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नई दिल्ली । केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रकाशन मीडिया में विज्ञापन जारी करने में पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) के लिए एक नई प्रकाशन मीडिया विज्ञापन नीति बनाई है। नीति में सरकारी विज्ञापन जारी करने को आसान बनाने और समाचार पत्रों व पत्रिकाओं की विभिन्न श्रेणियों के बीच समानता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
नई विज्ञापन नीति में पारदर्शिता और विश्वसनीयता के लिए पहली बार ऐसे समाचार पत्रों को बढ़ावा देने के लिए नई अंकीय व्यवस्था पेश की गई है, जो बेहतर व्यावसायिक मानकों का पालन करते हैं और उनकी प्रसार संख्या की पुष्टि एबीसी व आरएनआई द्वारा की गई हो। इससे डीएवीपी द्वारा विज्ञापन जारी करने में पारदर्शिता और विश्वसनीयता भी सुनिश्चित होगी। अंकीय व्यवस्था छह विभिन्न मानदंडों पर दिए गए अंकों पर आधारित है। इसके मानदंडों में एबीसी/आरएनआई द्वारा प्रमाणित प्रसार संख्या (25 अंक), कर्मचारियों के लिए ईपीएफ अंशदान (20 अंक), पृष्ठों की संख्या (20 अंक), यूएनआई/पीटीआई/हिंदुस्तान समाचार की वायर सेवाओं की सदस्यता (15 अंक), अपनी प्रिंटिंग प्रेस (10 अंक), पीसीआई को सालाना सदस्यता भुगतान (10 अंक) शामिल हैं। हर समाचार पत्र को मिले अंकों के आधार डीएवीपी द्वारा विज्ञापन जारी किए जाएंगे। इससे डीएवीपी द्वारा विज्ञापन जारी करने में पारदर्शिता और विश्वसनीयता भी सुनिश्चित होगी। नीति में डीएवीपी के पैनल में शामिल होने के लिए प्रसार की पुष्टि की प्रक्रिया के बारे में भी बताया गया है।
नीति एक समाचार पत्र के बहु-संस्करणों के लिए सूचीबद्धता की प्रक्रिया भी बताती है। समाचार पत्र के हर संस्करण के लिए एक अलग आरएनआई पंजीकरण संख्या की जरूरत है और आरएनआई को प्रसार के सत्यापन के साथ हर संस्करण के लिए अलग इकाई माना जाएगा। नीति में इस बात का भी उल्लेख है कि पीएसयू और स्वायत्त संस्थाएं डीएवीपी के पैनल में शामिल समाचार पत्रों को सीधे डीएवीपी दरों पर विज्ञापन जारी कर सकती हैं। हालांकि, उन सभी को सभी वर्गीकृत जारी करने और सभी छोटी, मझोली व बड़ी श्रेणियों के विज्ञापनों के प्रकाशन के लिए डीएवीपी द्वारा तय प्रक्रियाओं का पालन करना होगा।
नीति में उन समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में विज्ञापनों को प्रमुखता से प्रकाशित किए जाने पर प्रीमियम की व्यवस्था भी की गई है, जिनकी प्रसार संख्या एबीसी व आरएनआई द्वारा प्रमाणित है। नीति में समाचार पत्रों व पत्रिकाओं को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, जो छोटी (प्रतिदिन 25,000 प्रतियों से कम), मध्यम (25,001-75,000 प्रतियां प्रतिदिन) और बड़ी (प्रतिदिन 75,000 प्रतियों से ज्यादा) हैं। नीति में डीएवीपी के सभी ग्राहकों को नए वित्त वर्ष के पहले महीने के भीतर डीएवीपी को बीते साल के वास्तविक खर्च का 50 प्रतिशत भुगतान अधिकार पत्र/चेक/डीडी/एनईएफटी/आरटीजीएस के माध्यम से करने के लिए निर्देशित किया गया है। साथ ही वित्त वर्ष की 28 फरवरी से पहले बाकी भुगतान करने के भी निर्देश दिए गए हैं। वैकल्पिक तौर पर ग्राहक मंत्रालयों को विज्ञापनों पर अनुमानित खर्च का 85 प्रतिशत तक अग्रिम भुगतान भी करना पड़ सकता है।
नई दिल्ली । केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रकाशन मीडिया में विज्ञापन जारी करने में पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) के लिए एक नई प्रकाशन मीडिया विज्ञापन नीति बनाई है। नीति में सरकारी विज्ञापन जारी करने को आसान बनाने और समाचार पत्रों व पत्रिकाओं की विभिन्न श्रेणियों के बीच समानता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
नई विज्ञापन नीति में पारदर्शिता और विश्वसनीयता के लिए पहली बार ऐसे समाचार पत्रों को बढ़ावा देने के लिए नई अंकीय व्यवस्था पेश की गई है, जो बेहतर व्यावसायिक मानकों का पालन करते हैं और उनकी प्रसार संख्या की पुष्टि एबीसी व आरएनआई द्वारा की गई हो। इससे डीएवीपी द्वारा विज्ञापन जारी करने में पारदर्शिता और विश्वसनीयता भी सुनिश्चित होगी। अंकीय व्यवस्था छह विभिन्न मानदंडों पर दिए गए अंकों पर आधारित है। इसके मानदंडों में एबीसी/आरएनआई द्वारा प्रमाणित प्रसार संख्या (25 अंक), कर्मचारियों के लिए ईपीएफ अंशदान (20 अंक), पृष्ठों की संख्या (20 अंक), यूएनआई/पीटीआई/हिंदुस्तान समाचार की वायर सेवाओं की सदस्यता (15 अंक), अपनी प्रिंटिंग प्रेस (10 अंक), पीसीआई को सालाना सदस्यता भुगतान (10 अंक) शामिल हैं। हर समाचार पत्र को मिले अंकों के आधार डीएवीपी द्वारा विज्ञापन जारी किए जाएंगे। इससे डीएवीपी द्वारा विज्ञापन जारी करने में पारदर्शिता और विश्वसनीयता भी सुनिश्चित होगी। नीति में डीएवीपी के पैनल में शामिल होने के लिए प्रसार की पुष्टि की प्रक्रिया के बारे में भी बताया गया है।
नीति एक समाचार पत्र के बहु-संस्करणों के लिए सूचीबद्धता की प्रक्रिया भी बताती है। समाचार पत्र के हर संस्करण के लिए एक अलग आरएनआई पंजीकरण संख्या की जरूरत है और आरएनआई को प्रसार के सत्यापन के साथ हर संस्करण के लिए अलग इकाई माना जाएगा। नीति में इस बात का भी उल्लेख है कि पीएसयू और स्वायत्त संस्थाएं डीएवीपी के पैनल में शामिल समाचार पत्रों को सीधे डीएवीपी दरों पर विज्ञापन जारी कर सकती हैं। हालांकि, उन सभी को सभी वर्गीकृत जारी करने और सभी छोटी, मझोली व बड़ी श्रेणियों के विज्ञापनों के प्रकाशन के लिए डीएवीपी द्वारा तय प्रक्रियाओं का पालन करना होगा।
नीति में उन समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में विज्ञापनों को प्रमुखता से प्रकाशित किए जाने पर प्रीमियम की व्यवस्था भी की गई है, जिनकी प्रसार संख्या एबीसी व आरएनआई द्वारा प्रमाणित है। नीति में समाचार पत्रों व पत्रिकाओं को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, जो छोटी (प्रतिदिन 25,000 प्रतियों से कम), मध्यम (25,001-75,000 प्रतियां प्रतिदिन) और बड़ी (प्रतिदिन 75,000 प्रतियों से ज्यादा) हैं। नीति में डीएवीपी के सभी ग्राहकों को नए वित्त वर्ष के पहले महीने के भीतर डीएवीपी को बीते साल के वास्तविक खर्च का 50 प्रतिशत भुगतान अधिकार पत्र/चेक/डीडी/एनईएफटी/आरटीजीएस के माध्यम से करने के लिए निर्देशित किया गया है। साथ ही वित्त वर्ष की 28 फरवरी से पहले बाकी भुगतान करने के भी निर्देश दिए गए हैं। वैकल्पिक तौर पर ग्राहक मंत्रालयों को विज्ञापनों पर अनुमानित खर्च का 85 प्रतिशत तक अग्रिम भुगतान भी करना पड़ सकता है।