प्रतिनिधि// उदय सिंह पटेल (जबलपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम) 93298 48072
उल्टा चोर कोतवाल को डॉटे, इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया शासकीय महाविद्यालय सिहोरा के ओम प्रकाश उर्फ ओ.पी.दुबे, उच्चश्रेणी लिपिक ने। इस कहानी के जानकार शासकीय कला महाविद्यालय पनागर जिला जबलपुर में कार्यरत एक कर्मचारी ने ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ को लिखित जानकारी में बताया कि, घटना वर्ष 1999 की है। उस समय आरोपी ओ.पी. दुबे उच्च श्रेणी लिपिक के पद पर शासकीय कला महाविद्यालय पनागर में पदस्थ था। और उस समय उसके पास कैश का भी प्रभार था। जानकारी में बताया गया है, कि आरोपी ओमप्रकाश उर्फ ओ.पी. दुबे की नियत खराब हो गई और उसने अपनी प्लानिंग अनुसार गंभीर अपराध करने की ठान कर दस्तावेजों में हेराफेरी की और 58,357=85 (अन्ठानवन हजार, तीन सौ सन्तावन रूपये पच्चयासी पैसे) नगद राशि का गबन किया और लम्बे अवकाश पर वहां से भाग गया। जिसकी विभागीय जांच अभी भी चल रही है। अत: उक्त घटना के संदर्भ में सिहोरा ''टाइम्स ऑफ क्राइम'' ने विगत 14 जनवरी 2010 को छापकर प्रकरण के आरोपी ओ.पी. दुबे उच्च श्रेणी लिपिक की पोल खोल दी जिस कारण आरोपी बुरा मान गया और उसने गुस्से से भगड़ कर क्राइम रिपोर्टर को जेल भिजवाने की धमकी दी और म.प्र. हाईकोर्ट के वकील के माध्यम से धमकी भरा नोटिस भेजकर क्राइम रिपोर्टर को डराया धमकाया उल्लेखनीय है। कि उक्त घटना की रिपोर्ट लिखाने शासकीय कला महाविद्यालय पनागर की प्राचार्य स्व. श्रीमती कीर्ति गुरू पुलिस थाना पनागर गई थी। किन्तु आरोपी ओ.पी. दुबे के भाई सहायक पुलिस उपनिरीक्षक के दबाव के कारण आरोपी के खिलाफ पनागर पुलिस ने उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी। जानकारी में आगे बताया गया है। कि मजबूरन प्राचार्य श्रीमती गुरू ने घटना की शिकायत पुलिस अधीक्षक जबलपुर तथा आयुक्त उच्च शिक्षा म.प्र. शासन भोपाल को रजिस्टर्ड डाक से प्रेषित की थी। ज्ञात हो कि पुलिस अधीक्षक जबलपुर को भेजी गई शिकायत पर पनागर पुलिस ने घटना को गंभीरता से नहीं लिया केवल कागजी खाना पूर्ति कर मामले का खात्मा कर दाखिल दफ्तर कर दिया। बात आश्चर्य की है, कि शासकीय कला महाविद्यालय पनागर के कैश प्रभारी ने 58,357=85 नगद राशि का गबन किया और पनागर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया इस बात से जाहिर है आरोपी ऊंची पहुंच वाला व्यक्ति है। उल्लेखनीय है कि शिकायत पर विभागीय जांच पर आयुक्त उच्चशिक्षा म.प्र. शासन भोपाल ने आरोपी ओ.पी. दुबे उगा श्रेणी लिपिक को घटना का दोषी माना है और विगत 6 दिसम्बर 2008 को पदच्युत करने का आदेश पारित किया। किन्तु आरोपी ने उक्त आदेश के खिलाफ ऊंची छलांग लगाई और डॉ. महेन्द्र सिंह रघुवंशी उपसचिव उच्चशिक्षा विभाग के दरबार में पहुंच कर आयुक्त द्वारा पारित आदेश दिनांक 6 दिसंबर 2008 निरस्त करा लिया और सत्यवादी हरिश्चंद बन गया उल्लेखनीय है कि घटना के संदर्भ में ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ ने प्राचार्य शासकीय महाविद्यालय सिहोरा से संपर्क किया तब चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि आरोपी ओ.पी.दुबे चार्ज के लिये उन पर भारी दवाब डालता है और उन्हें धमकाता है। ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ के पूंछने पर कि क्या.? आरोपी ओ.पी. दुबे उच्चश्रेणी लिपिक, अल्प वेतन भोगी कर्मचारी की श्रेणी में आता है, इस सवाल पर प्राचार्य ने अपने जवाब में कहा कि आरोपी दुबे उच्चश्रेणी लिपिक हैं, जो अच्छे वेतनमान की श्रेणी में आता है। आरोपी दुबे अल्प वेतन भोगी कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आता। घटना के जानकारों का मानना है, कि डॉक्टर श्री रघुवंशी उप सचिव उच्चशिक्षा विभाग मंत्रालय ने आरोपी ओ.पी. दुबे उच्च श्रेणी लिपिक को अल्प वेतन भोगी कर्मचारी माना है। जो नियम तथा कानून के विपरीत हैं। इस प्रकार अपने आदेश में प्राचार्य श्रीमती गुरू के द्वारा पनागर थाने में घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कही गई है। जबकि पुलिस थाना पनागर ने उक्त घटना की रिपोर्ट नहीं लिखी। इसलिये उप सचिव उच्चशिक्षा विभाग मंत्रालय द्वारा पारित आदेश दिनांक-2 दिवसंबर 2009 त्रुटि पूर्ण एवं संदिग्ध माना जा रहा है आरोपी अपना सौभाग्य ही समझे कि उसके भाई सहायक पुलिस उपनिरीक्षक जिसने अपनी वर्दी का दुरूपयोग किया और पनागर पुलिस पर अनुचित दबाव डालकर प्रकरण को प्रभावित कर आरोपी ओ.पी. दुबे को पुलिस के चंगुल से छुड़ाया। उक्त घटना की लिखित जानकारी, तथा आयुक्त उच्चशिक्षा संचालनालय भोपाल एवं उपसचिव उगा शिक्षा विभाग मंत्रालय के आदेशों की प्राप्त फोटो कॉपी के आधार पर विगत 14 जनवरी 2010 को आरोपी ओ.पी. दुबे के विरोध में प्रथम प्रकाशन किया गया था, सिहोरा ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ रिपोर्टर का आरोपी ओ.पी. दुबे उच्च श्रेणी लिपिक की मानहानी करने का कतई इरादा नहीं था। और न ही उसका किसी से कोई लेना देना है। नगर में चर्चा है कि आरोपी अपने आपको धन बल से सम्पन्न ऊंची हस्ती मानता है, उसका दावा है कि उस पर लगाये गये आरोप को साम-दाम दण्ड भेद की नीति से समाप्त करवा लेगा। इस प्रकरण के संदर्भ में मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ सिहोरा इकाई ने प्रदेश शासन के मुखिया मुख्यमंत्री श्री चौहान से प्रकरण में हस्तक्षेप कर आरोपी के खिलाफ चल रही विभागीय जांच के अंतिम निराकरण तक आरोपी दुबे को सस्पेंड करने तथा उक्त संपूर्ण घटना की जांच पुलिस के माध्यम से कराने की मांग की है वरना आन्दोलन किया जा सकता है।
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