सिटी चीफ // मुकेश तिवारी (बालाघाट // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बालाघाट। बालाघाट से जबलपुर की नैरोगेज परियोजना जो ब्राडग्रेज में परिवर्तन का काम चल रहा था। अब ठंडे बस्ते में चली गई है। रेल्वे द्वारा किये जा रहे निर्माण कार्यों में वन विभाग की आपत्ति के चलते कार्यों में विलंब हो रहा है वन विभाग ने रेल्वें पर आपत्ति लगाते हुए कहा कि बगैर अनुमति एवं प्रस्तावों को पास किये बगैर रेल्वे अवैध रूप से जमीन अधिग्रहित की है। क्योंकि ब्राडगेज की रेल्वे लाईन को बालाघाट और सिवनी जिले की सीमाओं से गुजरना पड़ता है यह वो इलाका है जहां दो राष्ट्रीय पार्क कान्हा और पेंच की सीमाएं हैं जो कि टाइगर रिजर्व क्षेत्र हैं। यदि यहां से ट्रेने गुजरेंगी तो वन्य प्राणियों को परेशानी हो सकती है। अत: पर्यावरण मंत्रालय ने भी फाइलें पेंडिग़ रखी है। चंूकि यह परियोजना को 2013 में पूरा हो जाना था किंतु शेष 2 वर्षों में इतना प्रोजेक्ट पूरा हो जायेगा संदेह है। क्योंकि अभी जमीन हस्तांतरण का मामला ही वन एवं रेल्वे विभाग में अधर में लटका है। समय जैसे बढ़ रहा है परियोजना की लागत भी बढ़ रही है। जब यह प्रोजेक्ट की स्वीकृति मिली थी तब इसकी अनुमानित लागत 511 करोड़ रूपये की थी। इस मार्ग में छोटे-छोटे पुलों का निर्माण कार्य प्रारंभ है एवं वन विभाग की स्वीकृति न मिलने के कारण अर्थ वर्क का कार्य बीच में ही रोक देना पड़ा था। रेल्वें के अधिकारियों के बीच मंथन जारी है। कि इस योजना को कैसे पूरा किया जाय। इसके दो विकल्प हैं कि स्वीकृति क्षेत्र को वन क्षेत्रों के संवेदनशील जगह से अन्य स्थान में ट्रेक बनाया जाय। किंतु इसमे समय, पैसा एवं पुन: तकनीकी स्वीकृति कराई जाय। दूसरा विकल्प यह है कि बताये गये ट्रेक में निर्माण कार्यों की चाल को सुस्त की जावें जब तक जनप्रतिनिधि एवं जनता आंदोलन इस कार्य कों पुन: चालू करने के लिए आगे न आये। फिलहाल रेल्वे बालाघाट के मार्ग में पूरा करने में लगा है ताकि एक छोर पूरा हो सके।
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