म.प्र. में वैसे तो नई आबकारी नीति लागू हो गई हैं, किन्तु ढ़ाबों और होटलों में शराब पीने वालों पर मुकदमा बनाने वाला आबकारी विभाग अपने ठेकेदारों पर नकेल नहीं लगा पा रहा है। ठेकेदार अवैध अहाते चला रहें हैं, खुले आम रात 12 बजे तक संचालित होने वाले इन अड्डों में कई तो राष्ट्रीय राजमार्ग भोपाल में स्थित हैं। न पुलिस कुछ करना चाहती न आबकारी विभाग...
रिपोर्टर // उमेश पाण्डेय (भोपाल//टाइम्स ऑफ क्राइम)
रिपोर्टर // उमेश पाण्डेय (भोपाल//टाइम्स ऑफ क्राइम)
म.प्र. सरकार ने वर्ष 2010 -11 के लिये नई आबकारी नीति घोषित कर यह ढिंढोरा पीटा था, कि इस नीति से शासन राजस्व में बढ़ोतरी होगी साथ ही ठेकेदारों द्वारा किये जाने वाले शराब के अवैध कारोबार पर भी अंकुश लगेगा। किन्तु जो नई आबकारी नीति लागू की गई है। उसमें तो शासन के राजस्व में सेंध लग गई है, हां केवल ठेकेदारों को ही लाभ पहुंच रहा है। शासन की आबकारी नीति में प्रथम वर्ष के लायसेन्सी (ठेकेदार) को चाहे वह देसी दारू का हो अथवा विदेशी दारू का अहाता संचालन की अनुमति (लायसेंस) नहीं दिया जायेगा। लायसेन्स के द्वितीय वर्ष में ठेके की रकम का दस प्रतिशत रकम अहाता लायसेन्स फीस के रूप में लेकर अनुमति दी जाती है। किन्तु राजधानी की आधे से ज्यादा दुकाने प्रथम वर्ष की लायसेन्सी हैं। उन्हें अहातों की अनुुमति भी नहीं है। किन्तु धड़ल्ले से अहाते चल रहे हैं। ग्वालियर रोड पर, इंदौर रोड पर, सागर रोड पर, तथा शहर के पाश इलाकों में थानों के समीप ही अहाते चल रहे हैं। कहीं भी कभी भी बैठकर पीने की उत्तम व्यवस्था, 'ए.सी.अहाताÓ के बोर्ड देखे जा सकते हैं।अभी कुछ दिनों से होटल व ढ़ाबों में बैठकर शराब पीने वालों पर आबकारी विभाग व पुलिस ने प्रकरण दर्ज करना शुरू किये हैं किन्तु उन्हीं के संरक्षण में नियमों की धज्जियां उड़ाते इन अहातों के विरूद्ध आंख मूंद कर विभागीय अधिकारियों का बैठ जाना समझ से परे हैं। इन अवैध अहातों का संचालन करने वाली कोई भी दुकान 80 लाख से तीन-चार करोड़ के ठेके से कम नहीं है। यदि इसका दस प्रतिशत लायसेन्स फीस में शासन को मिलता तो राजस्व में बढ़ोतरी होती किन्तु यह पुलिस आबकारी विभाग और ठेकेदार की तिकड़ी की जेब में जा रहा है।