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केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद विपक्ष का ईवीएम पर से खत्म हो गया है भरोसा, इसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी हैं शामिल जिनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस भी ईवीएम के जरिए ही चुनाव जीत कर पश्चिम बंगाल की सत्ता पर है इस समय काबिज, इस समय देश में सपा, बसपा, राजद समेत 17 पार्टियां कर रही है बैलट पेपर से लोकसभा चुनाव 2019 कराने की मांग, लेकिन केंद्र सरकार ने इस मांग को ठुकराते हुए ईवीएम और वीवीपैट से ही होंगे लोकसभा 2019 के चुनाव कराने का ऐलान, केंद्र के इस फैसले से विपक्ष को लगा है बड़ा झटका...
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए विपक्षी दल जहां एक तरफ गठबंधन की कोशिश में जुटे है, वहीं उन्होंने ईवीएम के बजाए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग भी तेज कर दी है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस, द्रमुक, जेडीएस, तेलुगू देशम पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और सीपीआई-एम, आरजेडी, शिवसेना। विपक्षी दलों ने कई लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हार के बाद अलग अलग मौकों पर ईवीएम की हैकिंग और री-प्रोग्रामिंग किए जाने के आरोप लगाए हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार ईवीएम का विरोध कर रही हैं। वैसे 2009 में भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सबसे पहले ईवीएम पर सवाल उठाए थे। एक के बाद एक करके भाजपा की लगातार जीत के बाद तृणमूल समेत 17 राजनीतिक दल बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग के साथ चुनाव आयोग से मिलने की योजना बना रहे हैं।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरक ओ ब्रायन ने कहा है कि बैलेट पेपर से चुनाव कराने पर सभी विपक्षी दल सहमत हैं। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने विपक्ष के नेताओं को ईवीएम में छेड़छाड़ के खिलाफ संयुक्त प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से संपर्क करने की सलाह दी है। ममता ने भाजपा की सहयोगी शिवसेना से भी इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने की अपील की। शिवसेना प्रमुख उद्भव ठाकरे ने भी मांग की कि वर्ष 2019 का चुनाव ईवीएम के स्थान पर मतपत्र से कराया जाए।
इस बीच मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि ईवीएम को बलि का बकरा बनाया जा रहा है, क्योंकि मशीनें बोल नहीं सकतीं। राजनीतिक दलों को अपनी हार के लिए किसी न किसी को जिम्मदार ठहराने की जरूरत होती है। बैलेट पेपर वापस लाने की कोई संभावना नहीं है। वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट (वीवीपीएट) व्यवस्था के तहत वोटर डालने के तुरंत बाद स्क्रीन पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न दिखाई देता है। हालांकि अभी सभी ईवीएम मशीनों को वीवीपैट से जोड़ा नहीं जा सका है। वहीं कानून राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने राज्यसभा में कहा कि केंद्र सरकार ने संसद में कहा, ईवीएम और वीवीपैट के माध्यम से ही 2019 के लोकसभा चुनाव होंगे।