Thursday, May 20, 2010

भोपाल में नौकरी दिलाने के नाम पर राजधानी में जिस्मफरोशी का खेल

भोपाल // पी. आई. सी.

काजू भुने प्लेट में बोतल भरी शराब, रामराज्य उतरा है विधायक निवास में। यह तीखी व्यंग्योक्ति कभी अखबारी दुनिया की चटखारे दार खबर हुआ करती थी. वक्त के साथ इन बातों का कोई असर नहीं बचा क्योंकि शराब खोरी अब आम हो चुकी है. लेकिन शराब के साथ शबाब का खेल आज भी चौंकाने वाला है. आम तौर पर अच्छे राजनेता इन बुराईयों से बचते रहते हैं. इतना होने के बावजूद अय्याशी और जिस्मफरोशी आज भी जारी है. वह तब और असहनीय होती है जब उसे बड़े सत्ताधीशों की उनींदी आंखें नजरंदाज करती हैं. पिछले दिनों ऐसी ही एक बाला को पुलिस ने सूचना मिलने के बाद अपनी हिरासत में ले लिया लेकिन जब कुछ ही देर मेें पुलिस के आला अफसरों के पास फोन पहुंचे तो खुद की नौकरी बचाने की जद्दोजहद शुरु हो गई और पुलिस ने उस बाला को आनन फानन छोड़ देने में ही अपनी भलाई समझी. प्रथम पृष्ठ का शेष.....गुरेज तो इस बात का है कि यह देह का यह गंदा खेल एक धर्म के ठेकेदार के सहयोग से चलाया जा रहा है. मामला विधायक विश्रामगृह के सामने स्थापित कात्यायिनी शक्तिपीठ का है. यहां के महंत स्वामी पुष्करानंद को सत्ता के गलियारों में खासा सम्मान मिलता रहा है. चूंकि यह क्षेत्र विधानसभा के अधिकार क्षेत्र में आता है इसलिए आम तौर पर सरकार यहां के मामलों में दखल भी नहीं देती है. विधानसभा की एक अधिकारी तो इस शक्तिपीठ से ही शक्तियां लेती रहीं हैं और सत्ता के गलियारों में धमाचौकड़ी मचाती रहती हैं. ऐसे ही कई मंत्री, विधायक और अधिकारी भी धार्मिक कारणों से शक्तिपीठ के कार्यक्रमों में शिरकत करते रहे हैं. शक्ति का केन्द्र होने के कारण कई दिग्गजों का भी वरद हस्त इस मंदिर को मिलता रहा है.यही कारण है कि सुरक्षा के मसले पर तमाम मशक्कत के बावजूद शक्तिपीठ के मंदिर को प्रशासन ने यहां से नहीं हटाया. लेकिन विधानसभा के विशेषाधिकार में सेंध लगाता यह प्रतिष्ठान लड़की बरामद होने की घटना से एक बार फिर विवादों में आ गया. पुलिस को सूचना मिली कि कात्यायिनी शक्तिपीठ में एक लड़की उमरिया से लाई गई है और उसे चालीस हजार रुपए की पेशगी पर जिस्मफरोशी के लिए भेजा जा रहा है. सहसा पुलिस को भी भरोसा नहीं हुआ और उसने कोई कार्रवाई करने से इंकार कर दिया. लेकिन जब पुलिस के कई अफसरों तक यह बात पहुंची तो जिला पुलिस ने डरते सहमते मंदिर परिसर में अपने सिपाही भेजे. उन्हें बताया गया कि यहां तो साहू समाज की किसी नवब्याहता की गोद भराई चल रही है. लेकिन जब सूत्रों ने बार बार पुलिस पर दबाब बनाया कि मंदिर के तलघर की छानबीन करें वहां उस लड़की को छुपाकर रखा गया है.उस लड़की के फोटो और वीडियो फिल्म भी मौजूद है तो पुलिस ने तलघर में जाकर लड़की को बरामद किया. उसे लाने वालों के फोन नंबर भी पुलिस को प्राप्त हो गए और अधिकारी तो तब चौंके जब बाबा के मोबाईल में कई दिग्गज राजनेताओं और उनके रिश्तेदारों के फोन नंबर भी प्राप्त हुए. बाबा पुष्करानंद से पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि इस लड़की ने जन अभियान परिषद में नौकरी लगवाने के लिए ुएक बड़े राजनेता के पिता को बीस हजार रुपए दिए हैं. जबकि हकीकत में यह बीस हजार रुपए लड़की को जिस्म फरोशी के एवज में दिलाए जाने थे. शेष बीस हजार रुपए सभी दलालों में बंटने थे. पुलिस इस मामले की तहकीकात करती लेकिन तभी जहांगीराबाद पुलिस अफसरों के पास फोन पहुंचने लगे और उन्होंने मामला बिगडऩे से पहले लड़की को महिला पुलिस थाने पहुंचाने में ही अपनी भलाई समझी. पुलिस अभिरक्षा में लड़की कहती रही कि वह अपनी नौकरी लगवाने के लिए राजधानी पहुंची थी. उसके एक परिचित भाईजान उसे मंदिर लाए थे. अब कई सवाल खड़े होते हैं कि किसी मुस्लिम व्यक्ति को माता के मंदिर में जाने की जरूरत क्यों पड़ी. पुलिस ने दलालों के मोबाईल से किए गए काल रिकार्ड भी प्राप्त किए और तब जाकर हकीकत से परदा उठा. हकीकत तो यह थी कि यह लड़की इतनी पढ़ी लिखी भी नहीं थी कि उसे चपरासन की नौकरी भी दिलाई जा सके. इसके बावजूद पुलिस ने उसे बीस हजार रुपए दिलाए और उसके घर भिजवाने का प्रबंध किया. बाबा पुष्करानंद ने पुलिस को बताया कि उसने तो सबसे बड़े नेता के पिता को बीस हजार रुपए दिए हैं इसलिए लड़की की नौकरी जरूर लग जाएगी. यदि इस बात में थोड़ी भी हकीकत है तो यह शर्मनाक बात है.लेकिन यदि बाबा ने पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए यह तोहमत लगाई है तो यह बहुत बड़ा अपराध है और इसके लिए सरकार को बाबा का डेरा उखाड़ देना चाहिए. सरकार में बैठे नेताओं को यह भी मालूम करना चाहिए कि बाबा का जिस्मफरोशी का यह जाल कितना बड़ा है. उसे किस किस नेताओं और अफसरों का संरक्षण प्राप्त है. वह नौकरी लगवाने के बहाने से क्या मंदिर आने वाली सभी बालाओं पर भी बुरी निगाह रखता है. भाजपा सरकार सहजता से मठ मंदिरों पर अपना स्नेह रखती है. इसलिए वह आमतौर पर मंदिरों के कामकाज में हस्तक्षेप भी नहीं करती. लेकिन कुछ महीनों पहले जब सुरक्षा के नाम पर विधायक विश्रामगृह से लगी झुग्गियां हटाने की मुहिम चलाई गई तो कात्यायिनी शक्तिपीठ से लगी गौशाला को भी विस्थापित करने की बात कही गई. तब स्वामी पुष्करानंद ने काफी हो हल्ला मचाया और कहा कि धर्म विरोधी लोग मंदिर तोडऩे का षडय़ंत्र कर रहे हैं. उन्होंने राजधानी से लगे मंदिरों के मठाधीशों को भी बुलावा भेजा और मंदिर बचाने का अनुरोध किया. बाबा के बुलावे पर राजधानी के मठों के प्रभारी कात्यायिनी शक्तिपीठ पहुंचे. उनमें गुफा मंदिर के महंत चंद्रमादास, मोहनानंद ,मरघटिया हनुमान मंदिर के महंत शंकरदास, रविंद्र दास, स्वामी नवीन आनंद, संत दुर्गादास जैसे प्रतिष्ठित संत महंतों ने प्रशासन से पूछा कि मंदिर क्यों हटाया जा रहा है. तब विधानसभा के अधिकारियों ने बताया कि मंदिर को अतिक्रमण विरोधी मुहिम से कोई क्षति नहीं हुई है. उनके नकशे में पंद्रह फीट गुणा बीस फीट का मंदिर मौजूद है लेकिन गौशाला का कोई हवाला नहीं हैं. तब सभी के हस्तक्षेप से बाबा को गौशाला विस्थापित करने के लिए भदभदा के नजदीक दो एकड़ जमीन दी गई. इस जमीन पर उन्हें मंदिर के साथ साथ गौशाला बनाने की अनुमति भी दी गई थी. गौशाला के लिए आवश्यक टीन और बल्लियां भी बाबा को प्रशासन ने ही मुहैया कराईं थीं. बाबा ने इस मौके का उपयोग किया और नई जमीन स्वीकार करते हुए उस पर गौशाला भी बनवा दी. इसके बावजूद उसने मंदिर से अपना डेरा नहीं हटाया. अब जबकि मंदिर परिसर से चल रहे देह व्यापार के कारोबार की असलियत पुलिस प्रशासन के सामने आ चुकी है तब शासन को हस्तक्षेप करके इस कुरीती को बदलना होगा. यदि इस कारोबार को कुछ बड़े सत्ताधीशों की भी कृपा प्राप्त है तो भी धर्म को बदनाम करने वाले इस अड्डे को उखाड़ फेंका जाना जरूरी है. बाबा ने अपने बचाव में कहा है कि लड़की को नौकरी के लिए लाया गया था तो भी यह बात गले नहीं उतरती क्योंकि बाबा का नौकरी धंधे से आखिर क्या वास्ता. भारतीय समाज में साधु मार्गदर्शक होते हैं दलाल नहीं. फिर महिलाओं और लड़कियों के भडु़ए तो कतई नहीं हो सकते. इसलिए ऐसी किसी भी हरकत का विरोध पूरे समाज को करना होगा और बाबा की करतूतों से परदा उठाना होगा.(लड़की को बदनामी से बचाने के लिए उसका नाम नहीं दिया जा रहा है.)

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