बैतूल // रामकिशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल. बैतूल जिले के बहुचर्चित चिटनीस लाल बंगले को खाली करवाने को लेकर कलैक्टर एवं जन सम्पर्क अधिकारी के बीच के विवादो के चलते लाल बंगले का भूत एक बार फिर बाहर निकल आया है। मुख्यमंत्री निवास एवं कार्यालय तक पहुंचे इस विवाद को लेकर कलैक्टर द्वारा आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले जिला जन सम्पर्क अधिकारी के मामले में पूरे प्रदेश के जन सम्पर्क अधिकारी संघ एवं अनुसूचित जनजाति संगठनों के दबाव के बाद बैतूल कलैक्टर की बिदाई लगभग तय हो चुकी थी लेकिन बैतूल जिला भाजपा संगठन के जिला कलैक्टर विजय आनंद कुरील के पक्ष में आ जाने के बाद से मामला ठंडा तो पड़ गया लेकिन भूमाफिया अब इस बात को लेकर दबाव बनाने की स्थिति में आ गया है कि करोड़ों की लागत की जमीन पर बने फिल्म अदाकारा स्वर्गीय लीला चिटनीस के बचपन के साक्षी रहे लाल बंगले को बैतूल के ही एक भाजपा नेता द्वारा खरीदा गया है। बताया जाता है कि उक्त बंगले में चल रहे जन सम्पर्क कार्यालय को खाली करवा कर उसे मीडिया सेंटर में ले जाने की प्रशासनीक पहल के चलते जिले भर के पत्रकार अब प्रशासन के खिलाफ आ गये है। पच्चीस करोड़ में खरीदे गये इस लाल बंगले को पूर्व कलैक्टर एवं वर्तमान आबकारी आयुक्त अरूण भटट द्वारा भी खाली करवाने के प्रयास किये गये लेकिन उस समय भी पत्रकारों के विरोध के चलते उक्त बंगला खाली नहीं करवाया जा सका था। भूमाफियाओं की काफी पहले से इस भवन परिसर की भूमि पर निगाहे लगी हुई थी। लगभग 25 वर्षो से इस भवन में जन सम्पर्क कार्यालय चल रहा है। इसके भूस्वामी मुम्बई में ही रहते है। उनके द्वारा बीते 25 वर्षो में कभी भी बंगले को खाली करवाने के लिए कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं की गई लेकिन बीते दो वर्षो से दो बार इस भवन को लेकर प्रशासन के दो अफसरो में मलयुद्ध होते - होते बचा। इस बार पत्रकार भी मैदान में आ जाने से मामले में नया मोड़ आ गया है।
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