ब्यूरो प्रमुख // राजेन्द्र कुमार जैन (अम्बिकापुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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पत्रकार समाज को आइना दिखाने का काम करता है, लेकिन सरगुजा के एक साप्ताहिक समाचार-पत्र ''हितकर और दिनकर'' के सम्पादक जे.पी. हितकर ने 22 वर्षीय युवती को एक मकान में ले जाकर गाली गलौज व मारपीट कर अनाचार कर पत्रकारिता को कलंकित किया है। जे.पी. हितकर का साप्ताहिक समाचार पत्र ''हितकर और दिनकर'' नियमित रूप से प्रकाशित भी नहीं होता, जे.पी. हितकर महिलाओं को पत्रकार बनाने का प्रलोभन देता तथा अपने मोटर सायकल पर बैठाकर घुमाता रहता था। सरगुजा जिले के ग्रामीण क्षेत्र की कई युवतियों को वह पत्रकार बनाने का प्रलोभन देकर ड्रेस बनाने के नाम पर, पे्रस कार्ड देने के नाम पर, हजारो रूपए की ठगी कर चुका है। केन्द्रीय विद्यालय के सामने भगवानपुर में जे.पी.हितकर के निवास में ही ''हितकर और दिनकर'' साप्ताहिक समाचार पत्र का कार्यालय है। गांधीनगर पुलिस थाना, अंबिकापुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार जे.पी.हितकर को धारा 366, 342, 294, 506, 323 व 376 के तहत गिरप्तार किया है। पुलिस ने बताया कि मूलत: खजूरी कुसुमी निवासी युवती सुभाषनगर में किराये के मकान में रहती है। जबरदस्ती मोटरसायकल मे बैठाकर एक घर में ले जाकर जान से मारने की धमकी दे मकान में बंद कर अनाचार किया। पुलिस ने बताया कि घटना के वक्त आरोपी जे.पी. हितकर नशे में था। जे.पी.हितकर के खिलाफ पूर्व में भी जयनगर थाना में एक युवती ने अनाचार का मामला दर्ज कराया था। जिसमें भी उसकी गिरप्तारी की गई थी। जनसम्पर्क कार्यालय, अंबिकापुर में जे.पी हितकर के बारे में जानकारी लेने पर संतोष मौर्य उपसंचालक ने बताया कि जे.पी.हितकर साप्ताहिक समाचार-पत्र ''हितकर और दिनकर'' के संपादक है। अखबार का प्रकाशन नियमित रूप से नहीं किया जा रहा है। अपराधिक घटना न्यायालय द्वारा जे.पी. हितकर को दोषी होने पर सजा दी जाएगी।सरगुजा जिले में ऐसे कई संपादक, पत्रकार है, जिनका कोई अखबार नहीं है। लेकिन फिर भी वो अधिकारियों से वसूली करते है। जिला सम्पर्क कार्यालय द्वारा समय-समय पर पत्रकारों की सूची विभिन्न शासकीय कार्यालयों में भेजी जाती है। फिर भी बगैर अखबार के पत्रकार अपनी हरकतों से बाज नहीं आते, जिसके कारण पत्रकारिता पर दाग लगता रहता है। रायपुर की मासिक पत्रिका ''अटल छत्तीसगढ़'' के नाम पर अंबिकापुर के कुछ पत्रकारों ने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर सरपंचो से हजारो रूपए के विज्ञापन प्रकाशन के नाम पर वसूली की। एक बड़ी गाड़ी ''संपादक अटल छत्तीसगढ़'' लिखी हुई ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर घूमती रहती है। उस गाड़ी का पंजीयन क्रमांक नहीं लिखा गया है। जो आर.टी.ओ. विभाग की लापरवाही को दर्शाता है।