Tuesday, December 17, 2013

9 साल में बेरोजगारों से 1000 करोड़ की ठगी


विनोद उपाध्याय
toc news internet channel

भोपाल। परीक्षा और नौकरी के नाम पर व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं )और उसमें सक्रिय दलालों ने पिछले 9 साल में सवा करोड़ बेरोजगारों को करीब 1000 करोड़ का चूना लगाया है। हालांकि अब धीरे-धीरे इस फर्जीवाड़े की परते खुलने लगी हैं,लेकिन जो ठगे गए हैं उन्हें न्याय मिलना दूर की कड़ी है। यही नहीं व्यापमं ने पिछले सालों में डेढ़ सौ से अधिक परीक्षाएं ली अरबों रूपए परीक्षा शुल्क के नाम पर बेरोजगारों से वसूले और उनके साथ धोखा भी किया। उल्लेखनीय है कि पीएमटी फर्जीवाड़े की तहकीकात में लगी एसटीएफ को व्यापमं में हुए अन्य घोटालों की जानकारी हाथ लग रही है। जिसमें एक ऐसे नेटवर्क का पता चला है जिसने व्यापमं के माध्यम से होने वाली प्रवेश,प्रतियोगी और भर्ती परीक्षाओं को अपने कब्जे में ले लिया था। दलालों में मनमाफिक रकम लेकर नौकरियां बांटी,प्रवेश दिलवाया और शासन-प्रशासन को लॉलीपप चटाया। अब जब परते खुलने लगी हैं तो कांग्रेस ने व्यापमं द्वारा कराई गई सभी परीक्षाओं की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। घोटालों की लंबी लिस्ट प्रारंभिक पड़ताल में व्यापमं में हुए 17 घोटालों का पता चला है। इस बात का जिक्र कांग्रेस ने करते हुए महाघोटाले पर ब्लैक पेपर भी जारी किया था। पिछले 9 साल में व्यापमं द्वारा जो भी प्रवेश या भर्ती परीक्षाएं आयोजित की गई हैं उनमें पीएमटी घोटाले में दलालों और भाजपा नेताओं पर तीन अरब कमाने का आरोप लगाया गया है। डीमेट घोटाला, बीडीएस घोटाला, डीएड घोटाला, मेडिकल कालेज में पीजी में प्रवेश दिलाने का घोटाला, पांच लाख लेकर इंजीनियर बनाने का घोटाला, माध्यमिक शिक्षा मण्डल में घोटाला, राज्य ओपन परीक्षा घोटाला, डिग्री घोटाला, संविदा शिक्षकों की भर्ती में युवाओं से 175 करोड़ रूपए का धोखा, व्यापमं में कम्प्यूटर खरीदी में डेढ़ करोड़ का घोटाला, पुलिस भर्ती में घोटाला, टाइपिंग परीक्षा घोटाला, युवाओं के साथ धोखा, शिक्षा में घोटाले ही घोटाले, वन रक्षक पदों पर भर्ती घोटाला, पटवारी परीक्षा घोटाला शामिल हैं। शिक्षा में फर्जीवाड़े का आभास विंध्य से व्यावसायिक परीक्षा मंडल में हुए तमाम फर्जीवाड़े को उजागर करने वाली स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) के मुखिया को शिक्षा में फर्जीवाड़े का आभास विंध्य से हुआ। एसटीएफ एडीजी सुधीर कुमार शाही 1988 बैच के आईपीएस हैं। वह दिल्ली विवि से बीए एलएलबी हैं। आईपीएस ट्रेनिंग के बाद वर्ष 1990 में उनकी पहली प्रोविजनल पदस्थापना सतना जिले के अमरपाटन थाना में हुई। यहीं उन्होंने शिक्षा में फर्जीवाड़ा का खुला खेल देखा। मन में शिक्षा शुद्धीकरण का संकल्प लिया। 22 वर्षो के लंबे कैरियर में उन्हें शिक्षा शुद्धीकरण का पूरा मौका नहीं मिल सका। वर्ष 2011 में पुलिस मुख्यालय ने उन्हें एसटीएफ के एडीजी का प्रभार सौंपा। कुछ दिनों बाद उनको व्यापमं में हो रहे फर्जीवाड़े की भनक लगी और उन्होंने व्यापमं में हो रहे फर्जीवाड़े पर नजर रखना शुरू किया। इसके कुछ ही दिनों बाद एसटीएफ चीफ ने व्यापमं में सिलेसिलेवार एक से बड़े एक घोटालों का पर्दाफाश कर सैकड़ों को हवालात पहुंचा दिया। सत्ता और शिक्षा जगत की तमाम हस्तियों की रातों की नींद और दिन का चैन छीन लेने वाले शाही ही हैं जिन्होंने व्यापमं में पीएमटी, प्रीपीजी, खाद्य निरीक्षक एवं नापतौल परीक्षा, दुग्ध संघ भर्ती परीक्षा, उप निरीक्षक भर्ती, पुलिस आरक्षक भर्ती, बीडीएस, टायपिंग बोर्ड, ओपन स्कूल फर्जीवाड़ा पर पर्दा उठा सैकड़ों रसूखदारों को हवालात पहुंचाया। अब नौकरी पर संकट व्यापमं के माध्यम से फर्जीवाड़ा करके डॉक्टर बनने वालों का जेल जाने का सिलसिला तो शुरू हो ही गया है,अब अन्य विभागों में नौकरी करने वाले सैकड़ों लोगों की नौकरी पर भी खतरा मंडराने लगा है। व्यापमं फर्जीवाड़े में पुलिस की सब इंस्पेक्टर और कांस्टेबल भर्ती परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों में से भी कई लोगों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि अभी तक पुलिस को ऐसे लोगों की सूची व्यापमं से मिलने का इंतजार है। वहीं शिक्षा विभाग की संविदा शिक्षकों और वन विभाग की वनरक्षकों की भर्ती परीक्षा को लेकर अभी एसटीएफ को साक्ष्य नहीं मिले हैं जिससे इन भर्तियों पर फिलहाल कोई संकट नहीं दिखाई दे रहा है। 2012 की भर्ती में हुआ खेल एसटीएफ को सब इंस्पेक्टर और कांस्टेबल की वर्ष 2012 में हुई भर्ती में फर्जीवाड़ा मिला है। उपनिरीक्षक भर्ती घोटाले में एसटीएफ ने आईपीएस अधिकारी आरके शिवहरे सहित 25 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि व्यापमं के अफसरों ने शिवहरे सहित अन्य आरोपियों से सांठगांठ कर अधिकतर परीक्षार्थियों का चयन गलत तरीके से कर दिया। एसटीएफ ने इसके लिए हुए लाखों रुपए के लेन-देन का हिसाब भी जब्त किया है। एसटीएफ ने आरोपियों पर धारा 420, 467, 468, 471 और आईटी एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया है। शिवहरे पर आरोप है कि उन्होंने गौरव श्रीवास्तव, सेम श्रीवास्तव, प्रलेख तिवारी के चयन में 15 लाख प्रति परीक्षार्थी के हिसाब से 45 लाख रुपए व्यापमं के सीनियर सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिंद्रा को दिए। जिसके चलते अब पुलिस भी सख्त तेवर अपनाने लगी है। डीजीपी नंदन दुबे ने बताया है कि सब इंस्पेक्टर की भर्ती तो बहुत पहले से ही व्यापमं के माध्यम से हो रही थी, लेकिन कांस्टेबल की भर्ती पहली बार व्यापमं से कराई गई है। एसटीएफ द्वारा इन परीक्षाओं में पाई गई गड़बडिय़ों से जिन लोगों की भर्ती रुपए देकर हुई है, उन्हें तत्काल बर्खास्त किया जाएगा। साथ ही उनकी गिरफ्तारी भी की जाएगी। इसी के मद्देनजर सब इंस्पेक्टर और कांस्टेबल परीक्षा-2012 की जांच एसटीएफ ने तेज कर दी है। वहीं व्यापम ने भी ऐसी लोगों को चिह्न्ति करने में जुटा है जो पैसे देकर पुलिस विभाग में भर्ती हो गए। सूत्रों की मानें तो प्रारंभिक जांच में करीब 15 से अधिक पुलिसकर्मी ट्रेस हुए हैं, इसमें आठ सब इंस्पेक्टर शामिल हैं। सभी फर्जी पुलिसकर्मी नौकरी में तैनात है। अब व्यापमं इनको चिह्न्ति करने के बाद पुलिस को इनकी सूची सौंपगी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सबसे पहले तो इनको बर्खास्त किया जाएगा। वहीं एसटीएफ आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करेगी। वहीं इस फर्जीवाडे में शामिल अधिकारियों पर एसटीएफ ने पहले ही शिकंजा कस दिया है। मामले में लिप्त अधिकारियों की गिरफ्तारी के प्रयास भी तेज हो गए हैं। 125 करोड़ वसूला फीस तमाम फजीवाड़ों के साथ 9 सालों में व्यापम ने बेरोजगारों से 125 करोड़ रूपए फीस के रूप में वसूला है। जबकि गिनती के बेरोजगारों को ही नौकरी मिली है। व्यापमं ने अकेले एक साल (वर्ष 2011 से फरवरी 2012 तक) में ही परीक्षा शुल्क के माध्यम से 83 करोड़ रुपए की राशि अर्जित की है। व्यापमं को इससे पहले 2009 में 24 करोड़ 86 लाख रुपए और 2010 में 24 करोड़ 68 लाख रुपए शुल्क के रूप में प्राप्त हुए थे। शासन द्वारा शासकीय नौकरियों के लिए बेरोजगारों से विभागों और व्यापम के माध्यम से भारी शुल्क वसूला जा रहा है। अनेक विज्ञापनों में भृत्य जैसे चतुर्थ श्रेणी पद के लिए सामान्य श्रेणी के बेरोजगार आवेदकों से 600 रुपए और अनुसूचित जाति जनजाति के बेरोगारों से 300 रुपए वसूल किए जाते हैं। बाजार में नौकरी की रेट लिस्ट कांग्रेस नेता अजय सिंह का आरोप है कि व्यापमं के माध्यम से मिलने वाली नौकरियों के लिए दलालों ने बकायदा रेट लिस्ट भी तैयार कर रखी थी। जिसकी बाजारों में भी चर्चा थी। जिसमें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के लिए 50 हजार रुपए, तृतीय श्रेणी के लिए सवा लाख रुपए, द्वितीय श्रेणी के लिए 4 से 10 लाख रुपए, वेटनरी के लिए 3 लाख रुपए तथा पीएमटी के लिए 10 से 15 लाख रुपए तक लिए जाने की चर्चा है। फर्जीवाड़ा में सुधीर शर्मा भी शामिल व्यापमं द्वारा आयोजित परीक्षाओं के फर्जीवाड़े में खनिज माफिया सुधीर शर्मा भी शामिल है। पीएमटी में हुए फर्जीवाड़े के खुलासे ने शिक्षा माफिया और सरकारी तंत्र की जुगलबंदी को सामने ला दिया है। इंदौर के मास्टरमाइंड जगदीश सागर के पकड़े जाने के बाद कडिय़ां एक-दूसरे से जुड़ती गई परिणामस्वरूप कई नाम सामने आए और गिरफ्तारियां हुईं। अब तक पीएमटी परीक्षा आयेाजित करने वाले व्यावसायिक परीक्षा मंडल के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी के अलावा प्रिंसिपल सिस्टम एनालिस्ट नितिन महेंद्रा व सीनियर सिस्टम एनालिस्ट अजय सेन और एक अन्य अधिकारी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। इसके अलावा भी कई अन्य मध्यस्थ इस समय जेल में हैं। वहीं एसटीएफ के हाथ इस बात के पुख्ता प्रमाण लगे हैं कि मुन्ना भाईयों की भर्ती आपसी मिली भगत से ही संभव हुई है। एसटीएफ ने अपनी जांच में व्यापमं के अधिकारियों के अलावा कई मुन्ना भाइयों को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया है। एसटीएफ ने 345 छात्रों के चयन को भी निरस्त करने की सिफारिश की थी। जांच आगे बढ़ी तो भाजपा शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक सुधीर शर्मा भी इसमें फंस गए हैं। फर्जीवाड़ा में नाम सामने आने के बाद व्यवसायी एवं भाजपा नेता सुधीर शर्मा भूमिगत हो गए हैं। नोटिस जारी होने के बाद एसटीएफ अफसरों को बयान देने नहीं आने के बाद अब उनकी तलाश शुरू हो गई है। इसके अलावा एसटीएफ ने व्यापमं द्वारा आयोजित कराई गई वर्ष-2012 की प्री-पीजी परीक्षा में 17 व्यक्तियों के विरुद्ध, फूड इस्ंपेक्टर परीक्षा-2012 में 29 व्यक्तियों के विरुद्ध, दुग्ध संघ भर्ती परीक्षा-2012 में 19 व्यक्तियों के विरुद्ध, सूबेदार-उप निरीक्षक-प्लाटून कमांडर भर्ती परीक्षा-2012 में 25 व्यक्तियों के विरुद्ध तथा पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 में हुये फजीवाड़ा के संबंध में 53 व्यक्तियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की है। प्रीपीजी परीक्षा 2012 में व्यापमं के तत्कालीन नियंत्रक डॉ. पंकज त्रिवेदी एवं सीनियर सिस्टम एनालिस्ट नितिन मोहिन्द्रा ने योजना तैयार करके परीक्षा में आने वाले प्रश्नों की माडल आंसर की परीक्षा की पूर्व रात्रि को निकालकर उसकी फोटोकॉपी कर छात्रों को उपलब्ध कराई। ये छात्र परीक्षा की पूर्व रात्रि को भोपाल आकर पूर्व निर्धारित स्थानों पर रुके जहां इन्होंने परीक्षा की तैयारी नितिन मोहिन्द्रा द्वारा उपलब्ध कराई गई माडल आन्सर-की के आधार पर की। इन छात्रों ने दूसरे दिन प्रीपीजी परीक्षा का प्रश्नपत्र हल कर प्रीपीजी परीक्षा में सफलता प्राप्त की। उक्त छात्र वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में पीजी कर रहे हैं। एसटीएफ के अनुसार फूड इंस्पेक्टर परीक्षा-2012, दुग्ध संघ भर्ती परीक्षा-2012, सूबेदार-उप निरीक्षक-प्लाटून कमांडर भर्ती परीक्षा-2012 तथा पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 में नितिन मोहिन्द्रा एवं चन्द्रकांत मिश्रा द्वारा डॉ. पंकज त्रिवेदी के कहे अनुसार अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट के स्कैंड डाटा में कम्प्यूटर पर सही उत्तर दर्ज करने के बाद सूचना के अधिकार अधिनियम की आड़ में ओएमआर शीट स्ट्रांग रूम से निकलवाकर गोले भरकर पास कराया है। जिसमें से कई अभ्यर्थी सम्बन्धित विभागों में नौकरी कर रहे हैं।

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