जिला प्रशासन एंव कृषि विभाग की चुप्पी
जिला प्रतिनिधि // डी. जी. चौर चौरे(बालाघाट // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बालाघाट मुख्यालय से संपूर्ण जिले में नकली खाद एंव खाद के दामों में काला बाजारी जोरों से चल रही है। प्रशासन के अक्षमता के चलते कृषि विभाग के अधिकारी जांच के उपंरात बगैर कार्यवाही किये लेन देन के साथ नकली खाद बेचने वालों के गोदामों को बिना सैम्पल लिये छोड़ रहे है। बिते 15-20 दिनों में नकली खाद के मामले बनाने वाले कृषि विभाग के अधिकारियों बैहर, परसवाड़ा और बालाघाट में बिना प्रकरण बनाया छोड़ दिया जा रहा है। इस संबंध में उपसंचालक कृषि ने भी सक्त कदम उठाने की बात कही है। पंरतु नीचले अमले के सांठ-गंाठ के चलते किसानो को नकली खाद उपलब्ध करायी जा रही है।नकली खाद पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के सम्पद जिले से आकर बालाघाट में ही बोरियों में पैक किया जा रहा है। इन कंपनीयो के न कोई ब्राण्डं है। न कोई नाम है इतना ही नही किसी भी खाद को बेचने के लिये संबंधित कंपनियों द्वारा पी।सी।बी। नम्बर दिया जाता है। और बगैर नम्बर के बेचे जाने वाले खाद के बिल नही होते और खुले बाजार में बिना बिल के खाद कई गुनी कीमत पर खाद की कमी होने के कारण बिक रही है। और सरकार को विक्रय कर का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
-- काला बाजारी का माध्यम बना पी। सी. बी. --
विक्रय कर की चोरी करते हुये अवैध रूप से अन्य स्थानो की पी.सी.बी. नम्बर की खाद लाकर बिक्री की जा रही है और एक बोरी के पीछे 200 रू. से 300 रू. तक अतिरिक्त वसूल किया जा रहा है। खाद कि काला बाजारी के पीछे प्रशासन की पकड़ न होना कार्यवाही को दबा देने और मात्र कृषि विभाग को जिम्मेदारी सौंपना और कृषि विभाग ने जांच को विशेष महत्व न देना, कालाा बाजारी का कारण बन रहा है। जिले के किसान काला बाजारी की मार झेल रहे है चूंकि प्रायवेट डीलर को कम्पनी द्वारा रेक पंाइट से खाद दी जा रही है और जबलपुर से बालाघाट और बालाघाट से दूर दराज तक खाद के प्रत्येक बोरी के पीछे 10 रू. से लगाकर 50 रू. का भाड़ा खर्च आ रहा है। और सप्लाय भी स्थानीय डीलरो को कम दी जा रही है इसकी वजह से गोंदिया के महाराष्ट्र तथा जबलपुर से खाद लाकर अवैध रूप से बगैर बिल के खाद की बिक्री हो रही है इसमें एन.एफ.एल और पी. एफ. एल. कम्पनी के खाद में भारी में भारी काला बाजारी हो रही है।
-- नेवरगांव में 365 के वसूले 575 --
पी.एफ.एल कम्पनी की 202013 नम्बर की खाद 365 रू. प्रति बोरी में बिक्री की कीमत है पंरतु डेकाटे कृषि केन्दऊ नेवरगांव में उक्त खाद बगैर बिल के दुकानदार द्वारा ब्लैक मार्केट से मंहगी कीमत में खरीदी गई है और 575 रू. में दुकानों को दिये जाने की जानकारी मिली हैं। इस संबंध में पी.एफ.एल कंपनी के स्थानीय अधिकारी राजीव मेहता ने किसानो के शिकायत पर कुछ किसानो को 210 रू. प्रति बोरी के हिसाब से राषि वापस दिलवाई है। इस बात की पुष्टि कंपनी के क्षेत्रीय डीलर द्वारा भी की गई है। बिना पी.सी.बी के ब्लैक मार्केट से आयी खाद पर नेवरगांव में किसानों को रकम कपंनी के प्रतिनिधि ने वापस दिलाई है। खाद विक्रेताओं को कहना है कि अधिकृत डीलरो को कंपनी द्वारा बहुत कम मात्रा में खाद दी जा रही है अत: अपने ग्राहक को ही खाद की पूर्ति करना संभव नही है। ज्यादा चलने वाली खाद के साथ कम बिकने वाली खाद टिकाई जा रही है। इसके चलते काला बाजारी करने के लिये मजबूर है और कंपनी ने खाद एफ. ओ.आर एक पांइट कर दिया है जिसकी वजह से भाड़े की मार पड़ रही है और कंपनी की कीमत पर खाद बेचना संभव नही है।
-- जबलपुर से डिलेवरी जबकि रेक पंाइट बालाघाट है --
बालाघाट मे रेक पांइट होने के बावजुद जबलपुर मे ंखाद की रेक लगाई जाती है और कंपनियो ने रेंक पांइट तक एफ. ओ.आर दिया है। और जबलपुर से बालाघाट, वारासिवनी, कंटगी, लांजी, बैहर, डीलरो को भाड़ा देकर खाद बुलानी पड़ती है और डीलर से खाद लेकर गांव-गांव मे ंबेचने वाले छोटे विक्रेताओ को भी भाड़ा देना पड़ता है। इस तरह भाड़े के रूप में 50 रू. प्रति बोरी का अतिरिक्त खर्च आ रहा है। जो कि पूर्व में एफ. ओ.आर डीलर के गोदामों तक दिया जा रहा था इस तरह परिवहन व्यय ना जोडऩे से खाद की बिक्री मूल्य से अधिक कीमत पर हो रही है।