लूप लाईन और बर्चस्व के बीच फसी कांग्रेस,
निणनायक फैसला आगामी प्रदेश अध्यक्ष करेंगे तय
निणनायक फैसला आगामी प्रदेश अध्यक्ष करेंगे तय
ब्यूरों प्रमुख // डा. मकबूल खान (छतरपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
रिपोर्टर से संपर्क:- 99260 03805
छतरपुर. एकता का पाठ पढ़ते-पढ़ते कांग्रेस सत्ता से इतने दूर खिसक गई कि अब कांग्रेस के जो क्षत्रप कहलाते थे अब वह अपनों के बीच ही बेगाने होते जा रहे हैं। हाई कमान इस बात पर जोर दे रही है कि कांग्रेस में एकता धीरे धीरे हो रही है। जिसके चलते कांग्रेस का जनाधार बढ़ाव की स्थिति में है पर हकीकत यह है कि कांग्रेस में बिखराब इनता हो गया है कि अब छोटे छोटे कार्यकर्ता भी एक होने की नसीहतें देने लगे हैं। लूपलोह को भरने के लिऐ कांग्रेस जिला से प्रदेश स्तर तक उन कद्दावर नेताओं को एक बार फिर शरण में लेने की जुगत बना रही है ताकि वह सत्ता तक पहुंच सके। बुंदेलखण्ड में कांग्रेस की हालत इतनी पतली हो गई है कि अब कांग्रेस के समर्थक भी भाजपा की ओर खिसकने लगे हैं। छतरपुर समेत पूरे बुंदेलखण्ड की हालत इतनी कमजोर होती जा रही संगठन के पद के पदाधिकारी और कार्यकर्ता एक दूसरे पर लांछन लगाने में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। 125 वर्ष पुरानी अखिल भारतीय कांगे्रस कमेटी जो कभी मध्यप्रदेश में सत्ता का दम भरती थी अब कांग्रेस के समर्थकों ने सत्ता का राज्य भोग करने का सपना भी देखना बंद कर दिया है। निचले स्थल पर कांग्रेस छोटे-छोटे टुकड़ों में बट गई है। पहले बुंदेलखण्ड की कांग्रेस की राजनीति में राजसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी अकेले सूरमा थे और उन्हीं के कंधों पर कांग्रेस का उद्धार करने का जिम्मा था। समय बदला और सत्यव्रत चतुर्वेदी के पुत्र नितिन उर्फ बंटी चतुर्वेदी ने सक्रीय राजनीति में कदम रखा चाहा तो कई क्षत्रप उनके विरोध में एक संगठन तैयार करने में जुट गये है जबकि होना यह चाहिए था कि टोरिया हाउस के सहयोग से ही बुंदेलखण्ड के जितने भी सक्रिय नेता है सभी को आगे बढ़ाया गया। लेकिन राजनैतिक महत्वाकाक्षा के चलते कई क्षत्रप एक कद्दावर कहे जाने वाले पूर्व विधयाक शंकर प्रताप सिह, मानवेंद्र सिंह, मुन्ना राजा (झमटुली), मण्डी अध्यक्ष डीलमणि सिंह उर्फ बब्बू राजा जैसे कई नेता हैं जिन्होंने कांग्रेस को छोड़कर या तो बहुजन समाज पार्टी का दामन थामा था या फिर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर कर कांग्रेस प्रत्याशी को हराने की कसम खा रखी थी।
लूप लाईन में कार्यकर्ता
कांग्रेस का स्तम्भ कहे जाने वाले आम आदमी का सिपाई के संभागीय पदाधिकारी मनोज त्रिवेदी इन दिनों अपने क्षत्रप को तलाश रहे है हालांकि उनकी योग्यता पर किसी को संदेह नहीं है लेकिन वह भी कहीं न कहीं राजनीति का शिकार हो गये। इसी तरह ग्रामीण युवा कांग्रेस अध्यक्ष दोलत तिवारी, विधानसभा चुनाव लड़ चुके विजावर के राजेश उर्फ बबलू शुक्ला, जैसे कई ऐसे जनाधार वाले युवा नेता है जिन्हें अपने आका की तलाश है। हालांकि जब तक प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी प्रदेश की राजनीति में सक्रिय है इनका वजूद बरकरार रहेगा।
भावी प्रदेश अध्यक्ष तय करेंगा भविष्य
बुंदेलखण्ड की कांग्रेस पूरी तरह चार टुकड़ों में बिखरी पड़ी है। पहला दमदार संगठन राज्य सभा सांसद सत्यव्रत्य चतुर्वेदी के पास है वहंी टोरिया हाउस कुछ विरोधियोंं ने प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी के साथ मिलकर एक बर्चस्व वाला कांग्रेस का संगठन तैयार कर लिया है। दूसरीओर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह उर्फ राहुल भैया का खैमा भी बुंदेलखण्ड की राजनीति में खासा दबदबा रखता है। केंद्रीय राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का खेमा भी कमजोर नहीं आका जा सकता। इस तरह कांग्रेस पार्टी छोटे छोटे टुकड़ों में बटकर पिसती जा रही है। आगामी कांग्रेस का जो भी प्रदेश अध्यक्ष बनेगा उसके समर्थक निश्चित तौर पर बुंदेलखण्ड की राजनीति में अपना स्तम्भ खड़ा करेंगे और वहीं वहंी गुट कांग्रेस की राजनीति को बिगाड़े एक बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।
पंजे बाले दल में अगरा सदर कौन!
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष जगदीश शुक्ला विगत लंबे समय से जिले की कमान संभाले हुए है। अब पंचे बाले दल में संगठन चुनाव की गति धीमे होने के बावजूद नये सदर को लेकर गाहे बजाहे चर्चाओं को दौर खूब चल रहा है। कांग्रेस के भावी जिलाध्यक्ष के रुप में छतरपुर जिले को कौन मिलेगा इसमें मुख्य भूमिका टौरिया हाउस की रणनीति मानी जा रही है। हाल ही में जतने भी कांग्रेस के ब्लाक अध्यक्षों की नियुक्ति हुई है उन सभी ब्लाक अध्यक्ष प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी के खेमे के बताये जा रहे है। फिर भी जिलाध्यक्ष के पद पर यह अटकले लगाई जा रही है कि या तो टोरिया हाउस अपने पास जिले की कमान रखेगा या अपने किसी नजदीकी को ही इसकी जिम्मेदारी सोंपेंगा। एक ओर राज्य सभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी के विरोधी प्रदेश अध्यक्ष एवं अन्य कद्दावर नेताओं से समर्पक साधकर अपने समर्थकों को भावी जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्ति कराने के लिए जोड़तोड़ करने में जुटे हैं।
लूप लाईन में कार्यकर्ता
कांग्रेस का स्तम्भ कहे जाने वाले आम आदमी का सिपाई के संभागीय पदाधिकारी मनोज त्रिवेदी इन दिनों अपने क्षत्रप को तलाश रहे है हालांकि उनकी योग्यता पर किसी को संदेह नहीं है लेकिन वह भी कहीं न कहीं राजनीति का शिकार हो गये। इसी तरह ग्रामीण युवा कांग्रेस अध्यक्ष दोलत तिवारी, विधानसभा चुनाव लड़ चुके विजावर के राजेश उर्फ बबलू शुक्ला, जैसे कई ऐसे जनाधार वाले युवा नेता है जिन्हें अपने आका की तलाश है। हालांकि जब तक प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी प्रदेश की राजनीति में सक्रिय है इनका वजूद बरकरार रहेगा।
भावी प्रदेश अध्यक्ष तय करेंगा भविष्य
बुंदेलखण्ड की कांग्रेस पूरी तरह चार टुकड़ों में बिखरी पड़ी है। पहला दमदार संगठन राज्य सभा सांसद सत्यव्रत्य चतुर्वेदी के पास है वहंी टोरिया हाउस कुछ विरोधियोंं ने प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी के साथ मिलकर एक बर्चस्व वाला कांग्रेस का संगठन तैयार कर लिया है। दूसरीओर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह उर्फ राहुल भैया का खैमा भी बुंदेलखण्ड की राजनीति में खासा दबदबा रखता है। केंद्रीय राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का खेमा भी कमजोर नहीं आका जा सकता। इस तरह कांग्रेस पार्टी छोटे छोटे टुकड़ों में बटकर पिसती जा रही है। आगामी कांग्रेस का जो भी प्रदेश अध्यक्ष बनेगा उसके समर्थक निश्चित तौर पर बुंदेलखण्ड की राजनीति में अपना स्तम्भ खड़ा करेंगे और वहीं वहंी गुट कांग्रेस की राजनीति को बिगाड़े एक बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।
पंजे बाले दल में अगरा सदर कौन!
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष जगदीश शुक्ला विगत लंबे समय से जिले की कमान संभाले हुए है। अब पंचे बाले दल में संगठन चुनाव की गति धीमे होने के बावजूद नये सदर को लेकर गाहे बजाहे चर्चाओं को दौर खूब चल रहा है। कांग्रेस के भावी जिलाध्यक्ष के रुप में छतरपुर जिले को कौन मिलेगा इसमें मुख्य भूमिका टौरिया हाउस की रणनीति मानी जा रही है। हाल ही में जतने भी कांग्रेस के ब्लाक अध्यक्षों की नियुक्ति हुई है उन सभी ब्लाक अध्यक्ष प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी के खेमे के बताये जा रहे है। फिर भी जिलाध्यक्ष के पद पर यह अटकले लगाई जा रही है कि या तो टोरिया हाउस अपने पास जिले की कमान रखेगा या अपने किसी नजदीकी को ही इसकी जिम्मेदारी सोंपेंगा। एक ओर राज्य सभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी के विरोधी प्रदेश अध्यक्ष एवं अन्य कद्दावर नेताओं से समर्पक साधकर अपने समर्थकों को भावी जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्ति कराने के लिए जोड़तोड़ करने में जुटे हैं।
No comments:
Post a Comment