ब्यूरो प्रमुख// राजेश रजक (सागर //टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 94065 56846
. जमकर हो रही गैस की ब्लैंक मार्केटिंग।
. खाद्य विभाग नहीं सुधार पा रहा व्यवस्था।
. महीने भर में भी नहीं मिल रहा सिलेंडर।
. घरेलू गैस का व्यवसायिक उपयोग धड़ल्ले से।
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. जमकर हो रही गैस की ब्लैंक मार्केटिंग।
. खाद्य विभाग नहीं सुधार पा रहा व्यवस्था।
. महीने भर में भी नहीं मिल रहा सिलेंडर।
. घरेलू गैस का व्यवसायिक उपयोग धड़ल्ले से।
सागर. शहर में सक्रिय गैस माफिया और वितरक मिलकर ब्लैक मार्केटिंग से मोटा पैसा बना रहे हैं। करीब 400 रूपये में उपभोक्ता को मिलने वाला गैस सिलेंडर होटल, ढाबा और सराफा मार्केट सहित अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में 500 रूपए तक बेचा जा रहा है। इसी कारण उपभोक्ताओं को समय पर गैस वितरणों की डिमांड के आधार पर पर्याप्त मात्रा में गैस उपलब्ध कराई जा रही हैं। एक सिलेंडर पाने के लिए उपभोक्ताओं को नंबर लगाने के बावजूद महीनों तक इंतजार करना पड़ता है। तब कहीं जाकर उनके घर में सिलेंडर मिल पाता हैं।
ब्लैक में बड़ी आसानी से कंपनी के हॉकरों के माध्यम से गैस मिल जाती है। निर्धारित राशि 100 से 150 रूपए ऊपर से लेकर हॉकर कभी भी सिलेंडर मुहैया करा देते है। इससे साफ जाहिर होता है कि शहर मे गैस की कृत्रिम रूप से किल्लत बनाई जा रही हैं। इस काम में गैस वितरक कंपनियों के कर्मचारी हॉकर दलाल और गैस माफियाओं की महती भूमिका रहती हैं।
ठंड शुरू होते ही जिले भर में घरेलू गैस की किल्लत बढ़ गई है। शहर सहित सभी ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित गैंस ऐजेंसियों के उपभोक्ता सिलेंडर के लिए भटक रहे हैं। नंबर लगाने के महिने भर बाद भी वितरक उन्हें गैस उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। घरेलू गैस सिलेंडरों की न सिर्फ जमकर कालाबाजारी हो रही, बल्कि तमाम व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर भी इनका खुलेआम दुरूपयोग संचालक, सेल्स ऑफिसर सहित प्रशासनिक अधिकारी सब शामिल हैं।
ब्लैक में बड़ी आसानी से कंपनी के हॉकरों के माध्यम से गैस मिल जाती है। निर्धारित राशि 100 से 150 रूपए ऊपर से लेकर हॉकर कभी भी सिलेंडर मुहैया करा देते है। इससे साफ जाहिर होता है कि शहर मे गैस की कृत्रिम रूप से किल्लत बनाई जा रही हैं। इस काम में गैस वितरक कंपनियों के कर्मचारी हॉकर दलाल और गैस माफियाओं की महती भूमिका रहती हैं।
ठंड शुरू होते ही जिले भर में घरेलू गैस की किल्लत बढ़ गई है। शहर सहित सभी ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित गैंस ऐजेंसियों के उपभोक्ता सिलेंडर के लिए भटक रहे हैं। नंबर लगाने के महिने भर बाद भी वितरक उन्हें गैस उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। घरेलू गैस सिलेंडरों की न सिर्फ जमकर कालाबाजारी हो रही, बल्कि तमाम व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर भी इनका खुलेआम दुरूपयोग संचालक, सेल्स ऑफिसर सहित प्रशासनिक अधिकारी सब शामिल हैं।
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