के तौर पर लिया और 1996 में लालू यादव के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी.
मुख्यमंत्री होने पर भी लालू यादव से एक, दो नहीं छह-छह घंटे बैठाकर राकेश अस्थाना ने पूछताछ की. कहते हैं कि अब से करीब चार साल पहले ही रिटायर हुए सीबीआई के एक बड़े अफसर उस वक्त लालू यादव के करीबियों में शुमार थे और वह लालू यादव से इस तरह के पूछताछ के खिलाफ थे. मगर उस वक्त उस अफसर के मातहत रहे राकेश अस्थाना ने इसकी कोई परवाह नहीं की और लालू यादव के खिलाफ केस को अंजाम दिलाकर ही माने.
आखिरकार पहली बार लालू यादव को 1997 में जेल जाना पड़ा. जब लालू यादव को अहसास हुआ कि अब गिरफ्तारी तय है, तब उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़कर पत्नी राबड़ी को बैठा दिया था. 36 साल की उम्र में चारा घोटाले में लालू यादव को जेल भिजवाने के बाद राकेश अस्थाना की गिनती तेजतर्रार अफसरों में होने लगी.  धनबाद में जब राकेश अस्थाना भ्रष्टाचार निरोधक शाखा में एसपी थे तो उन्होंने वहां के डीजीएमएस  को घूस लेते गिरफ्तार किया. इस रैंक के अफसर के घूस लेते पकड़े जाने का यह पहला मामला था.
साल 2002, फरवरी की गुलाबी ठंड थी, जब साबरमती ट्रेन जलाने की वारदात हुई. फिर गोधरा दंगा भड़का तो सैकड़ों जानें गईं. उस वक्त दंगे की जांच के लिए गठित हुई स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम(एसआइटी) का राकेश अस्थाना ने नेतृत्व किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक एसआइटी ने कोर्ट में कहा था कि कारसेवकों से भरी ट्रेन को सुनियोजित तरीके से आग के हवाले किया गया.  गोधरा कांड की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में राकेश ने जांच की. इस दौरान उन पर बीजेपी सरकार के इशारे पर काम करने के आरोप लगते रहे. 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में बम धमाका हुआ.
इस केस की 22 दिनों में ही जांच निपटाकर चार्जशीट पेश कर दी.  यही नहीं जब आश्रम की बालिका से रेप के मामले में आसाराम बापू और उसके बेटे नारायण साई फंसे तो इस केस की जांच कर भी राकेश अस्थाना ने अंजाम तक पहुंचाया. गोधरा कांड की जांच के समय से ही विपक्ष मोदी और शाह का नजदीकी होने का आरोप लगाता रहा. हाल में सीबीआई डायरेक्टर के साथ विवाद के बाद राहुल गांधी ने उन्हें पीएम मोदी का चहेता और उनकी नीली आंखों वाला लड़का तक करार दे दिया.

जितने चर्चित, उतने विवादित

आईपीएस राकेश अस्थाना अपने काम की वजह से जितना सुर्खियों में रहे हैं, उतना ही विवादों में भी घिरते रहे हैं. सबसे पहले राकेश अस्थाना विवादों में तब फंसे, जब 2011 में स्टर्लिंग बॉयोटेक कंपनी के यहां छापेमारी के दौरान सीबीआई को एक डायरी मिली थी, जिसमें कई हस्तियों के नाम और उनके सामने रकम का ब्यौरा था. कथित तौर पर उसमें राकेश अस्थाना का नाम होने की बात कही गई और करीब तीन करोड़ रुपये धनराशि का जिक्र मिला था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस डायरी के आधार पर बाद में सीबीआई ने कंपनी के प्रमोटर्स के खिलाफ केस दायर किए थे, हालांकि आईपीएस राकेश अस्थाना का नाम एफआईआर में नहीं था.

सीबीआई में नियुक्ति पर उठे थे सवाल

इसके बाद जब राकेश अस्थाना सीबीआई में स्पेशल डायरेक्टर की नियुक्ति पर सवाल उठे. बाद में जब उन्हें कुछ समय के लिए निदेशक का भी अतिरिक्त कार्यभार मिला तो  एनजीओ कॉमन कॉज ने उनकी सीबीआई में नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट में दरवाजा खटखटाया था. कहा था कि 2011 के स्टरलिंग बॉयोटेक में छापे के दौरान बरामद डायरी में राकेश अस्थाना का नाम सामने आया था. इस कंपनी के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग मामले में जांच चल रही थी. भले इस मामले में अस्थाना के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं हुआ, मगर जांच एजेंसी के रडार पर वह आ गए थे. लिहाजा उन्हें निदेशक नहीं बनाया जाना चाहिए. बहरहाल, बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और विपक्ष के नेता वाली नियुक्ति कमेटी ने आलोक वर्मा को सीबीआई का नया चीफ नियुक्त किया. मगर राकेश अस्थाना और सीबीआई के चीफ आलोक वर्मा में मतभेद अब खुलकर सामने आ गए हैं.

जेएनयू से की है पढ़ाई

पारिवारिक पृष्ठिभूमि और शिक्षा-दीक्षा की बात करें तो 1961 में रांची में पैदा हुए. झारखंड के नेतरहाट स्कूल से शुरुआती पढ़ाई-लिखाई हुई. पिता शिक्षक रहे. सेंट जेवियर्स कॉलेज से माध्यमिक स्तर की शिक्षा लिए. फिर दिल्ली पहुंचे. जेएनयू से पढ़ाई की. इसके बाद संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी करने लगे. पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में बाजी मारी. आईपीएस बने और 1984 में गुजरात काडर मिला.

पुलिस ने पकडा हजारो का जुआ 9 जुआरी गिरफ्तार, हिंगलाज मंदिर के पास चल रहा था जुआ


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होशंगाबाद । पुलिस कप्तान अरविंद सक्सेना के मागॅदशॅन मे एव एएसपी राकेश खाखा के नेतृत्व मे व एसडीओपी मोहन सारवान के कुशल निर्देशन मे एसडीओपी स्क्वाड ने हिंगलाज मंदिर के पास से आधा दर्जन से ज्यादा जुआरियो को गिरफ्तार कर उनके पास से  6, 340/ रूपये नगद व ताश की गड्डी जप्त की ततसबंध मे एसडीओपी मोहन सारवान ने बताया कि जुआरियो मे सोमेश मिश्रा, गोकुल पवार, विष्णुवर्मा, मनीष अग्रवाल, शाहरुख , कुलदीप राठौर, सचिन श्रीवास, रोहन तिवारी, यश राठौर आदि को गिरफ्तार किया गया । सूत्रो की माने तो कुछ रसूखदार मौके से भागने मे  भी सफल हो गए ।

Wednesday, October 24, 2018

जब संविधान की धज्जियाँ उड़ती हैं, तब रात को जूते की टाप सुनाई देती है।

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जब भारत की जनता गहरी नींद में सो रही थी, तब दिल्ली पुलिस के जवान अपने जूते की लेस बाँध रहे थे। बेख़बर जनता को होश ही नहीं रहा कि पुलिस के जवानों के जूते सीबीआई मुख्यालय के बाहर तैनात होते हुए शोर मचा रहे हैं। लोकतंत्र को कुचलने में जूतों का बहुत योगदान है। 

जब संविधान की धज्जियाँ उड़ती हैं, तब रात को जूते बाँधे जाते हैं। पुलिस के जवान सीबीआई दफ्तर को घेर लेते हैं। रात के पौने एक बज रहे होते हैं। वैसे अंग्रेज़ों में वह गुडमार्निंग कहने का होता है। हम रात को रात कहते हैं। मुल्क पर काली रात का साया गहरा गया है। तभी एक अफ़सर जो शायद जागा हुआ था, उस कुर्सी पर बैठने के लिए घर से निकलता है जिस कुर्सी पर बैठे आलोक वर्मा ने उसके ख़िलाफ़ CVC यानी केंद्रीय सतर्कता आयुक्त से गंभीर आरोपों में जाँच की अर्ज़ी दी है। CVC के वी चौधरी एम नागेश्वर राव को सीबीआई का नया चीफ़ बनाने का रास्ता साफ़ कर देते हैं। 

एम नागेश्वर राव अपने नंबर वन चीफ़ आलोक वर्मा को हटाने के आदेश देते हैं जिसे छुट्टी पर भेजना कहते हैं। आलोक अस्थाना जिनकी गिरफ़्तारी की अनुमति माँगी गई थी उन्हें भी हटा दिया जाता है। काली रात के बंद कमरे में बारह अफ़सरों को मुख्यालय से बाहर भेजने के आदेश पर दस्तखत होते हैं। नींद में सोई जनता करवट बदल लेती है। तख्ता पलट हो जाता है।

हम जिन आहटों की बात करते रहे हैं, वो सुनाई दें इसलिए जूतों ने वफ़ादारी निभाई है। अब आप पर है कि आप उन जूतों का इशारा समझ पाते हैं या नहीं। मदहोश जनता और ग़ुलाम मीडिया आँखें बंद कर लेती है। शहशांह का इंसाफ़ शहंशाह के लिए होता है। शहंशाह ने अपने लिए इंसाफ़ कर लिया।

दि वायर में स्वाति चतुर्वेदी ने लिखा है कि सीबीआई के इतिहास में कभी नहीं हुआ कि इंस्पेक्टर जनरल( IG) को चीफ़ बना दिया गया। स्वाति ने लिखा है कि वर्मा ने प्रधानमंत्री कार्यालय के क़रीबी यानी जिगरी राकेश अस्थाना के गिरफ़्तारी की अनुमति माँगी थी और वे रफाल डील मामले में जाँच की तरफ़ बढ़ने लगे थे। प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी से मिल लेने की ख़बर से सरकार रातों को जागने लगी। दिन में प्रधानमंत्री के भाषणों का वक़्त होता है इसलिए ‘इंसाफ़’ का वक़्त रात का चुना गया। आधी रात के बाद जब जब सरकारें जागीं हैं तब तब ऐसा ही ‘ इंसाफ़’ हुआ है। जूतों की टाप सुनाई देती है।

जनवरी 2017 में आलोक वर्मा को एक कोलिजियम से दो साल के लिए सीबीआई का चीफ़ बनाया गया। आलोक वर्मा का कार्यकाल अगले साल फ़रवरी तक था। इस कोलिजियम में चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया भी थे। जब आलोक वर्मा को हटाया गया तब कोई कोलेजीयम नहीं बना। चीफ़ जस्टिस आफ इंडिया तक को नहीं बताया गया। जब आलोक वर्मा को हटाकर एम नागेश्वर राव को चीफ़ बनाया गया तब इसके लिए कोई कोलिजियम नहीं बनाया गया। चीफ़ जस्टिस आफ इंडिया की कोई भूमिका ही नहीं रही। आलोक वर्मा ने प्रधानमंत्री के ‘इंसाफ़’ के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ की अपील की है।

आप हिन्दी के पाठकों की हत्या अगर हिन्दी के अख़बारों और चैनलों ने नहीं की होती तो आपको पता होता कि अगस्त महीने में जब सीबीआई लंदन की अदालत में अपने दस्तावेज लेकर पहुँची कि इन गवाहों के बयान के आधार पर विजय माल्या को भारत ले जाना ज़रूरी है तब उन सात गवाहों के बयान पर दस्तखत ही नहीं थे। विजय माल्या 36 सूटकेस लेकर भागा था। स्वाति चतुर्वेदी ने दि वायर में इसे रिपोर्ट किया था।

विजय माल्या ने तभी तो कहा था कि भागने से पहले जेटली से मिला था। जेटली ने खंडन किया। राहुल गांधी ने दस्तावेज़ो के साथ आरोप लगाया कि जेटली की बेटी दामाद के लॉ फ़र्म को माल्या ने फ़ीस दी थी जो उसके भागने को विवाद के बाद लौटा दी गई। एक नैतिक सवाल उठाया गया था मगर तमाम अख़बारों ने इसे जनता तक पहुँचने से रोक दी। जब ख़बरों के पर क़तरे जाते हैं तब जनता के ही पर क़तरे जाते हैं। पाँव परिंदों के कटते हैं और ख़ून जनता का बहता है।

राकेश अस्थाना जो एक वीडियो में ख़ुद को सरदार पटेल के जैसा बता रहे हैं, 2016 में आर के दत्ता को हटाकर सीबीआई में लाए गए थे। इनके बारे में आलोक वर्ना ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी फ़रियाद में कहा है कि यह आदमी अफ़सरों के बहुमत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ जाकर काम करता है और केस को कमजोर करता है। आलोक वर्मा ने कहा है कि वह ऐसे केस की डिटेल दे सकते हैं।

सवाल उस सीवीसी से है, जिसके पास अस्थाना और राव की शिकायतें थीं। धीमी गति के समाचार की तरह काम करने से सवालों से बचने का मौक़ा मिल जाता है। सीवीसी अपने कर्तव्य के निर्वाहन में फ़ेल रही इसलिए सबसे पहले के वी चौधरी को बर्खास्त करना चाहिए था मगर चौधरी ने ‘चौधरी’ की लाज रख ली! जब अस्थाना मामले की शिकायत पहुँची तब सीवीसी ने क्या किया? जाँच शुरू की?

इंडियन एक्सप्रेस के सुशांत सिंह की ख़बर है। जब अस्थाना ने आलोक वर्मा की शिकायत की तो सीबीआई से दस्तावेज माँगे गए। सीबीआई ने कहा कि अस्थाना ने क्या शिकायत की वो तो बताइये मगर सीवीसी ने नहीं बताया। सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर ने नौ अक्तूबर को सीवीसी को पत्र लिखकर पूछा था।

इस मामले में वित्त मंत्री जेटली बयान दे रहे हैं। दो अफसरो ने एक दूसरे पर आरोप लगाए हैं। संस्था का मज़ाक़ उड़ने नहीं दिया जा सकता था। यह ज़रूरी था कि दोनों के आरोपों की जाँच के लिए एस आई टी बने और इन्हें अपने प्रभावों से दूर रखा जाए। विनीत नारायण बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि सीबीआई के निदेशक का कार्यकाल तय समय के लिए स्थायी होगा। अगर विशिष्ठ परिस्थिति में तबादला करना भी होगा तब चयन समिति से अनुमति लेनी होगी। क्या अनुमति ली गई ?

अस्थाना कोर्ट में हैं। आलोक वर्ना कोर्ट में हैं। एक डीएसपी जेल में है। और सरकार का आदमी सीबीआई के भीतर है।
इस मामले में इंसाफ़ हो चुका है। अब और इंसाफ की उम्मीद न करें। आइये हम सब न्यूज़ चैनल देखें। वहाँ सर्वे चल रहे हैं। बीजेपी की सनातन जीत की घोषणा हो रही है। चैनलों पर आपकी बेहोशी का इंजेक्शन फ्री में मिल रहा है। आइये हम सब संविधान के बनाए मंदिरों को ढहता छोड़ कर अयोध्या में राम मंदिर बनाने पर बहस करें। ओ मेरे भारत की महान जनता, जब संविधान के बनाए मंदिरों को तोड़ना ही था तो आज़ादी के लिए डेढ़ सौ साल का संघर्ष क्यों किया?

6 हजार 202 वाहनों का दुरूपयोग करने पर प्रकरण पंजीबद्ध : मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री व्ही.एल. कान्ता राव के लिए इमेज परिणाम
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भोपाल ।  मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी श्री व्ही.एल. कान्ता राव ने बताया कि आदर्श आचरण संहिता लगने के बाद 6 अक्टूबर से 23 अक्टूबर 2018 तक प्रदेश में कानून एवं सुरक्षा व्यवस्था के लिये 15 हजार 390 गैर जमानती वारंट तामील कराये गये है। 1514 अवैध हथियार जब्त किये गये है। 2 लाख 9 हजार 19 शस्त्र थानों में जमा कराये गये है। 40 हजार 613 लोगो पर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की गई है।
सम्पत्ति विरूपण के अन्तर्गत 13 लाख 19 हजार 169 प्रकरण पंजीबद्ध किये गये है। जिनमें से 12 लाख 76 हजार 674 प्रकरणों में कार्यवाही की गयी। शासकीय सम्पत्ति विरूपण में 10 लाख 49 हजार 572 प्रकरण पंजीबद्ध कर 10 लाख 24 हजार 925 प्रकरणों में कार्यवाही की गई। निजी सम्पत्ति विरूपण के अंतर्गत 2 लाख 69 हजार 597 प्रकरण पंजीबद्ध कर 2 लाख 51 हजार 749 प्रकरणों में कार्यवाही की गई।
वाहनों के दुरूपयोग पर 6 हजार 202 प्रकरण पंजीबद्ध किये गये हैं।

किसका गिरेगा विकेट, किसको मिलेगी टिकिट, विधानसभा चुनाव 2018 नरसिंहपुर बोहानी गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र

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ब्यूरो चीफ गाडरवाराजिला नरसिंहपुर // अरुण श्रीवास्तव : 91316 56179
नरसिंहपुर-चुनावी चर्चा में इन दिनों भाजपा में मची खलबली की चर्चा गली चौराहों पर हो रही है,इन चर्चाओं में जिले की चार विधानसभा सीटों में से दो सीटों पर भाजपा के दिग्ग्गज नेता माने जाने बाले नेता वर्तमान में काबिज हैं, नरसिंहपुर विधानसभा सीट से मध्यप्रदेश शासन के राज्यमंत्री जालम सिंह पटेल विधायक हैं, एवं तेंदूखेड़ा विधानसभा से संजय शर्मा विधायक हैं, पिछले विधानसभा चुनावों में भारी मतों से विजयी होने के कारण दोनों ही प्रत्यासी 2018 विस् चुनाव के लिए भी दमदार प्रत्यासी माने जा रहे हैं,
 
लेकिन पार्टी के अंदारखानो में चल रही उथल पुथल की माने तो दोनों ही दिग्गजों की टिकिट काटे जाने के तेज प्रयास हो रहे हैं,नरसिंहपुर की बात करें तो यहाँ लगभग आधा दर्जन दावेदार नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र से अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं,जिसमे पहला नाम भाजपा के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में सांसद प्रतिनिधि नीरज महाराज का है,इसके बाद इंजी अजय प्रताप पटेल,लघु वनोपज संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेंद्र गिरी गोस्वामी,वरिष्ठ भाजपा नेता छतरसिंह पटेल,एवं राजीव ठाकुर के साथ साथ राज्यसभा सांसद कैलाश सोनी का नाम भी शामिल है
 
इन नामो पर बीते दिनों भाजपा कार्यालय में हुई रायशुमारी में भी की गई,हालाँकि जालम सिंह पटेल पिछले विस् चुनाव में लगभग 50000 वोटों से जीत दर्ज कराने बाले प्रत्यासी हैं,ऐंसे में बगैर किसी ठोस वजह के उनका नाम काटा जाना बेहद ही मुश्किल प्रतीत होता है, अब देखना होगा की यदि किसी वजह से जालम सिंह पटेल  का नाम कटता है तो नरसिंहपुर विधानसभा की टिकिट किसकी झोली में गिरती है।
 
अब यदि तेंदूखेड़ा विधानसभा की बात की जाए तो चर्चाओं के अनुसार तेंदूखेड़ा विधानसभा से वर्तमान में होसंगबाद संसदीय क्षेत्र से सांसद राव उदय प्रताप सिंह एवं तेंदूखेड़ा विधायक के बीच पार्टी असमंजस में है,आपको बता दें कि सांसद राव उदय प्रताप सिंह कांग्रेस से तेंदूखेड़ा के विधायक बने इसके बाद कांग्रेस से ही सीधे सांसद का चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की लेकिन बाद में कांग्रेस को छोड़कर चुनाव के पहले भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा से सांसद का चुनाव जीता,इस प्रकार उनकी छवि जिताऊ प्रत्यासी की तो है,लेकिन गली चौराहे की चर्चा की माने तो संजय शर्मा ही तेंदूखेड़ा विधानसभा की पहली पसंद माने जा रहे हैं।

विधायक संजय शर्मा ही होंगे तेंदूखेड़ा विधानसभा के प्रत्यासी - नीरज महाराज

सूत्रों की माने तो सांसद भी दवी जुवान से तेंदूखेड़ा विधानसभा से टिकिट मांग रहे हैं,लेकिन सांसद प्रतिनिधि नीरज महाराज ने इस बात का खंडन किया है। हाल ही में एक मीडिया इंटरव्यू में सांसद प्रतिनिधि नीरज महाराज ने कहा कि तेंदूखेड़ा विधानसभा से लोकप्रिय विधायक संजय शर्मा भाजपा के प्रत्याशी होंगे,उन्होंने कहा कि सांसद जी ने कभी नहीं कहा कि वे विधानसभा चुनाव लड़ने के इक्क्षुक है,इतना ही नहीं उन्होंने नरसिंहपुर विधायक एवं राज्यमंत्री जालम सिंह पटेल की भी तारीफ़ करते हुए कहा कि राज्यमंत्री नरसिंहपुर विधायक जालम सिंह पटैल हमेशा सहयोग करते हैं,जिले के लोकप्रिय विधायक है मंत्री जी हमारे संबंध मधुर हैं।

बहरहाल टिकिट किसे मिलती है,और किसे नही किसकी बात में कितनी सच्चाई है

 इसके बाद यही स्थिति गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र की है जहां से गोविंद सिंह पटेल विधायक हैं जो कि पिछले चुनाव में भारी मतों से विजयी हुए थे आज चुनाव में भा जा पा मैं भी  कई दावेदार टिकट प्राप्त करने की दौड़ में शामिल है जिसमें वर्तमान विधायक गोविंद से पटेल के अलावा जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष वीरेंद्र फौजदार पूर्व विधायक नरेश पाठक जिला पंचायत सदस्य गौतम सिंह पटेल साले चौका से प्रखर राय संदीप पलोड शामिल है अब देखना है कि भा जा पा किस को अपना उम्मीदवार बनाती है यह समय की गर्त में है लेकिन इन विधानसभा चुनाव में  उठापटक होने की संभावना है

अबकारी विभाग की ताबातोड़ कार्रवाई से अवैध मदिरा विक्रेता है हैरान-परेशान 20000 की शराब जप्त




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ब्यूरो चीफ ढीमरखेड़ा जिला कटनी // रमेश कुमार पांडे : 95895 76205
ढीमरखेड़ा। विधानसभा निर्वाचन 2018 के मद्देनजर अवैध मदिरा धारण परिवहन एवं संग्रहण तथा विक्रय के विरुद्ध चलाए जा रहे सघन तलाशी अभियान के अंतर्गत वृत कटनी क्रमांक 1 महेंद्र शुक्ला आबकारी उप निरीक्षक कटनी द्वारा नीलू आत्मज सुखदेव प्रसाद कलार निवासी पिपरौध से 13 पाव देशी मदिरा मसाला, फूलबाई पति भस्सू कोल निवासी पीर बाबा से 12 पाव देसी मदिरा मसाला, वृत्त कटनी क्रमांक -2 मोना दुबे द्वारा वृत्त बिजराघवगढ़ मैं अभिषेक सिंह बघेल द्वारा विनोद पटेल आत्मा राकेश पटेल निवासी सिंगवारा से 3 लीटर हाथ भट्टी मदिरा एवं लखन सिंह आत्मा रमेश सिंह से 3 तीन लीटर हाथ भट्ठी मंदिरा तथा 200 किलोग्राम महुआ लहान तथा वृत्त बड़वारा मैं आबकारी उप निरीक्षक रजनीश त्रिपाठी द्वारा
रमेश आत्मज राजमणि पटेल निवासी कुम्हारवारा से 01 लीटर हाथ भट्टी मंदिरा व 200 किलोग्राम महुआ लहान तथा रघुवीर आत्मा रामविलास पटेल निवासी लोहरवारा से 01 लिटर हाथ भट्टी मदिरा, 60 किलोग्राम महुआ लहान तथा वृत्त ढीमरखेड़ा में आबकारी उप निरीक्षक सतीश कुमार भुर्रा द्वारा परसराम आत्मा फूलचंद लोधी से 11 पाव देसी मदिरा प्लेन तथा राजू सिंह आत्मज अमर सिंह ठाकुर निवासी तिलमन से 0 9 पाव देसी मदिरा प्लेन वृत्त स्लीमनाबाद मैं अभिषेक सिंह बघेल द्वारा दो प्रकरणों में 0 6 लीटर हाथ भट्टी मंदिरा जप्त की गई इसी प्रकार वृत्त बहोरीबंद कैलाश सिंह जामोद द्वारा 06 प्रकरण बनाई गई मंजू पति किशोर से 0 2 लीटर मदिरा व 200 किलोग्राम महुआ लहान तथा सब्बो बाई पति प्रदीप कुचबंदिया से 02 लीटर हाथ भट्टी मदिरा व 200 किलोग्राम महुआ लहान, घीसल काछी आत्मज हीरालाल काछी से 03 लीटर हाथ भट्टी मदिरा तथा 60 किलोग्राम महुआ लहान जप्त किया गया उक्त कार्यवाही मैं समस्त आबकारी मुख्य आरक्षक व आबकारी आरक्षक का कार्यवाही में विशेष सराहनीय योगदान रहा।

इनका कहना

मेरे क्षेत्र में कहीं से भी अवैध मदिरा विक्रेताओं की गोपनीय सूचना मिलते ही शीघ्र कार्यवाही होगी।
आर.पी.किरार
जिला आबकारी अधिकारी कटनी

आडवाणी, जोशी, शत्रुघ्न नहीं रहे भाजपा के स्टार प्रचारक

आडवाणी, जोशी, शत्रुघ्न नहीं रहे भाजपा के स्टार प्रचारक
आडवाणी, जोशी, शत्रुघ्न नहीं रहे भाजपा के स्टार प्रचारक
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और डॉ. मुरलीमनोहर जोशी अब पार्टी के स्टार प्रचारक भी नहीं रहे हैं। पार्टी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए अपने 40 स्टार प्रचारकों के नाम घोषित किए हैं जिनमें इन दोनों नेताओं के अलावा सांसद एवं ...

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और डॉ. मुरली मनोहर जोशी अब पार्टी के स्टार प्रचारक भी नहीं रहे हैं। पार्टी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए अपने 40 स्टार प्रचारकों के नाम घोषित किए हैं जिनमें इन दोनों नेताओं के अलावा सांसद एवं सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा का नाम नहीं है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि भाजपा ने चुनाव आयोग को छत्तीसगढ़ के लिए अपने स्टार प्रचारकों की सूची सौंप दी है जिसमें शीर्ष स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और दूसरे नंबर पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह हैं। सूची में पांच राज्यों के मुख्यमंत्री और 12 केन्द्रीय मंत्री शामिल हैं। छत्तीसगढ़ में बिहार से गए लोगों को आकर्षित करने के लिए शत्रुघ्न सिन्हा की बजाय दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष एवं जाने माने भोजपुरी गायक मनोज तिवारी को स्टार प्रचारक बनाया गया है।
सांसद एवं सिने अभिनेत्री हेमा मालिनी स्टार प्रचारकों में अपनी जगह बरकरार रखे हुए हैं। सूत्रों के अनुसार पार्टी के बुजुर्ग नेता एवं मार्गदर्शक मंडल के सदस्य आडवाणी एवं डॉ. जोशी के नाम स्टार प्रचारकों की सूची में नहीं है। पार्टी नेतृत्व से बागी चल रहे शत्रुघ्न सिन्हा को स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर करके संदेश दे दिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास और स्वयं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ केन्द्रीय मंत्रियों में राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी, उमा भारती, स्मृति ईरानी, धर्मेन्द्र प्रधान, जुएल ओरांव, रविशंकर प्रसाद, जगत प्रसाद नड्डा, केन्द्रीय राज्य मंत्री विष्णुदेव साय और रामकृपाल यादव स्टार प्रचारक बनाया गया है।

हत्या के आरोपी हुए दोषमुक्त, पुलिस ने संदेह के दायरे में किया था गिरफ्तार

जिला अदालत BHOPAL के लिए इमेज परिणाम
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भोपाल। आज जिला अदालत भोपाल में बिलखिरिया थाने के अपराध क्रमांक 34 /15 में अपर सत्र न्यायाधीश श्री रविंद्र कुमार भद्र सेन द्वारा धारा 302, 397, 34 भारतीय दंड विधान में निर्णय पारित किया गया है जिसमे हत्या के आरोपी को दोषमुक्त किया गया. यह मामला वर्ष 2015 में प्रस्तुत किया गया। 

अधिवक्ता श्री अशोक विश्वकर्मा

मामला वर्ष 2015 का है उक्त हत्या के मामले में आरोपी को पुलिस ने संदेह के दायरे में गिरफ्तार कर हत्या का मामले में पप्पू मेहताब अभियुक्त बनाया था एवं दो अन्य आरोपी शिवराज और राहुल को भी आरोपी बनाया था, उक्त प्रकरण के निराकरण में 3 वर्ष का समय लग गया. इस प्रकरण में अभियोजन पक्ष की मुख्य दलील यह दी थी कि मृतक प्रहलाद मीणा का मोबाइल मुख्य आरोप पप्पू मेहताब ने लूटकर मृतक कि मृत्यु की है
और उस मोबाइल में प्रयुक्त सिम पप्पू के भाई की थी जिसका उपयोग आरोपी पप्पू मेहताब करता था तत्कालीन थाना प्रभारी टी़ सप्रे द्वारा क्राइम ब्रांच एवं साइबर सेल की मदद से मृतक के मोबाइल में सिम की कॉल डिटेल निकलवा कर प्रस्तुत की थी जिस पर अभियोग पक्ष की दलील ना मानते हुए एवं बचाव पक्ष के अधिवक्ता श्री अशोक विश्वकर्मा ने तर्क दिया कि थाना प्रभारी अथवा विवेचना अधिकारी प्रमाणित कर या सत्यापित करे
और अगर कोई विवेचक ऐसा करता है तो वह विधि अनुरूप बचाव पक्ष के अधिवक्ता श्री अशोक विश्वकर्मा द्वारा अभियोजन द्वारा प्रस्तुत सभी 34 अभियोजन साथियों का प्रति परीक्षण किया एवं 54  दस्तावेजो को पादृश कराया था वचाव पक्ष के अधिवक्ता श्री अशोक के तर्को के आगे अभीयोजन की एक भी दलील न चली सकी और अपर सत्र न्यायाधीश श्री रविंद्र कुमार भद्र सेन ने आरोपियो निर्दोष पाते हुए सभी आरोपी दोष मुक्त कर दिया।    

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‘‘ANI NEWS INDIA’’ सर्वश्रेष्ठ, निर्भीक, निष्पक्ष व खोजपूर्ण ‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया ऑनलाइन नेटवर्क’’ हेतु को स्थानीय स्तर पर कर्मठ, ईमानदार एवं जुझारू कर्मचारियों की सम्पूर्ण मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले एवं तहसीलों में जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / पंचायत स्तर पर क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों / संवाददाताओं की आवश्यकता है।

कार्य क्षेत्र :- जो अपने कार्य क्षेत्र में समाचार / विज्ञापन सम्बन्धी नेटवर्क का संचालन कर सके । आवेदक के आवासीय क्षेत्र के समीपस्थ स्थानीय नियुक्ति।
आवेदन आमन्त्रित :- सम्पूर्ण विवरण बायोडाटा, योग्यता प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार के स्मार्ट नवीनतम 2 फोटोग्राफ सहित अधिकतम अन्तिम तिथि 30 मई 2019 शाम 5 बजे तक स्वंय / डाक / कोरियर द्वारा आवेदन करें।
नियुक्ति :- सामान्य कार्य परीक्षण, सीधे प्रवेश ( प्रथम आये प्रथम पाये )

पारिश्रमिक :- पारिश्रमिक क्षेत्रिय स्तरीय योग्यतानुसार। ( पांच अंकों मे + )

कार्य :- उम्मीदवार को समाचार तैयार करना आना चाहिए प्रतिदिन न्यूज़ कवरेज अनिवार्य / विज्ञापन (व्यापार) मे रूचि होना अनिवार्य है.
आवश्यक सामग्री :- संसथान तय नियमों के अनुसार आवश्यक सामग्री देगा, परिचय पत्र, पीआरओ लेटर, व्यूज हेतु माइक एवं माइक आईडी दी जाएगी।
प्रशिक्षण :- चयनित उम्मीदवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण भोपाल स्थानीय कार्यालय मे दिया जायेगा, प्रशिक्षण के उपरांत ही तय कार्यक्षेत्र की जबाबदारी दी जावेगी।
पता :- ‘‘ANI NEWS INDIA’’
‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया नेटवर्क’’
23/टी-7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, प्रेस काम्पलेक्स,
नीयर दैनिक भास्कर प्रेस, जोन-1, एम. पी. नगर, भोपाल (म.प्र.)
मोबाइल : 098932 21036


क्र. पद का नाम योग्यता
1. जिला ब्यूरो प्रमुख स्नातक
2. तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / हायर सेकेंडरी (12 वीं )
3. क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
4. क्राइम रिपोर्टरों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
5. ग्रामीण संवाददाता हाई स्कूल (10 वीं )

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