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बाम्बे हाईकोर्ट को नहीं ऐतराज। 17 जून को रिलीज होगी फिल्म।
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17 जून को जब देशभर के दर्शक उड़ता पंजाब फिल्म को देखेंगे तो उन्हें मां और बहन की अश्लील और भद्दी गालियां भी सुनने को मिलेंगी। 13 जून को बाम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश एस.सी.धर्माधिकारी और शालिनी फणसालकर ने अपने रुख के मुताबिक फैसला दे दिया है। सेंसर बोर्ड ने जिन दृश्यों पर आपत्ति दर्ज कराई थी, उनमें से अधिकांश को हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी है। साथ ही सेंसर बोर्ड को आदेश दिए हैं कि अगले दो दिन में नया सर्टीफिकेट जारी कर दिया जाए, ताकि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप 17 जून को यह फिल्म रिलीज हो सके। बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले से वो फिल्म निर्माता और निर्देशक बेहद खुश हंै जो फिल्मों में कुछ भी परोसाना चाहते हैं। जब फिल्मों में गालियां सुनाई जा सकती हैं तो फिर कुछ भी दिखाया जा सकता है। दोनों न्यायाधीश पहले ही कह चुके है कि सेंसर बोर्ड का काम सिर्फ सर्टीफिकेट देना है। फिल्म के दृश्यों का मामला दर्शकों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। अपने इसी रुख के मुताबिक 13 जून को हाईकोर्ट ने फैसला दे दिया है। हाईकोर्ट तो हाईकोर्ट है। आदेश के मुताबिक सेंसर बोर्ड को गालियों से भरी फिल्म को सर्टीफिकेट देना ही पड़ेगा। अब देखना है कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सेंसर बोर्ड सुप्रीम कोर्ट जाता है या फिर चुपचाप नया सर्टीफिकेट जारी कर देता है।
निदेशक अनुराग कश्यप की उड़ता पंजाब फिल्म शुरू से ही विवादों में रही है। कहा जा रहा है कि यह फिल्म पंजाब में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को देखते हुए बनाई गई है। हालांकि यह फिल्म नशाखोरी के खिलाफ है, लेकिन इस फिल्म से पंजाब में भाजपा और अकाली दल की संयुक्त सरकार के खिलाफ माहौल भी बनेगा। फिल्म का राजनीतिक नजरिया चाहे कुछ भी हो, लेकिन फिल्म में अश्लील गालियां तो नहीं होनी चाहिए। जब हम भारतीय संस्कृतिक में मां और बहन को देवी का दर्जा देते हैं, तब किसी फिल्म में मां और बहन को लेकर गालियां हो तो इसे किसी भी दृष्टि से उचित नहीं माना जा सकता। कुछ लोग बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को अभिव्यक्ति की आजादी बता रहे हैं। यदि गालियां बकना ही अभिव्यक्ति की आजादी है तो फिर ऐसे लोगों की मानसिकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। जो लोग अभिव्यक्ति की आजादी की बात करते हैं क्या वे अपनी मां बेटी और बहन के सामने उड़ता पंजाब वाली गालियां बोल सकते हैं l
बाम्बे हाईकोर्ट को नहीं ऐतराज। 17 जून को रिलीज होगी फिल्म।
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17 जून को जब देशभर के दर्शक उड़ता पंजाब फिल्म को देखेंगे तो उन्हें मां और बहन की अश्लील और भद्दी गालियां भी सुनने को मिलेंगी। 13 जून को बाम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश एस.सी.धर्माधिकारी और शालिनी फणसालकर ने अपने रुख के मुताबिक फैसला दे दिया है। सेंसर बोर्ड ने जिन दृश्यों पर आपत्ति दर्ज कराई थी, उनमें से अधिकांश को हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी है। साथ ही सेंसर बोर्ड को आदेश दिए हैं कि अगले दो दिन में नया सर्टीफिकेट जारी कर दिया जाए, ताकि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप 17 जून को यह फिल्म रिलीज हो सके। बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले से वो फिल्म निर्माता और निर्देशक बेहद खुश हंै जो फिल्मों में कुछ भी परोसाना चाहते हैं। जब फिल्मों में गालियां सुनाई जा सकती हैं तो फिर कुछ भी दिखाया जा सकता है। दोनों न्यायाधीश पहले ही कह चुके है कि सेंसर बोर्ड का काम सिर्फ सर्टीफिकेट देना है। फिल्म के दृश्यों का मामला दर्शकों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। अपने इसी रुख के मुताबिक 13 जून को हाईकोर्ट ने फैसला दे दिया है। हाईकोर्ट तो हाईकोर्ट है। आदेश के मुताबिक सेंसर बोर्ड को गालियों से भरी फिल्म को सर्टीफिकेट देना ही पड़ेगा। अब देखना है कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सेंसर बोर्ड सुप्रीम कोर्ट जाता है या फिर चुपचाप नया सर्टीफिकेट जारी कर देता है।
निदेशक अनुराग कश्यप की उड़ता पंजाब फिल्म शुरू से ही विवादों में रही है। कहा जा रहा है कि यह फिल्म पंजाब में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को देखते हुए बनाई गई है। हालांकि यह फिल्म नशाखोरी के खिलाफ है, लेकिन इस फिल्म से पंजाब में भाजपा और अकाली दल की संयुक्त सरकार के खिलाफ माहौल भी बनेगा। फिल्म का राजनीतिक नजरिया चाहे कुछ भी हो, लेकिन फिल्म में अश्लील गालियां तो नहीं होनी चाहिए। जब हम भारतीय संस्कृतिक में मां और बहन को देवी का दर्जा देते हैं, तब किसी फिल्म में मां और बहन को लेकर गालियां हो तो इसे किसी भी दृष्टि से उचित नहीं माना जा सकता। कुछ लोग बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को अभिव्यक्ति की आजादी बता रहे हैं। यदि गालियां बकना ही अभिव्यक्ति की आजादी है तो फिर ऐसे लोगों की मानसिकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। जो लोग अभिव्यक्ति की आजादी की बात करते हैं क्या वे अपनी मां बेटी और बहन के सामने उड़ता पंजाब वाली गालियां बोल सकते हैं l