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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दिन रात एक मेहनत कर राज्यसभा में देश की मोदी सरकार के लिए संख्या बल जुटाने में लगे हैं लेकिन उनकी सारी मेहनत बेकार होती दिख रही है।
यूं तो बीते दिनों बिहार में हुए बड़े राजनीतिक उलटफेर के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) राज्यसभा में बहुमत के करीब है। 8 अगस्त को होने वाले राज्यसभा चुनाव के बाद संख्या और भी बढ़ेगी।
बता दें कि बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के इस्तीफा देने और केंद्रीय मंत्री रहे अनिल दवे के निधन के बाद 245 सांसदों वाली राज्यसभा में फिलहाल 243 सांसद हैं। राज्यसभा में प्रभावी बहुमत के लिए NDA को 122 सांसदों की आवश्यकता है।
कुछ भी कर लें मोदी या शाह, राज्यसभा में नहीं मिल सकेगा बहुमत!
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल यूनाइटेड के पास 10 राज्यसभा सांसद हैं। अगर इन्हें जोड़ा जाए तो NDA के कुल 89 राज्यसभा सांसद हो जाएंगे लेकिन 3 जदयू सांसद हैं जो भाजपा के साथ गठबंधन का विरोध कर रहे हैं। इसमें जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, अनवर अली और वीरेंद्र कुमार शामिल हैं। इन लोगों ने घोषणा की है कि आगामी 5 अगस्त को उपराष्ट्रपति के चुनाव में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी के पक्ष में वोट करेंगे।
वहीं जदयू नेता संजय सिंह ने कहा कि शरद यादव वरिष्ठ नेता हैं और नाराजगी किस बात की है? उन्होंने कहा कि जदयू के नेताओं के साथ नीतीश कुमार ने बैठक की थी जिसमें सबने एनडीए में जाने पर सहमति जताई थी,
क्योंकि महागठबंधन में रहना मुश्किल था. एेेसे में हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने सबकी सहमति मिलने पर ही यह फैसला लिया था. ख़बरें आ रही है कि जदयू में टूट हो सकती है. जिस तरह से विजय वर्मा ने ऐलान किया है उससे लगता है कि शरद यादव अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं, जिसमें पार्टी से नाराज सदस्य शामिल होंगे.
अगर ये तीन सांसद राज्यसभा में भी अपने स्टैंड पर कायम रहेंगे तो NDA के कुल 86 सांसद ही रहेंगे। इन 86 सांसदों में से 57 सांसद ही भाजपा के हैं। गौरतलब है कि 8 अगस्त को 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होंगे जिसमें 3 गुजरात, 1 मध्य प्रदेश और 6 सीटें पश्चिम बंगाल की हैं। भाजपा, गुजरात में 2 और मध्य प्रदेश में 1 सीट जीत सकती है। पश्चिम बंगाल में भाजपा के जीतने की संभावना शून्य के बराबर है।
वहीं बीते दिनों यह खबर भी आई की तमिलनाडु में सत्ताधारी दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) भी NDA का हिस्सा हो सकता है। बता दें कि AIADMK के राज्यसभा में 13 सांसद हैं। अगर ऐसा भी हो गया तो भी भाजपा, राज्यसभा में 102 की संख्या पर ही पहुंचेगी। इसके साथ ही भाजपा को 26 सांसदों का समर्थन भी महत्वपूर्ण मसलों पर मिल जाता है जो राज्य स्तरीय दलों के हैं। इसके बाद भी NDA की कुल संख्या 120 तक ही सीमित रहेगी, ऐसे में भाजपा बहुमत से 2 सीट दूर ही रहेगी।