झारखंड में युवाओं को रोजगार देने के नाम पर ठगी का कारोबार चलाया जा रहा है. और यह कारनामा किया जा रहा है दुनिया की सबसे बड़ी साफ्टवेयर निर्माता कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी दिलाने के नाम पर. और इस विज्ञापन को प्रकाशित किया है खुद को दुनिया का सबसे बड़ा अखबार कहने वाले दैनिक जागरण ने. कंपनी के नाम पर कई पदों पर वैकेंसी के लिए विज्ञापन जारी किया गया है.
विज्ञापन में 18 से 30 साल के युवाओं से माइक्रोसॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से आवेदन मांगे गए हैं. यह विज्ञापन झारंखड में दैनिक जागरण के कई एडिशनों में छपा है. माइक्रोसॉफ्ट के नाम पर जारी विज्ञापन में कुल 2600 पदों के लिए आवेदन मांगे गए हैं. जिसमें जूनियर ऑफिसियल के 1250 पद और जूनियर टेक्निकल के 1350 पदों पर नियुक्ति करने की बात कही गई है. विज्ञापन में बताया गया है कि नियुक्ति इंटरव्यू के माध्यम से होगी. इसके लिए आवेदक की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 40 प्रतिशत अंकों के साथ किसी भी विषय से इंटमीडिएट होना आवश्यक है. दिलचस्प तथ्य यह है कि इस विज्ञापन में ये भी कहा गया है नियुक्ति प्रक्रिया से पूर्व कंपनी आवेदक को तीन से छह माह की ट्रेनिंग अपने खर्च पर देगी. चयनित युवाओं को कंपनी 35000 से 65000 रूपये के बीच वेतन देगी. इसके अतिरिक्त आवास एवं भोजन सुविधा मुफ्त में मिलेगी सो अलग.
अब आते हैं इस विज्ञापन की कहानी पर. माइक्रोसॉफ्ट के नाम से प्रकाशित इस विज्ञापन में न तो कंपनी का लोगों लगा है और ना ही उसके मुख्यालय या स्थानीय कार्यालय का पता दर्ज है. विज्ञापन में आवेदकों से आवेदन शुल्क के नाम पर 550 रूपये बैंक ऑफ इंडिया के एकाउंट में जमा कराने का भी दिशानिर्देश दिया गया है. चौंकाने वाली बात यह है कि यह एकाउंट कंपनी के नाम से नहीं बल्कि किसी विशाल कुमार नामक सज्जन के नाम से है. प्रश्न यह है कि क्या इतनी बड़ी कंपनी अपने आधिकारिक एकाउंट के बदले किसी निजी एकाउंट से आवेदन शुल्क मांगेगी! विज्ञापन में आवेदन शुल्क जमा कराने के बाद रसीद और अन्य कागजात दिल्ली के कालका जी में पोस्ट बाक्स नम्बर 31 या फिर mlpscompany@gmail.com पर भेजने के निर्देश दिए गए हैं. जबकि माइक्रोसॉफ्ट का भारत में मुख्यालय बंगलुरु में है. विज्ञापन में दिया गया मेल भी आधिकारिक नहीं है. जबकि अधिकांश बड़ी कंपनियां अपना आधिकारिक ई-मेल आईडी देती हैं. इन सभी तथ्यों से स्पष्ट है कि माइक्रोसॉफ्ट के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाकर ठगने का प्रयास किया जा रहा है. जिसमें चंद रूपये के बदले विश्व का सबसे बड़ा अखबार भी भागीदार बन गया है.
सबसे प्रमुख बात यह है कि यह मीडिया समूह या इसके कर्ताधर्ता इस विज्ञापन को जारी करने से पहले किसी तथ्य पर ध्यान नहीं दिया। या इन लोगों को इस विज्ञापन में कोई कमी नजर नहीं आई अथवा धन के नाम पर इसकी अनदेखी कर दी गई। पूरा मामला सामाजिक दायित्व और विश्वसनीयता का है. क्या कुछ रूपये के बदले किसी भी बड़े अखबार में ठगी के धंधे का विज्ञापन छपवाया जा सकता है? क्या पैसे के लिए अखबार सारे मूल्यों की तिलांजलि दे सकते हैं? अगर युवा इस विज्ञापन पर भरोसा करके आवेदन राशि जमा करा दी और लूट लिए गए तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? क्या अखबार के किसी कोने में 'अपने स्तर से जांच-परख कर विज्ञापनों पर भरोसा करें' जैसे वाक्य लिख दिए जाने से ये अबखार अपने नैतिक एवं सामाजिक मूल्यों से बरी हो जायेंगे! इस विज्ञापन पर माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के लीगल सेल ने आश्चर्य जताया है. कंपनी ने इस मामले पर कानूनी कार्रवाई भी करने की बात कही है.
साभार : भड़ास4मीडिया
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